Wednesday, May 20, 2009

Fazilka emerging energy hub

 
Praful Chander Nagpal

Fazilka, October 23
The border town of Fazilka, which shot to limelight after it was elected by Czech Republic magazine "Carbuster" as the first Asian town for adopting energy saving practices to fight global warming, is all set to emerge as the energy hub of the state.

According to the facts compiled by Graduate Welfare Association (GWAF) here, the Punjab Energy Development Agency (PEDA), in collaboration with a German company, the Moser Baer Photovoltaic Limited, would install 5-MW solar energy plant in Fazilka. The energy so produced would be environment friendly. The project, likely to be completed within two years, would meet the power requirements of about one lakh residents of this town and that too at cheaper rates.

The PEDA has also taken up an initiative of generating power from residue of sugar mills. Meanwhile, it has floated tenders for generating power from waste of Fazilka Cooperative Sugar Mills.

The construction of the US $ 3.5 billion Turkmenistan-Afghanistan-Pakistan-India (TAPI) is likely to start in near future. Fazilka is expected to be established as a distribution point of the TAPI project, which would give further impetus to make it the energy hub.

The town has also emerged on the world map by adopting a unique system of making available cycle-rickshaws (ECOCABS) on call. Four telephone centres have been set up for the purpose. The system is running successfully. Moreover, for security reasons, the Indian defence forces stationed at Fazilka have recently planted more than 10,000 saplings, including 3,000 Sheesham saplings given by the progressive farmers of Fazilka.

While emerging on the energy front, the farmers of this area are also availing services of the Agricultural Equipment Bank set up by Vikram Ahuja, a young entrepreneur of this town.

The Malwa Water Management System developed by Ahuja is also likely to save 7.5 billion litres of water annually in Fazilka and its surrounding areas.

The farmers are also being apprised of the latest techniques to conserve water. Besides, drip irrigation system is also being promoted in the region.

Sunday, May 17, 2009

Prospecting the Fazilka-Abohar area for an Invest in GAIL Pipeline



Regards,
 
Atul Nagpal
Raj Mahal,
Gaushalla road,
Fazilka-152123

Saturday, May 16, 2009

फाजिल्का हो या गुहाटी, अपना देश अपनी माटी

May 07, 11:25 pm

फाजिल्का-फाजिल्का सैन्य छावनी के लिए बने पोलिंग वोटिंग बूथ पर आसाम के बाशिंदे टीसी बरूआ के लिए यह पहला मौका था, जब उसे गुहाटी की बजाए ठेठ मलवई सीट फिरोजपुर से चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों में से किसी एक को वोट देना था। चुनाव आयोग द्वारा इस बार जारी किए गए फरमान से बरूआ के लिए यह संभव हो पाया है।

इस फरमान के अनुसार सेना व सीसुब सरीखी एजेंसियों में कार्यरत जवानों, अधिकारियों और उनके परिवारों को अपनी पोस्टिंग वाले क्षेत्र के उम्मीदवारों को वोट डालने का अधिकार दिया गया था।

इसी के चलते वीरवार सुबह दैनिक जागरण द्वारा फाजिल्का छावनी का दौरा किया गया तो पूरी छावनी में वोटिंग को लेकर काफी उत्साह का माहौल था। सुबह के दस बजे तक छावनी के अधिकांश वोटर वोट डालने के लिए निकल चुके थे। हालांकि राज्य चुनाव आयोग द्वारा नए बूथ न बनाने की इजाजत देने के चलते छावनी के बिल्कुल साथ सटते गांव कौड़ियांवाली के बूथ में छावनी के बाशिंदों की वोट डलवाई गई। बंगाल के अपने साथियों के साथ बूथ से वोट डालकर बाहर निकल रहे गुहाटी के टीसी बरूआ व उसके साथियों का उत्साह देखते ही बनता था। दैनिक जागरण के साथ बातचीत में उन्होंने बताया कि पहले हम लोग छुट्टी न मिल पाने की वजह से अपने क्षेत्रों में वोट डालने जा नहीं पाते थे और स्थानीय क्षेत्र में वोट डालने का अधिकार नहीं था, लेकिन आज वोटिंग मशीन का बटन दबाने के बाद लगा कि गुहाटी हो या फाजिल्का वोटर के लिए सारा हिंदुस्तान एक ही है। बरूआ के साथी पी थामस ने बताया कि इस बार फिरोजपुर लोकसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ रही सभी प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवारों बारे उसने पूरी जानकारी हासिल कर रखी थी। इसके अलावा एक पार्टी ने तो बाकायदा छावनी क्षेत्र में अपना प्रचार भी किया। इससे उन्हे बहुत खुशी हुई कि हमें भी अपने घरों से दूर होने के बावजूद एक वोटर समझा जा रहा है।

