Wednesday, June 22, 2011

कहीं खंडहर न बन जाए संस्कृत कालेज!

डा. अमर लाल बाघला, फाजिल्का

फाजिल्का का संस्कृत कालेज संभवत: पंजाब का सबसे पुराना कालेज है। लेकिन सौ वर्ष से पुराना ये कालेज आज बंद होने की कगार पर पहुंच गया है। सरकार की ओर से इस कालेज को कोई आर्थिक सहायता नहीं दी जा रही। यहां के धनाढ्य पेड़ीवाल परिवार व विद्वान साधू राम शर्मा की मेहनत के बदौलत ही यह कालेज अपना अस्तित्व बचाए हुए है।

उल्लेखनीय है कि इस कालेज ने देश को अनेक संस्कृत विद्वान दिए हैं। कालेज में विद्यार्थियों को जहां संस्कृत की नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है, वहीं भोजन व रहने का प्रबंध भी नि:शुल्क है। संस्कृत से दूर होती जा रही आज की पीढ़ी का कोई भी स्थानीय युवा इस कालेज में नहीं है बल्कि ब्राह्मण वर्ग से संबंधित दूसरे राज्यों हरियाणा, राजस्थान आदि से विद्यार्थी यहां संस्कृत का ज्ञान हासिल करने आते हैं। इस कालेज में चारों वेद ऋगवेद, सामवेद, यजुर्वेद व अथर्वेद का प्रकाश है। लेकिन इसकी दुर्दशा यहां के बुद्धिजीवियों को चिंतित कर रही है।

कालेज के प्राध्यापक पंडित साधू राम शर्मा पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व दिल्ली सरकारों द्वारा संस्कृत विद्वान के रुप में सम्मानित हो चुके हैं। लेकिन अब हालत ये है कि कालेज खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। कालेज के दो कमरों की छतें टूटकर गिर चुकी हैं। राज्य सरकार की उपेक्षा से इस कालेज की शेष इमारत भी जर्जर होती जा रही है। पंजाब यूनिवर्सिटी से एफीलिएटेड होने के बावजूद इसे कोई ग्रांट नहीं मिल रही।

संस्कृत के प्रति लोगों की रुचि कम होने के कारण ही इस कालेज में संस्कृत पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या अब केवल 21 रह गई है। जबकि किसी समय यहां पर सैकड़ों विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण किया करते थे।

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इन्होंने ली कालेज की सुध

फाजिल्का : पेड़ीवाल परिवार के अलावा कालेज की हालत पर चिंता जताते हुए फाजिल्का के समाजसेवी कैप्टन एमएस बेदी ने कालेज में कूलर प्रदान किया है। कालेज के गुरु राम निवास ने बताया कि समाजसेवी विनोद ज्याणी ने भी कालेज में इन्वर्टर लगवाने की बात कही है।

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