Saturday, June 19, 2010

अकेला चला था और काफिला बन गया

Dainik Jagran 14th June 2010
फाजिल्का-एक तरफ जहा हर कोई एक दूसरे के खून का प्यासा हुआ बैठा है, वहीं
चंद लोग ऐसे भी है जो दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए अपना खून देने से
नहीं हिचकिचाते। वैसे तो रक्तदानियों की सूची बहुत लंबी है लेकिन
फाजिल्का का एक शख्स रिकू कंबोज उर्फ रंगलाल अब तक 50 से अधिक बार
रक्तदान कर अनेक अमूल्य जिंदगिया बचाने में सहयोग कर चुका है।

रिकू खुद ही नहीं, बल्कि अपने मोहल्ले धींगड़ा कालोनी के युवाओं को भी इस
पुण्य कार्य में लगा चुका है। रिकू के साथ मिलकर युवाओं ने कालोनी में
श्री बाला जी सेवा समिति का गठन कर लिया, जिसके 25 सदस्य हर वक्त जरूरत
पड़ने पर खूनदान के लिए तत्पर रहते है। समिति के अध्यक्ष रिकू खुद है।
केवल फाजिल्का इलाके में ही नहीं, बल्कि बठिडा, लुधियाना, अमृतसर व अन्य
दूर दराज के इलाकों में जाकर खून दान कर चुके है। कालोनी के महगा राम के
पुत्र रिकू वैसे तो मेहनत मजदूरी से अपने परिवार का गुजारा चलाते है
लेकिन खून दान के प्रति उनमें गजब की ललक है। रिकू ने दैनिक जागरण को
बताया कि उन्होंने अपनी जिंदगी का मकसद खून की कमी से मौत के मुंह में जा
रहे लोगों को खूनदान कर उनका जीवन बचाने को बना रखा है।

रिकू ने बताया कि वह आठवीं कक्षा में पढ़ता था, तब उसने पहली बार रक्तदान
किया था तो उसे इतनी मानसिक शाति मिली कि वह हर तीन माह बाद रक्तदान करने
लगा। रिकू की रक्तदान कर लोगों की अमूल्य जिंदगी बचाने की सेवा से
प्रभावित जिला रेडक्रास ने आठ मई 2010 को जिला उपायुक्त केके यादव ने
सम्मानित किया। इससे पहले राज्य की स्वास्थ्य मंत्री लक्ष्मी काता चावला
रिकू को पहली अक्टूबर 2008 को नवाशहर के गाव बंगा, 26 जनवरी 2009 को
गणतंत्र दिवस समारोह के कार्यक्रम में सासद शेर सिंह घुबाया, स्थानीय
विधायक सुरजीत ज्याणी और तत्कालीन एसडीएम चरणदेव सिंह मान उसे सम्मानित
कर चुके है, वहीं नेशनल वालंटरी ब्लड डोनेशन डे पर स्टेट ब्लड
ट्रासफ्यूजन काउसिल पंजाब की ओर से भी रिकू को सम्मानित किया गया है।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/punjab/4_2_6488653_1.html

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