उधर, सीमा सुरक्षा बल के कैंपस में पाया गया कि वहां जवानों व अधिकारियों के वोट डालने की कोई व्यवस्था नहीं थी। इस बारे में स्थानीय एसडीएम कम रिटर्निग अधिकारी चरणदेव सिंह मान से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बीएसएफ अधिकारियों द्वारा दिखाए गए ठंडे रवैये के चलते उनकी वोटे ही नहीं बन पाई। इस वजह से ऐसा हुआ है। जबकि बीएसएफ के डीआईजी वीके शर्मा ने कहा कि उन्हे इस बारे में कुछ ज्यादा जानकारी नहीं है। इसलिए वह कोई टिप्पणी नहीं कर सकते।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/punjab/4_2_5451036_1.html

छह घंटे के बाद मिला फार्म 17-ए इस्तेमाल का अधिकार

May 07, 11:25 pm

फाजिल्का-सांप नाथ, नाग नाथ सरीखी पार्टियों व उनके उम्मीदवारों को वोट देने की बजाए किसी को न चुन, नापसंदगी का इजहार करने का अधिकार बेशक चुनाव आयोग ने वोटर को 17-ए फार्म के जरिये दे दिया है। चुनाव प्रक्रिया में लिप्त किए गए रिटर्निग व प्रिजाइडिंग अधिकारी ही चुनाव आयोग के द्वारा प्रदत्त इस अधिकार प्राप्ति में सबसे बड़ा रोड़ा बन रहे है। इसकी पुष्टि करता एक वाकया फाजिल्का के बूथ नंबर 38 पर हुआ, जिसने नापसंदगी जताने की राह में दुश्वारियों की पोल खोलकर रख दी है, क्योंकि एक मतदाता को 17-ए फार्म के इस्तेमाल के लिए सुबह आठ से दोपहर एक बजे तक पोलिंग स्टेशन के कई चक्कर काटने पड़े, पोलिंग अधिकारियों के अड़ियल रवैये व धमकियां सुननी पड़ीं, लेकिन उसने भी हार नहीं मानीं और कई बार अपने फोन से चुनाव आयोग के अधिकारियों से शिकायत कर आखिरकार फार्म 17-ए फार्म का इस्तेमाल कर ही माना।

हुआ यूं कि स्थानीय जंडी वाली गली निवासी मतदाता सुभाष पांचाल ने किसी भी दल के प्रत्याशी को अपने वोट योग्य न पाए जाने पर एसडी एलीमेंट्री स्कूल में बने पोलिंग स्टेशन पर जाकर 17-ए फार्म की मांग की। पोलिंग स्टाफ ने ऐसे किसी फार्म से अनभिज्ञता जताते हुए उसे वोट डालने के लिए प्रेरित किया। यहां तक कि उसकी उंगली पर इंक का निशान भी लगा दिया। इस दौरान कुछ दलों के पोलिंग एजेंट नियुक्त हुए कार्यकर्ताओं ने भी उसे वोट डालने के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया, लेकिन पांचाल नहीं माना। इस पर एक चुनाव अधिकारी ने घुरकी दिखाते कहा कि तुम चुनाव प्रक्रिया में बाधा डाल रहे हो, तुम्हे पुलिस के हवाले कर देंगे, लेकिन पांचाल फार्म 17-ए के अधिकार बाबत पूरी तरह जागरूक था। पांचाल ने कहा कि उसने अपने फोन से रिटर्निग अधिकारी से बात की और पेश आ रही समस्या के बारे में बताया। रिटर्निग अधिकारी ने एक घंटे बाद आने के लिए कहा। पांचाल ने आरोप लगाया कि एक घंटे बाद भी उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार उसने चुनाव आयोग अधिकारियों को फोन किए। जिले के चुनाव अधिकारी ने डीसी को मामले का संज्ञान लेने के लिए कहा। डीसी फिरोजपुर ने संबंधित पोलिंग बूथ पर संपर्क कर चुनाव अधिकारियों को 17-ए फार्म के बारे में बताया और तब जाकर लगभग आधा दर्जन चक्करों और छह घंटे समय की बर्बादी के बाद सुभाष पांचाल को फार्म 17-ए के इस्तेमाल का मौका मिल सका। ऐसे में आम आदमी भ्रष्ट हो चुकी राजनीतिक व्यवस्था के खिलाफ विरोध जताने का हौसला करे तो कैसे करे।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/punjab/4_2_5451039_1.html

