Sunday, March 31, 2013

व्यापार मंडल भी जमीन अधिगृहण के खिलाफ

अमृत सचदेवा, फाजिल्का

सरकारी एमआर कालेज ट्रस्ट की जमीन अधिग्रहण कर कालोनी का मुनाफा कमाने के लिए अडे़ नगर सुधार ट्रस्ट ने आनन-फानन अधिग्रहण संबंधी एक ओर नोटिस प्रकाशित करा दिया है। कायदे से यह नोटिस पहले नोटिस के 30 दिन बाद निकाला जाना था, लेकिन इससे भी कम समय में इसे निकाल दिया गया। वहीं नगर सुधार ट्रस्ट द्वारा जमीन हासिल करने के लिए लिखाई जा रही ललक पर व्यापार मंडल फाजिल्का ने हैरानी जताई है।

व्यापार मंडल अध्यक्ष अशोक गुलबद्धर ने कहा है कि नगर सुधार ट्रस्ट में इस वक्त कोई चेयरमैन नहीं है जो शहर निवासियों की भावना को समझ सके। अधिकारी भावनाओं से विपरीत जा शिक्षा के लिए दान में मिली जगह को बेचकर मुनाफा कमा सरकार को खुश करने की फिराक में है, लेकिन उनके इन प्रयासों को शहर वासी कभी कामयाब नहीं होने देंगे। व्यापार मंडल दो अप्रैल को फाजिल्का पहुंच रहे उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल को मांगपत्र सौंप कालेज ट्रस्ट की जगह का अधिग्रहण तत्काल प्रभाव से रुकवाने की मांग करेगा। अगर सुनवाई न हुई तो नगर सुधार ट्रस्ट द्वारा मांगे जा रहे इंद्राज दर्ज करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। फिर भी अधिकारी जमीन हासिल करने पर अमादा रहे तो अदालत का सहारा लिया जाएगा। वहीं शहीद भगत सिंह स्पो‌र्ट्स क्लब ने कहा है कि नगर सुधार ट्रस्ट जमीन हासिल करने की कुछ ज्यादा ही जल्दबाजी दिखा रहा है जो नोटिस एक माह बाद निकलना चाहिए था उसे 8-10 दिन के भीतर जारी करवा ट्रस्ट अपने ही नियम तोड़ रहा है। इसे भी अदालत में चुनौती दी जाएगी।

Saturday, March 30, 2013

नहीं बिकने देंगे कालेज को मिली जमीन : भाजपा

अमृत सचदेवा, फाजिल्का

नगर सुधार ट्रस्ट की ओर से शिक्षा के प्रसार के लिए दान दी गई सेठ मुंशीराम अग्रवाल चेरीटेबल ट्रस्ट की जमीन को अधिग्रहित कर मुनाफा कमाने के लिए उस पर कालोनी काटने के प्रयासों के खिलाफ विरोध के स्वर लगातार मुखर होते जा रहे हैं। लोगों की भावनाओं को देखते हुए सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने भी जमीन की किसी भी कीमत पर अधिग्रहण न होने देने की चेतावनी दी है।

भाजपा मंडल अध्यक्ष एडवोकेट मनोज त्रिपाठी को स्थानीय नई आबादी में एक कार्यक्रम के दौरान नई आबादी, चंदोरा बस्ती व धींगड़ा कालोनी के बाशिंदों ने मांगपत्र सौंपा जिसमें इन बस्तियों के साथ लगती उक्त 16.38 एकड़ भूमि का अधिग्रहण रुकवाने की मांग की गई थी। इस पर अध्यक्ष त्रिपाठी ने कहा कि भाजपा लोगों की भावनाओं की कद्र करती है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो वह सरकार के जरिये स्थानीय निकाय विभाग को उक्त जगह का अधिग्रहण रद कराने की मांग करेंगे। अगर नगर सुधार ट्रस्ट फिर भी नहीं माना तो कानून का सहारा भी लिया जाएगा।

-------------

कालेज ट्रस्ट की चुप्पी संदिग्ध

इस सारे प्रकरण में कालेज ट्रस्ट की चुप्पी शहरवासियों को काफी अखर रही है। हालांकि कालेज ट्रस्ट सीधे एतराज जताने की बजाए नगर सुधार ट्रस्ट के प्रशासक एवं डीसी डा. बसंत गर्ग से भी मिल चुका है। इस संवेदनशील मामले में साथ के साथ एतराज लगाने की बजाय चुपचाप बैठे ट्रस्टियों से शहरवासियों को बहुत आस है। एक मोटे अनुमान के मुताबिक अगर नगर सुधार ट्रस्ट यह जमीन अधिग्रहित करता है तो कलेक्टर रेट छह लाख रुपये प्रति एकड़ के तीन गुणा ज्यादा के भाव से 16 एकड़ भूमि के करीब पांच करोड़ रुपया मिलेगा। जबकि जमीन की मार्केट वैल्यू इससे पांच से छह गुणा अधिक है। इसलिए ट्रस्ट को सरकारी एजेंसी को मुनाफा कमाने देने से रोकने के लिए एतराज जताने चाहिए।

