Saturday, March 31, 2012

चमकाया जिले का नाम, जिला करेगा सलाम

Dainik Jagran, 31 March 2012
अमृत सचदेवा, फाजिल्का : मेले पंजाबी की धनी संस्कृति का आइना हैं। ऐसे में संस्कृति के रखवालों की 'जननी' को इन मौकों पर कैसे भुलाया जा सकता है। इसी भावना को लेकर पांच अप्रैल से शुरू होने जा रहे 'फाजिल्का हेरीटेज फेस्टिवल' में एक शाम 'नारी शक्ति' विशेषकर देश भर में फाजिल्का के नाम का झंडा बुलंद कर रही यहां की 'युवा नारी शक्ति' को समर्पित रहेगी।

फेस्टिवल का आयोजन कर रही ग्रेजुएट वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव नवदीप असीजा व पीआरओ लछमन दोस्त ने बताया कि महिला शक्ति को समर्पित इस संध्या में फाजिल्का का नाम चमकाने वाली क्षेत्र की रेसलिंग प्लेयर सुखविंद्र कौर, तीरंदाज मनवीर कौर, सेना में कैप्टन संध्या कटारिया और मदर टेरेसा पुरस्कार से सम्मानित संदीप कौर को यूथ आईकान के तौर पर सम्मानित किया जाएगा।

----------

सेना में दे रही सेवाएं

स्थानीय बस्ती हजूर सिंह निवासी फार्मासिस्ट राजिंद्र कटारिया व अध्यापिका अंकुर कटारिया की बेटी कैप्टन संध्या ने दसवीं आर्मी स्कूल, 12वीं सर्व हितकारी स्कूल और बी-टेक इदौर से कंप्यूटर साइस से की। इसके बाद वह आर्मी में कमीशन लेकर लेफ्टिनेंट बनी। मौजूदा समय में वह सेना के जोधपुर स्थित इलेक्ट्रानिक्स एंड मकेनिकल ईजीनियरिंग विंग में बतौर कैप्टन तैनात हैं।

-----------

रेसलिंग में मनाया लोहा

गाव सैणिया के दर्शन सिंह की तीन बेटिया बलविंद्र कौर, सुखविंद्र कौर और मीना है। तीनों ही रेसलिंग प्लेयर है। सुखविंद्र कौर ने देश के विभिन्न रजच्यों में दमखम दिखाकर अनेक मेडल बटोरे। सुखविंद्र ने विभिन्न शहरों में होने वाली फ्री स्टाइल ओपन कुश्ती मुकाबलों में दम दिखाने के बाद जूनियर नेशनल जालंधर में सिल्वर मेडल, ओरगाबाद में नेशनल प्रतियोगिता में सिल्वर, इंटर कॉलेज प्रतियोगिता चंडीगढ़ से सिल्वर मेडल के अलावा स्टेट स्तर पर दो गोल्ड मेडल, दो सिल्वर और कांस्य पदक जीता है।

-----------

तीरंदाजी में गाड़े सफलता के झंडे

गाव चुवाडि़या वाली के जगसीर सिंह की बेटी मनवीर कौर स्कूल सेज्राच्य स्तर तक तीरंदाजी प्रतियोगिता में कई मेडल अपने नाम कर चुकी है। 2006-07 में सिक्किम मे जूनियर नेशनल, विजय वरदा में सीनियर नेशनल, नेशनल गेम्स गुवाहाटी, जूनियर नेशनल अमरावती, सीनियर नेशनल टाटानगर आदि में हुई प्रतियोगिताओं में कई मेडल अपने नाम किए। 2008 में पहला एशियन अरचेरी ग्राड बैंकॉक में हुए मुकाबले में भी उसने सिल्वर मेडल जीता। दूसरी साउथ एशियन अरचेरी चैंपियनशिप टाटानगर में भी गोल्ड मेडल जीता। दिसंबर, 11 में एशियन ओपन चैंपियनशिप योंगोन (म्यांमार) में कास्य पदक बटोरा। उसे डीएवी कालेज की मैनेजिंग कमेटी अप्रैल, 2008 में दो गोल्ड मेडल से भी सम्मानित कर चुकी है।

-------------

संस्कृति के क्षेत्र में दिया योगदान

कैलाश नगर निवासी दर्शन सिंह और जसबीर कौर की लाडली संदीप कौर को राष्ट्रीय सर्वशिक्षा अभियान की ओर से मदर टेरेसा स्टेट अवार्ड मिला है। सांस्कृतिक और शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन के लिए उन्हें ये सम्मान दिया गया था। दोराहा में यूनिवर्सिटी यूथ फेस्टिवल में स्किट प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार के अलावा एकल प्रथम पुरस्कार भी हासिल किया है। वह एमआर सरकारी कालेज में 2008 में बेस्ट एथलीट भी रही है।

Monday, March 26, 2012

Patients suffer due to staff crunch at Fazilka civil hospital

Praful Chander Nagpal
Fazilka, March 25

The 101-year-old local civil hospital, having a sanctioned strength of 50 beds operating as 75 beds, is facing an acute shortage of doctors, nurses and other para-medics. The hospital, deemed to cater to the needs of a district hospital, has virtually been reduced to a community health centre in the last six months.

The hospital has sanctioned posts of 12 medical officers, of which eight are vacant. About six months back, eight doctors were there on the roll but the only medical specialist, Dr Davinder Bhukkal, and the skin specialist Dr SK Parnami, were promoted. Thereafter, the only surgeon, Dr Rajesh Sharma and child specialist Dr Hans Raj, were also promoted last week.

Different welfare programmes started by the state and the central governments such as family planning, NRHM, school health, and RNTCP, have been hit hard following the shortage of medical officers. There is a daily turn-out of about 400 patients in the OPD. A large number of family planning cases also pour in for surgery. During this peak season, over 200 delivery cases are also conducted in the hospital. Of these, around 20 per cent are obstructed labour cases.

Besides, a large number of general patients and medical emergencies remain unattended. Many needy patients who cannot afford costly private treatment are the worst-hit.

Hundreds of patients remain hovering in the OPD and emergency complex awaiting treatment. The doctors are burdened with the tardy job of maintaining the emergency services round-the-clock in the the absence of any emergency medical officer.

Along with this, these doctors remain involved in different compulsory programmes of the Health Department. They have to conduct post mortems and attend courts for evidence as legal obligation.

Similarly, of the 24 sanctioned posts of staff nurses, 11 are vacant. Of the nine sanctioned posts of sweepers, seven are vacant. The blood bank of the local hospital, which is supplying around 250 units of blood per month, three times more than its fixed target, is without a blood transfusion officer.

Senior Medical Officer SP Garg said, "At least two surgeons, two medical specialists, two gynaecologists, three emergency medical officers and one radiologist, skin specialist, child specialist and blood transfusion officer are urgently required." Besides, the vacancies of nurses need to be filled up. Twelve more ward servants and six sweepers, three laboratory technicians for blood bank are also required.

More budget for emergency and general patients is required because the user charge collection has fallen due to the government scheme of providing free delivery and Caesarean section services.

He also pleaded for installation of CT scan machine, a new ambulance, a digital X-ray equipped with the C-Art facility, an auto refractor meter for vision testing.

"The hospital should be upgraded to a district-level hospital with 100-bed facility to cater to the need of over two lakh population of Fazilka. The health authorities have submitted a memorandum in this regard to the Forest Minister Surjit Kumar Jyani," he added.

Fazilka lad clinches Awaz-e-Punjab title

Praful Chander Nagpal

Fazilka, March 25
Gurnam Bhullar of Fazilka has again proved his mettle by winning another title of Awaz-e-Punjab. The programme was organised by TV channel MH 1, in which about 12,000 youths had participated. Notably, Bhullar had won his first title 'Nikki Awaz Punjab Di' in the year 2008 also which was oragnised by the same channel.

Gurnam Bhullar, who is a Plus One student of the local Sarv Hitkari Vidya Mandir, was accorded a rousing welcome at the local Malout chowk by the activists of different NGOs after returning here on Saturday evening.

President, Municipal Council, Anil Sethi, general secretary, Graduate Welfare Association, Navdeep Asija, president, Shaheed Bhagat Singh Sports Club, Parmjit Singh, representative of the Cricket Association (Fazilka), Pankaj Dhamija and members of the Eco Club honoured Bhullar at the Malout chowk. "My parents, Baljit Singh Bhullar and Lakhwinder Kaur, always inspired me to achieve the goal." said Bhullar, adding that the school principal Madhu Sharma also guided him.