Thursday, May 14, 2009

Fazilka State Twenty 20 Cricket Inter District Tournament-Highlights

Govt to reactivate TAPI gas pipeline project

* Official says ADB willing to finance 25% of project cost
http://www.dailytimes.com.pk/default.asp?page=2009\05\14\story_14-5-2009_pg7_16

ISLAMABAD: The government has decided to reactivate the multi-billion-dollar Turkmenistan-Afghanistan-Pakistan-India (TAPI) gas pipeline project, and is considering taking 25 percent of the total amount from the Asian Development Bank (ADB) for this purpose.

According to a senior official of the Ministry of Petroleum, a tripartite agreement was signed by Turkmenistan, Afghanistan and Pakistan in December 2002 for laying hundreds of kilometres of gas pipeline from Turkmenistan to Pakistan via Afghanistan.

The ADB was acting as the lead developer and coordinator for the project. It sponsored a feasibility study in 2003 – completed by a British consulting firm, Penspen, in 2004 – for laying a pipeline to carry 3.2 million cubic metres of gas per day from Turkmenistan through Herat and Kandahar in Afghanistan and terminating in Multan in Pakistan.

Financing: In order to be processed further, transaction advisory services by an international consultant are being considered wherein the ADB has indicated that it will be willing to finance 25 percent of the cost of such services, provided the remaining cost is shared equally among the participating countries, the official said.

The 1,680km pipeline was suppose to run from the Dovetabat gas deposit in Turkmenistan to Fazilka, a town in Indian near the border with Pakistan, he said. The official said India also expressed its willingness to join the project later, and the Inter-Governmental Framework Agreement (IGFA) signed in December 2002 was amended in April 2008 to facilitate Indian participation. All four governments initiated the revised IGFA, but a formal signing of the agreement is still pending, awaiting completion of some 'enabling actions' required to be completed by Turkmenistan and Afghanistan. "These principally includes the signing of the agreement as well as certification of reserves held by Turkmenistan," he said.

The original estimate of the pipeline project in 2004 was $3.3 billion, which was revised to $7.6 billion in 2008. Responding to latest position of the ADB about the project, he said, "The bank has indicated that it would consider further investment only if the parties agree to move ahead with indication of tangible progress in the future." app

--
Navdeep Asija
http://navdeepasija.blogspot.com
Fazilka - 152123

Tuesday, May 12, 2009

Fazilite Mr Anoop Thatai and Mr Ravi Dhingra, Orient Craft, Gurgaon : Fazilite duo defining style statement for the Planet

Indian apparel and accessories designers have made their mark on the fashion high streets of the world, turning in thousands of trendy designs in a season. Fazilite duo who hails from this cotton rich belt really brought laurels to the name of this small town by marking their presence on global map with their extraordinary efforts in World Garment Industry.

Veering to the left of the Hero Honda roundabout in Manesar, Gurgoan is a nondescript road. A 100 meters down this path stands a building, which symbolises the rising global acceptance of India's fashion design industry—the 3,50,000-square feet designing and manufacturing unit of Orient Craft, one of India's largest export houses. On the ground floor of this Rs 750-crore company, in a glass cabin overlooking the work stations of 100 associates, 42-year-old Anoop Thatai, Joint Managing Director & CEO of the company, is busy discussing the new spring collection for a US customer. Finally, after hours of discussions, a few cuts, silhouettes and fabrics are short-listed. Then the design team of around 100, along with a support staff of 700, begins work on rolling out the products. Says Anoop Thatai: "The team has to complete the project in the next 14 days. Then we begin work for a major European retail brand. I am running at full capacity.