Friday, March 29, 2013

भूमि अधिग्रहण पर ट्रस्ट की डीसी संग बैठक

जागरण संवाददाता, फाजिल्का

सरकारी एमआर कालेज के संस्थापक सेठ मुंशीराम अग्रवाल द्वारा शिक्षा प्रसार के लिए दान में दी फ्रीडम फाइटर रोड पर स्थित 16.38 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर उस पर कालोनी काटने के नगर सुधार ट्रस्ट के नोटिस पर कालेज ट्रस्ट हरकत में आया है। कालेज ट्रस्ट द्वारा इस बारे में नगर सुधार ट्रस्ट के प्रशासक एवं डिप्टी कमिश्नर डा. बसंत गर्ग से उक्त नोटिस बारे जानकारी मांगी। इस पर डीसी डा. गर्ग ने मंगलवार देर शाम को अपने कार्यालय में ट्रस्ट के सभी सदस्यों की बैठक बुलाई थी।

कालेज ट्रस्ट के अध्यक्ष सेठ सुरेंद्र आहूजा ने बताया कि ट्रस्ट ने डीसी डा. गर्ग से अधिग्रहण किन शर्तो पर किया जा रहा है, की जानकारी मांगी। डीसी ने उन्हें योजना के बारे में बताया। लेकिन ट्रस्ट के किसी भी सदस्य ने इस बात पर फिलहाल सहमति नहीं दी है। सभी सदस्यों ने नोटिस में अधिग्रहण के विरोध में मांगे गए एतराज दर्ज करवाने का ही मन बनाया है।

पेड़ीवाल का बाग देख अभिभूत हुए ढींढसा

अमृत सचदेवा, फाजिल्का : हाल ही में पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी लुधियाना में बागवानी के क्षेत्र में मुख्यमंत्री पुरस्कार प्राप्त करने वाले फाजिल्का के प्रमुख बागवान सुशील पेड़ीवाल का खिप्पांवाली स्थित बाग पूरे प्रदेश के बागवानों के लिए प्रेरणा है। ये शब्द राज्य के वित्त मंत्री परमिंदर सिंह ढींढसा ने बाग का दौरा करते हुए कहे।

ढींढसा निजी दौरे के तहत सुशील पेड़ीवाल के पुत्र शैलेश पेड़ीवाल जोकि उनके मित्र भी हैं, के साथ उनके फार्म पर आए हुए थे। वहां उन्होंने करीब सौ एकड़ में फैले बाग में बेहतर उत्पादन के लिए लगाए गए ड्रिप इरीगेशन, हर प्लांट को सही ढंग से पानी देने, समयानुसार दवा छिड़काव के लिए अपनाए गए कंप्यूट्रीकृत सिस्टम को देखा। साथ ही उन्होंने बेहतर मार्केटिंग के लिए अपनाए जा रहे ग्रेडिंग व वैक्सिंग प्लांट का जायजा भी लिया।

दैनिक जागरण के साथ विशेष बातचीत में वित्तमंत्री ढींढसा ने कहा कि राज्य के हर बागवान को पेड़ीवाल परिवार की तरह तकनीक का इस्तेमाल करे तो बागवानी में भी पंजाब नई ऊंचाइयां छू सकता है। उन्होंने बताया कि बजट में भी पंजाब सरकार ने बागवानी को प्रोत्साहित करने के लिए दो सौ करोड़ रुपए उपलब्ध करवाए हैं। इसके अलावा करोड़ों रुपए की लागत से अबोहर और होशियारपुर में दो जूस फैक्ट्रियां स्थापित की गई हैं, उनके बेहतर संचालन के लिए निजी क्षेत्र की जूस कंपनियों को आमंत्रित किया जा रहा है ताकि हजारों युवाओं को रोजगार मिल सके।

Tuesday, March 26, 2013

Improvement Trust acquires Fazilka philanthropist’s land

Our Correspondent
Fazilka, March 25

Lala Munshi Ram Aggarwal Charitable Trust, Fazilka, a registered body set up in 1937 by the philanthropist Munshi Ram Aggarwal Lakhpati, with the objective of promoting education has been caught unawares by the move of the Improvement Trust, Fazilka, to acquire its 16 acres of land without any notice.