The first round of the programme Awaz-e-Punjab was initiated in November last year. About 12000 young boys and girls had participated in it. But in the grand finale, only four participants were shortlisted after dozens of rounds and finally, Gurnam Bhullar bagged the top slot. Famous Punjabi singer Harbhajan Mann and Malkeet Singh were the judges in the final show.

'आवाज पंजाब दी' बनकर लौटे गुरनाम

25 March 2012
अमृत सचदेवा, फाजिल्का : शहर के गुरनाम भुल्लर एक पंजाबी चैनल पर लंबे समय से चल रहे संगीत मुकाबले 'आवाज पंजाब दी' के विजेता बने हैं।

स्थानीय सिविल लाइन निवासी बलजीत सिंह और लखविंदर कौर के पुत्र सर्वहितकारी विद्या मंदिर के 11वीं के विद्यार्थी गुरनाम भुल्लर यह खिताब जीतने के बाद शनिवार को यहां पहुंचे।

इस मौके पर गुरनाम भुल्लर ने बताया कि उसने इस प्रतियोगिता के ग्रैंड फिनाले में 12 हजार प्रतियोगियों को पछाड़ते हुए फाइनल में अपना स्थान पक्का किया। यहां पर मेल केटागरी के चार प्रतियोगियों को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने खिताब पर कब्जा किया। शुक्रवार रात हुए फाइनल मुकाबले में पंजाबी गायक हरभजन मान और मलकीत सिंह जज थे।
-----
फाजिल्का लौटने पर हुआ भव्य स्वागत

फाजिल्का : 'आवाज पंजाब दी' के स्टार गुरनाम भुल्लर का शनिवार को फाजिल्का पहुंचने पर विभिन्न एनजीओ के पदाधिकारियों ने स्वागत किया। इस मौके पर नगर परषिद के अध्यक्ष अनिल सेठी, ग्रेजुएट्स वेलफेयर सोसायटी के सचिव नवदीप असीजा, आईपीएल के गर्वनर पंकज धमीजा, रवि खुराना, शहीद भगत सिंह क्लब के अध्यक्ष परमजीत सिंह वैरड़ पम्मा, एडवोकेट सुखजीत सिंह, जसविंदर सिंह, सुखविंदर सिंह छिंदा आदि मौजूद थे।

बीएसएफ ने तेजा रूहेला में लगाया मेडिकल कैंप

अपने सूत्र, फाजिल्का
25th March 2012

बीएसएफ अबोहर रेंज के डीआईजी विमल सत्यार्थी के दिशा-निर्देश पर जिले के गांव तेजा रूहेला में बीएसएफ की ओर से नि:शुल्क मेडिकल चेकअप कैंप का आयोजन शनिवार को किया गया। कैंप में 210 मरीजों की जांच की गई।

कमांडर मुहम्मद यासीन ने बताया कि कैंप में बीएसएफ के डाक्टर एसके राय ने मरीजों की जांच की। मरीजों को दवाइयां भी बीएसएफ की तरफ से नि:शुल्क मुहैया करवाई गई। कैंप का मुख्य उद्देश्य सीमा पर बसे गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने के अलावा उन्हें स्वच्छता के प्रति जागरूक करना रहा।


Friday, March 23, 2012

फाजिल्का का पहला हेरीटेज फेस्टिवल पांच अप्रैल से

जागरण संवाददाता, फाजिल्का

फाजिल्का के जिला बनने के बाद ग्रेजूएट्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से शहीद भगत सिंह स्पो‌र्ट्स क्लब और टी-20 क्रिकेट क्लब के सहयोग से छठा फाजिल्का विरासत महोत्सव 2012 का आयोजन पांच अप्रैल से किया जा रहा है। यह महोत्सव आठ अप्रैल तक चलेगा। महोत्सव में पंजाब सरकार की ओर से पंजाब विरासत व पर्यटन विकास बोर्ड व नगर कौंसिल का विशेष सहयोग रहेगा। एसोसिएशन के सचिव नवदीप असीजा ने बताया कि महोत्सव में हाथ की बनी वस्तुएं, फाजिल्का की जूती, कुदरती आहार, पंजाबी और राजस्थानी खाना, विरासत भवन, फाजिल्का के इतिहास की जानकारी के लिए प्रकाशित पुस्तकें व गीत आदि मुख्य आकर्षण रहेगे। उन्होंने बताया कि महोत्सव में गिद्दा, भंगड़ा, बाबा पोखर सिंह की झूमर व अन्य सास्कृतिक कार्यक्रम भी करवाए जाएंगे। इसके अलावा इबादत बैंड की सुफियाना शाम भी महफिल की रौनक बनेंगी। महोत्सव में फाजिल्का की बेटी पदमश्री पुष्पा हस और पदम भूषण कंवर सुरिन्द्र सिंह बेदी को श्रद्धासुमन भेट किए जाएंगे। कार्यक्रम का आगाज डॉ. विवेक करीर की आवाज में गाए फाजिल्का के गीत मेरे शहर नाम याराना रब्बी प्यार वरगा, मेरा फाजिल्का मेरे सच्चे यार वरगा से होगा। उन्होंने बताया कि महोत्सव में देश विदेश में फाजिल्का का नाम रोशन करने वाली 10 हस्तियों को सम्मानित किया जाएगा।

Winners of produce contests honoured on concluding day of PAU Kisan Mela

On the second day of the Golden Jubilee Kisan Mela, organised by Punjab Agricultural University (PAU), Vice- Chancellor of Guru Angad Dev Veterinary and Animal Science University (GADVASU) Dr V K Teneja honoured the winners of various produce competitions.

He said the common mission of both PAU and GADVASU was to work for the welfare of farming community of Punjab on a sustainable basis, and both the universities organised the kisan mela jointly.

Dr Teneja said in view of the shrinking landholdings, the subsidiary occupations such as dairy farming, fishery, poultry, goat farming, bee-keeping, and mushroom growing had got an added meaning in the context of enhancing farming income.

A crop produce competition for vegetables, fruits, flowers and field crops was held on Wednesday.

In the category of vegetables, first prizes were clinched by Dalbir Singh (Gaggarpur, Sangrur) for radish and shimla mirch , Davinder Singh (Mehraj, Bathinda) for green onion, Gurbir Singh (Barshi Rajpootan, Amritsar) for cauliflower, Gurpreet Singh (Boolpur, Kapurthala) for peas and turnip, Jagbir Singh (Nagra, Sangrur) for cabbage and Karnail Singh (Aliana, Fazilka) for green chilli. Besides, first prizes were bagged by Jagjit Singh (Agoul, Patiala) for carrot, Kulwinder Singh (Nagra, Sangrur) for tomato, Manjeet S Ghuman (Nagra, Sangrur) for french bean, Nanak Singh (Mianpur, Ropar) for garlic, Ranjit Singh (Paddi, Ropar) for potato, Sarwan Singh Thind (Basti Bishan Singh, Ferozepur) for turmeric, Sukhdev Singh (Salabatpur, Bathinda) for petha , Sukhwinder Singh (Diyalpur Bhagta, Bathinda) for brinjal and Vikramjit Singh (Nagra, Sangrur) for cucumber. Balraj Singh (Khanal Khurd, Sangrur) won the first prize for mushrooms.

Among fruits, first prizes were won by Ajmer Singh (Langrian, Sangrur) for banana, Lakhwinder Singh (Toot, Ferozepur) for ber, Manjeet Kaur (Bridwan, Patiala) for guava, Kanwarbir Singh (Muktamwala, Kapurthala) for lemon, Siddharth Kumar (Khepanwali, Fazilka) for kinnow and Tarlochan Singh (Mianpur, Ropar) for papaya.

On this occasion, special prizes were awarded to Amrik Singh, Phillowal (Hoshiarpur) for turmeric, Anmol of Patiala for marigold, to Jinder Singh, Sandharan (Ropar) for black carrot and moongbean, to Manjit Singh Ghuman of Nagra (Sangrur) for shimla mirch, to Satnam Singh, Aulakh (Faridkot) for marigold, to Sukhdev Singh, Salabatpur (Bathinda) for chakotra and to Surinderpal Singh (Patiala) for strawberry. Darshan Singh, Muktramwala (Kapurthala) and Eanyet Shergil of Mejhal Khurd (Patiala) were given consolation prizes for lemon and flower growing, respectively.

