Tuesday, December 28, 2010

झेल रहे हैं अपनों की दुत्कार, अफरशाही की बेरुखी

वृद्धाश्रम एक ऐसी जगह जिसका नाम आते ही आखों के सामने उपेक्षा के शिकार चेहरे कौंधने लग जाते हैं वो चाहे अपनों की दुत्कार का शिकार हों या फिर अफसरशाही की बेरुखी का। इन्हीं दोनों तरह की मार से पीडि़त तीन चेहरे संत कौर, अजीत सिंह और प्रकाश सिंह कई साल से फाजिल्का के वृद्धाश्रम में जिंदगी के बचे-खुचे दिन तोड़ रहे हैं।

फौजी की विधवा ने लिखे कई निवेदन

गांव सैनिया की संत कौर का पति सुचेत ङ्क्षसह भारतीय सेना में तैनात था। 1965 के भारत-पाक युद्ध में सुचेत ङ्क्षसह ने बहादुरी के साथ दुश्मनों का मुकाबला किया, लेकिन अचानक एक गोली उसके सीने से पार हो गई और वह शहीद हो गया। 

संत कौर ने भीगे नैनों से बताया कि इसके बाद सरकार ने उनके परिवार की थोड़ी-बहुत ही सहायता की। जब भी वह अधिकारियों के पास फरियाद लेकर पहुंची तभी उन्हें एक और प्रार्थना पत्र लिखकर देने की बात कहकर टाल दिया जाता रहा है। उसे तो याद भी नहीं कि वह कितनी बार और कितने अधिकारियों को निवेदन पत्र लिख चुकी है। करीब 4 माह पहले उसे मात्र 1200 रुपए ही पेंशन मिली है। फिर यह भी बंद हो गई। इससे पहले 4-5 बार ही उन्हें पेंशन मिली थी। अब वह 6 साल से यहां बची-खुची जिंदगी बसर कर रही है।

विभाजन के समय खोए फौजी के कागज

ब्रिटिश साम्राज्य में अजीत सिंह 10/8 पंजाब रेजीमेंट के सैनिक थे। उनकी ड्यूटी लाहौर में थी। बात भारत-पाक विभाजन के समय की है। एक रात तेज बारिश से उनका मकान गिर गया और सरकारी कागजात का कोई पता नहीं चला। जो कागजात उनके पास थे, वे विभाजन दौरान गुम हो गए। वह परिवार सहित फाजिल्का आए और बाद में अनेक बार सरकारी कार्यालयों में जाकर आर्थिक सहायता पाने की गुहार लगाते रहे, लेकिन हर बार कागजात लाओ का बहाना बनाकर टाल दिया जाता रहा। अंत में हारकर वह बैठ गया। करीब 4 साल पहले परिवार ने भी उसे दुत्कार दिया और वृद्धाश्रम को अपना घर बना लिया।

प्रकाश सिंह ने शादी ही नहीं करवाई

जिंदगी के 70 बसंत देख चुके प्रकाश सिंह एमएससी एग्रीकल्चर पास हैं और वह राज्य के अधिकांश नेताओं को उनके सियासी भविष्य के बारे में बताते हैं। देश विदेश के इतिहास के बारे में भी उन्हें काफी जानकारी है। उसने शादी नहीं करवाई और अब उन्होंने वृद्ध आश्रम को अपना आशियाना बना लिया। 

यहां रहने वाले बुजुर्ग ही उनका परिवार है। बुजुर्गों का कहना है कि भले ही सरकार ने उनकी कभी नहीं सुनी, लेकिन वृद्धाश्रम के कारण वे चैन की जिंदगी बसर कर रहे हैं। 

27 फाजिल्का 2 फाजिल्का के वृद्ध आश्रम को अपना आशियाना बनाने वाले बुजुर्ग।

'ए होम अवे फ्रॉम होम का स्थापना दिवस मनाया

फाजिल्का & मानव कल्याण सभा की ओर से संचालित वृद्धाश्रम का स्थापना दिवस मनाया गया। इस अवसर पर धार्मिक समारोह का आयोजन किया गया। इसमें बाला जी धाम महिला मंडल द्वारा श्री सुंदर कांड के पाठ का संगीतमयी उच्चारण किया गया। समाजसेवी सतीश कुमार सचदेवा ने पूजा अर्चणा के पश्चात पवित्र ज्योति प्रज्ज्वलित की गई। इस मौके पर बाबा अविनाश चन्द अनेजा विशेष रूप से उपस्थित हुए। मौके पर सुशील गुंबर ने सभा के प्रोजेक्ट की जानकारी दी। इस मौके पर अध्यक्ष सुरेन्द्र सचदेवा व अन्य पदाधिकारी मौजूद थे|

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