The Trust had set up MR College in 1940 in the memory of its founder Seth Munshi Ram Aggarwal. The college, which was a pioneer educational institute, catered to the educational needs of a large area for several decades. The college was taken over by Punjab Government in 1980 and was rechristened as MR Government College.

Since then, the Trust has been serving the humanity. As its founder had donated his entire land to the Trust for the furtherance of welfare scheme, it continues to own 16.3 acres of land on Freedom Fighter Road. The land is now considered prime commercial property, evaluated at over Rs 35 crores. The Improvement Trust notified advertisements in leading newspapers three days back seeking objections on acquiring 16.3 acres of land.

"The trustees have never resolved to transfer the land to the Improvement Trust for commercial benefits. We are surprised to see the advertisement for the acquisition of land in the newspapers," said Girdhari Lal Aggarwal, secretary, Munshi Ram Aggarwal Charitable Trust.

The residents are also perturbed over the proposal of the Improvement Trust to acquire the prime land for carving out a residential and commercial colony.

One of the oldest structures of the town, Raghuvar Bhawan, awaiting heritage status because of its glorious past, is also located on this piece of land.

"A university building should have been come up on this land to fulfill the dream of its founder. Instead, it is being exploited for monetary benefits," said Navdeep Asija, general secretary, Graduate Welfare Association, Fazilka. Asija said if the proposal is not dropped, he would launch an agitation and would knock the door of the court if the need arises.

Executive Officer, Improvement Trust, Fazilka, Jawahar Lal Aggarwal, while justifying the proposal, said under section 36 of Improvement Trust Act, the land of a Trust can also be acquired.

लोगों की भावना के विपरीत नहीं बिकेगी जमीन : ज्याणी

अमृत सचदेवा, फाजिल्का

बच्चों के लिए ट्रस्ट को दान दी गई जमीन इंप्रूवमेंट ट्रस्ट द्वारा अधिग्रहित करके बेचने के प्रयासों को जनता की भावनाओं के विपरीत कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। यह कहना है स्थानीय विधायक एवं कैबिनेट मंत्री सुरजीत ज्याणी का। ज्याणी इंप्रूवमेंट ट्रस्ट द्वारा सेठ मुंशीराम चैरीटेबल ट्रस्ट की जमीन खाली बताकर कालोनी के रूप में काटकर बेचने के खिलाफ उठ रहे विरोधी स्वरों बारे बात कर रहे थे।

ज्याणी ने कहा कि अगर शहर के लोग उक्त जगह मुनाफे के लिए बेचे जाने का विरोध कर रहे हैं, तो उनकी भावनाओं का सम्मान किया जाएगा। वहीं उक्त जगह के अधिग्रहण के खिलाफ नगर सुधार ट्रस्ट द्वारा मांगे गए एतराजों की शुरुआत भी हो गई है। ग्रेजुएट्स वेलफेयर एसोसिएशन फाजिल्का के सचिव इंजीनियर नवदीप असीजा ने कानूनन उक्त जगह का अधिग्रहण न होने बारे एतराज नगर सुधार ट्रस्ट को डाक के जरिए भेजे हैं। वहीं, अपनी जगह को अधिग्रहित करने से हैरान इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने भी सोमवार रात को बैठक बुलाई है।
---
पर्यटन विभाग के प्रोजेक्ट में है ट्रस्ट की जगह

फाजिल्का : एक सरकारी एजेंसी के प्रोजेक्ट में शामिल जगह पर दूसरी सरकारी एजेंसी कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती। कालेज ट्रस्ट की उक्त 16.38 एकड़ भूमि, जिस पर पहले पंजाब पर्यटन विभाग एक योजना के तहत काम कर रहा है। इसलिए नगर सुधार ट्रस्ट उक्त जगह पर कालोनी काटने का प्रोजेक्ट नहीं अपना सकता। इंजीनियर नवदीप असीजा ने बताया कि साल 2007 में उक्त जगह पर बनी एतिहासिक इमारत रघुवर भवन व डीसी डा. बसंत गर्ग के आवास को पर्यटन के लिए विकसित करने के उद्देश्य से पर्यटन विभाग संरक्षित कर रहा है। अब इंप्रूवमेंट ट्रस्ट द्वारा उक्त जगह बेचकर मुनाफा कमाने की शिकायत ई-मेल के जरिए पर्यटन विभाग से की गई है। इस पर पर्यटन विभाग की प्रिंसिपल सेक्रेट्री गीतिका कल्ला ने जल्द ही टीम भेजने का आश्वासन दिया है।

