Monday, May 5, 2008

जहां 25 साल से नहीं आई पुलिस

Mar 20, 10:38 am
फाजिल्का [पंजाब] [अमृत सचदेवा]। धन व बल से चुनाव जीतने के बाद पुलिस के जरिए अपने विरोधियों से रंजिश निकालने के मौजूदा माहौल से हटकर फाजिल्का में एक ऐसा भी गांव है जहां चुनावी रंजिश तो दूर, किसी आम झगड़े में भी पुलिस की कोई दखल नहीं है। सच तो यह है कि झगड़े फसाद में पुलिस का गांव आना ही वर्जित है। यहां चुनाव की जगह सर्वसम्मति से सरपंच के चुनाव को वरीयता दी जाती है।
अपवाद स्वरूप कभी चुनाव कराना भी पड़ता है तो चुने हुए सरपंच का कार्यकाल इतना बेहतर होता है कि अगली बार उसी के नाम पर गांववाले एकमत हो जाते हैं। गौरतलब यह है कि गांव चाननवाला में पिछले 25 साल से एक ही परिवार का वर्चस्व रहा है। इस परिवार की पंचायत मामलों में बेहतर समझ और प्रदर्शन का ही सबब है कि गांववासी उन पर पूरा भरोसा करते हैं। बीते ढाई दशक से इसी परिवार का कोई न कोई सदस्य यहां का सरपंच बनता चला आ रहा है। कमोवेश इस बार भी ऐसी ही स्थिति है। जिसके चलते चाननवाला में चुनाव की जगह सर्वसम्मति की कवायद शुरू हो गई है। आगामी चुनाव में भी यह परंपरा कायम रहने के आसार हैं। गांव के सर्वसम्मति से चुने गए सरपंच भाई देवेंद्र सिंह सावनसुखा 15 वर्ष से सरपंच है। उन्होंने 'दैनिक जागरण' को बताया कि वह पहले दो बार चुनाव जीतकर सरपंच बने थे और उनके गांव के प्रति किए कार्यो को देखते हुए ग्रामीणों ने तीसरी बार सर्वसम्मति से सरपंच बना दिया। इससे पहले उनके चाचा शेखर चंद सोनावत गांव के सरपंच थे। मगर तब गांव चाननवाला की पंचायत अलग नहीं थी, बल्कि गांव मुठियांवाली के साथ सामूहिक पंचायत थी। गांव चाननवाला की आबादी करीब पौने दो हजार है, जिसमें लगभग 700 मतदाता है।
उन्होंने बताया कि इस दौरान गांव में कभी किसी विवाद में पुलिस नहीं बुलाई गई। गांव में औसवाल बनिया, राय सिख, जट सिख, छींबा, धानक आदि बिरादरियों के लोग प्रेमपूर्वक रहते है। बीते वर्ष पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी द्वारा करवाए मुकाबलों में गांव के फलों को 21 पुरस्कार मिले है।
उन्होंने बताया कि पिछली बार सर्वसम्मति से पंचायत बनाने पर सरकार की तरफ से दो लाख रुपये पुरस्कार मिला था। जिसे प्राइमरी स्कूल व पंचायत घर पर खर्च किया गया है। इस बार भी ग्रामीणों और उनकी खुद की यही इच्छा है कि पंचायत का गठन सर्वसम्मति से हो।
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