Monday, May 31, 2010

Article by Bhagwant Mann in Rojana Ajit, on Punjab Water after his Fazilka Visit

31 May 2010, Daily Ajit, Jalandhar

हाईकोर्ट पहुंचेगा मुद्दा- Satjul River Pollution and Border Area of Fazilka

30 May 2010, Laxman Dost
सतलुज दरिया के दूषित पानी से विभिन्न रोगों का शिकार हुए सीमावर्ती ग्रामीणों की सुध लेने सरकार का तो कोई नुमाइंदा नहीं पहुंचा, लेकिन समाजसेवी संस्थाओं का खून जरूर खौला। इन संस्थाओं ने रविवार को गांव तेजा रवेला में मुफ्त मेडिकल जांच शिविर लगवाया और दवाएं देने के बाद आधे खर्च पर इलाज का भी वादा किया। इस मौके पर 'पंजाब यूथ क्लब के पदाधिकारियों ने दरिया के दूषित पानी का मुद्दा पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट और मानवाधिकार संगठन में याचिका दायर करने की बात कही। इस मौके पर क्लब के प्रांतीय अध्यक्ष जसवीर सिंह ग्रेवाल, महासचिव हैप्पी मान कोटभाई और जरनैल ङ्क्षसह के नेतृत्व में पंजाब के विभिन्न शहरों की संस्थाओं के सदस्य पहुंचे हुए थे। राज्य के यूथ क्लबों का नेतृत्व करने वाली संस्था यूथ क्लब आर्गेनाइजेशन की ओर से लगाए गए शिविर का उद्घाटन आदेश अस्पताल के एमडी डाक्टर गुरप्रीत सिंह गिल ने किया। इसमें आदेश अस्पताल के जनरल रोगों के विशेषज्ञ डा. जेएस बाहिया, चमड़ी रोग विशेषज्ञ डा. विपन गोयल, हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. नितिन, सर्जरी माहिर डा. सोरव, नाक—कान और गले के माहिर डा. अंसुल, दांत रोग विशेषज्ञ डा. सुधीर ऋषि, डा. हरप्रीत बादल, आंख के रोगों के माहिर डा. संजय, डा. परविन्द्र व डा. परमिंद्र के अलावा महिला रोग विशेषज्ञ, फीजियोथैरेफी के माहिर डाक्टरों ने 700 रोगियों की नि:शुल्क जांच की। शिविर में कई और भी टैस्ट किए गए और मरीजों को नि:शुल्क दवाएं वितरित की गई। शिविर में सीमा सुरक्षा बल की चौकी के जवानों को भी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की गई। 

50 फीसदी छूट पर होगा इलाज

शिविर में जिन ग्रामीणों को हड्डी या कोई बड़ा रोग है, उनका इलाज आदेश अस्पताल की ओर से 50 फीसदी छूट देकर किए जाएंगे। अस्पताल के एमडी डा. गुरप्रीत सिंह गिल ने बताया कि आदेश मैडीकल कालेज व अस्पताल की ओर से सरहदी इलाके के ग्रामीणों को रोगों से निजात दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। यूथ क्लब के महासचिव हैप्पी मान ने कहा कि उनका संगठन जल्दी ही पंजाब हरियाण हाईकोर्ट व मानवाधिकार कमीशन में सतलुज मेें पड़ रही औद्योगिक निकासी को रुकवाने के लिए याचिकाएं दायर करेगा। शिविर में राजिन्द्र सिंह ग्रेवाल, बूटा सिंह, शगन चहल, हैप्पी मान कोटभाई, अवतार सिंह कैंथ, वीर दविन्द्र सिंह, जरनैल सिंह, बलतेज सिंह, मास्टर राज कु मार के अलावा गांव के सरकारी प्राइमरी स्कूल के स्टाफ ने सहयोग दिया।


Impact After Bhagwant Mann Visit

लाखों की वसूली फिर भी नहीं हुआ विकास

फाजिल्का-सरकारी प्रापर्टी खरीदने के लिए जितने दाम अदा करने पड़ते है, उस पर उतना ही खर्चा डेवलपमेंट चार्जेस के रूप में भी देना पड़ता है। डेवलपमेंट चार्जेस के रूप में नगर परिषद से जगह खरीद उस पर मकान बना और साथ में पक्की गलिया, नालिया, सीवरेज, पेयजल आपूर्ति, स्ट्रीट लाइट जैसी मूलभूत सुविधाएं पाने का सपना देखने वाले इलाके के सैकड़ों लोगों का सपना स्थानीय नगर परिषद ने तोड़कर रख दिया है। लोगों ने लाखों रुपये लगाकर मकान व कोठिया तो खड़ी कर ली है लेकिन आसपास गलियों की हालत किसी उजाड़, ऊबड़ खाबड़ बियाबान रास्तों जैसी है जिसके चलते परिषद से संपत्ति खरीदने वाले सैकड़ों लोग परिषद की नालायकी और अपनी बेबसी पर आसू बहाने को मजबूर है।

उल्लेखनीय है कि स्थानीय नगर परिषद ने अपनी आय बढ़ाने के लिए शहर के विभिन्न स्थानों पर रिहायशी व कमर्शियल प्लाट काटकर बेचे है और सैकड़ों प्लाट ही बेचने की तैयारी में है। खुली बोली में महगे भाव पर प्लाट खरीदने वाले सैकड़ों लोगों में सेक्रेड हार्ट स्कूल, धोबीघाट, सिद्ध श्री हनुमान मंदिर के सामने एमआर कालेज के ग‌र्ल्स विंग वाली जगह पर प्लाटों के खरीददार शामिल है जिनसे नगर परिषद ने रजिस्ट्री करवाकर देने से पहले डेवलपमेंट चार्जेस के रूप में लाखों रुपये वसूल किए है। लेकिन रजिस्ट्री करवाने के पाच से सात साल बाद भी उक्त इलाकों में डेलवपमेंट होने जैसी कोई बात नजर नहीं आती। वहीं दूसरी तरफ नगर के बाजारों व पहले से बने मोहल्लों में सड़कों को उखाड़ उखाड़कर उनका पुननिर्माण करवाया जा रहा है जबकि पहले बसे मोहल्लों के लोगों ने तो परिषद को कोई डेवलपमेंट चार्जेस भी नहीं दिए है। इससे लगता है कि परिषद से करोड़ों रुपये की संपत्ति खरीद, उस पर लाखों रुपये डेवलपमेंट चार्जेस अदा करने वाले खरीददारों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। कई जगह तो डेवलपमेंट करवाना तो दूर बल्कि परिषद विवादित जगह बेचकर उसके कब्जे भी खरीददारों को नहीं दिला पाई है और जगह की कीमत के साथ डेलवपमेंट चार्जेस भी वसूल कर चुकी है। हनुमान मंदिर के सामने एमआर कालेज गर्ल विंग वाली जगह के खरीददारों सुखजिंदर सिंह, डीएल बाघला ने बताया कि उनसे डेलवपमेंट चार्जेस तक वसूल लिए गए है और कब्जा अभी तक नहीं दिलाया गया। उक्त जगहों पर प्लाट खरीदने वाले लोगों ने बताया कि उनके प्लाट खरीदने से पहले करीब छह साल पहले सीवरेज डलवा दिया था। उसके बाद वर्तमान अकाली-भाजपा सरकार ने तो प्लाट बेचकर उस पर डेवलपमेंट चार्जेस वसूल करने के सिवाय कुछ नहीं किया।

इस बारे में नगर परिषद अध्यक्ष अनिल सेठी का कहना है कि जितने प्लाट काटे गए है, उतने बिके नहीं। फिर भी जितने प्लाट बिके है, उनमें से 75 फीसदी प्लाटों की रजिस्ट्रिया होने पर गलियों, नालियों व स्ट्रीट लाइट का काम करवा दिया जाएगा।

फाजिल्का को कब मिलेगी लंबी दूरी की गाड़ी

फाजिल्का-भारत-पाक सीमा पर बसी पंजाब की सबसे पुरानी तहसील फाजिल्का की रेलवे विभाग द्वारा लगातार अनदेखी की जा रही है। फाजिल्का से लंबी दूरी की गाड़िया चलाने की बात पहले यहा वाशिग लाइन स्थापित न होने की बात कहकर खारिज की गई और अब यहा से उखाड़ी गई वाशिग लाइन पुन: स्थापित करने की माग एक ही कार्यालय ने दोहरे मापदंड अपनाकर रद करके अनदेखी की बात को साबित कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि सबसे पुरानी तहसील होने के बावजूद यहा से कोई भी फास्ट ट्रेन नहीं चलती। यहा तक कि देश की राजधानी दिल्ली, धर्म नगरी हरिद्वार या अन्य दूर स्थित बड़े शहर से फाजिल्का का सीधा रेल संपर्क नहीं है। भारत-पाक सीमा पर तैनात हजारों बीएसएफ जवानों को भी छुट्टी या काम के वक्त घर जाने के लिए सीधी रेल सेवा की जरूरत रहती है। इन जरूरतों को देखते हुए फरीदकोट के तत्कालीन सासद जगमीत सिंह बराड़ ने अपने गृह नगर मुक्तसर के लोगों के साथ फाजिल्का को फायदा पहुचाने के लिए जनवरी 2003 में फाजिल्का से बठिडा के लिए लिंक एक्सप्रेस चलवाई थी, जो रात तीन बजे यहा से रवाना हो, पाच बजे बठिडा में दिल्ली जाने वाली गाड़ी के साथ जुड़ जाती थी। लेकिन करीब ढाई साल पहले वह लिंक एक्सप्रेस भी बंद कर दी गई। रेल यात्रियों के अधिकारों की रक्षा के लिए गठित संगठनों ने उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक से लगातार पत्राचार कर व शिष्टमंडल के रूप में मिलकर दिल्ली व हरिद्वार के लिए सीधी गाड़िया चलाने की माग की तो जवाब दिया गया कि फाजिल्का में वाशिग लाइन न होने के कारण गाड़ियों की वाशिग व उनमें पानी भरने की सुविधा नहीं होने के चलते लंबी दूरी की गाड़िया नहीं चलाई जा सकतीं।

यहा उल्लेखनीय है कि 1947 से पहले से लेकर 1990 तक फाजिल्का में वाशिग लाइन स्थापित थी, जिसे फाजिल्का से कोटकपूरा मीटर गेज लाइन को ब्राड गेज में तब्दील करते वक्त उखाड़ दिया गया था। महाप्रबंधक कार्यालय के जवाब पर समिति ने वाशिग लाइन पुन: स्थापित करने की माग को लेकर पत्राचार व अधिकारियों से मिलने का सिलसिला शुरू किया तो अब फिर से उसी महाप्रबंधक कार्यालय से 25 मई को फिरोजपुर डीआरएम कार्यालय के जरिये आए जवाब ने बीस साल पहले उखाड़ी वाशिग लाइन पुन: स्थापित न होने की माग खारिज कर दी। तर्क ये दिया गया है कि फाजिल्का स्टेशन फिरोजपुर व बठिडा से डीएमयू गाड़ियों से लिंक रखता है, इसलिए यहा वाशिग लाइन की जरूरत नहीं है। इन दोहरे मापदंडों ने फाजिल्का वासियों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या सरहदी क्षेत्र में बसे होना उनका गुनाह है

Thursday, May 27, 2010

Trust continues construction work-Allotment of land for engineering college cancelled

Chander Parkash
Tribune News Service

Chuwarianwali (Fazilka), May 26
Taking a significant decision, Punjab government ordered the cancellation of allotment of more than 201 kanals of land belonging to the panchayat of this village to Shri Bhagwan Mahavir Jain Charitable Trust to set up an information technology (IT) institute.