Monday, March 25, 2013

श्वेत पत्र जारी करे कालेज ट्रस्ट

अमृत सचदेवा, फाजिल्का

नगर सुधार ट्रस्ट द्वारा सरकारी एमआर कालेज के साथ जुड़े सेठ मुंशीराम अग्रवाल चेरीटेबल ट्रस्ट की फ्रीडम फाइटर रोड पर पड़ी 16.38 एकड़ कृषि भूमि पर रिहायशी व कमर्शियल प्लाट काटकर बेचने के प्रयासों के विरोध में दैनिक जागरण द्वारा प्रकाशित समाचार के बाद हलचल शुरू हो गई है। कालेज ट्रस्ट के सदस्य नगर सुधार ट्रस्ट द्वारा उक्त जगह को खाली बताकर निकाले गए नोटिस से हैरान परेशान हैं, वहीं शहरवासियों में बच्चों की शिक्षा के लिए दान में मिली जगह बेचने का विरोध शुरू हो गया है।

शहर के विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक संगठनों ने जगह अधिग्रहण के खिलाफ एतराज लगाने की बात कही है, वहीं कालेज ट्रस्ट को भी इस बारे में अपना रुख जाहिर करते हुए श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है। उसके बावजूद जमीन बेचने का प्रयास हुआ तो शहरवासियों ने आंदोलन की चेतावनी दी है।

खुद नगर सुधार ट्रस्ट के पूर्व चेयरमैन महेंद्र प्रताप धींगड़ा ने हैरानी जताते हुए कहा कि उक्त जगह पर किसी काश्तकार ने कब्जा कर रखा है। कालेज ट्रस्ट व कब्जाधारक के बीच केस भी चल रहा है। ऐसे में नगर सुधार ट्रस्ट उस जगह को अधिग्रहित करने के बारे में कैसे सोच सकता है।

सरकारी कालेज की ओल्ड स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष भगवंत सिंह वैरड़, व्यापार मंडल अध्यक्ष अशोक गुलबद्धर, संयुक्त सचिव इंजीनियर नवदीप असीजा ने कहा कि शिक्षा के लिए जो जमीन दान दी गई है, उसे शिक्षा को ही प्रोत्साहित करने के लिए प्रयोग होना चाहिए। उन्होंने कालेज ट्रस्ट से अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा है। असीजा ने कहा कि 1983 में कालेज ट्रस्ट ने रातों-रात कालेज सरकार को सौंपकर एक गलती की थी, जिसकी सजा आज भी क्षेत्र के हजारों विद्यार्थी भुगत रहे हैं।

ट्रक यूनियन अध्यक्ष एवं शहीद भगत सिंह स्पो‌र्ट्स क्लब के अध्यक्ष परमजीत सिंह वैरड़ और यूथ कांग्रेस के ब्लाक उपाध्यक्ष रंजम कामरा ने कहा कि शहर की सभी धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक व शिक्षण संस्थाओं को कालेज ट्रस्ट का भूमि अधिग्रहण रोकने के लिए एतराज दायर करने चाहिए।

----------

कानूनन नहीं हो सकता अधिग्रहण

फाजिल्का : ग्रेजुएट्स एसोसिएशन के सचिव एवं सिविल इंजीनियर नवदीप असीजा ने बताया कि मास्टर प्लान के बिना नगर सुधार ट्रस्ट किसी खास खंड को विकसित नहीं कर सकता। पंजाब सरकार के डिपार्टमेंट आफ साइंस टेक्नालाजी, एनवायरमेंट एंड नान कन्वेंशनल एनर्जी के नोटिफिकेशन नंबर 3/6/7/एसटीई (4) / 2274 दिनांक 25 जुलाई 2008 में मास्टर प्लान की अनिवार्यता की बात स्पष्ट की गई है।

यह बात और भी जरूरी हो जाती है क्योंकि अब फाजिल्का शहर जिला मुख्यालय बन चुका है। इसके मास्टर प्लान तैयार करने की प्रक्रिया अभी चल रही है। लेकिन उक्त भूमि अधिग्रहण मामले में लगता है कि प्रशासनिक अधिकारी बिना कानूनी जानकारी लिए बिना प्रस्ताव आगे बढ़ा दिया है। लागू भूमि अधिग्रहण नियम भी यह बात स्पष्ट करते हैं कि खेती योग्य जमीन का अधिग्रहण व्यापारिक उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता। कृषि भूमि का अधिग्रहण उसी सूरत में हो सकता है जब खेतीबाड़ी अधिकारी प्रमाण पत्र दें कि उक्त जमीन खेती करने लायक नहीं है, जबकि उक्त जमीन पर आज भी खेती हो रही है।