For Orient Craft, it has been an eventful journey, for; just 10 years back it was manufacturing apparel for international clients with little value addition. But the company has climbed up the value chain. Says Sudhir Dhingra, Chairman and Managing Director, Orient Craft: "Out of the 65% women's wear produced by us, almost 40% have our own design input and we produce 2,000 design samples a day. This differentiates us from competition and certain clients get back to us for particular designs Anoop Thatai Joint MD & CEO, Orient Craft. "Besides manufacturing prototypes, we are developing our own design lines." Said Anoop

The design element in the apparels and accessories industry—apparel alone is a Rs 30,000-crore market—has risen by almost 80%. Graduating from assembly line operations for Western labels, Indian design firms are now creating their own lines based on strong in-house R&D capabilities. Says Devangshu Dutta, Chief Executive, Third Eyesight, a Delhi-based fashion consulting firm: "The days of cut, copy, paste are coming to an end as every exporter looks for a distinct image. This is possible only if you innovate in design."

While big export houses like Orient Craft are enhancing their businesses by emphasising on design, international firms are looking at India as an outsourcing hub.


Proud Fazilite
--
Navdeep Asija
http://navdeepasija.blogspot.com
Fazilka - 152123


http://business.outlookindia.com/print.aspx?articleid=105&editionid=12&catgid=1&subcatgid=38


Sunday, May 10, 2009

Right to Emergency Care-Change of Law by Honbl. Supreme Court of India

Right to Emergency Care-Change of Law by Honbl. Supreme Court of India

Navdeep Asija

Help for Badminton Player

News Paper cuttings from Dainik Bhaskar and Pratap Kesri


Thursday, May 7, 2009

Monday, May 4, 2009

Help Ishika- Girl Child suffering with Cancer from Fazilka


Dear All,

Ishika Gandhi, a 7 year old child from Fazilka is suffering from Cancer. She is a student of 1st standard at Bhartiya Vidya Mandir Fazilka. As per doctors, if she will not be treated now, she needs to replace the blood of whole body after every 20 days to survive. Ishika is the only daughter of her parents and his family income is less than 2000/- per month. For them it is difficult to afford his regular treatment. Now we came to know that now treatment of this deasease is possible after a Operation in which they change the bonemarroe And This Operation will cost about 10 Lakh. If together we all can do something to save this girl child, it will really be Nobel cause. If interested to extend any form of help then please contact Mr Surinder at 09877003034.Bank Account no. is given below

Account no: 02752151009736

Bank Name: Oriental bank of Commerce Fazilka Branch


Regards,

Navdeep Asija

सफाई व दावों का दौर शुरू-Fazilka 50 Acre Land Dispute

May 01, 10:18 pm

फाजिल्का-नगर परिषद की करीब 50 करोड़ रुपये की जमीन कौड़ियों के भाव निजी हाथों में चले जाने बारे छपी खबर के बाद भाजपा व नगर परिषद अध्यक्ष को आखिरकार सफाई देनी पड़ी। चुनावी मौसम के दौरान उठे बवंडर के चलते जहां भाजपा ने सफाई पेश की वहीं कांग्रेस ने भी इस मामले की गर्मी से राजनीतिक रोटियां सेंकने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी।

