Tuesday, February 3, 2009

सरहद के इस पार उस पार नजर आएगी रंग बिरंगी पतंगें

an 30, 09:56 pm
फाजिल्का-भले ही भारत-पाक सीमा पर रहने वाले लोग अलग अलग देशों के बाशिदे कहलाते है लेकिन बसंत पंचमी आते ही उन्हे आजादी से पहले के वह दिन याद आ जाते है, जब हर समुदाय के लोग मिलजुलकर पतंगे उड़ाते थे।
उल्लेखनीय है कि बंटवारे से पहले हिंदू, मुस्लिम व सिख समुदाय के लोग बसंत पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाते थे। आजादी के बाद पतंग और डोर बनाने वाले मुस्लिम कारीगर भले ही पाकिस्तान चले गए है। लेकिन बसंत पंचमी मौके सरहद के इस ओर उस ओर का आसमान रंग बिरंगी पतंगों से भर जाता है। दोनों ओर पतंगें उड़ा रहे लोगों में आपस में पेंच लड़ाने की तमन्ना भी होती है लेकिन सरहद की दूरियों के कारण यहां लगे पेंचों से कटी पतंगें और वहां लगे पेंचों से कटी पतंगें कभी हवा के रुख के साथ भारत में तो कभी भारत की पतंगें पाकिस्तान में जा गिरती है। सीमावर्ती गांव मुहार जमशेर के बख्शीश सिंह व गट्टी नंबर दो के सतनाम सिंह ने बताया कि आजादी से पहले बसंत पंचमी पर गांवों में पतंगबाजी प्रतियोगिता होती थी। यह प्रतियोगिता लाहौर और कसूर में अब भी होती है। लेकिन भारत में पतंगबाजी सिर्फ बसंत पंचमी पर ही देखने को मिलती है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बाशिंदे एक दूसरे से सद्भावना के साथ रहना चाहते है। सीमा पर बसने वाले लोग हमेशा ही दोनों देशों के बीच अमन शांति की दुआ करते है।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/punjab/4_2_5196369_1.html

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