Though the allotment of the land was cancelled a few weeks ago, the Trust has been carrying out the construction of the building over the same.

Official sources said land was allotted to the Trust in 2001 during the previous government of the SAD-BJP led by CM Parkash Singh Badal. The allotment was cancelled on May 5 this year by Jagpal Singh Sandhu, financial commissioner, department of Rrural Development and Panchayat, Punjab.

Sources said that land, situated on one of the main roads of Ferozepur district and worth crores of rupees was allotted to the Trust on the condition that a building of the institute would be set up within three years of the allotment failing which the allotment would be cancelled and the land would vest again the panchayat.

In the order, Sandhu had mentioned that the Trust could not start the institute by completing the building within a stipulated period of three years. Hence, allotment of land, which was made free of cost to the Trust, was cancelled.

Deputy Director, Panchayats, JP Singh said he had directed the district development and panchayat officer (DDPO), Ferozepur, to take possession of the land after completing all the formalities connected with the revenue department.

Anil Jain, one of the functionaries of the trust said department of rural development and panchayat was not authorised to take possession of the land as it belonged to village panchayat, which had passed number of resolutions favouring that the land must continue to vest in the Trust.

He said construction was going on as the Trust would start the college from the month of July and admission for the first academic session would be made for various faculties of the engineering college. He alleged that department of the rural development and panchayat had cancelled the allotment without giving an opportunity of hearing to the Trust to present its case. 

http://www.tribuneindia.com/2010/20100527/bathinda.htm#11

Bhagwant Mann joins fight against pollution in Sutlej

Chander Parkash
Tribune News Service

Teja Rawela (Fazilka), May 25
Noted Punjabi comedian Bhagwant Mann has decided to build a movement to save the people of the border villages, who are becoming handicapped due to the consumption of heavily polluted black water of river Sutlej in the absence of potable water.

Mann took this decision after visiting the victims of the polluted Sutlej water of this village this evening.

He came here on his own after reading a news item that appeared in a section of press about the plight of residents of those border villages, who have become handicapped as they are forced to consume the poisonous water of Sutlej.

"Why are bureaucrats being paid huge salaries, why do politicians go to these village to seek votes in elections and why is Deputy Chief Minister Sukhbir Singh Badal mum over the plight of the residents of these villages despite the fact that they fall in the assembly segment represented by him," asked Mann.

Disclosing that he was going to set up a non-governmental organisation (NGO) to raise voice on various social issues confronting the state, Mann said he would also appeal to artists of the state to come forward to help such people, who had been living in hellish conditions. He claimed that artists have the ability to make ruling politicians listen to the grievances of the most cursed sections of society.

"The residents pleaded with me that their villages should be transferred to Pakistan as they hoped that their plight would be changed by the rulers of the neighbouring country," said Mann, adding that he was a social critic and would keep on fighting for the interests of Punjab.

He said that he had also asked the victims and other residents of the villages to stage a dharna at Chandigarh. "I am not against any government. However, I would participate in the dharna if the victims invite," he added.

Can the successive governments of Punjab answer as to whey they allowed the polluted water of Sutlej to adversely affect the health of the residents of the border village when they were also respectable citizens of the state? Can the successive governments justify the blatant ignorance and denial of basic amenities to such people by them," he asked.

The time had come when Punjabis would have to come forward to save the rivers of Punjab, failing which, potable water would become rarity in the state, which had acquired the pride of being the food bowl of the country, Mann added.

http://www.tribuneindia.com/2010/20100526/bathinda.htm#3

Wednesday, May 26, 2010

ऐसे हालात रहे तो कैसे डालेंगे गबरू भंगड़ा

सीमावर्ती लोगों की बदतर जिंदगी पर भले किसी राजनेता या सरकार को ख्याल न आये लेकिन कमेडी किंग भगवंत मान को इन लोगों का दर्द आज यहां खींच लाया। मान ने सीमा पर बसे लोगों के न सिर्फ दर्द सुना बल्कि उनके लिये हर संभव प्रयास करने का भी आश्वासन दिया। 
मान ने सीमावर्ती उन गांवों का दौरा किया जहां पर पीने का पानी जहर बन चुका है, बच्चे अपाहिज हो रहे हैं, शिक्षा के लिये अच्छे स्कूल नहीं, चिकित्सा सुविधा कौसों दूर है तथा हर समय युद्ध एवं बाढ़ का खतरा सताता रहता है। मान इन गांवों के उस हर परिवार से मिले जो दूषित पानी का शिकार हुए हैं।  मान भारत पाक सीमा पर बसे गांव तेजा रुहेला में करीब 1.30 बजे पहुंचे। एक स्टार कमेडियन को देख कर यहां के लोग दंग रहे गए। 

आंखें नम हो गई लोगों की

भगवंत मान का लोगों ने अलग ही रूप देखा। जो इंसान पर्दे पर चुटकलों व हंसी की फुलझडिय़ां छोड़ कर पूरी दुनियां को हंसाता है उसकी आंखें नम हो सकती है, उन्हें देख कर ग्रामीण भी भावुक हो गए। ग्रामीणों ने मान को बताया कि किस तरह से भूमिगत पानी जहरीला हो चुका है व यहां पर स्वास्थ्य, शिक्षा व अन्य सुविधाओं की किस कदर कमी है। इस पर मान ने उन्हें विश्वास दिलाया कि वह उनकी हर संभव मदद करेगा। 

लोगों की आवाज को हुकमरानों के कानों तक पहुंचाने के लिये वह हर स्टेज पर कटाक्ष करेंगे तथा आने वाली उनकी पंजाबी फिल्मों में भी जिक्र करेंगे। मान ने सीमावर्ती गांवों के लोगों को चंडीगढ़ में सरकार के खिलाफ खुला धरने लगाने की अपील की। उन्होंने कहा कि फाजिल्का से चंडीगढ़ आने जाने तक का किराया भी वह देंगे तथा धरने में वह सबसे आगे होंगे।

Monday, May 24, 2010

'मेरा बयान अखबार में जरूर छापना कि पाकिस्तान हमला करेगा तो हम झेल लेंगे

पंजाब का गांव दिलावर भैणी तीन तरफ से पाकिस्तान से घिरा हुआ है. लेकिन यह गांव कल तक जैसे बेखौफ था आज भी बेखौफ है. युद्ध की आहट देहरी पर है. भारत और पाकिस्तान दोनों देशों की राजधानियों में भले ही युद्ध की आशंका से भले ही पारा गरम हो लेकिन यहां इस गांव में सबकुछ सामान्य है. यह कोई कूटनीतिक रणनीति नहीं है. बल्कि यहां के गांववालों की यह दिलेरी और जिंदादिली है जो जंग की आशंकाओं के बीच भी उनको बैखौफ जीने को प्रेरित कर रहा है. सीमा से लौटकर अर्जुन शर्मा की रिपोर्ट-

किसी शिकार कथा को पढ़ कर शेर की भयानकता का अंदाला लगाने व शेर की मांद में रह कर हंसते खेलते जीवन व्यतीत करने वाले अनुभव में जमीन आसमान का अन्तर होता है। इस्लाम धर्म के कथित रहबरों द्वारा न्यूयार्क व वाशिंगटन से लेकर मुंबई तक में दिखाए गए दुस्साहस की चर्चा चाहे बंगाल के किसी अध्यापक, उत्तर प्रदेश के पनवाडी या बिहार के खेतिहार के लिए एक ही जैसा महत्व रखती हो पर भारत पाकिस्तान की सीमा पर बैठे व्यक्ति के लिए यह चर्चा उसके व उसके परिवार के भविष्य के साथ बावस्ता होती है। ये वो लोग हैं जो भारत-पाक संबंधों में सुधार की गुंजायश देख कर जश्र मानाते हैं। जबकि दोनों देशों में आती कटुता से इन्हें अपने भविष्य की जन्म कुंडली में घुसपैठ कर आए राहू जैसी स्थिति का अहसास होता है। जहां जंग की आशंका के चलते दुनिया भर के शेयर बाजार बुखार जैसे अनुभव से गुजर रहे हों वहीं अंतरराष्ट्री सीमा से मात्र पांच सौ गज की दूरी पर स्थित अपने खेत में हल चला रहे किसान को, ट्रैक्टर पर लगे टेप-रिकार्ड पे फुल वाल्युम पर जुगानी जा वड़ी कलकत्ते सुनते हुए उसका खिलंदड़ रूप देख कर आपको कैसा लगेगा? और यदि पत्रकार के तौर पर आप इन हालात व इस प्रकार के नजारे के गवाह रहे हों तो इस नजारे को देश के लोगों के समक्ष न रखना धोखेबाजी होगी।

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सीमांत जिला फिरोजपुर के अन्तर्गत भारत-पाक सीमा पर बसे गांव जोधे के किसान रछपाल काफी उत्साहित हैं। उनकी रिहायश के बाहर गांव के कई लोग जमा हैं व रछपाल उनके आदर सत्कार में अपने बेटों को बार-बार आवाज देकर समझा रहे हैं कि केले व सेब सबको खिलाएं, जबकि वहां मौजूद लोगों में जिस विषय पर चर्चा हो रही है भारत-पाक की संभावित जंग का सीमांत ग्रामीणों पर क्या असर हो सकता है। उनकी पच्चीस एकड़ जमीन भारत-पाक सरहद पर भारत सरकार द्वारा लगाई कंटीली तार फैंस के उस तरफ, पाकिस्तान की सीमा से बिल्कुल सटी हुई है। वे कहते हैं, ``दुनिया जंग के चौराहे पर खड़ी दिखाई दे रही है। आतंकवाद का दंश भारत के साथ साथ अमेरिका को भी पूरी शिद्दत से महसूस हो रहा है तो कुछ न कुछ जरूर होगा। हम सीमा पर बैठे हैं पर हमें कोई खतरा दिखाई नहीं देता क्योंकि हमें अपने देश की सेनाओं पर पूरा भरोसा है। मौजूदा हालात में भारत को अतंकवाद का कांटा पूरी तरह से निकाल देना चाहिए। रही हमारी बात तो हमें बस डीजल व खाद की सप्लाई में किल्लत नहीं होनी चाहिए।´

