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Saturday, February 12, 2011

अवैध निर्माण निगल रहे बाधा झील की प्राकृतिक सुंदरता

भाग-3

अव्यवस्था

-झील क्षेत्र से गायब हुए राष्ट्रीय फूल व पक्षी

-पुडा कर चुकी है अवैध कालोनाइजरों को नोटिस जारी

अमृत सचदेवा, फाजिल्का

कभी फाजिल्का की शान रही व वर्तमान में सूख चुकी बाधा झील को सजीव करने के प्रयास में पंचायत द्वारा झील में खेती करवाना वहीं झील के आसपास हो रहे अवैध निर्माण इसकी प्राकृतिक सुंदरता नष्ट होने का कारण बन रहा है। यहां तक कि झील के आसपास पाए जाने वाले राष्ट्रीय पक्षी मोर व झील में पाए जाने वाले राष्ट्रीय फूल कमल भी लुप्त हो गए हैं।

उल्लेखनीय है कि कभी बाधा झील में कमल के फूल खिलते थे, जो बेहद मनोरम दृश्य पेश करते थे। झील के आसपास स्थित खेतों व बागों में राष्ट्रीय पक्षी मोर भी दर्जनों की संख्या में पाए जाते थे लेकिन अब आलम यह है कि झील सूखने पर पंचायत ने उसमें खेती शुरू करवा दी है और आसपास अवैध कालोनियां बनने से राष्ट्रीय पक्षी मोर लुप्त हो गया है। अवैध कालोनियों का आलम यह है कि बाधा झील के आसपास जोकि नगर परिषद से बाहर का रकबा है, में कालोनियां काटने की होड़ लगी हुई है और धड़ाधड़ मकान बनाए जा रहे हैं जबकि पंजाब अर्बन डेवलपमेंट अथारिटी (पुडा) से किसी भी कालोनाइजर ने कालोनी निर्माण की मंजूरी नहीं ली है। इस संबंध में कार्रवाई करते हुए पुडा ने सात कालोनाइजरों के खिलाफ बिना मंजूरी रिहायशी कालोनी बसाने के आरोप में फिरोजपुर के एसएसपी से मामला दर्ज करने की सिफारिश अक्टूबर 2010 में की थी लेकिन अभी तक मामला दर्ज नहीं किया गया।

अवैध कालोनाइजरों के खिलाफ पुडा की शिकायत पर मामला दर्ज करने बारे जब फिरोजपुर के एसएसपी कौस्तुभ शर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि गांव बाधा का मामला उनके नोटिस में नहीं है। वह इस बारे में जानकारी लेकर मामले का स्टेटस बताएंगे।

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सीवरेज बोर्ड भी कर चुका है अवैध कालोनाइजरों की मदद

फाजिल्का : बाधा झील के आसपास अवैध कालोनियां बसाने वाले कालोनाइजरों की मदद कांग्रेस शासनकाल में पेयजल आपूर्ति एवं सीवरेज बोर्ड द्वारा दिसंबर 2006 में भी की गई थी। बोर्ड ने 15 लाख रुपये की लागत से बाधा झील के निकट एक निजी भूमि पर ट्यूबवेल बोर करवाने का प्रयास किया था। लेकिन उक्त इलाका नगर परिषद की हद से बाहर होने की बात तूल पकड़ने पर बोर्ड ने तत्काल काम बंद करवा दिया था। लेकिन राजनीतिक शह पर उस कार्य पर खर्च हुए 15 लाख फिजूल गए।

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