During on-the-spot competitions of "drawing", "making of utility articles out of waste material", "mud decoration" and "preparation of sprouted dal products", organised by the College of Home Science, first prizes were clinched by Amandeep Singh (Kaunke Kalan), Charanjit Kaur (Mehna, Moga), Parkash Kaur (Kot Kapura) and Gurminder Kaur (Dad, Ludhiana). Harbans Kaur got first prize in the category of women entrepreneurs.

In the category of farm machinery and implements, Preet Tractors Ltd. (Nabha) for "tractors", Standard Corporation Indian Ltd (Handiaya) for "combines and threshers", Dashmesh Mechanised Works (Amargarh) for "tractor driven implements", Speedways Rubber Company (Jalandhar) for "tyres and batteries" , Kalsi Metal Works (Jalandhar) for "electric motors, engines and pumping sets", Falcon Industries (Ludhiana) for "tools and sprayers", Jain Irrigation and Farm Solution (Ludhiana) for "water saving tools and machines", IFFCO (Ludhiana) in "fertilisers", BAYER Crop Science Ltd (Chandigarh) for "pesticides", Shakti Make Marshal (Chandigarh) for "home appliances", and MARKFED (Jalandhar) for "agro-processed products and machinery". Mehram Publications (Nabha) ranked first in "literature and service sector".

Fazilka heritage fest from April 5

Our Correspondent

Fazilka, March 22
The Fazilka heritage festival would be organised from April 5 to 8 at the local Pratap Bagh."The sixth heritage festival would be organised by the Graduate Welfare Association, Fazilka, in association with the Punjab Heritage and Tourism Development Board, Municipal Council, Shaheed Bhagat Singh Sports Club and the T-20 Cricket Club," informed GWAF general secretary Navdeep Asija.

Fazilka's famous handicraft, popular juti, organic, Punjabi and Rajasthani food, over five decade old articles displayed at the Virasat Bhawan in Fazilka, books depicting the history of this border town, Fazilka- based Baba Pokhar Dass's famous jhumar, giddha and sufiana songs from the Ibadat band, the food park and the agro-park would be the main attractions. The four nights of the festival would be dedicated to youths, farmers, women and army jawans.

Wednesday, March 21, 2012

देश सेवा के जज्बे ने संध्या को बनाया कैप्टन

सरहदी जिले की बेटियों में देश सेवा का जज्बा कूट-कूट कर भरा है। इस समय देश सेवा में फाजिल्का की बेटी संध्या कटारिया अपना अहम रोल निभा रही हैं। बस्ती हजूर सिंह निवासी फार्मासिस्ट राजिन्द्र कटारिया व अध्यापिका अंकुर कटारिया की लाडली ने सेना में कैप्टन बनकर बुलंदियों को छुआ है। इस समय वह जोधपुर में तैनात है। फाजिल्का के आर्मी स्कूल से दसवीं की शिक्षा हासिल करने के बाद संध्या कटारिया ने बारहवीं सर्व हितकारी स्कूल से की। इसके बाद संध्या ने इंदौर से कंप्यूटर साइंस बी-टेक की शिक्षा हासिल की। वह आर्मी में बतौर लेफ्टिनेंट तैनात हुई तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। वर्तमान में वह जोधपुर में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मेकेनिकल इंजीनियरिंग जोधपुर कैप्टन के पद तैनात है।
दादा का सपना किया सच : संध्या के खानदान में कोई सेना में भर्ती नहीं हुआ, लेकिन दादा मंगत राय कटारिया का सपना था कि बेटी 
पुलिस में भर्ती होकर देश सेवा का फर्ज निभाए। जब वह सेना में भर्ती हो गई तो परिजनों की खुशी का ठिकाना न रहा।


Captain Sandhya Kataria, Fazilka

Monday, March 19, 2012

Main road encroached upon, turns into dumping ground

Praful Chander Nagpal

Fazilka, March 18
The main road leading to the Government College, DAV BEd College and DAV Senior Secondary School here has virtually been turned into a garbage dumping ground where people have encroached upon. The Municipal Council had worked out an ambitious project of creating a divider for the smooth running of traffic on the road.

The dividers have been laid and electric poles have been erected on it but the space on the left side of the divider, offering entry for the DAV BEd College and DAV Senior Secondary School, have become a garbage dumping ground.

The old electricity poles have not been removed. The roads on either side have not been metalled. There are big potholes. Followers of a religious sect have encroached upon in the middle of the road and have raised a temporary structure. The construction activities have been abandoned.

"We had approached the electricity board officials to remove the electric poles before the imposition of the model code of conduct but they did not bother. As soon as the poles are shifted, the encroachment would be removed immediately," said Sukhdev Singh, Executive Officer, Municipal Council, Fazilka. Students have to travel on this road several times a day.

The thickly populated Anandpur and Kanshi Ram Colony are also located here. On the right side of the divider, scores of shops have cropped up making it a busy area.

"It is difficult for the residents to cover this bumpy stretch, the only connecting road to the main town," regretted Manjit Singh of Kanshi Ram Colony.

Moreover, a large numbers of BSF personnel also have to travel through this road to visit the town.

Veteran social activist and retired professor of IIT Roorkee, Bhupinder Singh has offered the services of the Graduate Welfare Association Fazilka if the authorities are hesitant to remove the encroachments. 

Sunday, March 18, 2012

‘Jan Lokpal box’ to help minister make up lost ground of his slender win

A historic win in the state seems to have spurred the ruling SAD-BJP's legislators to look at different ways to consolidate the mandate. While the Shiromani Akali Dal's Dakha MLA, Manpreet Ayali promised a special phone number for graft-related grievances a few days ago, the new Forest Minister Surjit Kumar Jayani on Saturday installed a complaint box outside his office in Fazilka constituency.

Calling it a 'Jan Lokpal Box', Jayani says the reduced victory margin had forced him into the move. "This time my winning margin was only of 1,600 votes as compared to 16,000 plus in the previous polls. So keeping this margin in mind, I have installed this suggestion/ complaint box outside my office so that voters can tell me about my shortcomings and offer suggestions as well," Jayani said.

The BJP minister had not even celebrated his victory because of the thin winning margin and finally on Saturday there was a welcome rally for Jayani, in which BJP state general secretary Kamal Sharma was also present.

"I will improve my shortcomings after I get to know as what were the reasons which reduced by winning margin. In addition to this, I will also streamline the system if the masses tell me their problems in various departments. This box is for all those who want to keep their identity secret but also want to get their problems solved. A four-member committee has been formed to look into these complaints and this box will be opened once or twice in a week," Jayani said. The forest minister also says that he will reveal a dedicated phone number, through which , he says, voters can call him any time for their work and grievances.

Saturday, March 17, 2012

मनवीर ने पदकों पर लगाए निशाने : Fazilka Youth ICON

गांव चौहाडिय़ां वाली की मनवीर के मन में एक ही तमन्ना थी कि उसके तीर से निकला हर निशाना उसे पदक दिलाए। 
 
इसीलिए उसने स्कूल में पढ़ाई के दौरान तीरंदाजी में अपने जौहर दिखाने शुरू किए। पिता जगसीर और मां नरिंद्र कौर ने भी उसे अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रेरित किया। फिर क्या था शुरू हो गया सफलता का दौर। सरकारी कन्या सीनियर सेकंडरी स्कूल में 2004 में उसने जोनल स्कूल टूर्नामेंट में गोल्ड हासिल किया। 
परिजनों ने मनवीर को तीरंदाजी के लिए हर सुविधा प्रदान की। सफलता से शुरू हुआ यह सफर लगातार जारी है और उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब वह नेशनल स्तर की खिलाड़ी है और म्यांमार और बैंकॉक में भी कांस्य हासिल कर चुकी है। 