रछपाल सिंह के साथ बैठे जोगिंद्र सिंह टियर्ड पटवारी हमारी बातचीत में दिलचस्पी लेते हैं पर यकायक वो हम पर बरस पड़ते हैं, ``बाउ जी, तोहाड़ी सरकार किद्दां दी है, फौजी मोर्चे पर दुश्मन के दांत खट्ठे कर देता है पर तुसी कुर्सी ते बैठ के ओह सारे इलाके वापस कर देंदे ओ जेहड़े फौजां ने अपनी जान ते खेल के जित्ते हुंदे नें।´´ (आपकी सरकार कैसी है। फौज जो दुश्मन के दात खट्ठे करके, अपनी जान को जोखिम में डालकर जंग में जिन इलाकों पर जीत दर्ज करती है आपकी सरकार उन्हें बातचीत के दौरान आराम से वापिस कर देती है।) असल में पटवारी साहिब ने मुझे सरकारी अधिकारी समझ लिया था। रछपाल उन्हें समझाते हैं कि ये तो पत्रकार हैं जो इन हालात में हम लोगों की सुध लेने आए हैं। तब यकायक जोगिंद्र सिंह खामोश हो जाते हैं। उन्हें इस बात पर खुशी है कि पत्रकारों ने इतनी दूरदराज बैठे उन लोगों की कोई खबरा-सार ली है। जोगिंद्र सिंह जब तेरह साल के थे तब बटवारे के कारण वे लाहौर से भारत आए थे। उन्होंने 1965 व 1971 की भारत पाक जंग को देखा व सहसूस किया है। वे अपने अनुभव के आधार पर कहते हैं,``देश के सैनिकों की बहादुरी व देशभक्ति पर हमें कोई शक नहीं परन्तु नेता नपुंसक हैं। मेरा यह बयान अखबार में जरूर छापना कि यदि पाकिस्तान हमला करता है तो हम झेल लेंगे पर जो इलाका हमारी फौज जीत ले उसे वापिस नहीं किया जाना चाहिए।´´ इन्हीं के साथ बैठे फत्तूवाला गांव के राजेन्द्र सिंह नंबदार का अनुभव यह था कि 1971 की जंग में उनके गांव में पाकिस्तानियों ने हवाई हमले करके कुछ बम गिराए थे पर वो खेतों में ही गिरे थे जिसके चलते जान-माल की हानी नहीं हुई थी। वे कहते हैं कि उस जंग में भारतीय सेनाओं को गांव के लोगों ने दूध-चाय व दाल-फुल्के की कमी नहीं आने दी। गांव के उत्साही नौजवान तो फौज को चाय पिलाने के लिए मोर्चों तक चले जाते थे व फौजियों से कहते थे कि आप खा-पी लें, तब तक गोली हम चलाते हैं।

हालांकि बार्डर पर बसे सभी ग्रामीणों से बातचीत हो पाना संभव नहीं था पर उनके खेतों की स्थिति देख कर उनकी मनोभावनाओं का अंदाजा लगाना कोई मुश्किल नहीं था। इससे यह अंदाजा लगाना कठिन नहीं कि सीमा पर बसे लोगों को पाकिस्तानी हमले का या तो खतरा नहीं या फिर सहम जैसी कोई बात नहीं। गांव के बाहर व अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब चार सौ गज की दूरी पर बने बड़े से अहाते में रखीं आधुनिक कुर्सियों पर बैठ कर अखबार पढ़ते हुए सरकार बगीचा सिंह से बातचीत का दौर भी काफी उत्साह वर्धक रहा। वे इस अत्यंत पिछते इलाके के निवासी होने के बावजूद काफी अप-डेट दिखे। बातचीत का सिलसिला शुरू होते ही बड़ी जीवट मुस्कान के साथ उन्होंने विश्वास जताया कि पाकिस्तान भारत पर हमला नहीं करेगा। थोड़ा कुरेदने पर उनकी मुद्रा थोड़ी दार्शनिक हो गई। उन्होंने कहा,``जंग का नाम ही महापाप जैसा है, पर दुनिया के हालात देखते हुए ऐसा लगता है कि नाम लेने या न लेने से कोई फर्क नहीं पड़ता। हां यह दुआ है कि जंग न लगे। पर इसका यह मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि हमें कोई खौफ है। मेरी तो यह मान्यता है कि पाकिस्तान हम पर हमले जैसी मूर्खता नहीं करेगा क्योंकि उसके पास है ही क्या? वर्ष 95 में जब मैं पाकिस्तान गया था तब बड़ा विचित्र अनुभव हुआ। जब मैने वहां के लोगों से बातचीत के दौरान बताया कि हमारे यहां एक खेत से इतना गेहूं व इतना चावल पैदा होता है तो उन लोगों का हैरानी से मुंह फटा रह गया था व उनकी टिप्पणी थी कि सरदारजी झूठ बोल रहे हैं। जब मैंने अपने पंजाब की भूमि पर खेती करने में सहायक यंत्रों (टयूबवैल,टैक्टर इत्यादि) की अनुमानित गिनती बताई तो वे हैरान रह गए कि खेती के क्षेत्र में भारतीय पंजाब ने इतनी तरक्की कैसे कर ली,।´´ बगीचा सिंह ताजा प्रकरण के चलते दुनिया भर में मंडरा रहे तनाव के बादलों पर भी काफी ठोस राय रखते हैं। उनका मानना है कि जुल्म करने वाले को सजा न देना भी जुल्म करने वाले की मदद करने जैसा है। मुठ्ठी भर लोगों को धर्म के नाम पर दुनिया को मुसीबत में डालने का कोई हक नहीं है।

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उस गांव से हमारा अगला पड़ाव भारत सीमा से महज सवा किलोमीटर की दूरी पर बसे गांव डि्डा के बाहर स्थित खेत रहे। मात्र 22-23 वर्षीय वो चुलबुली सी डा. रवि हमें पूरे उत्साह के साथ अपने तीन में से एक एकड़ भूमि के खेत में उगी जड़ी बूटियों की किस्में बताने में मशगूल है। वो धारा-प्रवाह बोलती हुई हमें समझा रही है कि इन वनस्पतियों में कौन-कौन सी बीमारियों को भगाने की क्षमता है। डा. रवि अपने पिता डा. गुरबचन के साथ जलालाबाद में रहती है जो भारत पाक सीमा से करीब पन्द्रह किलोमीटर की दूरी पर है परन्तु उसका मन सीमा पर बसे अपने वनस्पतियों से ओत-प्रोत उस खेत में ही रमता है। मैने उससे पूछा कि हम इस वक्त सरहद के इतने नजदीक खड़े है पाकिस्तान की तरफ से चली बंदूक की गोली हमारे पास आकर गिर सकती है। वनस्पति पर चर्चा बंद करके क्यों ने बार्डर की टैंशन पर चर्चा करें? इस पर उसका जवाब सुन कर मैं हैरान रह गया। उसका कहना था। हम बार्डर के रहने वाले लोग जंग से नहीं डरते। चाहे कोई समझे या न समझे पर हम भी इस देश के बिना वेतन वाले फौजी हैं। विश्वास करें, पिछले हफ्ते से टैंशन बढ़ी है, तब से मैंने यहां के दुगने चक्कर लगाने शुरू कर दिए हैं। एक अकेली लड़की को बेखौफ अपनी स्कूटी पर बार्डर की तरफ आता जाता देख कर यहां के निवासियों का मनोबल बढ़ता है। हमें अपनी सेनाओं की वीरता पर पूरा भरोसा है, पाकिस्तान आमने सामने की जंग में हमारे सामने एक दिन भी टिक नहीं पाएगा। कायर केवल पीठ पर वार करके भागता ही जानते होते हैं।

इसी प्रकार फाजिल्का सैक्टर में एक गांव है दिलावर भैणी। उस गांव की स्थिति ऐसी है जैसे किसी ने एक चौरस डिब्बा उठा कर बार्डर की सीधी लाईन के उस पार रख कर केवल आगे वाला हिस्सा भारत की तरफ रखा हो। इस गांव के तीनों तरफ पाकिस्तान है, फैंसिंग से घिरे हुए इस गांव का जो प्रवेश द्ववार है वहां सतलुज नदी बहती है जिस पर टैंपरेरी पुल सा बना हुआ है। प्रवेश द्ववार पर बीएसएफ की पोस्ट है। इस समय उस गांव में बाहरी व्यक्ति के जाने पर पाबंदी है। आखिरकार तीन तरफ से पाकिस्तान से घिरे उस गांव के लोग बार्डर पर फौजों का जमावड़ा देख कर कैसा महसूस करते हैं। हमने इस बार दिलावर भैणी के बाहर टैप लगाया ताकि आने जाने वाले लोगों के विचार व उसके हावभाव से उनकी मानसिक स्थिति का अंदाजा लगा सकें। ज्यादातर लोग तो अपनी रोजाना की समस्याओं जैसी बातों में मश्गूल दिखे। दिलावर भैणी के निवासी चंदा सिंह ने बताया कि गांव में लोग पूरी तरह से चढ़दी कला में है। पाकिस्तानी फौज के बंकर तो हमारे गांव से 

खदानों से रेत निकालने पर रोक

Jagran, 23rd May 2010
फिरोजपुर-पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए राज्य भर के रेत खदानों से रेत निकालने पर रोक लगा दी है। इस संबंध में कोर्ट ने सरकार को राज्य भर की रेत खदान की पूरी रिपोर्ट अदालत में पेश करने के निर्देश भी दिए है।

मिली जानकारी के मुताबिक हाईकोर्ट द्वारा सरकार से हर जिले की रिपोर्ट मांगी गई है की किस जिले में कितने खदान है, वहीं दूसरी ओर कोर्ट द्वारा जारी किए निर्देशों की पालना करते हुए जिला फिरोजपुर उद्योग केंद्र के जरनल मैनेजर ने भी सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। जिले में अदालत द्वारा रोक लगाए जाने की पुष्टि जिला उद्योग केंद्र के जीएम रुप लाल बग्गा द्वारा की गई है। इस संबंध में बग्गा का कहना है की हाईकोर्ट के आदेशों की पालना करते हुए उन्होंने विभाग के कर्मचारियों को जिले की खदान पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दे दिए है। इसके तहत जिला पुलिस की सहायता से रेत से लदी कई ट्रैक्टर को काबू किया गया है।

बग्गा ने बताया कि कोई भी ठेकेदार कोर्ट की इजाजत के बिना खदान से रेत नहीं ले सकता। कोर्ट के निर्देश पर जिले में कितनी खादान है इसकी एक रिपोर्ट तैयार की जा रही है जिसे अगले सप्ताह पंजाब एव हरियाणा हाईकोर्ट में पेश करने से पहले विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपा जाएगा। फिलहाल रेत खदान से रेत निकालने का काम बंद कर दिया गया है।

सरकारी आईटीआई की सूरत संवरेगी


May 23, 10:21 pm

फाजिल्का-इलाके के युवाओं के लिए तकनीकी क्षेत्र में रोजगार का एकमात्र सुलभ साधन सरकारी आईटीआई की दशा सुधरने वाली है। व‌र्ल्ड बैंक के सहयोग से सरकारी आईटीआई का अपग्रेडेशन कार्य किया जा रहा है। इसके तहत नए एडमिनिस्ट्रेशन ब्लाक का निर्माण पूरा हो गया है। वही वर्कशाप की मरम्मत का काम जारी है।

गौर हो कि व‌र्ल्ड बैंक से मिले कर्ज से देश भर की चार सौ आईटीआईज में अपग्रेडेशन का काम किया जाना था। इनमें से करीब 35 आईटीआई पंजाब की भी थीं। इसके तहत ही चयनित फाजिल्का की जर्जर हो चुकी सरकारी आईटीआई की रेनोवेशन के लिए 70 लाख और नई मशीनरी के लिए 30 लाख का बजट मागा गया था। रेनोवेशन का काम भी शुरू हो गया। क्लासेस के लिए नए कमरों के निर्माण, वर्कशाप की मरम्मत, फर्शो का निर्माण जारी है। आईटीआई के प्रिंसिपल हरदीप शर्मा के अनुसार शेष फंड के लिए उन्होंने टेक्निकल एजुकेशन एंड इडस्ट्रियल ट्रेनिंग मंत्रालय को पत्र लिखा है। रेनोवेशन के काम के बाद आईटीआई में स्किल डेवलपमेंट इनीशिएटिव (एसडीआई) प्रोग्राम के तहत मोबाइल, इन्वर्टर, यूपीएस, रेफ्रिजरेशन, वेल्डर, आटो मोबाइल व इलेक्ट्रीशियन के शार्ट टर्म कोर्स शुरू किए जाएंगे। ये 80 से 120 घटे के होंगे।

