Monday, November 14, 2011

गुदड़ी के लाल साबित हुए दोना नानका के नौनिहाल

अमृत सचदेवा, फाजिल्का

कौन कहता है, आसमां में छेद नहीं होता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो, यह कहावत आज बाल दिवस पर देहाती इलाके खासकर भारत-पाक सीमा जैसे दुर्गम इलाके में बसे गांव दोना नानका के सरकारी प्राइमरी स्कूल के उन सभी बच्चों पर बिल्कुल सच साबित होती है। स्कूल के इन बच्चों का पहाड़े सुनाने के मामले में इलाके, जिले, पंजाब यहां तक कि पूरे देश में कोई सानी नहीं है।

बता दें कि गांव के इस प्राइमरी स्कूल के बच्चे न केवल पहाड़े सुनाने के मुकाबले में बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी कई उपलब्धियां हासिल कर चुके हैं। स्कूल की दो छात्राओं संतो बाई ने दो साल पहले पूरे पंजाब में पहले व दूसरे स्थान पर कब्जा जमाया था। प्रांतीय स्तर पर हुए पहाड़ा मुकाबले पहली कक्षा के रोशन, दूसरी कक्षा की सिमरजीत, तीसरी कक्षा की गुरमीत व चौथी कक्षा की पिंकी प्रथम रही थीं। दूसरी कक्षा के राज, तीसरी कक्षा की सुखप्रीत व पांचवीं कक्षा की सीमा रानी ने दूसरा स्थान हासिल किया था। दूसरी कक्षा की जसमी कौर व पांचवीं कक्षा की निशा ने तीसरा स्थान हासिल किया है।

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सरकारी स्कूलों के लिए नजीर

फाजिल्का: स्पेशल बच्चों की पौध से सजा यह स्कूल पूरे राज्य के सभी सरकारी स्कूलों के लिए नजीर भी है। इस स्कूल में भी अन्य सरकारी स्कूलों जितना ही स्टाफ है। लेकिन स्टाफ द्वारा बच्चों पर की जा रही मेहनत इस स्कूल व इसके बच्चों को दूसरे सभी सरकारी स्कूलों से जुदा करती है। पांच कक्षाओं के लिए नियुक्त तीन स्थायी अध्यापकों इंचार्ज लवजीत सिंह, सुरेंद्र पाल कौर व सुखपाल रानी ने अपने खर्च पर तीन अस्थायी अध्यापिकाएं रखी हैं।

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अभिभावकों को अपने सपूतों पर गर्व

फाजिल्का: अपने बच्चों की उपलब्धियों पर स्कूल स्टाफ के साथ अभिभावक भी गर्व से फूले नहीं समाते। गांव के करनैल सिंह, जगदीश सिंह, रेशम सिंह, जीत सिंह, गुलजार सिंह, चिमन सिंह, सरदार सिंह ने कहा कि गांव में शहर के अनेक माडर्न व सुविधा संपन्न निजी स्कूलों की वैन बच्चों को लेने आती हैं। लेकिन वह अपने गांव के सरकारी स्कूल में करवाई जाने वाली पढ़ाई से बेहद खुश हैं।

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