http://www.jagran.com/punjab/firozpur-10247390.html

Sunday, March 24, 2013

सुविधा केंद्र में मेडिकल फीस के नाम पर वसूली

नरेश कामरा, फाजिल्का

जिला सुविधा केंद्र ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वालों की असुविधा व आर्थिक शोषण का केंद्र बन गया है। यहां लाइसेंस बनवाने वालों को दोगुनी मेडिकल जांच फीस भरनी पड़ रही है। एक तो बिना किसी जरूरत के मेडिकल सरकारी अस्पताल से करवाने के लिए बाध्य किया जाता है, वहीं अस्पताल की फीस के बाद सुविधा केंद्र पर भी मेडिकल फीस की वसूली की जा रही है। इससे जहां लोगों को एक ही छत के नीचे सुविधा नहीं मिल रही, वहीं दोगुनी फीस लेकर उनका आर्थिक शोषण भी किया जा रहा है।

जरूरी नहीं सरकारी अस्पताल से जांच : एएसटीसी

स्टेट ट्रांसपोर्ट एक्ट के अनुसार लाइसेंस बनवाने के लिए देश के किसी भी एमबीबीएस डाक्टर और यहां तक कि आयुर्वेदिक डाक्टर के मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट के आधार पर लाइसेंस बनवा सकता है। लेकिन फाजिल्का में सुविधा केंद्र द्वारा केवल सरकारी अस्पताल के डाक्टर का सर्टिफिकेट मांगा जाता है, जबकि राज्य के किसी अन्य जिले में यह बाध्यता नहीं है। एडीशनल स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर हरमेल सिंह ने इसकी पुष्टि की है।

------

दोगुनी फीस पर कोई जवाब नहीं

फाजिल्का: सुविधा केंद्र में डाक्टर चेकअप के नाम पर वसूली जा रही 35 रुपए फीस और सरकारी अस्पताल से मेडिकल की बाध्यता बारे जिला ट्रांसपोर्ट आफिसर बलवीर सिंह राणा ने कहा कि स्टेट ट्रांसपोर्ट एक्ट के अनुसार वह किसी भी एमबीबीएस, बीएएमएस डाक्टर का सर्टिफिकेट स्वीकार कर सकते हैं। लेकिन दोगुनी फीस वसूले जाने बारे पूछने पर उन्होंने कहा कि इस बारे में तो सुविधा केंद्र के अधिकारी ही कुछ बता सकते हैं। वहीं सहायक सुविधा केंद्र आफिसर प्रदीप गक्खड़ ने कहा कि जगह की कमी और जांच उपकरण न होने के चलते सुविधा केंद्र में डाक्टर की नियुक्ति नहीं है। डाक्टर चेकअप के नाम पर वसूली जा रही फीस के बारे में कहा कि यह शुरू से ली जा रही है। सरकारी अस्पताल में मेडिकल जांच करवाने पर अलग से ली जा रही 50 रुपए फीस के बारे में एसएमओ डा. एसपी गर्ग ने कहा कि यह फीस सरकारी अस्पताल के नियमानुसार ली जा रही है। उनका सुविधा केंद्र में ली जा रही फीस से कोई वास्ता नहीं है।

http://www.jagran.com/punjab/firozpur-10229351.html

नवदीप असीजा केंद्र की विशेषज्ञ समिति में शामिल

जागरण संवाददाता, फाजिल्का : केंद्र सरकार के आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय ने अनौपचारिक परिवहन प्रणाली के क्षेत्र असंगठित वर्ग में शामिल रिक्शा चालकों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए प्रयासरत फाजिल्का के इंजीनियर नवदीप असीजा को अपनी नवगठित विशेषज्ञ समिति में शामिल किया है।

देश के आवास एवं गरीबी उन्मूलन मंत्री अजय माकन के विशेष प्रयास के तहत गठित यह कमेटी नान मोटर व्हीकल जैसे रिक्शा आदि चला आजीविका कमाने वाले लोगों की भलाई के लिए कार्य करेगी। यह समिति पंजाब एवं हरियाणा के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश मुकुल मुदगल की अध्यक्षता में कार्य करेगी। पूर्व न्यायाधीश मुदगल ने अपने कार्यकाल में फाजिल्का में तैयार नए ढग की रिक्शा ईको कैब की खासियत के बारे में छपे समाचारों का संज्ञान लेते हुए ईको कैब के मसौदे को जनहित याचिका में तब्दील कर पंजाब में ईको कैब चलाने के निर्देश दिए थे। अब उनकी अध्यक्षता में कार्य करने का मौका देने पर इजीनियर असीजा ने केंद्र सरकार का आभार प्रकट किया है। असीजा ने कहा है कि वह समिति के माध्यम से राज्य भर में शहरी क्षेत्र के गरीब सेवा प्रदाताओं के मौलिक अधिकार और आजीविका के मुददे को बेहतर ढग से उठाएंगे। रिक्शा चालकों की समस्याएं, उनके लिए स्टैड व स्वास्थ्य सुविधाएं आदि के लिए वह कानून बनवाने का प्रयास करेंगे।