आईटीआई के इस्ट्रक्टर सुरजीत सिंह ने बताया कि इटर्नल रिसोर्स जेनरेशन प्रोग्राम के तहत बैकपुल मशीनें आपरेट करने के कोर्स भी शुरू करने की योजना है। इसके तहत जेसीबी मशीन की तरह मिट्टी खोदने,ढुलाई मशीनों को आपरेट करने की सुविधा आईटीआई में मिलेगी।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/punjab/4_2_6435364.html

राज्यसभा के सहसचिव सुरिंद्र वाट्स फाजिल्का रत्न से सम्मानित

Bhaskar News, Laxman Dost 24th May 2010
क्षेत्र के इतिहास को संजोने और समाजसेवा में अग्रिम संस्था ग्रजूएट्स वेलफेयर (गवफ) एसोसिऐशन ने फाजिल्का क्षेत्र के राज्यसभा के सहसचिव सुरिंद्र वाट्स को फाजिल्कारत्न से सम्मानित किया। डा. भूपिन्द्र सिंह ने बताया कि वाटस का जन्म फाजिल्का में हुआ और उन्होंने सरकारी मुंशी राम कालेज से शिक्षा प्राप्त की। राज्यसभा में 1980 में शुरुआत करने वाले वाट्स ने क्षेत्र का नाम ऊंचाइयों तक पहुंचाया। वह 2009 सहसचिव के पद पर पदोन्नत हुए। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में कश्मीर में हो रही घुसपैठ की रिपोर्ट को भी उनके सामने रखा था। 

इसके अलावा वाटस ने फाजिल्का—अबोहर रेलवे लाइन, टीवी टावर, आईटीआई और सरकारी कालेज में की समस्याओं को दूर करने में अपना अहम सहयोग दिया। दो साल पहले वह गवफ के आह्वान पर राज्यसभा की चमड़ा उद्योग को उत्साहित करने वाली पांच सदस्य सांसद कमेटी को फाजिल्का लेकर आए। इसमें उन्होंने फाजिल्का में लैदर रिसर्च केंद्र व आईटीआई में चमड़ा उद्योग से संबंधित कोर्स शुरू करने की सिफारिश केन्द्र सरकार को भेजी है। इस कमेटी का नेतृत्व पूर्व कपड़ा मंंत्री व सांसद कांशी राम राणा ने किया था। इस कारण आज फाजिल्का क्षेत्र तरक्की की राह पर है। 

इस छोटे शहर में फाजिल्का से दिल्ली के लिए रेल चलाने में भी उनका अहम योगदान रहा है। समाजसेवक सुरिंद्र आहुजा ने बताया कि किसी भी राजनेता ने आज तक फाजिल्का के विकास में कुछ खास योगदान नहीं दिया, जबकि क्षेत्र के लोगों ने शहर के बाहर रहते हुए भी पूर्ण सहयोग दिया है। सुरिंद्र वाटस ने दिल्ली में रहकर भी फाजिल्का को प्यार दिया और इसे तरक्की की राह पर पहुंचाया। इस मौके पर वाटस ने बताया कि वे गवफ के आभारी हैं, जिसने उन्हें स्नेह दिया है। उनका कहना है कि संस्था ने फाजिल्का ईको कैब, कार फ्री जोन, सांझा चूल्हा आदि प्रोजैक्टों से फाजिल्का का नाम रोशन किया है। इस तरह से अन्य संस्थाएं भी कार्य करें तो क्षेत्र ओर भी तरक्की कर सकता है। 

इस मौके पर संस्था के अध्यक्ष उमेश कुक्कड़, सचिव इंजीनियर नवदीप असीजा, फाजिल्का नालेज सिटी कंपेन के प्रमुख डा. रजनीश कामरा, एडवोकेट जयपाल सिंह संधू, डा. अजय धवन, लैक्चरर व प्रसिद्ध लेखक अश्वनी आहूजा, क्रिकेट के क्षेत्र में फाजिल्का को नई पहचान दिलाने वाले पंकज धमीजा, रवि खुराना आदि मौजूद थे

Thursday, May 20, 2010

गरीबों को प्लाट देने के नाम पर राजनीति- Jagran

20th May 2010
फाजिल्का-नगर परिषद द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर बनाए मकान ढहाने के बाद बेघर हुए गरीबों को सरकारी रेट पर प्लाट दिलाने को लेकर राजनीति का बाजार पूरी तरह गर्म हो चुका है। हर छोटा-बड़ा नेता खासकर विपक्षी दल के नेता बेघर हुए लोगों की सहानुभूति बटोरने के लिए न केवल उनसे मुलाकात कर रहे है, बल्कि उन्हे नगर परिषद द्वारा किए वादे के अनुसार डीसी रेट पर प्लाट दिलाने के सब्जबाग भी दिखा रहे है लेकिन सच्चाई यह है कि गरीब परिवारों को डीसी रेट पर प्लाट मिलने का वादा पूरा होना अभी दूर की कौड़ी है।
उल्लेखनीय है कि नगर परिषद द्वारा 10 व 11 मई को चलाए गए एक जबरदस्त आपरेशन में सैकड़ों महिला व पुरुष पुलिसकर्मियों का सहयोग लेकर शहर के बाहरी इलाकों में स्थित अपनी मालिकी वाली भूमि पर हुए सैकड़ों कब्जे जिनमें कच्चे व पक्के मकान शामिल थे, उन्हें ढहा दिए थे। उसके बाद तो उनसे सहानुभूति दिखाने वालों की बाढ़ सी आ गई है। हर छोटा-बड़ा नेता बेघर हुए लोगों के मलबे पर सामान रखकर खुले आसमान के नीचे जीवन बसर कर रहे परिवारों से मिलने गाहे-बगाहे पहुच रहा है। इतना ही नहीं, हमदर्दी जताने की आड़ में कई लोग बेघर महिलाओं की मजबूरी का फायदा उठाने से भी बाज नहीं आ रहे। 15 मई को एक महाशय रात 11 बजे उजाड़ी गई बस्ती की महिलाओं को अपने साथ ले जाकर भोजन देने का प्रस्ताव लेकर पहुच गए थे, लेकिन अकेली महिलाओं को साथ लेकर जाने की फरमाइश पर गुस्साए बस्ती वालों ने उस महाशय को पुलिस के हवाले कर दिया था। सवाल यह है कि हर नेता उजाड़े गए लोगों के साथ हमदर्दी तो जताने के साथ उन्हे नगर परिषद से प्लाट दिलाने के दावे भी कर रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि गरीब परिवारों को डीसी रेट पर प्लाट देने का प्रस्ताव पहले ही नगर परिषद पारित कर चुकी है। यह अलग बात है कि सरकार से उसकी मंजूरी मिलना तो दूर, बल्कि स्थानीय निकाय विभाग के ही चीफ टाउन प्लानर ने उस प्रस्ताव को अभी पास नहीं किया है। ऐसे में देखना यह है कि गरीब परिवारों को उजाड़ने वाली नगर परिषद अपने पहले किए गए गरीबों को आबाद करने का वादा निभा पाती है या नहीं और गरीब परिवारों को प्लाट दिलाने के वादे करने वाले विपक्षी दलों के नेता एक जिम्मेवार विपक्ष का फर्ज निभाते हुए परिषद द्वारा पारित डीसी रेट पर प्लाट दिलाने का वादा सत्तापक्ष को निभाने पर मजबूर कर पाते है या नहीं।

फिर से ट्रैफिक अव्यवस्था का कारण बने बैंक-Jagran

फाजिल्का-शहर में ट्रैफिक अव्यवस्था का सबब बनी बैंकों के बाहर अवैध पार्किग की समस्या नगर कौंसिल की सख्ती व बैंकों के लाख प्रयासों के बावजूद हल नहीं हो पाई है। नगर कौंसिल की सख्ती थोड़ी कम होते ही फिर से बैंकों के बाहर लगने वाली वाहनों की फिर से लगने वाली कतारें शहर के विभिन्न स्थानों पर स्थित बैंकों के बाहर राहगीरों के लिए परेशानी का सबब बन गई है।

उल्लेखनीय है कि नगर कौंसिल के बिल्डिग बायलाज के अनुसार शहरी क्षेत्र में खुलने वाले हर बैंक को अपने स्तर पर पार्किग व्यवस्था करनी होती है, लेकिन फाजिल्का में बने सभी नए- पुराने बैंक बिल्डिग बायलाज को ताक पर रख सरकारी सड़क को ही पार्किग की तरह इस्तेमाल कर रहे है। मगर शहर में वाहनों की संख्या बढ़ने के साथ ही नियमों की अनदेखी ट्रैफिक व्यवस्था पर भारी पड़ने लगी है। बैंक आने वाले ग्राहकों की बढ़ी संख्या के कारण उनके सड़क पर खड़े किए जाने वाले वाहनों से सड़क से गुजरने वाले राहगीर परेशान होते है। इस समस्या को हल करने के लिए नगर कौंसिल ने सभी बैंकों को नोटिस जारी कर अपने यहा आने वाले ग्राहकों के वाहन सड़क पर खड़े न होने देने की जिम्मेवारी सौंपी थी। इस पर बैंकों ने कुछ दिन तो अपने सुरक्षा गार्डो के जरिये लोगों को वाहन सड़क पर खड़े करने की बजाए आसपास खाली जगह पर खड़े करने के संदेश देने शुरू किए थे। तब इतनी सख्ती की गई थी कि नगर कौंसिल हर दूसरे-तीसरे दिन अभियान चलाकर बैंकों के बाहर सड़क पर खड़े आवागमन में बाधा बनने वाले वाहनों को जब्त करना शुरू कर दिया था। तब लोगों ने कुछ दिन तो अपने वाहन सड़क पर जगह छोड़ खड़े करने शुरू कर दिए थे, लेकिन अब नगर कौंसिल की इस ओर अनदेखी का फायदा उठाते हुए लोग फिर से निर्भीक होकर बैंकों के बाहर सड़कों पर वाहन खड़े करने लगे है जो यातायात अव्यवस्था का कारण बन रहे है। इस बारे में नगर कौंसिल अध्यक्ष अनिल सेठी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जल्द ही फिर से सड़क पर खड़े वाहन जब्त करने का अभियान शुरू किया जाएगा ताकि यातायात व्यवस्था सुचारु हो सके।

Farmers get lesson in conservation agriculture


Rajni Shaleen Chopra, 20th May 2010

To break the tradition of burning wheat straw after every harvest season, which has proved harmful for soil nutrients, an initiative has been taken to teach farmers about straw management and conservation agriculture.

Fifty farmers of 14 blocks from rural Punjab have been a part of a classroom-cum-field training project programme, an initiative launched by the National Bank for Agriculture and Rural Development (NABARD) in collaboration with the Fazilka-based Jwalabai Nathu Ram Ahuja Trust, and Zamindara Farm Solutions.

Conservation agriculture, based on integrated practices such as zero tillage, crop rotations and permanent soil cover, is gaining ground internationally.
Under the programme, the farmers are being trained in ways through which straw burning can be avoided. In the first phase of the project, in March, groups of 30-35 farmers were given lessons on the ill-effects of burning straw and its devastating effect on the soil. The trust has now shortlisted 50 champion farmers, in whose fields demonstrations will be carried out on straw management.

Trustee Vikram Ahuja told The Indian Express the major issue in the state was paddy straw management. "The state produces approximately 175 million quintals of paddy straw, of which 90 per cent is burnt. The three options for usage of paddy straw are its use as raw material in power plants, sending it to other states as fodder, or conservation agriculture. This is a new concept, in which hi-tech farming equipment like the 'happy seeder' is used to sow wheat in standing paddy straw," he said.

