Thursday, August 10, 2017

Dastan-E-Azadi : यहां जलती थीं गुलामी के प्रतीक विदेशी कपड़ों की होली -

अमृत सचदेवा - फाजिल्का : यहां का आर्य समाज चौक कभी स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले शहर के अधिकांश सेनानियों का गढ़ था। ब्रिटिश अधिकारी उस क्षेत्र को 'उग्रवादियों का डेरा' बताते थे। इसी चौराहे पर स्वतंत्रता संग्राम की बैठकें होती थी। विदेशी कपड़ों की होली जलाने जैसे साहसिक कार्य भी इसी चौक में हुए थे। आज भी यह चौक स्वतंत्रता संग्राम की याद दिलाता है। 11903 में स्थापित आर्य समाज मंदिर में ज्यादातर आजादी के परवाने एकत्रित हुआ करते थे। इसकी मुख्य वजह यह थी कि आर्य समाज मंदिर के आसपास ही स्वतंत्रता सेनानी लाला सुनाम राय, हरीकृष्ण दास जसूजा, नंद लाल सोनी, दूनी चंद बाघला व पिता जी के नाम से मशहूर गौरी शंकर के आवास थे। इन्हीं के मार्गदर्शन में ही पूरे जिले के स्वतंत्रता सेनानी बैठकों के लिए इकट्ठा होते थे। यहीं पर महात्मा गांधी के आह्वान पर विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के तहत विदेशी कपड़ों की होली जलाकर पूरे क्षेत्र में स्वतंत्रता संग्राम की आग को हवा दी गई थी। लाला सुनाम राय के नेतृत्व में अंग्रेजों को भारत से निकालने के पक्षधर लोगों ने अपने घरों से विदेशी कपड़े लाकर उसकी होली जला ब्रिटिश सरकार को संदेश दिया था कि आर्य समाज चौक से चल रही मुहिम का समर्थन हर प्रदेशवासी कर रहा है। उससे पहले तक अंग्रेज सिपाही जब मर्जी आकर यहां रहने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को उठाकर ले जाते थे और जेल में बंद कर देते थे, लेकिन इसी चौक से मजबूत हुए स्वतंत्रता संग्राम ने हर गली मोहल्ले को 'अंग्रेजो भारत छोड़ो' मुहिम का ध्वजवाहक बना दिया। आज भी इस चौराहे पर लाला सुनाम राय सहित अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार रहते हैं और आजादी की लहर को अपने बुजुगोर्ं के जन्मदिन व पुण्यतिथि मनाकर ताजा करते हैं। 1अमृत सचदेवा ' फाजिल्का 1यहां का आर्य समाज चौक कभी स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले शहर के अधिकांश सेनानियों का गढ़ था। ब्रिटिश अधिकारी उस क्षेत्र को 'उग्रवादियों का डेरा' बताते थे। इसी चौराहे पर स्वतंत्रता संग्राम की बैठकें होती थी। विदेशी कपड़ों की होली जलाने जैसे साहसिक कार्य भी इसी चौक में हुए थे। आज भी यह चौक स्वतंत्रता संग्राम की याद दिलाता है। 11903 में स्थापित आर्य समाज मंदिर में ज्यादातर आजादी के परवाने एकत्रित हुआ करते थे। इसकी मुख्य वजह यह थी कि आर्य समाज मंदिर के आसपास ही स्वतंत्रता सेनानी लाला सुनाम राय, हरीकृष्ण दास जसूजा, नंद लाल सोनी, दूनी चंद बाघला व पिता जी के नाम से मशहूर गौरी शंकर के आवास थे। इन्हीं के मार्गदर्शन में ही पूरे जिले के स्वतंत्रता सेनानी बैठकों के लिए इकट्ठा होते थे। यहीं पर महात्मा गांधी के आह्वान पर विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के तहत विदेशी कपड़ों की होली जलाकर पूरे क्षेत्र में स्वतंत्रता संग्राम की आग को हवा दी गई थी। लाला सुनाम राय के नेतृत्व में अंग्रेजों को भारत से निकालने के पक्षधर लोगों ने अपने घरों से विदेशी कपड़े लाकर उसकी होली जला ब्रिटिश सरकार को संदेश दिया था कि आर्य समाज चौक से चल रही मुहिम का समर्थन हर प्रदेशवासी कर रहा है। उससे पहले तक अंग्रेज सिपाही जब मर्जी आकर यहां रहने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को उठाकर ले जाते थे और जेल में बंद कर देते थे, लेकिन इसी चौक से मजबूत हुए स्वतंत्रता संग्राम ने हर गली मोहल्ले को 'अंग्रेजो भारत छोड़ो' मुहिम का ध्वजवाहक बना दिया। आज भी इस चौराहे पर लाला सुनाम राय सहित अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार रहते हैं और आजादी की लहर को अपने बुजुगोर्ं के जन्मदिन व पुण्यतिथि मनाकर ताजा करते हैं। 1

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