फाजिल्का-समुद्र पार करने से कतरा रहे हनुमान जी को जब उनकी शक्तियां याद
करवाई गई तो उन्होंने लंका तक पहुंचने के लिए सैकड़ों मील लंबा पुल पार कर
लिया था। उसी तरह राज्य के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के अध्यापकों
को शिक्षा क्षेत्र में योगदान देने संबंधी उनकी शक्तियों का आभास हो जाए
तो मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को राज्य में आदर्श स्कूल खोलने के लिए
अरबों रुपये खर्च न करने पड़े, बल्कि हर सरकारी स्कूल आदर्श स्कूल बन जाए।
गांव दोना नानका के प्राइमरी स्कूल के साथ अब गांव निहालखेड़ा का सरकारी
सेकेंडरी स्कूल इलाके के सभी सरकारी स्कूलों के लिए मिसाल बनकर उभर चुका
है। स्कूल में टाई, बेल्ट कसे, साफ सुथरी वर्दियां पहन, बेहद सुव्यवस्थित
कक्षाओं में बैठ पढ़ रहे बच्चों को देखकर कोई नहीं कह सकता कि यह सरकारी
स्कूल के बच्चे है और न ही इमारत के रखरखाव को देखकर लगता है कि यह स्कूल
सरकारी है। सरकारी स्तर पर बनाई इमारत, अग्नि सुरक्षा के लिए प्रदान
यंत्रों और कंप्यूटर शिक्षा के लिए मिले कंप्यूटरों के जरूरी रखरखाव के
साथ स्कूल के स्टाफ ने प्रिंसिपल जगसीर सिंह के नेतृत्व में अपने
प्रयासों से ही स्कूल की नुहार बदलकर रख दी है। सबसे पहले तो बच्चों को
हर हाल में स्कूल भेजने की प्रेरणा उनके अभिभावकों को दी गई। बिजली कटों
से निपटने के लिए स्टाफ व विद्यार्थियों ने अपने खर्च पर जेनरेटर और उसके
इंधन का प्रबंध कर रखा है। इसके अलावा स्कूल में बेहतर शिक्षा का माहौल
बनाने के लिए माली न होने के बावजूद स्कूल में फूलों व छायादार वृक्षों
से सजे बगीचों के साथ घास युक्त मैदान बच्चों के लिए बनवाए गए है।
प्रिंसिपल जगसीर सिंह ने अपने स्तर पर सांसद से ग्रांट लेकर स्कूल के
प्रार्थना मैदान में इंटरलाक टायल का शानदार फर्श बनवाया है। सुसज्जिात
कंप्यूटर रूम, लैब व लाइब्रेरी भी इस सरकारी स्कूल को निजी स्कूलों जैसी
सुविधाएं प्रदान करने वाले संस्थानों की कतार में खड़ा करती है। बच्चों को
किताबी ज्ञान के साथ नैतिक शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिदिन सुबह
प्रार्थना सभा में शुभ विचार, समाचार वाचन की रिवायत भी इस स्कूल की
पहचान बन चुकी है। खेलों के मामले में भी निहालखेड़ा स्कूल की विशिष्ट
पहचान बन चुकी है। जोन स्तरीय हाकी मुकाबलों में हमेशा अव्वल रहने वाली
स्कूल की हाकी टीम ने साल 2008-09 में जिले भर में दूसरा स्थान हासिल
किया। प्रिंसिपल जगसीर सिंह के अनुसार डायरेक्टर जनरल आफ स्कूल एजूकेशन
कृष्ण कुमार भी अपने विजिट के दौरान सीमित संसाधनों के बावजूद स्कूल की
उपलब्धियों पर प्रसन्नता जता चुके है। मौजूदा वक्त में स्कूल में पोल
साइंस व हिस्ट्री के लेक्चरारों को छोड़ शेष सभी सब्जेक्टों का स्टाफ पूरा
है।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/punjab/4_2_5828620_1.html
Monday, October 5, 2009
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