16th दिसम्बर, 2007
फाजिलका -साल 2007 में सांस्कृतिक गतिविधियों के उत्थान के मामले में सरकार व प्रशासन नाकाम रहा है। इस साल भी सांस्कृतिक गतिविधियों के आयोजन का सेहरा विभिन्न निजी स्कूलों और समाज सेवी संस्थाओं के सिर ही बंधा है, जबकि न तो सरकारी स्कूलों और न ही प्रशासन ने संस्कृति के प्रति लगाव में दिलचस्पी नहीं दिखाई।
उल्लेखनीय है कि पंजाब की पहचान उसकी धनी संस्कृति ही है। स्कूल स्तर से शुरू कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले सांस्कृतिक मुकाबलों में भाग लेकर पंजाब के कलाकार अपना और राज्य का नाम रोशन करते आए है। हालांकि साल 2007 में फाजिल्का में सांस्कृतिक गतिविधियां काफी हुई हैं, लेकिन निजी स्कूलों और समाजसेवी संगठनों ने भावी कलाकारों में जल रही अपनी संस्कृति के प्रसार की लौ लगाए रखा।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/punjab/4_2_3996727.html
ऐसा नहीं है कि सरकार ने इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया, लेकिन सरकारी स्कूलों में करवाई प्राइमरी से लेकर सीनियर सेकेंडरी स्तर की सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में फाजिल्का के होनहार विद्यार्थियों को उससे आगे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का मौका नहीं मिल पाया। स्थानीय प्रशासन ने भी राष्ट्रीय दिवस 26 जनवरी व 15 अगस्त व एकाध अन्य मौके पर सांस्कृतिक गतिविधियां तो जरूर आयोजित कीं, लेकिन वह आयोजन महज खानापूर्ति भर बनकर रह गए। मगर उन आयोजनों में प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों ने जहां भी मौका मिला उन्होंने अपनी प्रतिभा का खुलकर प्रदर्शन किया। सबसे बेहतरीन मंच विद्यार्थियों को निजी स्कूलों ने मुहैया करवाया। आत्म वल्लभ स्कूल, सर्वहितकारी विद्या मंदिरा, डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, केडी हाई स्कूल, रेनबो-डे बोर्डिग स्कूल, सेक्रेड हार्ट स्कूल, सरस्वती विद्या मंदिर, चाणक्य माडर्न, डीसी माडल, आर्मी स्कूल व अन्य निजी स्कूलों ने विद्यार्थियों की कला निखारने के लिए जहां सांस्कृतिक मुकाबलों में अवसर प्रदान किए वहीं स्कूलों के वार्षिकोत्सवों में भी विद्यार्थियों ने अपनी कला की धूम मचाई। इसके अलावा समाजसेवा में अग्रणी लायंस क्लब, सेवा भारती, भारत विकास परिषद आदि ने भी लोहड़ी, दीवाली, होली व अन्य तीज त्यौहारों पर सांस्कृतिक समारोह आयोजित कर लोगों को पंजाब की धनी संस्कृति से जोड़े रखा।
Tuesday, December 18, 2007
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