डॉ. अमर लाल बाघला, फाजिल्का1
कैसे बनाएं भूकंप रहित घर 15
भारतीय मानक ब्यूरो 2002 के वर्गीकरण के अनुसार फाजिल्का भूकंप जोन तीन में आता है। फाजिल्का में आए दो भूकंपो ने मुख्य रूप से नुकसान पहुंचाया 19 फरवरी 1842 फाजिल्का के बसने से पहले जिसका1इतिहास में ज्यादा जिक्र नहीं है और 4 अप्रैल 1905 को आए भूकंप ने फाजिल्का शहर को नौ झटके दिए थे। उस समय के पोस्ट मास्टर मौला बख्श के बयान अनुसार सारी इमारतें आंधी में आए पेड़ों की तरह हिलने लगी। सिविल इंजीनियर नवदीप असीजा ने बताया कि भारतीय समय अनुसार शाम के 06:19:48 पर आए इस भूकंप का केंद्र कांगड़ा था, जिसकी रिक्टर स्केल पर तीव्रता 7.8 थी। इसमें सरकारी आंकड़ों के अनुसार पूरे उत्तर भारत में करीब एक लाख इमारतों अथवा 20 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई थी। कांगड़ा से करीब 1000 किलोमीटर के घेरे में इसका असर देखने को मिला था। इसी साल आई बाढ़ ने फाजिल्का को तहस नहस कर दिया। भूकंप धरती के भीतर जिस बिंदु से शुरू होता है उसे फोकस कहते है और जमीन पर उसी बिंदु को एपी सेंटर कहा जाता हैं।1 फोकस और एपी सेंटर के बीच में अगर रेत है तो भूकंप की तीव्रता जमीन के सतह पर आते आते बढ़ जाती है। जबकि अगर चिकनी मिट्टी हो तो यह तीव्रता कम हो जाती हैं, क्योंकि चिकनी मिट्टी अपने अंदर भूकंप की ऊर्जा को समा लेती है। फाजिल्का की नीचे की मिट्टी सतलुज दरिया से लाई रेतीली अथवा चिकनी मिट्टी से बनी है। भूकंप आने की स्थिति में नुकसान ज्यादा होने का खतरा कैलाश नगर, मलकाना मोहल्ला, कालका मंदिर, आर्य नगर आदि को है। तंग गालियां व पार्क न होने की सूरत में लोगों के लिए खुले में बाहर भागने के लिए कोई रास्ता नहीं और न ही प्रशासन के पास कोई प्लान है।1बिना देखे समङो नक्शे हो जाते है पास1अवैध निर्माण, जरूरत से ज्यादा ऊंची इमारत न केवल खुद के लिए खतरनाक बल्कि आस पड़ोस में भी भारी नुकसान कर सकती है। आपके आसपास अवैध निर्माण हो रहा है और आप चुप है तो ध्यान रहे आपकी चुप्पी आपकी और आपके परिवार की जान भी ले सकती है। 1अवैध कॉलोनी जिसमें पार्क व खुली सड़कों की जगह भी प्लाट काट कर बेच दिए, इस पूरे मामले को और भी खतरनाक बना देती है।1 वहीं आज-कल फाजिल्का में एक नया प्रचलन शुरू हुआ है कि दुकान या घर के आगे निकलने वाले छज्जे पर पहली मंजिल की छत डाल दी जाती है। भूकंप की दृष्टि से यह सबसे खतरनाक हैं। छज्जे 4-5 व्यक्तियों के भार के लिए बनते है न कि पूरी छत का। वहीं लोगो स्वार्थ व नगर कौंसिल का गैर जिम्मेदाराना रवैया लोगों के लिए जान का दुश्मन बन सकता है।