इन मैडलों पर साधा निशाना
मनवीर कौर ने स्कूल स्तर पर जोनल, जिला से लेकर राज्य स्तर पर कांस्य, सिल्वर और गोल्ड मैडलों पर कब्जा जमाया। इसके बाद 2006-07 में वह नेशनल स्तर के टूर्नामेंट में कूद गई। जहां भी उसने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और कई मेडल हासिल किए। सिक्किम में हुई जूनियर नेशनल, विजय वरदा में सीनियर नेशनल, नेशनल गेम्स गुवाहाटी, जूनियर नेशनल अमरावती व सीनियर नेशनल टाटानगर आदि में अनेक मेडल हासिल किए। इसके बाद 2008 में मनवीर कौर ने पहले एशियन अरचेरी ग्रांड मुकाबले में बैंकॉक में सिल्वर मेडल जीता। टाटा नगर में आयोजित दूसरे साउथ एशियन अरचेरी चैंपियनशिप में उसने गोल्ड हासिल किया। इसी साल दिसंबर में मनवीर ने पहली एशियन ओपन चैंपियनशिप योंगोन(म्यांमार) में कांस्य पदक जीता। 
बहन तरनदीप कौर भी आगे जगसीर सिंह की दूसरी बेटी तरनदीप कौर अध्यापिका है। नेट व यूजीसी क्लियर कर चुकी तरनदीप कौर गिद्दे और भंगड़े में नाम रोशन कर चुकी है। 

राष्ट्रपति अवार्ड की तमन्ना 
मनवीर कौर इस समय अमृतसर में एमपी एड में फाइनल ईयर की छात्रा है। प्रथम वर्ष में मनवीर कौर यूनिवर्सिटी में टॉपर रही। उसकी तमन्ना है कि फाइनल में भी वह टॉपर रहे और राष्ट्रपति अवार्ड हासिल करे। जगसीर सिंह अपनी बेटी की इस तमन्ना को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। दहेज व सुरक्षा की पीड़ा
कमनवीर की मां नरिन्द्र कौर का कहना है कि अगर दहेज के खिलाफ सभी जागरूक हो जाएं तो बेटी बेटे से भी अधिक सम्मान दिला सकती है। उन्होंने बताया कि आज के जमाने में लोग इसलिए बेटी पैदा करने से घबराते हैं कि बेटी पैदा होते ही दहेज और सुरक्षा की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। सरकार से बेरुखी सरकार ने कई घोषणाएं की कि खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित करने के लिए सहायता की जाएगी, मगर मनवीर कौर के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी होने के बावजूद आज तक सरकार ने कोई सुविधा नहीं दी। अगर सरकार उन्हें प्रोत्साहन दे तो वह देश का नाम रोशन करने की क्षमता रखती है। 

Friday, March 16, 2012

सेना सीमांत क्षेत्र के बच्चों को देगी कंप्यूटर ज्ञान

अमृत सचदेवा, फाजिल्का

पाकिस्तान की सीमा से सटे गांवों में बसे ग्रामीणों के बच्चों की शिक्षा के लिए पहले से विभिन्न सहायता प्रोग्राम चला रही सेना ने अब ऐसे बच्चों को कंप्यूटर ज्ञान देने के लिए सीमावर्ती गांवों में कंप्यूटर सेंटर खोलने का निर्णय लिया है। इस फैसले पर अमल शुरू भी हो गया है, इसके तहत जहां जहा कंप्यूटर सेंटर खोले जाने हैं वहां वहां कंप्यूटर व लैब से संबंधित अन्य सामान भी मुहैया करवा दिया गया है। जल्द ही यह सेंटर बच्चों को कंप्यूटर ज्ञान बांटना शुरू कर देंगे।

यहां वीरवार को इस बारे में जानकारी देते हुए सेना के फाजिल्का से स्थानांतरित हो रहे ब्रिगेडियर अरुल डेनिस और उनकी जगह पर नए आए ब्रिगेडियर राकेश रैना ने बताया कि सेना ने पूरे पंजाब भर में पाकिस्तान की सीमा से सटे गांवों में से चुनिंदा गांव चुनकर कंप्यूटर प्रशिक्षण का प्रबंध किया गया है। चुने गए गांव ऐसे हैं जहां आसपास के सीमावर्ती गांवों के बच्चे आसानी से पहुंच सकें। सेंटर बनाने के लिए चुने गए स्थान के आधा दर्जन गांवों के केंद्र में होने की स्थिति को ध्यान में रखते हुए ही फाजिल्का के सीमावर्ती गांवों में से गांव आसफवाला का चयन किया गया है। इसी गांव में 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद भारतीय सैनिकों की समाधि व शहीदी स्मारक भी हैं। इसी स्मारक में यह सेंटर खोला जाना है। ताकि अधिकाधिक बच्चे आधुनिक युग में कंप्यूटर शिक्षा ग्रहण करने के साथ साथ देश पर निसार जवानों से प्रेरणा ले खुद में देशभक्ति के भाव और प्रगाढ़ कर सकें। ब्रिगेडियर डेनिस व ब्रिगेडियर रैना ने बताया कि सीमा से सटे गांवों में खोले जाने वाले इन कंप्यूटर सेंटरों में पूरी तरह निशुल्क कंप्यूटर शिक्षा प्रदान की जाएगी जिससे सीमावर्ती क्षेत्र के बच्चों को काफी फायदा होगा। कोर कमांडर, बठिंडा के क्षेत्र में आने वाले क्षेत्र में खोले जाने वाले सेंटरों का सामान भी भेजा जा चुका है।

तीनों बेटियों ने कठिनाइयों को दी पटखनी

गांव सैणियां के दर्शन सिंह भले ही मजदूरी कर परिवार का पेट पालते हैं, लेकिन वह अपनी तीनों बेटियों को किसी क्षेत्र में पीछे नहीं देखना चाहते। यही नहीं उनकी तीनों बेटियां भी पिता की प्रेरणा से कठिनाइयों को पटकनी देने में पीछे नहीं हैं। तीनों ही रेसलिंग में प्रतिभा दिखाकर कई पदक बटोर चुकी हैं। 

हालांकि ग्रामीण दर्शन सिंह से कहते थे कि बेटियों को इस खेल के लिए प्रोत्साहन न दे, लेकिन उसने किसी की परवाह न की और खुद उन्हें ट्रेनिंग दी। जब बड़ी बेटी सुखविन्द्र कौर ने देश के विभिन्न राज्यों में हुई कुश्ती प्रतियोगिता में दमखम दिखाकर मेडल बटोरे तो ग्रामीण उसे शाबाशी देने के लिए पहुंच गए। आज हालत यह है कि उससे प्रेरित होकर कई ग्रामीण अपनी बेटियों को कुश्ती के मैदान में भिड़ाने के लिए तैयार करने लगे हैं। सुखविन्द्र कौर से बड़ी बलविन्द्र कौर बीए-सेकंड ईयर की छात्रा है और वह जिला स्तर पर कई मेडल हासिल कर चुकी है। जबकि सबसे छोटी मीना बारहवीं कक्षा की छात्रा है और वह राज्य स्तर तक की कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुकी है। पिता की प्रेरणा से कुश्ती में अपनी ताकत के जौहर दिखाने वाली सुखविन्द्र कौर ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और देश के अलग-अलग शहरों में होने वाली फ्री स्टाइल ओपन कुश्ती मुकाबलों में कूद गई।

इंटरव्यू नहीं दे पाई : पिता दर्शन सिंह मजदूरी करते हैं। महंगाई के इस दौर में मजदूरी से पेट पालना बड़ा  मुश्किल है। इसके बावजूद पिता ने  बेटियों को अच्छी खुराक दी। मगर कई बार जब मजदूरी नहीं मिलती तो पिता बेटियों को अच्छी खुराक देने में असमर्थ हो जाते हैं। 

एक बार तो ऐसा भी हो चुका है कि सुखविन्द्र कौर का सीमा सुरक्षा बल में नौकरी के लिए फार्म आया, मगर घर में पैसे न होने की वजह से वह अमृतसर के छछरेटा बीएसएफ इंटरव्यू के लिए नहीं पहुंच पाई। इसके बावजूद दर्शन सिंह अपनी बेटियों को शिक्षा और खेल में कभी पीछे रखने की भी नहीं सोचते। पदकों के लगाए ढेर 
सुखविन्द्र कौर जूनियर नेशनल जालंधर में सिल्वर, औरंगाबाद नेशनल प्रतियोगिता में सिल्वर, इंटर कॉलेज चंडीगढ़ से सिल्वर के अलावा राज्य स्तर पर दो गोल्ड, दो सिल्वर और एक कांस्य पदक जीत चुकी है। स्कूल व कॉलेज स्तर पर जीते पदकों की संख्या तो दर्जनों में है। कभी नहीं भूल पाऊंगी 

सुखविन्द्र कौर ने बताया कि जब जालंधर में ओपन फाइनल प्रतियोगिता हो रही थी तो खेल शुरू होने से पहले उसे भूख लगी। जिस कारण उसने एक दुकान से पूड़ी खा ली। जिस कारण उसकी तबीयत बिगड़ गई और वह फाइनल में हार गई, जिसे वह कभी भूल नहीं पाएगी। 

Thursday, March 15, 2012

NGO Social Welfare Society Ferozepur, motivating masses for eye donation

Thursday, March 15, 2012 - 17:30
By Harish K Monga

FEROZEPUR: It is beautiful to see the nature's beauty. There is a ray of hope for those who lost their eyes-sight but can see the world with the help of eye transplantation. More-over, the transplanting of eyes to light to the blind persons is a miracle in the medical science. This movement needs to be popularized and followed by more families so that blindness could be reduced and organs after death could be useful for the human beings itself. 
 