कालेज की जगह बेचने की फिराक में नगर सुधार ट्रस्ट

अमृत सचदेवा, फाजिल्का
मौके की जगह पर रिहायशी या कामर्शियल प्लाट काटकर बेचने के लिए पहले से चर्चा में रहे नगर सुधार ट्रस्ट ने अब सरकारी एमआर कालेज की कृषि भूमि पर निगाहें गढ़ा दी हैं। इस भूमि पर एतिहासिक रघुवर भवन भी बना हुआ है। इसलिए इसका महत्व और बढ़ जाता है। नगर सुधार ट्रस्ट ने उक्त जगह को अधिग्रहित करने के लिए अखबारों में इश्तिहार तक भी छपवा दिया है। इससे उस जगह की देखरेख कर रहा ट्रस्ट भी हैरान है, क्योंकि उक्त करीब 15 एकड़ जगह सरकारी कालेज का निर्माण करवा उसे सरकार के हवाले करने वाले दानी सेठ मुंशीराम अग्रवाल ने कालेज का खर्च चलाने के लिए सैकड़ों एकड़ जगह के साथ दान में दी थी।
अब ट्रस्ट उसे बेचने की फिराक में है, जिससे शहर के लोगों में रोष है। लोगों का कहना है कि अग्रवाल द्वारा प्रदत्त कालेज अधिगृहित करने वाली सरकार कालेज के प्राध्यापकों की रिक्त सीटें तो भर नहीं पाई बल्कि उस कालेज के साथ दान दी गई जमीन को बेचकर कमाई करना चाहती है। यह सरासर गलत है। सेठ मुंशीराम ने अपने इकलौते पुत्र रघुवर की याद में बनाई एतिहासिक इमारत रघुवर भवन भी उक्त जगह के साथ श्री मुंशीराम अग्रवाल चेरीटेबल ट्रस्ट को दान दी थी, लेकिन लगता है ट्रस्ट को अपनी कमाई के आगे कालेज के हजारों विद्यार्थियों का हित और उक्त जगह का महत्व नजर नहीं आ रहा है। अभी कुछ माह पहले ही स्थानीय विधायक एवं वन मंत्री सुरजीत ज्याणी ने रघुवर भवन के साथ गरीब परिवारों के लिए कम्यूनिटी हाल बनवाने की घोषणा की थी, लेकिन गरीबों की सुनवाई की बजाय वहां अमीरों के लिए प्लाट काटने के प्रयास शुरू हो गए हैं। लोगों ने मांग की है कि नगर सुधार ट्रस्ट इस जगह की बजाय, किसी और जगह पर मुनाफा कमाने की सोचे।
--------------
ट्रस्ट के सदस्य भी अचंभित
फाजिल्का : जगह की देखरेख कर रहे श्री मुंशीराम अग्रवाल चेरीटेबल ट्रस्ट के सदस्यों के अनुसार वे खुद भी अचंभित हैं कि नगर सुधार ट्रस्ट शिक्षण संस्थान की जगह को बेचकर कमाई करने की सोच रहा है। वैसे भी नगर सुधार ट्रस्ट तब तक कोई जगह डेवलप नहीं कर सकता जब तक उसके पास शहर का मास्टर प्लान न हो। ट्रस्ट के अध्यक्ष सेठ सुरेंद्र आहूजा ने कहा कि नगर सुधार ट्रस्ट के नोटिस के बारे में उन्हें कुछ पता नहीं है। अगर नगर सुधार ट्रस्ट ने ऐसा कोई नोटिस निकाला है तो कालेज ट्रस्ट बैठक कर उसकी समीक्षा करेगा।
---------------
जगह शिक्षण संस्थान की होने का पता नहीं : ईओ
फाजिल्का : नगर सुधार ट्रस्ट के ईओ जवाहर लाल अग्रवाल का कहना है कि उन्हें पता नहीं है कि उक्त जगह किसी शिक्षण संस्थान की है। ट्रस्ट ने तो अधिग्रहण का नोटिस निकाला है, उस पर आने वाली आपत्तियों के बाद ही जगह के अधिकरण का फैसला होगा।

