Friday, July 23, 2021

आनंद महोत्सव से हरा-भरा बनेगा फाजिल्का

पंजाब भर में वैसे तो कई महोत्सव होतें होंगे लेकिन फाजिल्का में पिछले 10 साल से ऐसा आनंद महोत्सव चल रहा है जिसके तहत फाजिल्का शहर को लगातार हरा भरा बनाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

संस, फाजिल्का: पंजाब भर में वैसे तो कई महोत्सव होतें होंगे, लेकिन फाजिल्का में पिछले 10 साल से ऐसा आनंद महोत्सव चल रहा है जिसके तहत फाजिल्का शहर को लगातार हरा भरा बनाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इस महोत्सव के तहत सावन माह के दौरान पौधारोपण अभियान चलाया जाता है, जोकि इस बार 18 जुलाई को चलने जा रहा है।

इस महोत्सव को चलाने वाली ग्रेजुएट वेलफेयर सोसायटी अब तक फाजिल्का में 10 से 12 हजार पौधे लगा चुकी है, जिनमें से चार हजार के करीब पौधे बड़े होकर पेड़ बन चुके हैं। वहीं इस साल के आनंद महोत्सव को सोसायटी के संरक्षक एवं ऊर्जा पुरुष कहलाए जाने वाले भूपिंद्र सिंह को समíपत किया गया है। फाजिल्का शहर के वातावरण प्रतिशत की बात करें तो यह एक प्रतिशत से भी कम है। लगातार बढ़ रही आबादी और लगातार निर्माण किए जा रहे भवनों के चलते पेड़ो की संख्या लगातार कम होती जा रही है। ग्रेजुएट वेलफेयर सोसायटी की ओर से सैटेलाइट के माध्यम लिए गए आकड़ों के अनुसार फाजिल्का में तीन मीटर तक के लगभग 5055 पेड़ हैं, जबकि आबादी की बात की जाए तो 100 घरों के पीछे केवल 24 पेड़ हैं, जोकि अपने आप में ही चिंता का विषय है। पर्यावरण को बचाने के लिए हर घर के पीछे एक पौधा होना चाहिए, जिससे हमारा आसपास शुद्ध हो सके। फाजिल्का की ग्रेजुएड वेलफेयर सोसायटी हर साल महोत्सव का आयोजन करके इस तरह का प्रयास कर रही है।

Friday, May 21, 2021

Tribute to Professor Dinesh Mohan and Sunder Lal Bahuguna by Ravish Kumar - Prime Time -NDTV

भारत के सड़क सुरक्षा की पितामह और सच्चे देशभगत प्रोफेसर दिनेश मोहन नहीं रहे | देश के लिए और हम सब के लिए यह एक न पूरा होने वाला नुकसान है शायद | उनसे सं 2003 में एक अचानक हुए वाकय से जुड़ा | रांची से पटना गाड़ी में सफर करते हुए प्रोफेसर मोहन का आउटलुक में एक आर्टिकल पढ़ा, यह सं 2003 की बात है, जिसमे उन्होंने कहा की देश में एक भी सड़क शायद ऐसे नहीं जो सड़क सुऱक्षा के मापदंडो पर पूरी उतरे, और जिस गति से देश सड़को का बिना सड़क सुरक्षा के मापदंडो से विकास होने जा रहा है ,सड़क हादसों में मौतों की संख्या कई गुना बढ़ जाएगी | तब में IIT में M.Tech कर रहा था | ईमेल की, सर आप ऐसे कैसे कह सकते है, मुझे बुलाया और बड़ी लम्बी डिस्कशन चली और फिर एक किताब दी " Safer Roads: Guide to Road Safety Engineering by K. W. Ogden" और बोले अच्छे से पढ़ना, शायद तुम्हारा सोचने का नजरिया बदल जाये | वह जिंदगी का पहला कदम था मेरा अपने इस कैरियर की तरफ | खुद प्रोफेसर मोहन 80 के दशक में अमेरिका में अपनी नौकरी छोड़ हिंदुस्तान वापस आये ताकि अपने देश को सड़क सुरक्षा के नाम पे कुछ दे सके, कर सके और इस सोच को बखूबी अंजाम दिया देश का पहला सड़क सुरक्षा का IIT दिल्ली में रिसर्च सेंटर बना के (TRIPP) | आते ही नए मोटर व्हीकल एक्ट 1988 को बनाने में जुट गए जोकि 1934 से चला आ रहा था | देश में सीट बेल्ट और हेलमेट की बात की| बाद में पता चला की दूरदर्शन पर जो एक हेलमेट पहनने वाला विज्ञापन आता है जिमे एक आदमी नारियल हथौड़ा से तोड़ता है और फिर उसी नारियल को हेलमेट के अंदर रख हथौड़ा मरता है और नारियल को कुछ नहीं होता, इतना इम्पैक्टफुल मास अवेयरनेस का प्रोग्राम भी प्रोफेसर मोहन द्वारा निर्देशित था | मेरे जैसे अनगिनत सड़क रेसर्चेर्स और प्रोफेशनल इस देश को दिए | गलत को सही तरीके से ग़लत कैसे कहते है वह प्रोफेसर मोहन ने सिखाया | अपने जो बुनियाद इस देश को दे आने वाली पीढ़ियां उसका फ़ायदा लेती रहेंगी | स्वर्ग तक आपका का सफ़र सुरक्षित रहे और आप सदैव जिंदा रहेंगे | Rest in Peace Sir 🙏