In the context, the Social Welfare Society an active NGO is doing a yeoman's service by motivating the families for donation of eyes of their wards after death as per the "Will" signed by the person before death. In a small border town, newly formed district Fazilka, Jagdish Bhateja resident of Monga Street, has become the 150th eye donor.
 
SWS executive members, Raj Kishore Kalra and Siren Lal Kataria informed that Gaurav Bhateja, came in contact with Amrit Lal Karir and Kamal Kishore Yadav of SWS and showed his consent with the willingness of his family members, to donate eyes of his father, with the motivation of Ajay Galhotra and Dr. Manohar Lal Sukhija. 

Hope rides on train for Abohar, Fazilka residents

Gaurav Sagar Bhaskar 
Fazilka, March 14, 2012

Railway minister Dinesh Trivedi has given the people of Abohar and Fazilka a reason to cheer. His announcement in the railway budget speech to run the Ferozepur-Sriganganagar Express train via the two towns will not only put the project -- in limbo till now -- back on track but also fulfil a 
dream of locals since Independence.

The 28-km route between Abohar and Fazilka was delinked with the biggest railway network in the world for decades. In February 2004, the then railway minister Nitish Kumar laid the project's foundation stone and promised that it would be operational by 2007.

The delay in completion has jacked up the cost estimate to Rs 210 crore from the original Rs 88 crore. Months ago, most work on the project, including building of platforms and new railway stations, was over. Even employees were deployed at the new stations between Fazilka and Abohar. Only the train service wasn't made operational.

Navdeep Asija, secretary general of the graduate welfare association of Fazilka, has welcome Trivedi's announcement. He doesn't want the matter to be left at mere announcement, as had happened last year when then railway minister Mamata Banerjee gave a green signal but the train failed to chug on the tracks.

"The rail link will benefit people along the entire western border of the country, especially the defence forces," said captain (retired) MS Bedi, a landlord of Fazilka. "It will open new avenues for trade and modern trains in the region."

"I'm waiting for the train to make its first journey between Fazilka and Abohar," said Ravi Sethi, a social worker of Abohar. "It'll be a historic day."

Monday, March 12, 2012

Missing link: Delhi loses rail project's track

Another budget, another hope. A rail link between Abohar and Fazilka is running behind schedule. In the 2011 railway budget, then railway minister Mamata Banerjee had announced passenger train between Fazilka and Abohar. Thereafter, the project has hit the bureaucratic
roadblock.

Nitish Kumar, as railway Minister in 2004, had laid the foundation stone of the 28-km-long rail link that was to be operational by 2007. The delay in its completion shot up the estimated cost to Rs 210 crore from the original Rs 88 crore, official sources have confirmed.

Most of the physical work, including the building of platforms at the stations on the route, is over, and even workers are deployed at new stops between Fazilka and Abohar. Only the train isn't operational.

The opening of the rail link will give people on the entire western border of the country, especially the army, a strong mode of transport.

"It will open avenues for trade and faster trains in the region," said Ashok Sharma, a businessman of Abohar. "We'll have more intense business in Abohar and Fazilka. The people of Abohar will no longer have to catch train from Ferozepur or Bathinda."

The case to open the rail link is pending with senior authorities in New Delhi, other senior authorities confirmed.

अब कठिनाइयों को किक मारेंगी सरहदी लड़कियां

सरहदी लड़कियों को अब आत्म सुरक्षा के लिए पुलिस, समाजसेवी संस्थाएं या परिजनों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वह अब कराटे सीख रही हैं और आत्मरक्षा के लिए उन्होंने खुद में इतना दम पैदा कर लिया है कि 3-4 युवाओं से वह अकेली ही मुकाबला कर सकती हैं। इसके लिए सरहदी गांव झंगड़ भैणी की 48 लड़कियां कराटे सीख रही हैं। इसके लिए वे बाकायदा एक घंटे तक की क्लास लगाती हैं। कराटे सीख रही परमजीत कौर का कहना है कि उनके गांव में सिर्फ हाई स्कूल है और इसके बाद की शिक्षा हासिल करने के लिए उन्हें 15 किलोमीटर दूर फाजिल्का के स्कूल-कॉलेज में जाना पड़ेगा। क्योंकि उनके गांव तक कोई सरकारी बस नहीं जाती। इसलिए उन्हें साइकिल पर ही सफर करना पड़ेगा। गगनदीप कौर ने बताया कि इस लंबे सफर दौरान अगर किसी मनचले ने उनकी तरफ बुरी नजर से झांका तो वह कराटों के जरिए उन्हें मुंहतोड़ जवाब देकर अपनी हिफाजत खुद करेंगी। वीरां बाई बताती है कि आज की भागदौड़ की जिंदगी में परिजन दिन भर कामकाज में जुटे रहकर घर का गुजारा करते हैं। इसलिए उनके पास इतना समय नहीं होता कि वह बेटियों को स्कूल, कालेज या ट्यूशन सेंटर तक छोड़कर आएं। इसलिए वह खुद अपनी हिफाजत के लिए कराटे सीख रही हैं। गुरमेज कौर का कहना है कि लंबे सफर में गुंडा-तत्वों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए कराटे सीखना जरूरी हो गया है। 
दिमाग और शरीर भी रहता है तंदरुस्त 
बेटियों को कराटे की शिक्षा दे रहे कोच रमन कुमार का कहना है कि कराटे एक उन्नत कला है। यह हममें आत्मविश्वास पैदा करता है और जीवन में नौकरी प्राप्त करने में भी सहायक होता है। इसलिए लड़कियों में आत्मविश्वास में वृद्धि और आत्म रक्षा के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 
जोश और उत्साह है लड़कियों में 
गांव के प्रिंसिपल गणेश शर्मा, अशोक कुमार, मोनिका, बलविंद्र सिंह, सुखविंद्र सिंह, मनिन्द्र सिंह, संदीप कुमार, महिन्द्र खेड़ा, विशाल और रवि का कहना है कि यह एक ऐसा खेल है। जिससे आत्म रक्षा के साथ-साथ आदमी का दिमाग और शरीर भी चुस्त-दुरूस्त ही नहीं तंदुरूस्त रहता है। यही कारण है कि सरहदी लड़कियों में इस खेल के प्रति जोश और उत्साह है। 
कन्या भू्रण हत्या के प्रति भी मुहिम 
स्कूल की छात्राओं को आत्मरक्षा के लिए कराटे का प्रशिक्षण देने के साथ साथ उन्हें कन्या भ्रूण हत्या के प्रति भी जागरूक किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण में हिस्सा ले रही लगभग 50 छात्राओं ने शपथ ली है कि वह अपने वैवाहिक जीवन में कभी भी कन्या भ्रूण हत्या नहीं करेंगी बल्कि आस-पड़ोस व रिश्तेदारों में भी गर्भ में पल रही मासूम कन्या को न मारने के लिए जागरूक करेंगी। वहीं स्कूल के अध्यापकों की ओर से लड़कियों को कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ शपथ दिलाई गई। 

Friday, March 9, 2012

Punjab and Haryana High Court orders to develop car free zones in Punjab, Haryana

