Wednesday, December 15, 2010

संगीत से प्रीत, जज्बे की जीत

जागरण संवाददाता, फाजिल्का 
Bathinda Edition, Page 1 Anchor, Amrit Sachdeva:

 जिंदगी में अंधेरा होने के बावजूद हरप्रीत की तमन्ना दूसरों के जीवन को सुरमयी बनाने की है। आठवीं कक्षा में ही आंखों की रोशनी खोने के बावजूद उसने हिम्मत नहीं हारी और ब्रेल लिपि के जरिये पढ़ाई जारी रखी। वह म्यूजिक में बीए करने के बाद अब अध्यापिका बनने के लिए ईटीटी कर रही है। राधा स्वामी कालोनी निवासी एवं बिजली विभाग में कार्यरत पूर्ण सिंह की 25 वर्षीय पुत्री हरप्रीत कौर बताती है कि आंखों की ज्योति कम होकर समाप्त होने की समस्या वंशानुगत है। वह आठवीं तक देख सकती थी, लेकिन अचानक नेत्र ज्योति समाप्त होने लगी और उसे दिखना बंद हो गया। ऐसे में परिजनों ने उसका हौसला बढ़ाया। पिता पूर्ण सिंह ने उसे लुधियाना स्थित ब्रेल भवन में बे्रल लिपि के जरिये पढ़ाई करने के लिए भेजा। चार साल की अथक मेहनत से अपनी पढ़ाई की और विषारद संगीत को अपने जीवन का आधार बनाया। इस दौरान उसकी शादी धार्मिक विचारों वाले रविंदर सिंह से हुई, जो गुरुद्वारा श्री सिंह सभा में सेवा संभाल रहे हैं। उसे एक चार साल की बेटी व छोटा बेटा है। हरप्रीत ने कहा कि वह म्यूजिक टीचर बनना चाहती है। फिलहाल वह ज्योति बीएड कालेज में ईटीटी कर रही है। कालेज में रोजाना होने वाले लेक्चर को रिकार्ड करती है और घर जाकर उसे बे्रल लिपि में लिख लेती है। हरप्रीत के साहस को देखते कर शहर की विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संस्थाएं उसे सम्मानित कर चुकी है। अब शहीदों की समाधि कमेटी द्वारा विजय दिवस के मौके पर कार्यक्रम में शबद गायन के लिए हरप्रीत को आमंत्रित किया गया है।

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