Saturday, March 23, 2013

क्यों न आप पर अवमानना की कार्रवाई हो: कोर्ट : डीसी, नगर निगम कमिश्नर को हाईकोर्ट का नोटिस

प्रशासन, नगर निगम ने रिक्शा स्टैंड की जगह तय करने के मामले में जवाब देने के लिए फिर मांगा था समय 

ललित कुमार त्न चंडीगढ़
Dainik Bhaskar 23rd March 2013

शहर में सेक्टर वाइज रिक्शा स्टैंड पार्किंग की जगह तय न कर पाने पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन व नगर निगम को आड़े हाथों लिया है। जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस अजय तिवारी की खंडपीठ ने प्रशासन के डीसी व नगर निगम के कमिश्नर को अदालत की अवमानना का नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई की जाए।

हाईकोर्ट ने दो नवंबर 2012 को शहर में सेक्टर वाइज रिक्शा स्टैंड के लिए प्रशासन को जगह तय करने पर जवाब मांगा था। चंडीगढ़ प्रशासन के सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल ने कुछ समय दिए जाने की मांग की थी। इसके बाद ११ जनवरी २०१३ को एक बार फिर चंडीगढ़ प्रशासन की तरफ से समय दिए जाने की मांग की गई। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान प्रशासन ने फिर से समय मांगा जिस पर खंडपीठ ने डीसी व निगम के कमिश्नर को अदालत की अवमानना की कार्रवाई का नोटिस जारी किया।

Friday, March 22, 2013

HC notice to UT DC, MC for not reviving rickshaw stands

The Punjab and Haryana high court has issued show-cause notice to the Chandigarh deputy commissioner (DC) and municipal commissioner as to why contempt of court proceedings should not be initiated against them for not demarcating and reviving rickshaw stands in the city despite repeated court directions.

A special division bench comprising justice Surya Kant and justice Ajay Tewari on Friday issued the notices when it came to know that the Chandigarh authorities had failed to comply with the court orders and were passing the buck on each other.

The court was hearing a case pertaining to the introduction of eco-friendly cycle rickshaws and designating vehicle-free zones in Punjab, Haryana and UT.

Earlier on November 2, 2012, the court had directed the chief architect of Chandigarh to designate proper parking space for rickshaws in every sector.

The court had said it was interested in how to popularise non-polluting vehicles and also proper parking for them which would reduce traffic chaos and accidents on roads.

Whereas during the hearing of the case, the court was informed that chief architect Sumit Kaur had written a letter to the DC seeking details of demarcated rickshaw stands in the city but her letter had not received any reply till date and thus rickshaw parking places all over the city had not been specified.

Appearing for the Chandigarh administration, senior standing counsel Sanjay Kaushal informed the court that the administration was mulling levying congestion charges on vehicles in various parking in the city.

Kaushal further reiterated that parking problem cannot be solved in the city and the ultimate option was to use the public transport system. He also informed the court that very soon the administration would also put its master plan on the website to invite objections from the city residents.

However, amicus curiae (friend of court) advocate Rita Kohli submitted that the administration had failed to properly utilise its existing resources to ensure proper parking space for vehicles, where thousands of vehicles could be parked.

The case would now come up for hearing on May 3.

Thursday, March 21, 2013

पराली से बिजली, किसानों की पौ बारह

अमृत सचदेवा, फाजिल्का

राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट में बिजली संकट दूर करने के लिए पराली से 800 मैगावाट बिजली बनाने का का एलान किया गया है। इस योजना से मालवा के धान उत्पादक क्षेत्रों के उन किसानों की पौ बारह हो गई है, जो पराली को ठिकाने लगाने को अब तक प्रति एकड़ हजारों रुपए खर्च करते थे। लेकिन अब उन्हें उस कूड़े से भी अच्छी आमदन होने लगेगी।

इस योजना पर खुशी जताते हुए जमींदारा फार्मसाल्यूशंस के निदेशक विक्रम आदित्य आहूजा, जोकि पिछले करीब चार साल से पराली जलाने की बजाय उसे बेचकर मुनाफा कमाने के लिए किसानों को प्रेरित करने का काम कर रहे हैं, ने कहा कि इस मुहिम में सरकार की जिस सहायता की उम्मीद की जा रही थी, सरकार ने आठ सौ मैगावाट बिजली उत्पादन पराली से करने की घोषणा कर उसे पूरा कर दिया है।

वहीं नासा एग्रो इंडस्ट्री के संचालक इंजीनियर संजीव नागपाल ने कहा कि मालवा क्षेत्र में धान उत्पादन पूरे राज्य में सबसे ज्यादा है। पहले पराली को ठिकाने लगाने की समस्या रहती थी, लेकिन अब पराली से बिजली बनाने की योजना से किसानों को घाटे की सबब बनने वाली पराली का भी अच्छा मूल्य मिलने लगेगा।