शुक्रवार को भाजपा की तरफ से खुद विधायक सुरजीत ज्याणी ने इस मसले में मोर्चा संभाला। विधायक ने नगर परिषद अध्यक्ष अनिल सेठी व भाजपा के कई अन्य नेताओं की मौजूदगी में स्पष्ट किया कि पूरे मामले में कहीं कोई घोटाला नहीं हुआ है। सिर्फ कुछ मजबूरियों के चलते यह स्थिति आ गई है। इस मामले में सवालों व शक के घेरे में आए नगर परिषद अध्यक्ष अनिल सेठी ने अपना पक्ष रखते कहा कि चुनाव आचार संहिता के चलते ही पूरे मामले में यह स्थिति आई। जब उनसे पूछा गया कि नगर परिषद ने डैब्ट रिक्वरी ट्रिब्यूनल (डीआरटी) के समक्ष एक आपत्ति तक दर्ज नहीं करवाई तो सेठी का कहना था कि एक बार आपत्ति दर्ज करवाने के बाद नगर परिषद के पास सिर्फ 15 दिन का समय शेष रह जाता। हमारी योजना थी कि चुनाव आचार संहिता खत्म होने से एक दो दिन पहले आपत्ति दर्ज करवाई जाए। 15 दिन का समय और मिल जाए, तब तक सरकार से इमरजेंसी फंड लेकर बैंक में पैसे जमा करवा जमीन बचा ली जाए। जब सेठी से ये पूछा गया कि आचार संहिता तो 16 मई तक रहेगी और उसके बाद भी पैसा न आया तो क्या होगा। इस पर विधायक ज्याणी ने दावा किया कि अगर सरकार से तय समय सीमा तक पैसा न ला सके तो मैं इस मामले की नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए इस्तीफा दे दूंगा। उधर, इस मामले में कांग्रेस ने भी राजनीतिक पैंतरा खेलते हुए कौड़ियों के भाव बिकी जमीन मामले में भाजपा पर निशाना साधा। कांग्रेस के पूर्व विधायक डा. महिंद्र रिणवा ने इसे घोटाले की संज्ञा दी व कहा कि कांग्रेस ने अपने शासनकाल में बैंक को करीब 50 लाख जमा करवाया था। भाजपा ने एक फूटी कौड़ी तक जमा नहीं करवाई उलटा जमीन कौड़ियों के भाव बिक जाने दी।: भले ही नगर परिषद अध्यक्ष अनिल सेठी ने करीब 50 करोड़ की जमीन कौड़ियों के भाव बिकने के पीछे मुख्य कारण परिषद के पास पैसा न होना बताया लेकिन दूसरी तरफ सच्चाई ये भी है कि परिषद के खाते में बोली होने तक करीब डेढ़ करोड़ रुपया जमा था। यह पैसा मुख्यमंत्री द्वारा दी गई तीन करोड़ रुपये की स्पेशल ग्रांट का था। निकाय विभाग के कुछ जानकारों का मत है कि अगर नगर परिषद सर्वसम्मति से इस फंड को डाइवर्ट करने संबंधी प्रस्ताव पारित कर पैसा बैंक को जमा करवा देती तो अंतत सरकार को इसकी मंजूरी देनी पड़ती। लेकिन वहीं नगर परिषद अध्यक्ष अनिल सेठी का कहना था कि विकास के लिए आया फंड किसी अन्य मद में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता। जमीन मामले में शहर के हितों के नाम पर डीआरटी में आपत्ति दर्ज करवाने वाले अकाली पार्षद व नगर परिषद के उपाध्यक्ष सवि काठपाल की नीयत व प्रयासों पर आज विधायक सुरजीत ज्याणी ने निशाना साधा। विधायक ने कहा कि अगर सवि को शहर के हित की इतनी चिंता थी, तो नगर परिषद के साथ मिलकर लड़ाई लड़ता। ऐसे चुपचाप व अकेले अपने स्तर पर सवि का ये प्रयास उसकी नीयत पर शक पैदा करता है। दूसरी तरफ ज्याणी के कटाक्ष पर सवि काठपाल ने सिर्फ इतना कहा कि विधायक ज्याणी उसके सम्मानीय नेता है, वह उनकी किसी बात पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता।

ढाई करोड़ में बिकी 50 करोड़ की जमीन

Apr 30, 11:37 pm

फाजिल्का-फाजिल्का नगर परिषद की सैनियां रोड स्थित लगभग 50 करोड़ रुपये कीमत की जमीन मात्र ढाई करोड़ रुपये में बुधवार को मुक्तसर की एक निजी फर्म के नाम हो गई। इस जमीन पर नहरी परियोजना का भाजपा व विधायक सुरजीत ज्याणी का ड्रीम प्रोजेक्ट था।