भारतीय मानक ब्यूरो 2002 के वर्गीकरण के अनुसार फाजिल्का भूकंप जोन तीन में आता है। फाजिल्का में आए दो भूकंपो ने मुख्य रूप से नुकसान पहुंचाया 19 फरवरी 1842 फाजिल्का के बसने से पहले जिसका1इतिहास में ज्यादा जिक्र नहीं है और 4 अप्रैल 1905 को आए भूकंप ने फाजिल्का शहर को नौ झटके दिए थे। उस समय के पोस्ट मास्टर मौला बख्श के बयान अनुसार सारी इमारतें आंधी में आए पेड़ों की तरह हिलने लगी। सिविल इंजीनियर नवदीप असीजा ने बताया कि भारतीय समय अनुसार शाम के 06:19:48 पर आए इस भूकंप का केंद्र कांगड़ा था, जिसकी रिक्टर स्केल पर तीव्रता 7.8 थी। इसमें सरकारी आंकड़ों के अनुसार पूरे उत्तर भारत में करीब एक लाख इमारतों अथवा 20 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई थी। कांगड़ा से करीब 1000 किलोमीटर के घेरे में इसका असर देखने को मिला था। इसी साल आई बाढ़ ने फाजिल्का को तहस नहस कर दिया। भूकंप धरती के भीतर जिस बिंदु से शुरू होता है उसे फोकस कहते है और जमीन पर उसी बिंदु को एपी सेंटर कहा जाता हैं।1 फोकस और एपी सेंटर के बीच में अगर रेत है तो भूकंप की तीव्रता जमीन के सतह पर आते आते बढ़ जाती है। जबकि अगर चिकनी मिट्टी हो तो यह तीव्रता कम हो जाती हैं, क्योंकि चिकनी मिट्टी अपने अंदर भूकंप की ऊर्जा को समा लेती है। फाजिल्का की नीचे की मिट्टी सतलुज दरिया से लाई रेतीली अथवा चिकनी मिट्टी से बनी है। भूकंप आने की स्थिति में नुकसान ज्यादा होने का खतरा कैलाश नगर, मलकाना मोहल्ला, कालका मंदिर, आर्य नगर आदि को है। तंग गालियां व पार्क न होने की सूरत में लोगों के लिए खुले में बाहर भागने के लिए कोई रास्ता नहीं और न ही प्रशासन के पास कोई प्लान है।1बिना देखे समङो नक्शे हो जाते है पास1अवैध निर्माण, जरूरत से ज्यादा ऊंची इमारत न केवल खुद के लिए खतरनाक बल्कि आस पड़ोस में भी भारी नुकसान कर सकती है। आपके आसपास अवैध निर्माण हो रहा है और आप चुप है तो ध्यान रहे आपकी चुप्पी आपकी और आपके परिवार की जान भी ले सकती है। 1अवैध कॉलोनी जिसमें पार्क व खुली सड़कों की जगह भी प्लाट काट कर बेच दिए, इस पूरे मामले को और भी खतरनाक बना देती है।1 वहीं आज-कल फाजिल्का में एक नया प्रचलन शुरू हुआ है कि दुकान या घर के आगे निकलने वाले छज्जे पर पहली मंजिल की छत डाल दी जाती है। भूकंप की दृष्टि से यह सबसे खतरनाक हैं। छज्जे 4-5 व्यक्तियों के भार के लिए बनते है न कि पूरी छत का। वहीं लोगो स्वार्थ व नगर कौंसिल का गैर जिम्मेदाराना रवैया लोगों के लिए जान का दुश्मन बन सकता है।
भूकंप की तीव्रता बिल्डिंग के भार अथवा ऊंचाई से बढ़ती है। कम ऊंचाई की इमारत सबसे सेफ है। भूकंप जमीनी सतह पर सामानांतर चलता है। नींव मजबूत बनाएं और कंक्रीट का बीम जो पूरे घर के नीवों को जोड़कर जरूर डालें। एक बीम दरवाजों के लेवल करीब सात फुट पर जरूर डालें। तीन मंजिला से ऊंची इमारत ईंटों की दीवारों पर न बनाकर कंक्रीट का फ्रेम बनाकर बनाएं।
सावधानी : इतिहास से सीखने की जरूरत, प्रशासन के नहीं है कोई प्लान
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