इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरूआत विधायक सुरजीत ज्याणी ने दीप प्रज्जवलित कर की। उनके साथ कैप्टन एमएस बेदी, उद्योगपति संजीव नागपाल, यूथ अकाली दल के राष्ट्रीय संगठन सचिव परमजीत सिंह वैरड़, मैडम प्रीतम कौर ने शिरकत की। अंतिम दिन विधायक सुरजीत ज्याणी ने नैनो रिक्शा का शुभारंभ किया। विशेष अतिथि पम्मा वैरड़ ने विधायक ज्याणी को रिक्शा पर चढ़ाकर शुभारंभ किया। इससे संस्कृति एवं विरास्त की दूर-दूर तक पहचान बनी है। युवाओं को इससे यकीनन प्रेरणा मिलेगी। समारोह में फाजिल्का की धरती पर अंतराष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंट करवाने वाले पंकज धमीजा, लोगों की सुरक्षा में मुस्तेद एसएचओ सदर बलजीत सिंह, सीआईडी विभाग के इंस्पेक्टर राज कुमार, जीवन शर्मा को फाजिल्का रक्षक, पहले विरास्ती भवन को निर्माण करवाने पम्मी सिंह को विरसे के वारिश से नवाजा गया। समारोह में संस्था के संरक्षक डॉ. भूपिन्द्र सिंह, अध्यक्ष उमेश कुक्कड़, महासचिव इंजीनियर नवदीप असीजा ने बताया कि समारोह का उद्देश्य लोगों में फाजिल्का के प्रति आकर्षण पैदा करना था, इसमें वह काफी सफल हुए हैं। उन्होंने कहा कि लोगों के सहयोग से भविष्य में भी ऐसे आयोजन होते रहेंगे।
"Nano" Launched in Fazilka
आ गई फाजिल्का में नैनो रिक्शाण में पहले से ही अहम योगदान डाल रहे फाजिल्का ने अन्य शहरों से एक आगे बढ़ाते हुए यहां नैनो रिक्शा को लांच किया है, जिससे लोगों में रिक्शा में सफर करने की ललक अपने आप बढ़ जाएगी। बीती देर रात दि फाजिल्का हेरीटेज फेस्टीवल में नैनो रिक्शा लांच कर फाजिल्का राज्य का पहला शहर बन गया है जहां पर यह रिक्शा जांच की गई है। मजेदार बात यह है कि इसे फाजिल्का की ही मूल निवासी एक लड़की ने डिजाइन किया है। उक्त रिक्शा में आप मजे से बैठकर अखबार और रसाला भी पढ़ सकेंगे। अगर आप को पानी की प्यास लगेगी तो रिक्शा पर ही आप की प्यास बुझाई जाएगी। आपको धूप और बारिश की भी चिंता नहीं होगी। धूप और बारिश से बचने के लिए सवारी और चालक के सिर पर छत्त भी होगी। रिक्शा का डिजाइन स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्कीटेक्चर दिल्ली की शाखा इंडस्ट्रीय डिजाइनिंग में एमटैक की डिग्री कर रही छात्रा कीर्ती दीक्षित की ओर से तैयार किया गया है। जिसने छह माह की ट्रेनिंग दौरान इस मॉडल को आईआईटी रुड़की के रिटायर्ड प्रोफैसर डाक्टर भूपिन्द्र सिंह और इंजीनियर नवदीप असीजा के सहयोग से तैयार किया गया है।
टाटा कंपनी की नैनों कार से प्रभावित होकर फाजिल्का नैनों रिक्शा तैयार की गई है। पहले वाली रिक्शा का वजन करीब 85 किलोग्राम है, जबकि फाजिल्का नैनों रिक्शा का वजन मात्र 55 किलोग्राम ही है। इंजीनियर नवदीप असीजा ने बताया कि लकड़ी वाली मेरठ बॉडी की जगह लोहे की पाइपों का प्रयोग किया गया है। लकड़ी की जगह पाइपें लगाई गई हैं। इससे रिक्शा की साफ सफाई भी सही ढ़ंग से की जा सकती है। असीजा ने बताया कि इसे लो-फ्लोर बनाया गया है। इससे बुजुर्गों व बीमार व्यक्तियों को रिक्शा पर चढऩे में आसानी होगी। यह एक फीट ऊंचा होगा, जबकि दूसरे रिक्शा करीब डेढ़ फीट ऊंचे हैं। सवारी को अपना सामान रखने के लिए लगेज स्पेस बनाया गया है। इसे ऊपर-नीचे किया जा सकता है। इंजीनियर असीजा ने बताया कि भले ही फाजिल्का नैनों रिक्शा को तेज गति या ऊंच नीच सड़को पर दौड़ाया जाए, मगर दुर्घटना का डर नहीं होगा। रिक्शा के पीछे रिफ्लैक्टर लगाए गए हैं। जब रिक्शा रुकेगी या उस की गति कम होगी तो रिफ्लैक्टरों से पीछे आ रहे वाहन चालक को खुद ही इशारा मिल जाएगा। असीजा के मुताबिक फाजिल्का के रिक्शा चालक गरीब हैं और वह ज्यादा मंहगा रिक्शा खरीद नहीं कर सकते, मगर अब हर रिक्शा चालक को रिक्शा मिलेगी।