Fazilka: In a bid to save historical heritage sites and control pollution by regulating the traffic system, the Punjab and Haryana High Court has directed Haryana and Punjab to develop car free zones in all the districts. To check the air pollution, the HC has also asked them to use eco-friendly rickshaws as means of commutation.
Inspired by the adaptation of eco-friendly rickshaws and car free zone at Ghanta Ghar Chowk of Fazilka, the Punjab and Haryana High Court had taken suo moto notice of the issue on October 29, 2010, ordered both the states to follow the practice in all districts.
During the hearing on September 23, 2011, the Punjab government had filed an affidavit  stating that more than 500 eco-friendly rickshaws are operating in 12 districts of the state and efforts are on to develop car free zones.
Senior Standing Counsel of Chandigarh also updated information about the efforts in the direction of developing car free zones. The High Court expressed its displeasure over the poor efforts of Haryana government in the matter.
(JPN/Bureau)

Thursday, March 8, 2012

हाईकोर्ट का फरमानः 1 अप्रैल से 17 का एक हिस्सा हो व्हीकल फ्री

चंडीगढ़. शहर के दिल सेक्टर 17 का एक हिस्सा 1 अप्रैल से व्हीकल फ्री जोन होगा। बुधवार को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि प्रशासन को इसके लिए ज्यादा समय नहीं दिया जाएगा। चंडीगढ़ प्रशासन के सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल संजय कौशल ने कहा कि प्रोजेक्ट के लिए सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे दी गई है लेकिन इसे लागू करने के लिए कम से कम एक माह का समय दिया जाए। 

जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस अजय तिवारी की खंडपीठ ने इस मांग को अस्वीकार करते हुए स्पष्ट किया कि सेक्टर 17 का एक हिस्सा 1 अप्रैल से व्हीकल फ्री जोन में तब्दील किया जाए। मामले पर 21 मार्च के लिए अगली सुनवाई तय की गई है।

जस्टिस सूर्यकांत ने सुनवाई के दौरान कहा कि 31 मार्च को पार्किग कांट्रैक्ट खत्म हो रहा होगा, लिहाजा इसे लागू करना और भी आसान हो जाएगा। यदि ऐसा संभव न हो और पार्किग कांट्रैक्ट 31 दिसंबर तक हो तो मार्च से बाद की राशि पार्किग ठेकेदार को रिफंड कर व्यवस्था की जाए। अदालत ने स्पष्ट किया कि एक अप्रैल से सेक्टर 17 का एक हिस्सा व्हीकल फ्री जोन में चाहिए। यदि प्रशासन इसे लागू करेगा तो यह बेहतर है, अन्यथा कोर्ट इस पर निर्देश जारी करेगी।

इको कैब शुरू हो

अदालत में सुनवाई के दौरान अदालत के सहयोगी वकील ने कहा कि शहर के उत्तरी भागों से इको कैब को प्रयोग के तौर पर आरंभ किया जाए। इसे वीवीआईपी लोगों के साथ आम लोग भी इस्तेमाल करें। एक फोन कॉल पर इको कैब की सुविधा उपलब्ध रहेगी। हालांकि हाईकोर्ट ने इस पर सुनवाई स्थगित करते हुए पहले व्हीकल फ्री जोन पर स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं।

UT to make Sector 17 vehicle-free

8th March 2012, Indian Express

The Chandigarh Administration has decided in principle to make Sector 17 a vehicle free zone. This, will be done in phases by the Administration. To work out the modalities and take the opinions of shopkeepers and relevant parties, the Administration today sought time to apprise the High Court of its final decision.
The development took place during the resumed hearing of a public interest litigation (PIL) arising of a suo motu notice taken by the High Court on a news item published by The Indian Express, which had highlighted the significance of eco-cabs and environment-friendly cabs, innovated by Fazilka resident Navdeep Asija.

Senior standing counsel for the UT Administration Sanjay Kaushal informed the High Court of the development. A division bench headed by Justice Surya Kant, however, expressed strong disapproval over the bureaucratic attitude of the Administration in not making certain Sectors vehicle-free zones. The High Court today made it clear that if the Administration fails to take a concrete decision in making Sector 17 a vehicle-free zone by April 1, necessary directions will be passed by it.

On the last date of hearing, the HC had asked the UT counsel to reply on why Sector 17 should not be made a vehicle-free zone after 4 pm. The bench had suggested that no vehicles should be allowed to enter the Sector 17 market after 4 pm from Lyon's restaurant (from the Sector 15 side) to Sahab Singh (from the Sector 18 side).

Kaushal today submitted that the UT has taken the decision to make Sector 17 vehicle-free but in phases. He said, alternative parking space, consent of shopkeepers and other relevant parties would have to be taken into account before taking a final decision in this regard.

The case has been posted for resumed hearing on March 21, the day the UT will submit its final response.



Wafer-thin margins, a few candidates reminisce on what so nearly wasn’t

A day after the poll results, a number of candidates, who have won by wafer-thin margins, are ruminating over what so nearly wasn't. The BJP candidate from Fazilka, Surjit Kumar Jayani expressed surprise that he won by only 1,600 votes. Jayani is the sitting MLA and also the state's transport minister. Jayani also reportedly did not celebrate his victory as his winning margin had reduced considerably. In the 2007 polls, he had won by 16,000 votes. The BJP minister, sources say, is miffed that the candidate who finished behind him is an Independent Jaswinder Singh Rocky, who has many criminal cases pending against him. Jayani has even announced that he will not celebrate his victory.

While Jayani may be upset, the SAD's Mansa candidate Prem Mittal isn't complaining despite winning by only 1,305 votes from the Congress' Gupreet Kaur Gaggowal. "This seat has been won by Congress for the past 20 years and now it has come to the SAD. For the first time, the SAD gave the ticket to a candidate from the Aggarwal community and it worked", Mittal says. The SAD candidate, who hails from Budhlada in Mansa, has been living in Ludhiana for more than 20 years and has even served as a councillor of the Ludhiana MC. Mittal entered Mansa on January 10 and in a span of 20 days, emerged as the winner.

Former Deputy Speaker Charanjit Atwal won by only 630 votes from the Congress rookie Lakhvir Lakha at Payal constituency in Ludhiana. "I must have committed some mistakes to win by such a less margin. I will work on them," Atwal said. He, however, said: "Payal has come to the SAD after more than 20 years. It was the home constituency of a former Congress CM Beant Singh. So in other words, it was a tough fight in Congress-dominated area".

The SAD candidate from Jagraon, S R Kler, isn't worried about his victory margin. Kler defeated the Congress' Ishar Singh Meharbaan by a mere 206 votes. A former ADC Ludhiana, he says: "Victory is a victory whether by a single vote. I will now workand people will definitely increase the winning margin".

Saturday, March 3, 2012

Court all for ecocabs in Ludhiana

LUDHIANA: With city as rising pollution levels and clogged roads, the Punjab and Haryana high courta's recommendation to study the possibility of having ecocabs in Ludhiana appears to be godsend.

The ecocabs, or rickshaws on call, are the pride of Fazilka, where these vehicles have revolutionized the townas commuting habits. Keeping that in mind, the HC on Friday asked Graduates Welfare Association Fazilka (GWAF), which had evolved this specialized rickshaw, to conduct a study in Ludhiana for introducing ecocabs.

A division bench comprising Justice Surya Kant and Justice Ajay Tewari asked the secretary of the association, Navdeep Kumar Asija, to conduct a study and recommend the actions required to improve the situation. HC had taken suo motu cognizance on introduction of ecocabs in the region following media reports published about the concept in Fazilka. Thereafter, the court had issued notice to the state governments of Punjab, Haryana and Chandigarh, asking them to respond on the issue.

The ecocabs have already been introduced in Amritsar on experiment basis.

HC for status quo on Fazilka colony site

Our Correspondent
Fazilka, March 2 2012

The Punjab Urban Development Authority (PUDA) that had worked out an "ambitious" plan to carve out a housing colony in an ecologically sensitive area of Fazilka suffered a setback as a division bench of the Punjab and Haryana High Court granted status quo on the proposed site in a contempt of court case filed by a local resident, Navdeep Asija.

A Division Bench comprising Chief Justice Ranjan Gogoi and Justice Mahesh Grover directed the state government to maintain status quo on the piece of land proposed to be used for carving out a colony. It may be mentioned that the PUDA had decided to construct a colony in the wetland area of Badha lake on the outskirts of Fazilka in an eco-sensitive zone.

The division bench has passed the orders against the allotment of 56 plots by the PUDA to the purchasers against the original court orders, leaving them bewildered. Notably, PUDA has not handed over the possession of the plots to the purchasers so far.