The blocks where the project has been initiated are Muktsar, Malout, Lambi, Gidderbaha, Mamdot, Ferozepur, Zira, Gursarsahai, Jalalabad, Fazilka, Abohar, Khuian Sarwar, Makhu and Ghalkhurd.

Jagdeep Singh, a Sangrur-based farmer who has gone in for conservation agriculture, vouches for its "major benefits".
"Setting the field afire to burn straw kills the natural organisms in the soil that help plant growth and also leaves the land parched. Sowing wheat in standing paddy straw, hence, saves on multiple-irrigation, improves soil quality and increases the yield. Besides, farmers can save at least Rs 1,200 to Rs 1,400 per acre," he said.
An effort is also being made to educate farmers on not taking loans to buy farming equipment, but rent it.

Officials at NABARD's regional office in Chandigarh said the fields of these farmers where conservation agriculture is practised would act as demonstration units for other farmers in the area

http://www.indianexpress.com/news/farmers-get-lesson-in-conservation-agriculture/621191/2

Monday, May 17, 2010

बादल से मांगेंगे हक-District Status Issue of Fazilka

फाजिल्का को जिला बनाने का मुद्दा काफी पुराना है। कई बार धरना प्रदर्शन हुए, हर बार भाजपा का मुख्य चुनावी मुद्दा रहा। पंजाब में अकाली-भाजपा सरकार के दौरान भाजपा आलाकमान ने इसका समर्थन भी किया। इस पर लगातार चर्चा के अलावा अब तक कोई प्रगति नहीं हो पाई है। जिला बनने से फाजिल्का, अबोहर, बलूआणा और जलालाबाद के लोगों को लंबी दूरी तह करने से राहत मिलेगी, लेकिन सरकार ने हमेशा फाजिल्का क्षेत्र की अनदेखी की है, मगर इस बार ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। सांझा मोर्चा अब नई रणनीती से संघर्ष करेगा। यह बात रविवार मोर्चा के अध्यक्ष एडवोकेट सुशील गुंबर ने कही। उन्होंने मोर्चा के अन्य पदाधिकारियों के साथ फिरोजपुर जिला के सांसद शेर सिंह घुबाया से भेंटकर सरकार की ओर से हर बार क्षेत्र से अनदेखी से भी अवगत कराया और जिला बनवाने में उनका सहयोग की अपील की। इसके अलावा उन्होंने राज्य मंत्री आबकारी व कर विभाग डीपी चंदन से भी सहयोग मांगा। 

बादल से होगी भेंट: यहां परशुराम जयंती में बतौर मुख्यातिथि शामिल होने आए सांसद शेर सिंह घुबाया से सांझा मोर्चा के अध्यक्ष सुशील गुंबर के नेतृत्व में भेंट की गई। इस पर सांसद ने कहा कि वह हमेशा फाजिल्का को जिला बनाने के पक्ष में रहे हैं। इस बारे में वह 19 मई को गांव थेहकलंदर में होने वाले संगत दर्शन कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री सुखबीर से सांझा मोर्चा के साथ मिलकर मांग रखेंगे। इसके अलावा मुख्यमंत्री से भी अपील की जाएगी।

मुख्यमंत्री बादल ने घोषणा की थी कि फाजिल्का में एडीसी और एसपी तैनात किए जाएंगे। यहां उनकी तैनाती भी की गई, लेकिन करीब दो माह बाद ही उनके कार्यालय बंद कर दिए गए। इस कारण क्षेत्र के लोगों का अकाली भाजपा से विश्वास उठता जा रहा है। गुंबर ने कहा कि सरकार ने अबोहर में एसपी तैनात करके फाजिल्का क्षेत्र से मजाक किया है। सबसे पहला हक फाजिल्का का था।

बरसों पुरानी मांग: फाजिल्का को जिला बनाने के मांग बरसों से चल रही है। पंजाब सरकार ने जब भी राज्य में नया जिला बनाने के घोषणा की, तब फाजिल्का को जिला बनाने की मांग उठी। सबसे पहले आंदोलन की शुरुआत 1992 में की गई। यह आंदोलन 45 दिन तक चला। इसके बाद 01 जुलाई 2004 को तहसील परिसर में जिला बनाओ संघर्ष समिति के बैनर तले शहर की समाजसेवी संस्थाओं ने धरना दिया, जो 31 दिसंबर 2004 तक चला। फिर एक जुलाई 2006 को शहीदों की समाधि आसफवाला से आंदोलन की शुरुआत की गई। इसके तहत 35 हजार लोगों के हस्ताक्षर करवाकर तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को भेजे गए। इसके बावजूद क्षेत्र के इस मांग को अनदेखा किया गया। इस मौके पर नगर सुधार ट्रस्ट के चेयरमैन महिन्द्र पंताप धींगड़ा, व्यापार मंडल के अध्यक्ष अशोक गुलबद्धर, परमजीत सिंह पम्मा वैरड़ भी थे।

Thursday, May 13, 2010

Encroachment by Politicians – High Court Issues Notice


Chandigarh: Sanjay Pahwa:- A Division Bench of the HC comprising CJ Mukul Moudgil and Justice Jasbir Singh today issued notices for August 17th to E.O, Municipal Council, Fazilka, DC Ferozepur, Surjit Jyani, MLA Fazilka constituency and one Kewal Krishan, who has taken illegal possession of site of rickshaw stand in Cycle Bazar Fazilka.

Navdeep Asija, Secretary (Administration) of Graduates Welfare Association, Fazilka, stated in the writ petition (CWP No: 8530- 2010) that the association had launched a unique scheme for welfare of rickshaw pullers and ordinary citizens from April 4th. Under the aforesaid scheme, the Fazilka city has been divided into five zones, and in each zone, a cycle Rickshaw stand has been provided to the Rickshaw pullers; they have also been provided a landline telephone, with the result that the people of Fazilka are in a position to arrange for a Cycle Rickshaw even at odd hours, without personally going to Rickshaw Stand for hiring Rickshaw. Another peculiar feature of this scheme is that the design of Cycle Rickshaw has been changed; its weight has been reduced by about 35 kilograms, with the result that the Rickshaw pullers can easily ply Rickshaws by using less physical force.

It is pertinent to state that on April 28th, the Chief Justice's Bench, after reading about this unique scheme for rickshaw pullers launched at Fazilka, had appreciated it and taken suo motu notice of the news reports and issued notice to State of Punjab on this scheme. The petitioner, however, alleged in his PIL that Surjit Jayani, local MLA did not like the new scheme; and at his instance, one Kewal Krishan took illegal possession of the site for parking of rickshaws and converted it into a shop for cooking and selling pakoras; and despite repeated notices by the Municipal Council, the encroacher, who is backed by local MLA, has refused to vacant his illegal possession. The petitioner, therefore, prayed for issuance of directions to the EO, MC Fazilka and DC Ferozepur to get the illegal possession of rickshaw parking shed vacated immediately.
Background:

Two year back, Graduates Welfare Association started "Dial a Rickshaw" concept in Fazilka through which rickshaws were made available to the citizen of urban Fazilka through Phone call. The concept was well liked and being considered as one the best social and environment reformer. At present rickshaw operation in Fazilka is giving instant employment to more than 500 traction men i.e. rickshaw families. Through this the association not only improved accessibility but also improved the rickshaw facility as well. Later in the same year, after the success of Dial a Rickshaw Ecocab, Fazilka city become India's first car free city. These two achievements put the city in the top league of other cities of developed nation. GWAF become example for many other cities and now more than 300 graduates from directly or indirectly linked with Fazilka are the part of it.

But this success was not being digested by few. To shutdown the popularity of Ecocab, instead of improving it municipal council took the 30 year old rickshaw stand place to construct ultra modern toilet block and promise was made that place to park three rickshaw near toilet block (minimum 5 feet) shall be kept for rickshaw operations. Before the inauguration, the remaining space, which falling at prime location of the city has been allocated without following any legal proceedings to one of their blue eyed person, who now sells PAKORA near toilet. Municipal council is there to take care of health of the residents but here openly PAKORA being sold along with toilet but, no worried. They are the part of ruling government and have the support of the local elected politicians.

This forced the association to move the High Court, which issued a notice of motion on the PIL.

http://www.theindiapost.com/2010/05/13/encroachment-by-politicians-–-high-court-issues-notice/

Probe confirms work began without floating tenders-Fazilka MC

Fazilka Municipal Council authorities in the dock
Chander Parkash
Tribune News Service

Fazilka, May 12
The local municipal council (MC) authorities, who have courted a number of controversies in the past, are heading for another embarrassing situation as allegations levelled against it that execution of certain development works was started without floating tenders for the same, have been found true in the inquiry conducted by the deputy director, local bodies, Jaskiran Singh.

In the inquiry, it was found that execution of three development works had been done by a section of contractors, despite the fact that no tenders were floated for the same, in partial manner. In one of the development works, about 32 per cent work was completed, in another development work, about 25 per cent of work was completed while in the third development work, about one per cent work had been completed so far, said Singh.

"C. Roul, principal secretary, local bodies, Punjab has asked me on the phone to conduct an inquiry on the basis of a news item, which appeared in a section of press. I got the inquiry conducted by sending two-member team to make on the spot examination to verify the allegations, which were levelled in the news item," he pointed out.

He added that he had sent the inquiry report to C. Roul as action on his inquiry report could be taken at his (Roul) level.

Interestingly, the MC authorities opened tenders of bids made by different civil works contractors to execute the development works, on May 7 even when inquiry by Singh was going on into the allegations that a section of development works, for which the tenders were opened on May 7, had already been executed by certain favourite contractors. Even Mahesh Gupta, a senior activist of the ruling BJP, also lodged a formal complaint levelling serious allegations against the MC authorities for getting some development work done from their favourite contractors, without floating tenders for the same for competitive bidding.

Satinder Singh Savi, municipal councillor and former vice-president of the MC, said that as inquiry conducted by the deputy director regarding various bunglings in the execution of development works had established the fault of the MC authorities, tenders opened on May 7 must be cancelled and legal proceedings must be launched against the guilty officials.

Anil Sethi, president, MC, said that so far he had not received inquiry report from the deputy director. He added that action would be taken against the guilty as per the contents of the inquiry report under the relevant provision of law.

http://www.tribuneindia.com/2010/20100513/bathinda.htm#6

Encroachment: HC issues notice to Fazilka MLA


Express News Service, 13th May 2010

Taking cognizance of a public interest litigation, the Punjab and Haryana High Court on Tuesday issued notices to Fazilka MLA Surjit Jyani; executive officer, Municipal Council, Fazilka, DC Ferozepurand one Kewal Krishan, who has allegedly taken illegal possession of a rickshaw stand in Cycle Bazar in the city.

The PIL, filed by Navdeep Asija, Secretary (Administration) of Graduates Welfare Association stated, the association had launched a scheme for welfare of rickshaw pullers and citizens from April 4. Under the scheme, the city was divided into five zones and in each zone, a cycle rickshaw stand was provided to the rickshaw pullers.

They have also been provided with a landline, which allows locals to call for a rickshaw at any time.
Another feature of this scheme was the design of rickshaws — it was reduced by 35 kg.