प्रमुख किसान कैप्टन एमएस बेदी और प्रेम बब्बर ने कहा कि पराली की बिक्री से जहां किसानों को लाभ होगा वहीं बायोमास से बिजली पैदा करने के लिए मालवा क्षेत्र में स्थापित मुक्तसर की मालवा, मलोट की यूनिवर्सल और अबोहर के गांव गद्दाडोब में स्थापित पावर प्लांट में भी बिजली उत्पादन बढ़ेगा। इससे जहां उक्त कंपनियां सरकार को बिजली बेच अच्छा मुनाफा कमाएंगी वहीं बिजली संकट से निजात मिलेगी।

वहीं, उत्तराखंड में ऊर्जा पुरुष के खिताब से नवाजे गए रुड़की आईआईटी के सेवानिवृत्त प्रो. एवं फाजिल्का निवासी डा. भूपिंदर सिंह ने कहा कि जिस तरह ऊर्जा संरक्षण जरूरी है, उसी तरह प्राकृतिक संसाधनों से ऊर्जा पैदा करना भी समय की जरूरत है। राज्य सरकार आठ सौ मेगावाट बिजली उत्पादन पराली से करना चाहती है, तो यह सरकार और किसानों के साथ-साथ अरबों रुपया खर्च कर पावर प्लांट लगाने वाली कंपनियों के लिए भी अच्छे संकेत हैं।

Saturday, March 16, 2013

दूर हुई रिक्शा चालकों के बुढ़ापे की चिंता

फाजिल्का : रिक्शा चालकों का जीवन स्तर सुधारने के लिए प्रयासरत ग्रेजुएट वेलफेयर एसोसिएशन ने राज्य में रिक्शा चालकों को नेशनल पेंशन स्कीम के अंतर्गत ला उनके बुढ़ापे की चिंता दूर करने की पहलकदमी की है। असंगठित वर्ग के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई इस योजना के तहत फाजिल्का में एसोसिएशन से संबंधित करीब 250 रिक्शा चालकों को नेशनल पेंशन स्कीम में खाते खुलवाए जा रहे हैं। जारी वित्त वर्ष यानी 31 मार्च तक 25 रिक्शा पुलर के खाते खोले जाएंगे।
क्या है योजना, कैसे है कारगर
एक रिक्शा चालक के लिए पेंशन महज एक अंग्रेजी शब्द है क्योंकि उसका सरकारी मुलाजिम की तरह पीएफ या सीपीएफ नहीं कटता। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा अनआर्गेनाइज सेक्टर यानी रिक्शा पुलर या छोटा-मोटा काम करने वाले लोगों के लिए चलाई गई नेशनल पेंशन स्कीम में यह सुविधा है। अगर एक रिक्शा चालक प्रतिमाह मात्र 84 रुपए की सेविंग कर सालाना हजार रुपए की किश्त एनपीएस खाते में भरता है तो उतना ही पैसा सरकार जमा करवाएगी। सरकारी मुलाजिम की तरह ही साठ वर्ष आयु तक ब्याज सहित एकत्रित होने वाली राशि के आधार पर सरकार कम से कम एक हजार रुपए प्रतिमाह या ज्यादा जमा राशि पर उससे ज्यादा पेंशन देगी।
मिलेंगे और ढेरों लाभ
फाजिल्का: रिक्शा पुलर के एनपीएस खाते खुलवा रहे ग्रेजुएट वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव इंजीनियर नवदीप असीजा ने बताया कि केंद्र सरकार ने रिक्शा पुलर को सस्ती दरों पर मकान देने, कम ब्याज पर कर्ज देने, स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने जैसी अनेक योजनाएं बनाई हैं। लेकिन रिक्शा पुलर की कोई पहचान नहीं है। इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए कोई भी थोड़े समय के लिए रिक्शा पुलर बन सकता है जिससे योग्य पात्रों को लाभ नहीं मिलेगा। लेकिन एनपीएस खाता होने से रिक्शा पुलर को विशिष्ट पहचान मिलेगी, जिसके आधार पर उसे केंद्र की उक्त योजनाओं का लाभ मिलेगा। वहीं आधार कार्ड में एनपीएस के कारण रिक्शा पुलर दर्ज होने पर केंद्र सरकार द्वारा शुरू की जाने वाली कैश सब्सिडी योजना का लाभ भी मिलेगा।

Dainik Jagran, Page 4, Ferozpur Edition, Ludhiana