Friday, December 3, 2010

यहां कण-कण में बसी है शहादत की कहानी

Dec 02, 2010
अमृत सचदेवा, फाजिल्का
भारत-पाक 1971 युद्ध की यादें हर भारतवासी के जहन में दफन हैं। हर साल 3 दिसंबर आते ही ये यादें ताजा हो जाती हैं। पाकिस्तान ने 1971 में इसी दिन फाजिल्का सेक्टर के रास्ते भारत पर हमला किया गया था। इस युद्ध में दी गई भारतीय जवानों की शहादत की गवाही इस क्षेत्र का कण-कण देता है।

उल्लेखनीय है कि 3 दिसंबर को शुरू हुए युद्ध में दुश्मन के सैकड़ों जवानों ने भारत के एक बड़े क्षेत्रफल पर कब्जा कर लिया था। दुश्मन गांव बेरीवाला के पुल तक पहुंच चुका था। इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने और बढ़ते हुए साबूना बांध पर भी कब्जा कर लिया। पाकिस्तान ने कब्जा किए गए इलाके में 15 सौ जवान, 20 टैंक व भारी तोपों से लैस ब्रिगेड तैनात कर दी थी। इस विकट परिस्थिति में भी दुश्मन की संख्या से 10 गुणा कम भारतीय जाट रेजीमेंट के लगभग डेढ़ सौ जवानों और मदद मिलने तक पाक सने का डट कर मुकाबला किया। इन मुटठी भर जवानों ने दो दिन के भीतर ही बेरीवाला पुल तक पहुंचकर दुश्मनों को फाजिल्का की ओर बढ़ने से रोकने के लिए बमों से पुल को उड़ा दिया, जिससे दुश्मन आगे नहीं बढ़ सका। इस तरह दुश्मन का फाजिल्का पर कब्जा करने के मंसूबे पर पानी फिर गया। इस हमले में जाट रेजीमेंट के 84 जवान शहीद हो गए। इसके बाद आई 15 राजपूत बटालियन ने दुश्मन पर ताबड़तोड़ हमला बोल उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।

युद्ध के बाद जाट रेजीमेंट के इस शूरवीर सैनिकों के सम्मान में गांव आसफवाला में 81 फुट चौड़ी चिता बनाकर उनका सामूहिक अंतिम संस्कार ग्रामीणों ने किया था। वह पवित्र जगह आज आसफवाला समाधि के नाम से जानी जाती है। भारत-पाक सीमा पर रिट्रीट सेरेमनी देखने जाने वाले पर्यटक रास्ते में आने वाली उस समाधि पर शीश झुकाना नहीं भूलते।

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