The petitioner alleged Jayani did not like the new scheme and at his instance, Krishan took illegal possession of the parking space and converted it into a shop. Despite repeated notices by the MC, the encroacher, who is backed the MLA, refused to vacate.

http://www.indianexpress.com/news/Encroachment--HC-issues-notice-to-Fazilka-MLA/618044

Wednesday, May 12, 2010

सरकार, विधायक व नगर कौंसिल को नोटिस


चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार, डीसी , फाजिल्का नगर कौंसिल एवं विधायक सुरजीत ज्याणी को 17 अगस्त के लिए नोटिस जारी किया है।

हाईकोर्ट ने यह आदेश फाजिल्का के निवासी नवदीप असीजा की याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया।

नवदीप ने अपनी याचिका में कहा है कि उनके संगठन ने फाजिल्का में साइकिल रिक्शा चलाने वाले लोगों के लिए एक अनूठी स्कीम शुरू की है। इसके तहत पूरे फाजिल्का को पांच जोनों में बांटा गया है। हर जोन में रिक्शा खड़ा करने के लिए एक स्टैड़ उपलब्ध करवाया गया, जिसमें एक फोन भी मुहैया कराया गया। अगर किसी व्यक्ति को रिक्शा की जरूरत हो तो वह टेलीफोन कर रिक्शा मंगा सकता है। उसे रिक्शा स्टैंड पर आने की जरूरत नहीं पड़ती। इतना ही नहीं, उनके संगठन ने रिक्शा का वजन भी कम किया है।

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि स्थानीय विधायक सुरजीत ज्याणी इस स्कीम को पंसद नहीं करते और उनके एक आदमी केवल कृष्ण ने रिक्शा स्टैंडो पर कब्जा कर किराये पर उठा दिया। संगठन ने इसकी नगर कौंसिल के अधिकारियों से की, जिन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। डीसी से भी शिकायत की गई। इसके बावजूद रिक्शा स्टैंडो से अवैध कब्जे नहीं हटे। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से इस मामले में उचित कदम उठाने का आग्रह किया

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/punjab/4_2_6406229.html

HC issues notice to MLA, DC

Fazilka, May 11

A division Bench of Punjab and Haryana High Court comprising Chief Justice Mukul Moudgil and Justice Jasbir Singh today issued notice to the DC, Ferozepur, EO, Municipal Council, Fazilka, local MLA Surjit Kumar Jyani and one Kewal Krishan asking them to present their viewpoint before the court on August 17.

They have been summoned in response to a PIL, regarding an encroachment by Kewal Krishan at a rickshaw stand in the cycle bazaar of Fazilka.

Navdeep Asija, secretary, Graduates Welfare Association, Fazilka, filed the PIL in the court stating that one Kewal Krishan encroached upon some part of the rickshaw stand in the cycle bazaar and constructed a shop there at the behest of local MLA Surjit Kumar Jyani. According to the PIL, the council served repeated notices to Kewal Krishan but he did not vacate the council land.

The petitioner has prayed for issuance of directions to the Executive Officer, Municipal Council and the DC Ferozepur to get the illegal possession of rickshaw parking shed vacated immediately

http://www.tribuneindia.com/2010/20100512/bathinda.htm#3

FAZILKA MLA GETS NOTICE ON ENCROACHMENT

DESPITE NOTICES FROM MC, THE ENCROACHER HAD REFUSED TO CLEAR THE ENCROACHMENT, PETITIONER ALLEGED

A Division Bench comprising Chief Justice Mukul Mudgal and Justice Jasbir Singh has issued notice to the Fazilka MLA for August 17 on a PIL seeking directions against encroachment on a parking lot for rickshaws.

Navdeep Asija, secretary (administration) of the Graduates Welfare Association, Fazilka, in his petition had stat- ed that on April 4, the associ- ation had launched a scheme for the welfare of rickshaw- pullers and ordinary citizens.
Dividing Fazilka town into five zones, in each they had creat- ed a rickshaw stand.

Arguing the case for the peti- tioners, H.C. Arora stated the stand had been provided a land- line phone so people could ask for a rickshaw at odd hours without inconvenience. Even the High Court had taken suo motu notice of news reports regarding this and had appre- ciated the initiative.

However, allegedly at local MLA Surjit Jayani's behest, one Kewal Krishan took ille- gal possession of a parking site and converted it into a shop to sell snacks. Despite notices from the municipal council, the encroacher had refused to clear the encroachment, the petitioner alleged.

Hindustan Times, Chandigarh 12th May 2010

माल-ए-मुफ्त और दिल-ए-बेरहम-Fazilka Water

Dainik Bhaskar, Laxman Dost, 10th May 2010

जब कभी भी नगर कौंसिल किसी का वाटर सप्लाई का अवैध कनेक्शन काटती है तो छुटभैया नेता भारी शोर करते हैं, लेकिन क्या उन्हें पता है कि इन अवैध कनेक्शनों के चलते नगर कौंसिल को प्रति वर्ष कितना चूना लग रहा है। शायद वह अंदाजा भी न लगा सकें। जी हां, नगर कौंसिल क्षेत्र में वर्तमान में वाटर सप्लाई के करीब 12 हजार कनेक्शन अवैध चल रहे हैं, जिससे नगर परिषद को प्रति वर्ष करीब 1.5 करोड़ रुपए का चूना लग रहा है, वहीं दूसरी ओर जो प्रति माह पानी का खर्च देते हैं उन्हें पानी भी नसीब नहीं होता। एकत्रित जानकारी के अनुसार नगर में वाटर सप्लाई के 11000 रेगुलर कनेक्शन है। नगर कौंसिल वाटर सप्लाई के आम कनेक्शन से प्रति माह 105 रुपए वसूल करती है। इस हिसाब से नगर कौंसिल को अवैध कनेक्शन धारक प्रति वर्ष करीब डेढ़ करोड़ रुपए का चूना लगा देते हैं। इसके बाद रही सही कसर कौंलिस के कर्मचारी निकाल देते हैं जो वाटर सप्लाई का बकाया ही लेने नहीं जाते। वर्तमान में नगर कौंसिल ने करीब 8.5 करोड़ रुपए बकाया लेना है।

कुल जितना नहरी पानी दिया जाता है

नहरी पानी परियोजना से दस महीने में दो लाख 87 हजार गैलन पानी दिया जाता है। नहरी पानी परियोजना द्वारा पानी उपलब्ध करवाने की क्षमता 1.50 लाख गैलन प्रति घंटा है। गर्मी के दिनों में 9 हजार किलोलीटर प्रतिदिन और सर्दी के दिनों में आठ हजार किलोलीटर प्रतिदिन पानी उपलब्ध होता है। इसके अलावा 9 बड़े ट्यूबवैल हैं। इनके पानी की क्षमता 20 हजार गैलन प्रतिघंटा है। इसके अलावा 1200 लीटर प्रति मिनट पानी की क्षमता वाले तीन ट्यूबवैल हैं। इतना पानी होने के बावजूद लोगों तक पानी नहीं पहुंच रहा। शहर में इस समय करीब दस हजार परिवार ऐसे हैं, जिनके घर य अन्य संस्थान में पानी के कनैक्शन कागजों में हैं। हैरानी की बात तो यह है कि दो वर्ष पूर्व शहर में मात्र 8054 ही कनैक्शन थे। इन पर भी लाखों रुपए का बकाया है। एक सर्वे के मुताबिक शहर में 60.15 किलोमीटर वाटर सप्लाई की पाइप बिछी हुई है, जिससे करीब 12 हजार परिवार मुफ्त का पानी पी रहे हैं।
कनेक्शन लेना अब हुआ आसान

कभी वाटर सप्लाई का कनेक्शन लेने के लिये आम व्यक्ति के पसीने छूट जाते थे, लेकिन अब इसे सरल किया जा रहा है। नगर कौंसिल अवैध कनेक्शनों को वैध करवाने के लिए प्रयारत है। कौंसिल अध्यश्र अनिल सेठी ने कहा कि नया कनेक्शन लेने की प्रक्रिया बहुत ही सरल कर दी गई है। अब कोई अधिक फार्मेलिटी नहीं, घर का नक्शा, रजिस्ट्री व 250 रुपए कनेक्शन फीस, 100 कंपेशेशन फीस जमा करवा कर आप का कनेक्शन रेगुलर करवा सकते हैं। यह उन जगहों के लिए है, जहां पर रोड कटिंग नहीं लगती। अगर किसी व्यक्ति का घर 1120 वर्ग फुट से कम है तो उसे रजिस्ट्री व नक्शे के साथ एक शपथ पत्र देना होगा। उन्होंने बताया कि पहले एक व्यक्ति का 1500 रुपए खर्च आता था।

पानी, जो जा रहा है बेकार

कौंसिल की ओर से सुबह शाम आठ घंटे पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है। इसके बावजूद कई स्थानों तक लोगों के घरों में पीने का पानी नहीं पहुंच रहा। शहर में करीब 400 टूटियां ऐसी हैं, जो लगातार आठ घंटे ही खुलेआम चलती रहती हैं। उन टूटियों पर पानी बंद करने के लिए प्लग नहीं लगा हुआ। उन टूटियों का पानी इस्तेमाल के बाद बंद नहीं किया जाता। इसके अलावा कई टूटियों में लीकेज है, उनका पानी सीवरेज के दूषित पानी से मिल जाता है।

पर लोगों को इतना ही मिलता है
  • नहरी पानी परियोजना में पानी की क्षमता 2,08700 गैलन 
  • परियोजना से गर्मी में उपलब्ध पानी 9,000 लीटर प्रतिदिन 
  • परियोजना से सर्दी में उपलब्ध पानी 8,000 लीटर प्रतिदिन 
  • शहर में बड़े ट्यूबवेलों की संख्या 09 
  • बड़े ट्यूबावेलों के पानी की क्षमता 20,000 गैलन प्रति घंटा 
  • शहर में छोटे ट्यूबवेलों की संख्या 03 
  • छोटे ट्यूबवेलों के पानी सप्लाई करने की क्षमता 72,000 लीटर प्रति घंटा
कहां जाता है पानी
  • शहर में चल रहे अवैध कनेक्शन 12,000
  • दो वर्ष पूर्व वैध कनेक्शन 8,050
  • इस वर्ष वैध कनेक्शन 10,050
  • प्रति परिवार पानी की क्षमता 100 लीटर प्रतिदिन
  • अवैध कनैक्शनों से नुकसान 2,00000 लीटर
  • बेकार जा रहा पानी 30,000 लीटर
  • रेहडिय़ों पर बेचा जाता है पानी

Saturday, May 8, 2010

Fazilka MC opens tenders despite ongoing probe

Chander Parkash/TNS

Fazilka, May 7
The local municipal council (MC) authorities today opened tenders of bids made by different civil works contractors to execute the development works, here today despite the fact that an inquiry was being conducted into the allegations that a section of development works, for which the tenders were opened today, had already been executed by certain 'favourite' contractors.

A formal complaint was lodged against local MC authorities by one Mahesh Gupta that MC authorities had invited tenders of certain development works on February 11 this year which had already been executed.

The tenders were opened in the presence of senior civil officials.

Jaskiran Singh, deputy director, local bodies, Ferozepur, who has been conducting the inquiry into the case on the orders of principal secretary, local bodies, Punjab, C. Roul, when contacted, said that tenders would be cancelled if it was found that those works, for which the tenders were opened today, had already been executed.

He added that he had sent a two-member team comprising the SDO and JE of Jalalabad MC to make on the spot verification of those points where certain development works were said to have been executed by certain contractor before the tenders for the same works were invited by the MC authorities. He said that the record of MC pertaining to the execution of development works had been taken into custoday.

Anil Sethi, president, MC, said that development of the town could not be halted on the pretext that an inquiry was going on to probe the allegations. He added that action would be taken against those contractors, who were found guilty of indulging in such malpractices.

