Tuesday, February 7, 2012

स्कूल नहीं, सुंदर बगिया कहिए

अमृत सचदेवा, फाजिल्का : काम न करने वाले अकसर सुविधाएं न मिलने का रोना रोते हैं और जो काम को पूजा मानते हैं, वे बिना संसाधनों के भी कुछ ऐसा कर गुजरते हैं जो अपने आप में मिसाल बन जाता है। करीब 26 एकड़ में फैले लड़कों के सरकारी सीनियर स्कूल में माली के रिक्त पद के बावजूद अध्यापकों व विद्यार्थियों ने इच्छाशक्ति के बूते न केवल पहले से लगे पेड़ पौधों की अच्छी देखभाल की है बल्कि स्कूल को एक सुंदर बाग बना दिया है। छायादार व सजावटी पेड़ पौधों के शौकीन स्टाफ व विद्यार्थियों ने स्कूल की सुंदरता बनाए रखने के लिए स्कूल में ही पौधों की नर्सरी स्थापित कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया है।

स्कूल के वोकेशनल अध्यापक स्टेट अवार्डी पम्मी सिंह ने प्रिंसिपल गुरदीप कुमार करीर के साथ और विद्यार्थियों की सहायता से स्कूल में पिछले एक साल में करीब 16 सौ सजावटी व छायादार पेड़ पौधे लगाए हैं। उससे पहले स्कूल के एकमात्र माली की रिटायरमेंट को देखते हुए आशंका जताई जा रही थी कि माली के यहां से जाने के बाद स्कूल की हरियाली समाप्त हो जाएगी। क्योंकि इतने बड़े क्षेत्र में फैले स्कूल परिसर में पेड़ पौधे लगाए रखने का काम न तो ठेके पर संभव था और न ही जल्द ही माली का रिक्त पद भरने की संभावना थी, लेकिन पर्यावरण प्रेमी अध्यापकों और विद्यार्थियों ने अपनी सुंदर बगिया को उजड़ने नहीं दिया। उनकी पर्यावरण संरक्षण की ललक तो देखिए कि उन्होंने पौधों के मामले में बाहर स्थित नर्सरियों पर निर्भर रहने की बजाय स्कूल परिसर में ही नर्सरी स्थापित कर ली है। समय-समय पर एनएसएस वालंटियर नर्सरी में तरह-तरह के पौधे तैयार करते रहते हैं।

पम्मी सिंह ने बताया कि स्कूल में हर जगह को हरा भरा रखने के साथ-साथ वोकेशनल विभाग की बगल में खाली पड़ी उजाड़ जगह को भी विद्यार्थियों ने सख्त मेहनत कर सुंदर पार्क का रूप दे दिया है, जिसमें बनाए गए फव्वारे व जगह-जगह लगाए गए सजावटी पौधे उस जगह की रौनक को और बढ़ाते हैं।

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