The counsels for the petitioners, APS Shergill and Balpreet Sidhu pleaded in the court that more than 400 odd exotic trees are there at the proposed location and the allotment of plots would not only involve a third party but also allow them to axe the trees immediately after handing over the possession.

Notably, Asija had filed a writ petition in the Punjab and Haryana High Court in July 2011 against setting up of a PUDA colony in the ecologically fragile zone and the wetland area. While admitting the petition, the court had directed PUDA not to initiate proceedings till further orders of the court.

"However, in violation of the court directive, the PUDA auctioned 56 plots on February 27 this year without taking any consent from the court," said Asija.

Upon this, Asija filed a contempt of court petition. On the basis of the pleas of the counsels of Asija, the High Court directed the Punjab government to maintain status quo. The representatives of different NGOs who initiated the Chipko Andolan by hugging the trees have welcomed the decision of the High Court.

"This is a welcome step as the court has helped us in saving the trees from being axed, in the larger interest of mankind," said an activist associated with the movement, Lachhman Dost. The next date of hearing in the case is March 21.

HC to UT: Why not make Sector 17 a vehicle-free zone? : Car Free and NMT Movement in Punjab Haryana and Chandigarh

Indian Express, 3 March 2012

Why not make Sector 17 a vehicle-free zone after 4 pm? Raising this query, the Punjab and Haryana High Court on Friday, asked Advocate Sanjay Kaushal, senior standing counsel for Chandigarh Administration to seek instructions in this regard.

Aimed at making Sector 17 a pedestrian-friendly zone, a division bench comprising Justice Surya Kant and Justice Ajay Tewari made it clear that the time has come to pass directions to make certain areas in Sectors vehicle-free zones. Sanjay Kaushal sought time to seek instructions in this regard to start the experiment. The bench suggested that no vehicles should be allowed to enter Sector 17 market after 4 pm from Lyon's restaurant (from Sector 15 side) to Sahab Singh (from Sector 18 side).

The development took place during the resumed hearing of a PIL arising of a suo motu notice taken by the High Court on a news item published by The Indian Express, which had highlighted the significance of eco-cabs and environment-friendly cabs, innovated by Navdeep Asija, a Fazilka-based resident.

The bench told counsel for Administration to start making vehicle free-zones in various sectors including Sector 16, inhabited by High Court Judges and other VIPs. "Let the VVIPs have a sense of discipline" the Bench orally remarked.

The Bench also discussed the Metro and its advantages. Various suggestions like appointment of a non motor transportation cell, imparting special training to traffic personnel were also discussed. The Bench also suggested that certain areas of the city could be reserved only for running eco-cabs, a specially designed rickshaw. The modern rickshaws, popularly known as 'eco-cabs', are 25 per cent lighter than the existing models.


=========================
Decongesting heart of the city
Times of India, 3 March 2011, Chandigarh
CHANDIGARH: Soon, there could be a ban on entry of vehicles in Sector 17 after 4pm to decongest the heart of the city. 
Taking up the issue of escalating vehicular traffic in city, Punjab and Haryana high court on Friday suggested the Chandigarh administration to make some parts of Sector 17 as no-vehicle zone after 4pm. Reiterating its earlier suggestion to make some parts of each sector vehicle free on rotational basis, HC suggested that the administration could start from Sector 16 where VIPs, including bureaucrats and judges, live. HC also asked the UT to reserve some area of city for running of ecocabs specially designed rickshaws. 
Apparently concerned over the growing traffic chaos on city roads, division bench - comprising Justice Surya Kant and Justice Ajay Tewari - made it clear that if UT administration fails to take a decision in this regard, the bench could pass an order. 
The suggestion was given by a division bench during resumed hearing of a petition on the issue of introducing eco-cabs in cities of Punjab, Haryana and Chandigarh. The court had taken a suo moto notice of the issue. The concept of eco-cabs was invented in Fazilka district of Punjab where cycle rickshaws are just a phone call away. HC has already asked the Chandigarh administration to explore possibility of introducing eco-cabs in Chandigarh. 
UT has also contacted Graduate Welfare Association, Fazilka, (GWAF) secretary Navdeep Asija, who has been instrumental in inventing such rickshaws, for making arrangements to introduce eco-cabs in the city. The bench also directed the administration to find a way to improve parking situation in the city. 
Importantly, the bench on September 23, 2011 had directed the UT administration to declare one of its sectors as vehicle-free zone to keep a check on growing vehicular congestion. 
Responding to the implementation of earlier orders, UT senior standing counsel Sanjay Kaushal asserted that the process is already on, but making a decision and then enforcing it will take some more time. Now, the case would come up for further hearing on March 7.

==============
Directs UT administration to consider phase-wise implementation in pedestrian-friendly areas

Hindustan Times, 3 March 2012, Chandigarh
In order to convert some areas of Chandigarh into 'no vehicle' and pedestrian friendly zones, the Punjab and Haryana high court has suggested to the UT administration to define a portion of Sector17 and entry of vehicles in the area.
The division bench comprising justice Surya Kant and justice Ajay Tewari on Friday ordered Chandigarh's senior standing counsel Sanjay Kaushal to first consider the area of Sector-17 E starting in front of Lyon's restaurant on one end to Sahib Singh and Sons showroom at the other as 'no-vehicle zone' atleast after 4pm.
Observing that the administration had failed to comply its earlier directions of making sector-17 as vehicle free zone, the bench made it clear that if the administration fails to take any steps on the subject, the court shall start commanding the orders from the next date of hearing. Granting an opportunity to Kaushal so as to seek instructions from the concerned authorities in the matter, speaking for the bench justice Surya Kant
said that the administration should convert some areas in each sector as traffic free zones starting from northern sectors in a phased manner and without any discrimination. Hearing a case of increase in traffic congestion in various cities of Punjab and Haryana including various sectors of Chandigarh justice Surya Kant said, "Every new concept has teething problems but we have to think in larger terms." The bench also directed the Chandigarh administration to take appropriate steps to ensure proper parking areas in the city. Directions were also issued to Navdeep Kumar Asija, who was instrumental in introducing eco-friendly rickshaws in Fazilka (Punjab) to conduct study of various cities in Punjab and Chandigarh starting from Ludhiana and to recommend city specific suggestions for decongestion of traffic.
Appearing for Asija, advocate APS Shergill asserted that court directions are necessary in the matter or else if left to the concerned authorities they would take their own sweet time to show any progress. However, advocate Rita Kohli
appointed as amicus curiae (friend of court) by the court informed that after her visit to various cities including Sirhind and Ludhiana, she found that the state authorities had failed to keep their commitment of making vehicle free zones and introduction of eco-friendly rickshaws.
She asserted that no boards, chains stopping the vehicles from entering a particular area have been put by the authorities and people are not aware of no vehicle zones across the city.
On this, the bench directed that if the authorities are facing difficulties in implementation of schemes then they should come out with real facts before the court and not try to befool the judiciary.
The court also observed that there was a need to appoint nodal agencies at district levels for better co-ordination between the municipal bodies and police authorities.
The case would now come up for hearing on March 7.

Decongesting heart of the city

Times of India
CHANDIGARH: Soon, there could be a ban on entry of vehicles in Sector 17 after 4pm to decongest the heart of the city. 

Taking up the issue of escalating vehicular traffic in city, Punjab and Haryana high court on Friday suggested the Chandigarh administration to make some parts of Sector 17 as no-vehicle zone after 4pm. Reiterating its earlier suggestion to make some parts of each sector vehicle free on rotational basis, HC suggested that the administration could start from Sector 16 where VIPs, including bureaucrats and judges, live. HC also asked the UT to reserve some area of city for running of ecocabs specially designed rickshaws. 

Apparently concerned over the growing traffic chaos on city roads, division bench - comprising Justice Surya Kant and Justice Ajay Tewari - made it clear that if UT administration fails to take a decision in this regard, the bench could pass an order. 

The suggestion was given by a division bench during resumed hearing of a petition on the issue of introducing eco-cabs in cities of Punjab, Haryana and Chandigarh. The court had taken a suo moto notice of the issue. The concept of eco-cabs was invented in Fazilka district of Punjab where cycle rickshaws are just a phone call away. HC has already asked the Chandigarh administration to explore possibility of introducing eco-cabs in Chandigarh. 

UT has also contacted Graduate Welfare Association, Fazilka, (GWAF) secretary Navdeep Asija, who has been instrumental in inventing such rickshaws, for making arrangements to introduce eco-cabs in the city. The bench also directed the administration to find a way to improve parking situation in the city. 