A section of citizens, SAD (B) leaders and former vice-chairman of MC, Satinder Singh Savi were demanding that the opening of tenders must have been cancelled.

Savi said that how two officials of Jalalabad MC sent for an on the spot verification of those works, which were said to have been executed without inviting tenders, could do justice to their job when they were subordinate to Tilak Raj Verma, Executive Officer (EO), local MC, who was involved in the opening of tenders today and was also holding additional charge of Jalalabad MC.

Meanwhile, Sethi claimed that MC authorities made an achievement today by generating revenue of Rs 61 lakhs from the auction of its 245 acres of land on lease for one year for agricultural purposes. 

नदी पर्यावरण सुधार मे किसी की रुचि नहीं

फिरोजपुर-नदी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए न तो सामाजिक संगठन सामने आ रहे हैं और न ही पर्यावरण विभाग के अधिकारी। इसके कारण सतलुज नदी जिसे पंजाब की जीवनदायिनी भी कहा जाता है लगातार प्रदूषित हो रही है। सतलुज की गंदगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हुसैनीवाला में आकर इसका पानी काफी गंदा हो गया है। इस पानी में लुधियाना की तमाम फैक्ट्रीयों का गंदा पानी जिसमें रसायन भी घुले हैं, खराब कर रहा है। किंतु इस दिशा में न तो फिरोजपुर के सामाजिक संगठन कुछ करने को राजी है और न ही पर्यावरण विभाग के लोग। वहीं फिरोजपुर में पर्यावरण का दफ्तर ही नहीं है। इसका कार्यालय फरीदकोट होने के कारण यहां के अधिकारी बहुत ही कम फिरोजपुर आते हैं। वहीं स्थानीय लोग भी इस दिशा में काम करने से कतराते। सामाजिक संगठन के लोग भी इस दिशा में काम नहीं करना चाहते हैं, क्योंकि इस काम में उतनी शोहरत नहीं मिलती जितनी की वे बूट और कापियां बांट कर आत्मसंतुष्ट होते हैं। इस बारे में शहर के प्रमुख समाजसेवी संगठन के अध्यक्ष डाक्टर निर्मल जोशी से बात करने पर उन्होंने बताया कि उन्होंने शहर को साफ करने की मुहिम छेड़ रखी है, लेकिन इस काम में तमाम कठिनाईयां हैं। वे मानते हैं कि मामला काफी गंभीर है और हुसैनीवाला में तो लोग बैसाखी पर भी गंदे पानी के कारण नहीं नहा पाये, लेकिन किसी ने इसकी सुधि तक नहीं ली। वे कहते हैं कि नदी पर्यावरण को लेकर वे गंभीर हैं, लेकिन कहीं से कोई गाइड लाइन तक नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि इस शहर में कोई आगे नहीं आना चाहता है और वे किसी काम को अधूरा नहीं छोड़ना चाहते। उन्होंने कहा कि इस मामले में वे अपने क्लब के सदस्यों से रविवार को बैठक कर आवश्यक कदम उठायेंगे। वहीं प्रोफेसर सतिंदर ने बताया कि पृथ्वी दिवस में उन्होंने सतलुज का मुद्दा गंभीरता से उठाया था ताकि लोगों में जागरूकता आये। वे कहते हैं कि चंद लोग ही इस दिशा में सोचने का काम करते हैं वर्ना दूसरे लोग तो इस दिशा में सोचते तक नहीं हैं। इस मामले में पर्यावरण विभाग के अधिकारी से संपर्क स्थापित नहीं हो सका है।

Dainik Jagran, 7th May 2010

चैन से जीना है तो पेड़ लगाओ

जिस तरह शहर में विकास की गाड़ी दौड़ रही है, वह सेहत के लिए बहुत खतरनाक है। आज विकास के नाम पर शहरीकरण हो रहा है। पेड़-पौधों की बली ली जा रही है और धड़ाधड़ कालोनियां बसाई जा रही हैं, लेकिन शहर में सफाई के नाम पर कुछ नहीं हो रहा। जगह-जगह अवैध कब्जे हो रहे हैं। गलियां संकरी होने लगी हैं।

क्षेत्रफल कम हुआ, जनसंख्या बढ़ गई

जानकारी अनुसार उन्नीसवीं सदी में फाजिल्का का क्षेत्रफल सिरसा, बीकानेर, बहावलपुर और ममदोट तक करीब 2200 वर्ग किलोमीटर था। एक सदी बाद फाजिल्का का इलाका अरनीवाला, अबोहर, भारत-पाक सरहद की सादकी चौकी और मंडी लाधूका 230 वर्ग किलो मीटर तक सीमित मात्र होकर रह गया है। सदी पूर्व फाजिल्का के साथ 301 गांव थे और आज मात्र 70 गांव ही रह गए हैं। क्षेत्रफल कम हुआ, लेकिन आबादी में इजाफा होता चला गया। पेड़-पौधे कटते गए और निवास स्थान बनते चले गए। हालत यह है कि आज न तो ताजी हवा मिल रही है और न ही सैर करने की जगह मिलती है। 

आबादी में इजाफा होने से जीवन की डगर मुश्किल हो रही है। कई मोहल्लों में लोग तीन दशक पुरानी पाइपों से पानी पी रहे हैं। ट्रैफिक के कारण वाहनों से निकले धुएं से बीमारियां बढ़ रही हैं। जस्सी अस्पताल के संचालक डाक्टर यशपाल जस्सी बताते हैं कि शहरीकरण से लोगों की शारीरिक गतिविधियां सीमित होकर रह गई हैं। इस कारण दिल के रोग, शगर, मोटापा, उच्च रक्तचाप और सास जैसी बीमारियां पैदा हो रही हैं। उन्होंने बताया कि आबादी में इजाफा तो हो रहा है, लेकिन मूलभूत ढांचे का विकास नहीं हो रहा। स्वच्छ वातावरण के लिए पेड़-पौधे चाहिएं। अगर चैन की जिन्दगी जीना है तो हमें अपना रहन-सहन बदलना होगा। लोगों को स्वच्छ पर्यावरण के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।

Friday, May 7, 2010

CFL Scandal in MC Fazilka

Punjab Kesri, 7th May 2010

Thursday, May 6, 2010

Fazilka Municipal Council hogs limelight for wrong reasons

Chander Parkash
Tribune News Service

Fazilka, May 5
The local Municipal Council (MC) has again hogged the limelight for wrong reasons. First, it courted controversy when its 58 acres of prime land was allegedly sold for a song, which was later saved with the intervention of the Punjab and Haryana High Court. And now, the floating of tenders by the authorities concerned after the execution of the same works has stirred another controversy.

A senior municipal councillor alleged that these tenders were floated on February 11 this year and received despite the local bodies authorities having specially asked the MC authorities not to do so. Even execution of some works was allowed to start by a section of contractors without opening the same.

Taking serious note of this allegation, C. Roul, Principal Secretary, Local

Self-government, Punjab, has ordered an inquiry into the same and asked Jaskiran Singh, Deputy Director, Local Bodies, Ferozepur, to conduct the same: "We will not spare any one who is found involved in this kind of bungling," pointed out Roul while talking to TNS today.

"I have summoned the record of the MC. The inquiry has been started and it will be completed at the earliest," said Jaskiran Singh.

A controversy surfaced in connection with the floating of tenders of some specific works much after the execution of the same. Though MC authorities denied having done such a thing, verbal complaints were received by the higher local bodies department in that connection.

Even a section of people, who were directly or indirectly connected with MC matters, lodged verbal complaints to state local bodies authorities that some favourites of those, who matter most in the corridors of power, had been allotted the execution of various development works, without floating tenders for inviting the bids for the same.

While Anil Kumar Sethi, president, MC denied the allegations that tenders were floated after the execution of different works, Tilak Raj Verma, Executive Officer (EO), said that payment to those civil works contractors, who had executed certain works without the prior permission and work order of the MC authorities, would not be made.

Satinder Singh Savi, former vice-president, MC, while alleging that this thing had brought a bad name to the local MC, demanded that criminal proceedings must be launched against those officials of the MC and civil works contractors, who were involved in this scam, running into lakhs of rupees.

He demanded that fresh tenders by fulfilling all the requirements must be floated and all the contractors must be allowed to participate in the same for competitive bidding. He added that he had been raising his voice against corruption as per the direction of his leader Sukhbir Singh Badal, Deputy Chief Minister, Punjab.

Tuesday, May 4, 2010

पुराने नामों मे छिपी है फाजिल्का की पहचान

फाजिल्का शहर की पहचान गली-कूचों के दिलचस्प नामों से भी होती है। भारत ही नहीं, पाकिस्तान में भी ऐसे लोगों की बड़ी तादाद है, जिनके जहन में आज भी फाजिल्का की इन गलियों की यादें ताजा है। बंगला से लेकर फाजिल्का तक के सफर में व्यापारिक गतिविधियों का हब कहा जाने वाला फाजिल्का शहर कई परिवर्तनों का साक्षी रहा। यहां ऐसे कई गली-कूचे, सड़कें और स्थान हैं, जिनके नाम बहुत  अनूठे हैं।

अनोखे नाम से पहचान: भारत विभाजन से पूर्व कालेज रोड पर पहले मुल्तानी चुंगी हुआ करती थी और इस मार्ग का नाम शेरशाह सूरी मार्ग था। जो शेरशाह सूरी के साम्राज्य में दिल्ली तक जाता था। लोग सूरी मार्ग को भूल चुके हैं, लेकिन मुल्तानी चुंगी का नाम मशहूर है, जबकि वहां आज मुलतानी चुंगी नहीं है, वहीं बीकानेरी रोड और बठिंडा रोड भी हैं। भारत विभाजन के बाद यह रोड कभी बीकानेर या बठिंडा तक नहीं पहुंचे। इसी तरह लाल सड़क के नाम से फ्रीडम फाइटर रोड और शर्मा आई अस्पताल रोड जुड़ा हुआ है। बुजुर्ग उसे लाल सड़क कहकर पुकारते हैं। यहां कभी ईंटों, रोड़ों से बनी सड़क हुआ करती थी। पोस्ट ऑफिस के सामने वाली गली का नाम प्रेमी गली है। यहां विभाजन से पूर्व मुजरा हुआ करता था। आज भी उसे प्रेम गली के नाम से जाना जाता है। इस तरह आबादी सुल्तानपुरा व इस्लामाबाद में इस्लाम को मानने वाला कोई नहीं रहता। फिर भी नाम पुराने हैं। सुल्तानपुरा आबादी का नाम जोरा सिंह मान नगर रखा गया है। लोग उसे आबादी सुल्तानपुरा के नाम से ही पुकारते हैं। इस तरह मेहरियां बाजार में अब मेहरियां दाने नहीं भूनती। जंड बाजार की निशानी जंड नहीं रहा। ऊन और वान का अस्तित्व लगभग खत्म हो चुका है। न यहां ऊन की दुकानें है और वान की, मगर नाम ऊन बाजार और वान बाजार है। कई उद्यमियों ने छोटे होटल बिजनेस से शुरुआत की और होटलों के नाम से होटल बाजार पड़ गया। मात्र एक होटल के नाम से होटल बाजार है। अबोहरी अड्डे से सीधे कोई बस अबोहर नहीं जाती और उसका नाम अबोहरी अड्डा है। घास मंडी में घास का तिनका तक नहीं है, धोबी घाट में धोबी नहीं। इसी तरह से एक अटपटा नाम है डैड रोड, जहां जालिम को फांसी नहीं लगाई जाती और ब्रिटिश साम्राजय वाला नाम डैड रोड ही पुकारा जाता है, जबकि चार बार रोड का नाम बदला जा चुका है। फिर भी ढर्रा....डैड रोड।

