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Wednesday, November 24, 2010

कोई एक जागे तो सोता है परिवार

लछमण दोस्त, 18/11/10
शहर में असुरक्षित इमारतों का सवाल अभी सरगर्म है ही, इस पर उन सुरक्षित इमारतों पर भी असुरक्षा का साया पड़ गया, जिनमें अचानक दरारें आनी शुरू हो गई। शहर में सप्ताहभर में 40 मकानों में दरार आने के बाद इनमें रहने वाले लोग सांसत में हैं। फाजिल्का के गांधी नगर में न तो इन मकानों के आसपास पानी खड़ा है और न ही किसी घर में कुआं खोदा गया है, फिर भी 40 घरों के लोग भय में रात गुजार रहे हैं। यह सिलसिला सप्ताहभर से चल रहा है।

लोगों ने अचानक पनपे डर के बारे में जो बताया: कृष्णा देवी पत्नी दिवान चंद का मकान दो मंजिला है। पांच दिन पहले जब आधी रात को अचानक मकान में दरारें आने की आवाज आई तो वह घबरा गई। वह उठकर दूसरे कमरे में चली गई। वहां भी दरारें। उनके दो मंजिला मकान में कोई कमरा या छत नहीं बची, जिसमें दरारें न आई हों। संदीप खुराना मकान पर दूसरी मंजिल तैयार करवा रहा है। जब पहली मंजिल में एक तस्वीर उतारने लगा तो दरार नजर आई। 

इसके साथ ही अन्य सभी तीन कमरों में दरारे नजर आई तो उसने मकान बनाना बंद कर दिया। फर्श बैठ गया। दरवाजे बंद नहीं होते। वह बताते हैं कि रातभर परिवार का एक सदस्य जागता है तो दूसरे सो जाते हैं। रात को थोड़ी सी आवाज आए तो सभी की नींद खुल जाती है। 

इस तरह तीन गलियों में हुआ है, जहां सत्या देवी पत्नी कृष्ण लाल, राज रानी पत्नी खरैत लाल, सुरक्षा पत्नी जग सिंह, कृपाल, माया देवी पत्नी 

तिलक राज, प्रमोद कुमार पुत्र हीरा लाल, आशा रानी, हाकम चंद, रेशम लाल वर्मा, गुलाब राम और जगदीश कुमार आदि के मकानों और छतों में दरारें आई हैं।

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