ਫਾਜ਼ਿਲਕਾ - 152123 (Punjab) Fazilka Rockss blog is a mix of all the positive thing that is happening and going to happen in my hometown Fazilka. It is an initiative of individuals and communities taking initiative on their own initiative with active support from political leaders. "एक शहर हमारे सपनो का , एक शहर हमारे अपनो का"
Pages
▼
Sunday, July 11, 2010
बीएआरसी की मदद से होगी पानी में यूरेनियम की जांच
बठिंडा : राज्य के मालवा क्षेत्र के पेयजल में यूरेनियम व हेवी मेटल्स की मानक से अधिक मात्रा के मामले में काफी ना-नुकुर के बाद अंतत: राज्य सरकार हरकत में आ गई है। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने स्वास्थ्य विभाग को भाभा आटोमिक रिसर्च सेंटर (बीएआरसी) मुंबई के सहयोग से पेयजल की विस्तृत जांच करने को कहा है। गौरतलब है कि फरीदकोट के बाबा फरीद सेंटर फॉर स्पेशल चिल्ड्रन ने जर्मनी की माइक्रोट्रेस मिनरल लैब की मदद से मंदबुद्धि बच्चों के बालों के सैंपलों में यूरेनियम होने का खुलासा किया था। वहीं, गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी (जीएनडीयू) अमृतसर के फिजिक्स विभाग ने भी मालवा के पेयजल में यूरेनियम की तय मानक से अधिक मात्रा का खुलासा किया था। इसके बावजूद सरकार ने इसे नहीं माना। कुछ दिन पूर्व जब राज्य मानवाधिकार आयोग में पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (पीपीसीबी) और पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ ने संयुक्त जांच रिपोर्ट में कबूला कि बठिंडा के नेशनल फर्टीलाइजर्स लिमिटेड (एनएफएल) और थर्मल प्लांटों के नजदीक के पानी में यूरेनियम की मात्रा तय मानक से अधिक है, तो सरकार को आखिरकार इसकी जांच के लिए तैयार होना ही पड़ा। खास बात यह है कि मालवा क्षेत्र में बढ़ते कैंसर और अपंगता के लिए भी यूरेनियम व दूसरे हेवी मेटल्स को जिम्मेदार माना जा रहा है। ऐसे में सरकार पर इतना दबाव बन गया कि उन्हें जांच के लिए तैयार होना पड़ा। लेकिन हैरानी यह है कि स्वास्थ्य विभाग किसी तरह की जांच करने से पहले मुख्यमंत्री को तीन माह पूर्व की गई जांच की रिपोर्ट भेजने की तैयारी में है, जिसमें यूरेनियम व दूसरे हेवी मेटल्स का स्तर सामान्य पाने का दावा किया जा रहा है। राज्य स्वास्थ्य निदेशक डा. जेपी सिंह ने इस संबंध में मुख्यमंत्री के आदेश मिलने की पुष्टि करते हुए कहा कि कोई जांच और बीएआरसी से संपर्क करने से पहले वह सीएम को तीन माह पूर्व की गई जांच रिपोर्ट भेजेंगे, जिसमें सब कुछ सामान्य है। अगर मुख्यमंत्री दोबारा जांच को कहते हैं तो वह बीएआरसी से तालमेल कर विस्तृत जांच करेंगे। उधर, यूरेनियम मामले की मानवाधिकार आयोग में पैरवी कर रहे रिसर्च सह डायरेक्टर नहरी व पावर पंजाब के पूर्व चीफ इंजीनियर डा. जीएस ढिल्लों ने कहा कि भले ही स्वास्थ्य विभाग पानी में यूरेनियम व दूसरे हेवी मेटल्स की मात्रा सामान्य होने का दावा कर रहा है लेकिन आज तक कभी वह यह नहीं बता सके कि मालवा में कैंसर का ग्राफ इतनी तेजी से क्यों बढ़ रहा है और गांव के बच्चे अपंग क्यों हो रहे हैं। इसलिए इसकी विस्तृत जांच करवानी जरूरी है। जीएनडीयू, अमृतसर के फिजिक्स विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डा. सुरिंदर सिंह ने पिछले दिनों रिलीज की अपनी जांच रिपोर्ट में कैंसर के लिए पानी व दूसरे खाद्य पदार्थो में यूरेनियम और दूसरे हेवी मेटल्स की मानक से अधिक मात्रा के जिम्मेदार होने की तरफ इशारा किया था। खास बात यह है कि मालवा के पेयजल में यूरेनियम की घातक स्तर तक मौजूदगी के बाद खुद मुख्यमंत्री भी अपने पैतृक गांव बादल के पानी की जांच करवा चुके हैं। इसमें फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने के अलावा सब कुछ सामान्य आया लेकिन पंजाब में सुविधा न होने की वजह से इसमें यूरेनियम के स्तर की जांच नहीं हो सकी। संभव है कि यूरेनियम व हेवी मेटल्स की विस्तृत जांच पर जोर देने के पीछे यह बड़ा कारण हो ..
No comments:
Post a Comment