Wednesday, January 18, 2012

फाजिल्का वासी चाहते हैं पर्यावरण पर लड़ें नेता

सभी सियासी दलों की ओर से राज्य के विकास और लोगों को सुविधाएं देने का वादा स्टेजों पर गूंज रहा है, मगर अब लोग इसके साथ ही पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को भी चुनाव अभियान का हिस्सा बनाने की मांग करने लगे हैं। लोगों का सियासी पार्टियों से अनुरोध है कि विधानसभा चुनाव में हरित ऊर्जा के स्रोतों के उपयोग से जुड़े मुद्दे को चुनाव प्रचार का अभिन्न हिस्सा बनाएं। इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन जैसे पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को उठाएं। 
मालवा रोगों की चपेट में 
एडवोकेट मनोज त्रिपाठी का कहना है कि आज पर्यावरण तेजी से बिगड़ रहा है। खासकर मालवा क्षेत्र में लोग विभिन्न बीमारियों का शिकार हैं। जिला फाजिल्का और फिरोजपुर में बहने वाले सतलुज दरिया के दूषित पानी का कुप्रभाव लोगों पर पड़ा है। इस कारण फाजिल्का के गांव तेजा रुहेला और दोना नानका में अधिकांश ग्रामीण बीमारियों से पीडि़त हैं। असर भावी पीढ़ी पर
इंजीनियर नवदीप असीजा ने बताया कि राज्य में 32 वैटलैंड थी, लेकिन अब वैटलैंड के नाम पर कुछ नहीं रहा। देशभर में दूषित हो रहे पर्यावरण का असर भावी पीढ़ी पर पड़ेगा। इससे बचने के लिए पानी और बिजली के बेवजह का इस्तेमाल रोका जाए। उम्मीद है कि पर्यावरण को चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया जाए। 
पानी सबके लिए जरूरी 
लेक्चरर अश्वनी आहूजा के अनुसार जलस्रोतों एवं जल निकायों की गंभीर उपेक्षा, भू-जल के बेतरतीब दोहन आदि से साफ जाहिर है कि आम आदमी तक पानी पहुंचाने की घोषणाएं निरर्थक हो चुकी हैं। चाहे किसानी का मसला हो या व्यक्तिगत उपयोग का, पानी की जरूरत तो जीव-जंतु-इंसान सभी को होती है। इस जरूरत को पूरा करने के लिए ऐसे मुद्दे उठने चाहिए।पैदा होगी अन्न की कमी 
जमींदारा फार्मासल्यूशन के निदेशक विक्रम आहूजा का कहना है कि पर्यावरण दूषित होने के असर सभी जीव-जंतुओं पर पड़ रहा है। मित्र कीड़ों की कमी हो रही है। भूमि की उपजाऊ शक्ति खत्म होने लगी है। अगर ऐसा रहा तो आने वाले समय में अन्न की कमी हो जाएगी, इसलिए जरूरी है कि पर्यावरण को मुद्दा बनाया जाए।

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