रिमोट एरिया व औद्योगिक इकाइयों के आसपास बसे गावों के बाशिदों के घातक रोगों का शिकार होने से भले ही सरकार की चिंता बढ़ी हो या नहीं, लेकिन विभिन्न खेतीबाड़ी व मेडिकल कालेज से जुड़े जागरूक लोगों व संस्थाओं में इस समस्या को लेकर चिंतन शुरू हो गया है। सतलुज दरिया के किनारे बसे फाजिल्का के सरहदी गाव में भी घातक रोगों के शिकार लोगों की दिनोंदिन बढ़ रही संख्या को गंभीरता से लेते हुए प्रभावित गावों की विभिन्न संगठनों ने नए सिरे से जांच का काम शुरू कर दिया है।
रविवार व सोमवार को भारत-पाक सीमा पर बसे गाव तेजा रूहेला पहुची राजिंदरा मेडिकल कालेज पटियाला, खेती विरासत मिशन, बाबा फरीद सेंटर फार स्पेशल चिल्ड्रन फरीदकोट व यूथ क्लब आर्गेनाइजेशन बठिडा की टीम ने गाव में इसानों के साथ-साथ मिट्टी, पानी व पशुओं की जाच की। उन्होंने वहा के बाशिदों में अपंगता, हाथ पाव टेढ़े-मेढे़ होने, नपुंसकता जैसे रोगों व पशुओं के कमजोर होने का कारण दूषित पानी व रसायन के प्रयोग से जहरीली हो चुकी जमीन को बताया है।
टीम में शामिल राजिंदरा मेडिकल कालेज पटियाला के डा. अमर सिंह आजाद ने बताया कि स्वास्थ्य जाच का आधार केवल इसानी जाच नहीं है, बल्कि लोगों की स्वास्थ्य जाच के साथ वहा के पशुओं, जमीन, पानी के स्वास्थ्य की जाच बेहद जरूरी है। टीम ने बताया कि बरसों से रासायनिक खेती करने से जमीन का घातक स्तर पर जहरीला होना बीमारिया फैलने का कारण है। बाबा फरीद सेंटर फार स्पेशल चिल्ड्रन के अध्यक्ष डा. प्रितपाल ने बताया कि इसान खासकर बच्चे अपंगता, चर्म रोग, बाल सफेद होने व झड़ने, नपुंसकता, बच्चे शारीरिक विकास रुकने जैसे रोगों से जूझ रहे हैं। वेटरनरी विशेषज्ञ नीरज व गुरप्रीत सिंह ने बताया कि पशु भी दूषित पानी और जहरीली हो चुकी जमीन में पैदा चारा खाने से कमजोर व बीमार हो चुके है। उनके दूध का उत्पादन पंजाब के औसत स्तर से तीन गुणा कम हो चुका है। जो दूध निकलता है, वह भी इसानी शरीर के लिए बीमारियों का सबब बन रहा है।
टीम के प्रमुख सदस्य खेती विरासत मिशन के संयोजक उमेंद्र दत्त ने कहा कि यह समस्या केवल फाजिल्का के सरहदी गावों की नहीं, बल्कि पूरे पंजाब की है। दूषित पानी व जहरीली जमीन हर तरफ बीमारिया फैला रही है। टीम ने रोगों की गिरफ्त में आए तेजा रूहेला के अलावा मुहार जमशेर, दोना नानका आदि का दौरा भी किया। इस मौके पर टीम के साथ प्रसिद्ध कामेडियन भगवंत मान व ग्रेजुएट वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव नवदीप असीजा भी थे, जो फाजिल्का के सरहदी इलाके में पनपे घातक रोगों के प्रति जागरूकता फैलाने का काम कर रहे है।
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