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24th November, 2007
फाजिल्का -फाजिल्का के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय महोत्सव के दूसरे दिन गीत प्रतियोगिता में राहुल वर्मा को वॉयस ऑफ फाजिल्का खिताब से सम्मानित किया गया। राहुल के गीत 'जाने वालो जरा मुड़ के देखो मुझे, मैं भी इंसान हूं' ने श्रोताओं को इतना प्रभावित किया कि कार्यक्रम के बाद घर लौटते समय भी लोग वही गीत गुनगुना रहे थे।
राहुल स्थानीय एसकेबी डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल की दसवीं कक्षा का विद्यार्थी है। मां सरस्वती की उसपर अपार कृपा है। जो भी शख्स एक बार उसका गीत सुन लेता है, वह उसकी सुरीली आवाज की तारीफ किए बिना नहीं रहता। राहुल ने 'दैनिक जागरण' से बातचीत में बताया कि उसे बचपन से ही संगीत से लगाव है। उसके दादा पंजाब राम बांसुरी बजाने के शौकीन है। उसके पिता केवल कृष्ण भले ही गीत नहीं गाते, लेकिन उन्हे गीत सुनने का बहुत चाव है।
अपने दादा और पिता के प्रोत्साहन से राहुल ने छह वर्ष की उम्र में ही गीत गाना शुरू कर दिया था। प्राइमरी कक्षाओं तक वह स्कूल कार्यक्रमों तक ही सीमित रहा, लेकिन डीएवी सेकेंडरी स्कूल में दाखिला लेने के बाद उसे अन्य शहरों में होने वाले कार्यक्रमों में भेजा जाने लगा। उसने बताया कि उसके पिता ने संगीत विशेषज्ञ मास्टर रोशन लाल से उसे दो साल तक संगीत का प्रशिक्षण दिलाया। एक से पांच नवंबर 2007 तक अमृतसर में आयोजित सांस्कृतिक प्रतियोगिता में कव्वाली व लोक नृत्य में वह द्वितीय स्थान पर रहा। इससे पहले नवंबर 2006 में गाजियाबाद में हुई राष्ट्रीय स्तरीय की प्रतियोगिता में भी उसे शानदार सफलता हासिल हुई थी।
राहुल को मास्टर सलीम की माता की भेंटे बहुत पसंद है। उसके मनपसंद गीतकार नुसरत फतेह अली खां है। राहुल का कहना है कि उसका लक्ष्य फिल्मों में प्ले बैक सिंगिंग करना है। राहुल के स्कूल के प्रिंसिपल मदन लाल शर्मा का कहना है कि राहुल एक अच्छा संगीतकार होने के साथ पढ़ाई में भी होशियार है। उसे स्कूल की ओर से जिस भी प्रतियोगिता में भेजा जाता है, उसमें वह स्कूल का नाम रोशन करता है।
Tuesday, November 27, 2007
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