फाजिल्का-हरियाणा राजस्थान की सीमा से सटे फिरोजपुर के गाव खुईखेड़ा में रविवार को स्वास्थ्य मंत्री लक्ष्मीकाता चावला को सुनने आई गाव की महिलाओ के लिए बड़ी विकट स्थिति पैदा हो गई। बागड़ी गाव होने से समारोह में उपस्थित महिलाएं घूंघट निकाल सेहत मंत्री का भाषण सुन रहीं थीं। सेहत मंत्री तो आई थीं अस्पताल के भवन का उद्घाटन करने लेकिन उन्होंने घूंघट पर ही हल्ला बोल दिया। अपनी चिरपरिचित शैली में सेहत मंत्री ने दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या व घूंघट प्रथा पर अपने भाषण में ऐसी चोट की कि भाषण की समाप्ति पर महिलाओं ने कहा कि वह बहन जी से मिलना चाहती है। सेहत मंत्री भी ठहरीं अपनी धुन की पक्की। उन्होंने कहा कि अगर घूंघट उठाकर मिलोगी तो मैं मिलने को तैयार हूं। शायद ये सेहत मंत्री के जोरदार भाषण का ही असर था कि कुछ देर पहले तक डेढ़ फुट लंबा घूंघट निकाले बैठी ये महिलाएं घूंघट उतारकर न केवल मंत्री से मिलीं बल्कि उनके साथ उतरे हुए घूंघट में फोटो भी खिंचवाई। इससे पहले समारोह में सेहत मंत्री ने घूंघट प्रथा पर हैरानी जताते हुए कहा कि एक तरफ तो महिलाएं हाथ में हथियार लिए सीमा पर तैनात हो रही है, देश के राष्ट्रपति भवन में आसीन हो रही है और वहीं पंजाब के इस इलाके में अभी भी यह कुप्रथा जारी है। उन्होंने कहा कि मुंह वह छिपाता है, जिसने गलत काम किया हो, तो महिलाएं मुंह क्यों छिपाएं। उन्होंने सीता माता का उदाहरण देते हुए कहा कि क्या किसी मंदिर में सीता माता की घूघट ओढ़े फोटो है, अगर नहीं तो हमें भी घूंघट नहीं निकालना चाहिए। इसके अलावा चावला ने भू्रण हत्या पर कड़े प्रहार करते हुए कहा कि सर्पिणी ही अपने बच्चों को खाती है, इसके अलावा प्रकृति में कोई ऐसा जीव नहीं है जो अपने बच्चों को मारता हो, तो भू्रण हत्या करने वाले साप से भी गए बीते है। उन्होंने पंजाब में लड़कियों की जन्म दर की हालत सुधरने पर खुशी भी जताई। उनका कहना था कि सरकार का कार्यकाल शुरू होते वक्त पंजाब में प्रति एक हजार लड़कों के पीछे 798 लड़कियों की औसत थी जो अब 838 तक पहुच गई है।
Friday, January 15, 2010
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