नामों से हो चुके अभ्यस्त: पिछले कुछ बरसों में कई अनूठे नाम बदल दिए गए, लेकिन लोग नएं नामों का इस्तेमाल नहीं करते। वह स्थानों को पुराने नामों से ही पुकारते हैं और व्यवहार में लाते हैं। आज भी लोगों के बीच वही नाम प्रचलित है, जो कभी हकीकत में हुआ करता था। यह अनोखे नाम केवल दुकानों के बोर्ड पर ही नहीं, बल्कि विजीटिंग कार्डों, बैनरों और विभिन्न वैबसाइटों पर भी आसानी से देखे जा सकते हैं। डाक पते पर यही नाम लिखे जाते हैं। नगर कौंसिल अध्यक्ष अनिल सेठी मानते हैं कि अब इन नामों को बदल पाना बहुत कठिन है, क्योंकि लोग इन्हीं नामों से अभ्यस्त हो चुके हैं।

फाजिल्का की विरासत को संभालने वाली संस्था ग्रेजूएट्स वैलफेयर एसोसिऐशन के सचिव इंजीनियर नवदीप असीजा का कहना है कि अजब गजब नामों वाले कई गली-कूचों के नाम बदल चुके हैं, मगर इसके बावजूद फाजिलकावासी पुराने नामों को प्रचलन में बनाए रखे हुए हैं। उनका कहना है कि भले ही लोग पुरातन पंथी क्यों न कहें, लेकिन फाजिल्कावासी इन नामों से जुड़ी अपनी ऐतिहासिक स्मृतियों को जिंदा रखे हुए हैं और ओल्ड इज गोल्ड की तर्ज पर इन पुराने नामों को सहजे हुए हैं।

आखिरकार जारी करना पड़ा नोटिस


भास्कर न्यूज, 2nd May 2010

साइकिल बाजार में नगर कौंसिल की जगह पर एक दुकानदार द्वारा किए गए अवैध कब्जे को हटाने को लेकर चल रहे विवाद पर आखिरकार कौंसिल को कदम उठाना ही पड़ा। कौंसिल की ओर से शुक्रवार को दुकानकार को अवैध कब्जा छोडऩे का नोटिस जारी कर दिया गया। कौंसिल ने दुकानदार को चेतावनी दी है कि अगर छह घंटे में अवैध कब्जा नहीं छोड़ा गया तो कौंसिल अमला कब्जा हटा देंगे। उधर अवैध कब्जा हटाने को लेकर संघर्ष कर रही रिक्शा यूनियन ने कौंसिल की सराहना करते कहा है कि यह कदम पहले ही उठाया जाना चाहिए था।

क्या है मामला

करीब दो माह पूर्व जब उक्त जगह पर कौंसिल शौचालय का निर्माण करवा रही थी तो रिक्शा यूनियन व केवल कुमार ने शौचालय बनाने का विरोध किया था। कौंसिल ने दोनों के लिए ही उक्त जगह पर अलग अलग स्थान रखने का बीच का रास्ता निकाला था। उस समय शौचालय के बाहर रिक्शा खड़े करने व तथा एक कॉर्नर पर केवल कुमार की पकौड़ों की दुकान लगाने का निर्णय लिया

गया था। दुकानदार ने 19-20 मार्च की रात दुकान पर शटर लगाकर कब्जा जमा लिया। जिसका रिक्शा यूनियन ने जमकर विरोध किया। यूनियन सदस्यों का कहना था कि उक्त जगह पर वह रिक्शा खड़ी करते थे, जबकि शटर लग जाने से यहां पर रिक्शा खड़ी नहीं की जा सकती है। इस विरोध के बाद चौक पर पकौड़े लगाने वाले केवल कुमार को उक्त शटर को उखाडऩे को कहा गया। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। इसी के विरोध में रिक्शा यूनियन ने चौक पर कई बार धरना प्रदर्शन किया और शटर को उखाडऩे की मांग लगातार करते रहे।

दुकान पर चिपकाया नोटिस

नगर कौंसिल की ओर से जारी नोटिस को लेने पर जब दुकानदार ने इंकार कर दिया तो कौंसिल कर्मचारी की ओर से दुकान पर नोटिस चिपका दिया गया। कार्यकारी अधिकारी तिलक राज वर्मा ने बताया कि कौंसिल की ओर से दुकानदार केवल कुमार को अवैध कब्जा छोडऩे का नोटिस जारी कर दिया गया है, अगर दुकानदार ने छह घंटे में अवैध कब्जा नहीं छोड़ा तो कौंसिल की ओर से कब्जा हटा दिया जायेगा।

मंत्री से होगी शिकायत

रिक्शा यूनियन के सचिव अशोक कुमार ने बताया कि चंद सियासी नेताओं की शह पर दुकानदार ने अवैध कब्जा किया है, जिस कारण कई दिन तक दुकानदार के खिलाफ कार्रवाही नहीं की गई। उन्होंने कहा कि दुकानदार और उक्त सियासी नेताओं के बीच हुई बातचीत उनके पास मौजूद है, जिसका खुलासा सोमवार को जनता के सामने किया जायेगा। उधर ग्रेजूऐटस वैलफेयर एसोसिऐशन फाजिल्का के सचिव नवदीप असीजा ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश से फाजिल्का ईको कैब की तर्ज पर पंजाब भर में शुरू किए जा रहे प्रोजेक्ट पर अगले सप्ताह स्थानीय निकाय मंत्री मनोरंजन कालीया के साथ बैठक है, जिसमें रिक्शा चालकों के सामने मुश्किलें पैदा कर रहे नेताओं की पोल खोली जाएगी।

http://www.bhaskar.com/2010/05/01/500427-927481.html

छा गया फाजिल्का का ईको-कैब

भास्कर न्यूज, 30th April 2010

ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां फाजिल्का वासियों ने अपनी प्रतिभा का लोहा नहीं मनवाया है, लेकिन इस बार फाजिल्का के पर्यावरण संरक्षण के प्रोजैक्ट ईको- कैब को हाईकोर्ट ने सलाम करते पूरे पंजाब में लागू करने के आदेश दिए हैं। 

मीडिया में फाजिल्का इको-कैब के बारे में प्रकाशित सामग्री पर संघ्यान लेते मुख्य न्यायधीश मुद्गिल ने सरकार को इस प्रोजैक्ट को पूरे राज्य में लागू करने की सिफारिश की है। प्रोजैक्ट को फाजिल्का में स्थापित करने वाली संस्था ग्रेजूएट्स वेलफेयर सोसायटी ने खुशी व्यक्त करते हाईकोर्ट का धन्यवाद किया है। प्रोजैक्ट को टूरिजम विभाग ने धर्म नगरी अमृतसर में श्री हरमन्दिर साहिब के आस पास शुरू करने का भी निर्णय ले लिया है।

क्या है ईको- कैब योजना

ईको- कैब रिक्शा योजना शुरू करने वाला फाजिल्का देश का पहला शहर है। करीब दो वर्ष पूर्व इसके तहत नगर में दो जगहों बस अड्डा रिक्शा यूनियन तथा संजीव सिनेता चौक पर ईको- कैब सेंटर बनाए गए है, जहां पर फोन घुमाने पर रिक्शा अपने आप के घर पर पहुंच जाता है। 

इससे आपके समय की बचत होती है वहीं आपके पैसे, पेट्रोल के साथ साथ पर्यावरण का होने वाला नुक्सान भी नहीं होता। इस योजना के अनुसार प्रति दिन इन दोनों सेंटरों पर दर्जनों फोन आते हैं और लोगों को फायदा हुआ है। सोसायटी के महासचिव इंजि. नवदीप असीजा ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा इस प्रोजैक्ट की सराहना करना अपने आप में एक अहम बात है। 

एतिहासिक फैसले से राज्य के 1.60 लाख रिक्शा चालकों को फायदा होगा। फाजिल्का में योजना के तहत अब भारत संचार निगम ने निशुल्क फोन देने की भी घोषणा कर दी है

Monday, May 3, 2010

Residents battling health hazards

Stained teeth and abdominal disorders are quite common among them
Praful Chander Nagpal

Fazilka Water Woes

Fazilka, April 23
Residents of Fazilka have a typical characteristic: stained teeth, discoloured due to high content of fluorine in drinking water. Besides, a majority of middle-aged residents limp due to the high incidence of arthritis in this sub-divisional town. Many of the residents also suffer from abdominal disorders.

The residents are exposed to major health risks due to lack of potable water despite over six decades after independence with every government claiming to have provided the basic amenities. The residents lament that the water supply is inadequate. The problem of negative pressure exists in most outer areas of the town, including Radha Swami Colony, Madhav Nagri, Jattian Mohalla, Anni Delhi locality, Badal Colony etc. The low level taps are installed in the streets.

President of Shaheed Bhagat Singh Sabha Committee, Madhav Nagri, Gurdev Singh said his locality was not getting proper supply of drinking water for the past three months. Showing empty utensils, residents of the locality staged a demonstration near Banke Bihari Mandir. They rued that earlier also, contaminated water emanating foul smell, was being supplied to the locality. They raised slogans against the Municipal Council authorities for not supplying adequate drinking water.

A majority of the affluent and middle class residents have installed motors to draw water from the main lines, which results in negative pressure. "We have to fit plugs in low-level water pipes as there is less pressure in taps. We are left with no other alternative," said Baljit Singh of Badal Colony. Notably, most are kept open resulting in negative pressure and contamination.

The MC authorities and officials, however, deny these facts saying 12 deep-bore tubewells and three overhead tanks cater to the drinking water needs and combat negative pressure.

Senior medical officer Dr YK Gupta has directed the municipal authorities to take mandatory five samples of drinking water from different locations of the town every month. The samples are sent to the Department of Microbiology, GGS Medical College, Faridkot. Interestingly, the report of samples mentions the water as "excellent".

Sources, on the condition of anonymity, disclosed that the reason for the excellent report was that the water samples submitted for test were chlorinated whereas in routine, chlorination is seldom done.

While the plight of "aam aadmi" goes unheard, the affluent and middle class residents have installed reverse osmosis (RO) systems in their houses. According to an estimate, 2700 RO systems have been installed in the town. There is yet another section of the town that purchases "purified" water supplied by private concerns in 20-litre water cans. The cost of water in each can is about Rs 15. Nearly 2,200 cans are sold daily in the town during summer.

The only silver lining for uninterrupted canal-based water supply is a canal-based water project that was initiated in 2001. However, it proved to be a half measure as area around the canal-based water tank (spread on 10 acres) became unhygienic in the absence of a fence. Moreover, the project was attached to a canal which remains filled from May to October only. Hence, about 8,000 residents get tubewell water supply for most part of the year.

Now, it has been proposed that the canal-based water project is linked to the perennial Gang Canal at a distance of 16 km from Fazilka on the Abohar road.

According to local MLA Surjit Kumar Jyani and Municipal Council president Anil Sethi, the approval for drawing seven cusecs of water daily had been secured from the Rajasthan government. Rs 10 crore has been sanctioned for laying water mains along the 16-km stretch to connect the canal-based project to the Gang Canal for an uninterrupted water supply.

When would the project take a practical shape? It is anybody's guess. (To be continued)

http://www.tribuneindia.com/2010/20100424/bathinda.htm#2