COVID 19 की महामारी ने शायद दुनिया ही बदल दी हैं | इस महामारी के बाद शायद हमारी जिंदगी वैसे न रहे जैसे पहले थी | हम सब को यह महामारी जिंदगी के साथ रिश्ते और दोस्ती के ताने बाने भी सिखा गयी, जो शायद हमसे से कई कहीं रख कर भूल गए थे | जिंदगी की क़ीमत समझा दी और साथ में वक्त भी दे दिया ताकि हम बची हुयी इस जिंदगी को इकठा कर सके और बचे हुए पलों को जी ले जी भर के | इन सब की शुरुआत आज से ही करनी होगी कयोंकि बेहतर जिंदगी तभी आएगा और रह पायेगी जब हम आज को सवारेंगे | चलिए आपसे इन्ही पलों को बेहतर बनाने के लिए एक छोटी सी सच्चाई से रु-बरु करवाता हूं |
हम सभी आजकल वेंटीलेटर की बात काफी कर रहे है, क्या आपको पता है की कुदरत ने ऐसे कई वेंटीलेटर हो हमें जिंदगी भर आक्सीजन देते है "पेड़" के रूप में हमें मुफ्त में दिए है | बात अगर में अपने शहर फाजिल्का की करूँ तो हमारे पास शहर में सिर्फ़ 4000 वेंटीलेटर यानी पेड़ है और आबादी 85000 से भी ज्यादा | फाज़िलका में क़रीब 21000 घर है और घरों के अनुपात में देखूं तो क़रीब हर 5 घरो के बाद एक घर को ही यह कुदरत वाला वेंटीलेटर मयस्सर हैं जो की बहुत कम है | पुरे देश की बात करूँ तो हर एक व्यक्ति के पीछे करीबन 28 पेड़ है और हमारे फाजिल्का में क़रीब 22 व्यक्तियों के पीछे सिर्फ एक पेड़ | आप सोचिये जब साफ़ हवा की ज़रूरत सब को है और आने वाली जिंदगी में और भी होगी तो हमें जिन्दा रखने वाला लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाला वैंटिलेटर यानी पेड़ तो हमारे पास होगा ही नहीं | क्या सच में हम इतने स्वार्थी, खुदगर्ज़ और अनपढ़ है की एक छोटी सी बात भी हमें समझ नहीं आ पा रही | यह COVID क़ुदरत के नियमों से विपरीत चलने और न समझने का तरीका ही है और अब भी देर नहीं हुयी है | जून के बाद का वक्त उपयुक्त आने वाला है , बारिशो पहले आओ सब मिल के यह ठान ले , एक परिवार एक पेड़ रूपी वेंटीलेटर लगाएगा भी और संभालेगा भी | फाजिल्का वालों हमें रुकना नहीं हैं, हमारा इतिहास गवाह है के फाजिल्का वाले जो ठान ले वह करके दिखाते हैं तो इस बार *"एक घर, एक पेड़"* के प्रण के साथ अपनी आने वाली खूबसूरत जिंदगी के नाम एक हरा भरा फाजिल्का जहाँ पे लोग आकर कहें *"वाह जिंदगी तो जिंदादिली फाजिल्का में फाजिल्का वालों के साथ ही रहती हैं"* |
आइये मिलकर बनाते है इस खूबसूरत जिंदगी को और भी खूबसूरत
जय हिन्द
*आपका नवदीप*