Tuesday, August 17, 2010

पाक रेंजर्स ने बीएसएफ को भेंट की मिठाई

फाजिल्का-भारत-पाक बंटवारे की त्रासदी बयां करता प्रसिद्ध पंजाबी गीत 'करीं किदे मेल रब्बा दिल्ली ते लहौर दा' आज भारत-पाक सीमा की सादकी चौकी पर उस वक्त बिल्कुल सही साकार होता नजर आया जब बंटवारे में बिछड़े परिवार 14 व 15 अगस्त को एक दूसरे से बात करने की छूट मिलने से पहले दूर से खड़े होकर अपनों को निहार रहे थे।

14 अगस्त को पाकिस्तान के स्थापना दिवस के मौके पर दोनों ओर जमा हुए भारतीय व पाकिस्तान के बाशिंदे सुबह 11 बजे तक एक-दूसरे से बात करने की छूट का इंतजार कर रहे थे। जीरो लाइन से करीब सौ-सौ मीटर से भी पीछे खड़े रिश्तेदार एक-दूसरे से बात तो नहीं कर रहे थे लेकिन उनकी अपनों को देखने, उनसे बात करने की ललक में छलके आंसू व आंखों के इशारे आपस में बातें कर रहे थे। बाद में बीएसएफ व पाक रेंजर्स द्वारा बातचीत की छूट मिलने पर करीब 30 फुट की दूरी पर सभी ने एक-दूसरे से बात की। पाकिस्तान के बहावल नगर से आई बीबी शुक्रां ने अपने भांजे असीम खान से अपने भाई की खैरियत जानी तो राजस्थान के भागसर से आए मोहम्मद अफजल ने पाकिस्तान रह गए अपने भाई मोहम्मद आसिफ से बात की। इससे पहले पाक रेंजर्स ने अपने स्थापना दिवस पर अपना राष्ट्रीय ध्वज फहराया, सलामी दी व पाकिस्तान की ओर से विंग कमांडर रियाज ने अपने भारतीय समकक्ष कंपनी कमांडर मनोज बराला को मिठाई भेंट की। बराला ने उन्हें स्थापना दिवस की बधाई दी|

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