उन्होंने बताया कि दिल्ली एक बैंक से माइक्रो फायनेंस की बात जारी है। उसके बाद रिक्शा चालकों को रिक्शा फायनेंस पर दी जाएगी। उसके बाद फाजिल्का नैनों रिक्शा शहर की सड़कों पर दौड़ती नजर आएगी।
आ गई फाजिल्का में नैनो रिक्शाण में पहले से ही अहम योगदान डाल रहे फाजिल्का ने अन्य शहरों से एक आगे बढ़ाते हुए यहां नैनो रिक्शा को लांच किया है, जिससे लोगों में रिक्शा में सफर करने की ललक अपने आप बढ़ जाएगी। बीती देर रात दि फाजिल्का हेरीटेज फेस्टीवल में नैनो रिक्शा लांच कर फाजिल्का राज्य का पहला शहर बन गया है जहां पर यह रिक्शा जांच की गई है। मजेदार बात यह है कि इसे फाजिल्का की ही मूल निवासी एक लड़की ने डिजाइन किया है। उक्त रिक्शा में आप मजे से बैठकर अखबार और रसाला भी पढ़ सकेंगे। अगर आप को पानी की प्यास लगेगी तो रिक्शा पर ही आप की प्यास बुझाई जाएगी। आपको धूप और बारिश की भी चिंता नहीं होगी। धूप और बारिश से बचने के लिए सवारी और चालक के सिर पर छत्त भी होगी। रिक्शा का डिजाइन स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्कीटेक्चर दिल्ली की शाखा इंडस्ट्रीय डिजाइनिंग में एमटैक की डिग्री कर रही छात्रा कीर्ती दीक्षित की ओर से तैयार किया गया है। जिसने छह माह की ट्रेनिंग दौरान इस मॉडल को आईआईटी रुड़की के रिटायर्ड प्रोफैसर डाक्टर भूपिन्द्र सिंह और इंजीनियर नवदीप असीजा के सहयोग से तैयार किया गया है।
टाटा कंपनी की नैनों कार से प्रभावित होकर फाजिल्का नैनों रिक्शा तैयार की गई है। पहले वाली रिक्शा का वजन करीब 85 किलोग्राम है, जबकि फाजिल्का नैनों रिक्शा का वजन मात्र 55 किलोग्राम ही है। इंजीनियर नवदीप असीजा ने बताया कि लकड़ी वाली मेरठ बॉडी की जगह लोहे की पाइपों का प्रयोग किया गया है। लकड़ी की जगह पाइपें लगाई गई हैं। इससे रिक्शा की साफ सफाई भी सही ढ़ंग से की जा सकती है। असीजा ने बताया कि इसे लो-फ्लोर बनाया गया है। इससे बुजुर्गों व बीमार व्यक्तियों को रिक्शा पर चढऩे में आसानी होगी। यह एक फीट ऊंचा होगा, जबकि दूसरे रिक्शा करीब डेढ़ फीट ऊंचे हैं। सवारी को अपना सामान रखने के लिए लगेज स्पेस बनाया गया है। इसे ऊपर-नीचे किया जा सकता है। इंजीनियर असीजा ने बताया कि भले ही फाजिल्का नैनों रिक्शा को तेज गति या ऊंच नीच सड़को पर दौड़ाया जाए, मगर दुर्घटना का डर नहीं होगा। रिक्शा के पीछे रिफ्लैक्टर लगाए गए हैं। जब रिक्शा रुकेगी या उस की गति कम होगी तो रिफ्लैक्टरों से पीछे आ रहे वाहन चालक को खुद ही इशारा मिल जाएगा। असीजा के मुताबिक फाजिल्का के रिक्शा चालक गरीब हैं और वह ज्यादा मंहगा रिक्शा खरीद नहीं कर सकते, मगर अब हर रिक्शा चालक को रिक्शा मिलेगी।
उन्होंने बताया कि दिल्ली एक बैंक से माइक्रो फायनेंस की बात जारी है। उसके बाद रिक्शा चालकों को रिक्शा फायनेंस पर दी जाएगी। उसके बाद फाजिल्का नैनों रिक्शा शहर की सड़कों पर दौड़ती नजर आएगी।
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