Importantly, the bench on September 23, 2011 had directed the UT administration to declare one of its sectors as vehicle-free zone to keep a check on growing vehicular congestion. 

Responding to the implementation of earlier orders, UT senior standing counsel Sanjay Kaushal asserted that the process is already on, but making a decision and then enforcing it will take some more time. Now, the case would come up for further hearing on March 7.

Friday, March 2, 2012

What a Wonderful Day with full of surprises :-).

Honorable Punjab and Haryana High Court directed to State Government to maintain Status Quo on Badha Lake Colony. No further work and cutting of tree allowed. Major setback to PUDA. Chief Justice Ranjan Gogoi passes this order today on a contempt of court petition filed by me against allotment of 56 plots against the order. A Major set back to government's Optimum Utilization of Vacant Government Land scheme.

In a second case, Court in its own motion directed Chandigarh administration to implement "Ecocabs" and declare certain areas of Chandigarh as "Car Free" before 18th March and appointed me to suggestion improvements/policies to improve overall traffic conditions for the various cities of Punjab, Starting from Ludhiana. Many Thanks to the Judiciary and amicus curiae

70 हजार गैलन पानी हो रहा बर्बाद

Dainik Bhaskar 2 March 2012
सरकार और समाजसेवी संस्थाएं लगातार लोगों से अपील कर रही हैं कि अगर बेकार जा रहे पानी को बचाया नहीं गया तो इसके परिणाम गंभीर होंगे। इसके बावजूद देश भर में होली के दिन पर लाखों गैलन पानी बर्बाद होता है। इस पानी को बचाने के लिए भास्कर ने अभियान चलाकर पहल की है। इससे जहां आप पानी तो बचा ही पाएंगे, साथ में रासायनिक रंगों से भी आपको छुटकारा मिलेगा। यानी न तो पानी की बर्बादी होगी और न ही रासायनिक रंगों का त्वचा पर कोई कुप्रभाव पड़ेगा।
नगर कौंसिल के रिकार्ड अनुसार फाजिल्का शहर में करीब 12 हजार टूटियां हैं और करीब 2 हजार अवैध कनेक्शन हैं। इसके अलावा सैकड़ों की तादाद में नलकूप हैं। करीब एक लाख की आबादी वाले इस शहर को रोजाना अनुमानत दो लाख गैलन से अधिक पानी दिया जा रहा है। जिसमें लोगों की लापरवाही से वाटर सप्लाई की टूटियां खुली होने के कारण करीब 70 हजार गैलन पानी बेकार जा रहा है। खासकर होली के दिन तो लाखों लीटर पानी रासायनिक रंगों में घोल दिया जाता है। इसलिए जरूरी है कि तिलक होली अभियान के सदस्य बनकर पानी के लिए होने वाले तीसरे विश्व युद्ध को रोकने में सहयोग दें।
 
नहरी पानी परियोजना 
  • 2 लाख 87 हजार गैलन पानी की क्षमता 
  • 1.50 लाख गैलन पानी रोजाना उपलब्ध 
  • गर्मियों में सप्लाई 9000 किली प्रति घंटा 
  • सर्दियों में सप्लाई8000 किली. प्रति घंटा 
  • शहर में ट्यूबवेलों की संख्या 9 
  • पानी की क्षमता 20 हजार गैलन प्रति घंटा 
  • 3 अन्य ट्यूबवेलों के पानी की क्षमता 1200 लीटर प्रति घंटा

NGOs join hands to launch Chipko Andolan

Praful Chander Nagpal

Fazilka, March 1
Half a dozen local NGOs have joined hands to launch a Chipko Andolan to protest against Punjab Urban Development Authority (PUDA) for its alleged proposal to axe trees to carve out a colony in the wetland area near the residence of the Deputy Commissioner, Fazilka.

The NGOs have alleged that hundreds of trees have to be axed for constructing a colony in the fragile eco-friendly zone of the town near the extinct Badha lake. As a mark of protest, dozens of members hugged the trees to protect them from being felled.

"We want to make it a mass movement by involving the residents of village Badha as the NGOs have started motivating them against the move," said an activist, Lachhman Dost.

Notably, Badha village, where the colony is proposed to set up, is situated on the outskirts of Fazilka town. "The members shall also visit the nearby villages and towns to seek the participation of the residents there, maintained Dost.

Dozens of activists of different organizations, including the Graduate Welfare Association Fazilka (GWAF), Shaheed Bhagat Singh Sports Club, Fazilka 20-20 Cricket Association, Shaheed Bhagat Singh Youth Club and Guru Gobind Singh Youth Club, gathered at the site of the proposed colony and staged a protest by hugging the trees as part of the Chipko movement.

"Most of the nearly 400 eucalyptuses and other variety of trees at the site will have to be felled if the colony comes into existence, which we shall not allow," said Umesh Chander Kukkar, president of the GWAF.

It may be mentioned that local resident Navdeep Asija had filed a writ petition in the Punjab and Haryana High Court against the construction of a PUDA colony in the wetland area of Fazilka. "Despite the fact that the case is still pending in the court, PUDA has started the process of allotting 56 plots to the buyers on this land," alleged Asija. The next date of hearing is March 21.

"The cutting of tree would disturb the ecological fabric of the area," alleged another activist, Capt (retd) MS Bedi.

On the other hand, SDO, PUDA, Dharampal and Estate Officer N Grewal refused to speak on the issue maintaining that only their seniors are authorised to speak in this regard.

Thursday, March 1, 2012

पुडा के खिलाफ चिपको आंदोलन - Citizen of Fazilka Started Chipko Movement against PUDA in Fazilka to Save Badha Lake

जब कभी चिपको आंदोलन का जिक्र आता है तो वृक्षों की रक्षा के लिए एक व्यापक जंग छेडऩे वाले समाजसेवी सुंदर लाल बहुगुणा का चित्र मस्तिष्क में घूमने लगता है, लेकिन फाजिल्का में बुधवार को इस अनूठे आंदोलन की शुरुआत की गई। इसे शुरू किया है समाजसेवी संस्था ग्रेजुएट्स वेलफेयर एसोसिएशन फाजिल्का ने। इसके साथ ही शहीद भगत सिंह स्पोट्र्स क्लब, फाजिल्का टवंटी-20 क्रिकेट एसोसिएशन, शहीद भगत सिंह यूथ क्लब और श्री गुरु गोबिंद सिंह यूथ क्लब ने भी इस कार्य में सहयोग देने की घोषणा की है। इस अभियान का समाजसेवी नेतृत्व कैप्टन एमएस बेदी ने किया।  दरअसल मामला यूं है कि पुडा की ओर से बाधा झील किनारे और पुरानी एसडीएम कोर्ट के आसपास कॉलोनी बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके तहत यहां 56 प्लाट काटे जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यहां करीब 450 हरे भरे पेड़ हैं और कॉलोनी निर्माण के वक्त यह पेड़ काट दिए जाएंगे। इससे खासकर फाजिल्का क्षेत्र को नुकसान होगा। इस नुकसान से बचने के लिए इन संस्थाओं के सदस्यों ने पेड़ों से चिपककर आंदोलन की घोषणा कर दी। एसोसिएशन के पदाधिकारियों एडवोकेट मनोज त्रिपाठी और कैप्टन एमएस बेदी का कहना है कि अगर पेड़ काटे गए तो वह आंदोलन तेज कर देंगे। 

हाईकोर्ट में है केस 
पुडा की ओर से यहां कॉलोनी निर्माण को रोकने के लिए फाजिल्का के जागरूक नागरिक नवदीप असीजा ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में केस भी दायर कर रखा है। इसकी अगली सुनवाई 21 मार्च है। इसके बावजूद पुडा ने 56 प्लाट काटकर बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। 29 फरवरी को ही क्यों 
इस अनूठे आंदोलन का आगाज लीप ईयर की 29 फरवरी को किया गया है। इस बारे में कैप्टन बेदी का कहना है कि 29 फरवरी 2012 की तारीख के दिन का आंदोलन लोगों की जुबान पर जल्दी चढ़ जाता है। हमें इस आंदोलन में लोगों का सहयोग चाहिए और उम्मीद है कि क्षेत्र के लोग इस आंदोलन के साथ जुड़कर पेड़ कटने का विरोध करेंगे।