उक्त फर्म ने 16 अप्रैल को फाजिल्का के ओरियेंटल बैंक आफ कामर्स द्वारा करवाई गई बोली में नगर परिषद की उक्त 53 एकड़ जमीन के लिए दो करोड़ 51 लाख रुपये की बोली दी थी। बोली में सिर्फ उक्त फर्म ही मौजूद थी। डैब्ट रिक्वरी ट्रिब्यूनल के अधिकारी संदीप सुखीजा की देखरेख में संपन्न हुई इस बोली के बाद उक्त फर्म ने बकाया 75 प्रतिशत राशि बुधवार को डीआरटी में जमा करवा दी। इस सारे मामले में फाजिल्का नगर परिषद अध्यक्ष अनिल सेठी सहित कई अन्य लोग सवालों व शक के घेरे में आ गए है।

गौरतलब है कि बैंक व डैब्ट रिक्वरी ट्रिब्यूनल ने गिरवी पड़ी उक्त जमीन के संदर्भ में नगर परिषद को कई बार नोटिस जारी किए थे। अंतिम नोटिस डीआरटी की तरफ से 12 मार्च को जारी किया गया था। 21 मार्च को पूरे हाउस ने इस नोटिस बारे सर्वसम्मति से तमाम अधिकार नगर परिषद अध्यक्ष अनिल सेठी व ईओ तिलक राज वर्मा को दिए थे। इन दोनों को कहा गया था कि वह किसी भी तरह से बैंक व डीआरटी से बातचीत कर या पेश हो नगर परिषद की यह जमीन व नहरी पानी परियोजना को नीलाम होने से बचाएं। लेकिन 'अज्ञात कारणों' से नगर परिषद की तरफ से न बैंक से अधिकारिक तौर पर संपर्क साधा गया और न ही डीआरटी के समक्ष नगर परिषद का कोई नुमाइंदा पेश हुआ।

नगर परिषद व अध्यक्ष अनिल सेठी की इसी संदिग्ध लापरवाही के चलते 16 अप्रैल को बैंक द्वारा नीलामी की कार्रवाई गई। इसमें मुक्तसर की एक फर्म नरेश कुमार बांसल एंड कंपनी ने बैंक द्वारा निर्धारित ढाई करोड़ रुपये की न्यूनतम बोली राशि से एक लाख रुपये बढ़ाकर जमीन व नहरी पानी प्रोजेक्ट अपने नाम लगवा लिया। इस सारे मामले में विवाद व शक के केंद्र में जमीन की असल कीमत है। कलेक्टर रेटों के अनुसार बैंक द्वारा नीलाम की गई उक्त 53 एकड़ जमीन का सरकारी मूल्य ही करीब 25 करोड़ रुपये बनता है। इसकी मार्केट वैल्यू 50 करोड़ के करीब बताई जाती है। फाजिल्का इस सारे मामले में नगर परिषद अध्यक्ष अनिल सेठी की भूमिका शक व सवालों के घेरे में आ गई है। पूरे हाउस द्वारा सेठी को तमाम अधिकार दिए जाने के बावजूद सेठी ने तब से लेकर बोली होने तक इस मामले में संदिग्ध चुप्पी साधे रखी व जमीन बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। बैंक द्वारा कौड़ियों के भाव जमीन नीलाम कर दिए जाने के बाद सेठी ने जोर शोर से दावा किया था कि ये बोली नाजायज है और इसके खिलाफ नगर परिषद डीआरटी के समक्ष केस लगाएगी। लेकिन आज तक नगर परिषद की तरफ से इस मामले में कोई आपत्तिदर्ज नहीं करवाई गई। इस बारे में जब नगर परिषद अध्यक्ष अनिल सेठी से बात की गई तो वे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। उलटे खबर रोकने के लिए दबाव डालते रहे। फाजिल्का: इस कथित बड़े जमीनी घोटाले को लेकर जहां भाजपा व नगर परिषद अध्यक्ष अनिल सेठी संदिग्ध चुप्पी साधे रहे, वहीं बुधवार को नगर परिषद के उपाध्यक्ष व अकाली पार्षद काठपाल ने डीआरटी के समक्ष बेशकीमती जमीन कौड़ियों के भाव बैंक द्वारा नीलाम किए जाने संबंधी आपत्तिदर्ज करवाई है। डीआरटी ने मामले की सुनवाई के लिए 11 मई की तिथि निर्धारित की है। अपने निवास पर बुलाई प्रैस कान्फ्रेंस में सवि काठपाल ने कहा कि बतौर नगर परिषद उपाध्यक्ष शहर के हित के लिए उन्होंने यह कदम उठाया है।