Wednesday, February 16, 2011

पर्यटकों को रिट्रीट सेरेमनी देखना पड़ता है महंगा - Fazilka Retreat Ceremony

अमृत सचदेवा, फाजिल्का

पंजाब हेरीटेज एंड टूरिज्म प्रमोशन बोर्ड की सूची में शामिल होने के बावजूद फाजिल्का में पर्यटन स्थलों को विकसित करने की ओर सरकार द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। इसका एक बड़ा उदाहरण भारत-पाक सीमा की रिट्रीट सेरेमनी बनी हुई है, जिसे देखना हो तो बाहर से आने वाले पर्यटकों व शहरवासियों को अपने निजी वाहन पर जाना पड़ता है। रोडवेज द्वारा यहां की सादकी चौकी व रास्ते में पड़ते भारत-पाक युद्ध के शहीदों की समाधि के लिए कोई बस नहीं चलाई गई। यहां तक कि सरहदी क्षेत्र के लिए कोई रोडवेज बस सेवा ही नहीं है।

उल्लेखनीय है कि पूरे देश में भारत-पाक सीमा पर सिर्फ तीन जगह ही रिट्रीट सेरेमनी (दोनों देशों के सैनिकों द्वारा शून्य रेखा पर झंडा चढ़ाने व उतारने की रस्म) अदा की जाती है। उनमें से एक अमृतसर का बाघा बार्डर, दूसरा फिरोजपुर का हुसैनीवाला बार्डर व तीसरी जगह फाजिल्का की सादकी चौकी है। ग्रेजुएट वेलफेयर एसोसिएशन फाजिल्का के पदाधिकारियों ने प्रयास करके फाजिल्का की सादकी चौकी, भारत-पाक युद्ध में शहीद वीर भारतीय सैनिकों की संयुक्त आसफवाला समाधि और अन्य कुछ स्थलों को पंजाब हेरीटेज एंड टूरिज्म प्रमोशन बोर्ड की सूची में शामिल करवा लिया है, लेकिन उसके बावजूद फिरोजपुर जिले की सरकारी वेबसाइट में जिले के दर्शनीय स्थलों में फाजिल्का के पर्यटन स्थलों का कोई जिक्र नहीं किया गया। बीएसएफ के विजिटर रजिस्टर से मिली जानकारी के अनुसार प्रतिमाह सादकी चौकी पर करीब छह हजार पर्यटक पहुंचते हैं। यह संख्या दोगुनी से तिगुनी हो सकती है, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि न तो सादकी चौकी और न ही आसपास के करीब एक दर्जन सरहदी गांवों के लिए रोडवेज की बस सुविधा है। जबकि इस मार्ग पर शहीदों की आसफवाला समाधि, तीन असम बटालियन के जवानों की समाधि, पाकिस्तान का हमला विफल करने के लिए बमों से उड़ाया गया बेरी वाला पुल आदि अनेक दर्शनीय स्थल हैं, जिसे देखने के लिए पर्यटक व शहरवासी जाना पसंद करते हैं। लेकिन बस सुविधा न होने के कारण या तो महंगी दरों पर अपने वाहन का प्रबंध करना पड़ता है या फिर अपना कार्यक्रम रद करना पड़ता है। बस सेवा के अलावा सादकी चौकी तक जाने के लिए वाहन रुकने के बाद पैदल के करीब एक किलोमीटर रास्ते के लिए रिक्शा या बैटरी रिक्शा, चौकी के इतिहास की जानकारी देने के लिए कोई पत्रिका या टीवी स्क्रीन, चौकी व आसफवाला समाधि पर कैंटीन आदि का प्रबंध करने की जरूरत है।

इस महत्वपूर्ण रूट पर कोई रोडवेज बस न होने के बारे में पूछने पर रोडवेज के अड्डा इंचार्ज जीवन सिंह ने बताया कि करीब दो दशक पहले सादकी चौकी के लिए बस सुविधा थी, लेकिन अब रोडवेज में बसों व कर्मचारियों की कमी के चलते सादकी सहित कई अन्य रूट बंद पड़े हैं।

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