फाजिल्का-फाजिल्का में बनाए जा रहे फ्लाईओवर के निर्माण संबंधी सूचना देर से देने के मामले में राज्य सूचना आयोग ने कड़ा नोटिस लेते हुए प्रदेश के पीडब्ल्यूडी (बीएंडआर) को जुर्माना लगाया है। उसने दो दिसंबर तक पुन: पेशी पर उपस्थित होकर जुर्माना भरने अथवा देरी का जायज कारण बताने का आदेश दिया है।
उल्लेखनीय है कि यहां के युवा इंजीनियर नवदीप असीजा ने आरटीआई एक्ट के तहत चार अक्टूबर, 2007 को फाजिल्का में फ्लाईओवर के निर्माण संबंधी जानकारी विभाग से मांगी गई थी। असीजा के अनुसार, उनको शक था कि जनता से ज्यादा टोल टैक्स वसूलने के लिए पुल का निर्माण कर रही चेतक कंस्ट्रक्शंस कंपनी पुल को जरूरत से ज्यादा लंबा बना रही है। आमतौर पर फ्लाईओवर की लंबाई साढ़े छह सौ मीटर होती है, लेकिन कंपनी ढाई सौ मीटर ज्यादा लंबा पुल बनाना चाहती है। पुल का निर्माण भले ही प्राइवेट कंपनी करवा रही है, लेकिन उसके निर्माण व मानकों की देखरेख की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी (बीएंडआर) की है। कंपनी ने मांगी गई सूचना से घबराकर एक साल तक सूचना देने के बजाय सीधे ही पुल का निर्माण शुरू कर दिया। यहां तक कि उसने रेलवे से लिखित अनुमति भी नहीं ली, क्योंकि फ्लाईओवर का कुछ हिस्सा रेलवे की जमीन में पड़ता है।
इंजीनियर असीजा ने बताया कि पुल के नक्शे बाबत भी उन्होंने विभाग से सूचना मांगी थी, ताकि पता चल सके कि पुल के रास्ते शहर में प्रवेश करने का रास्ता क्या होगा। अब जबकि पुल बनना शुरू हो गया है तो पता चला कि पुल बनने के बाद उसका फायदा सिर्फ शहर में प्रवेश न करने वाले वाहनों को होगा, क्योंकि पुल सीधा बनाया जा रहा है। उससे शहर में उतरने के लिए कोई ब्रांच नहीं निकाली जा रही है। इसके चलते शहरवासियों को पुल बनने का कोई फायदा होना तो दूर, बल्कि बिना पुल का प्रयोग किए ही उन पर साढ़े आठ रुपये टोल टैक्स लगना शुरू हो जाएगा।
असीजा ने बताया कि पुल सीधा बनाए जाने का पता चलने पर उन्होंने राज्य सूचना आयोग से पुन: शिकायत की तो आयोग के सूचना आयुक्त सुरेद्र सिंह ने
विभाग को 25 हजार रुपये जुर्माने के साथ मांगे गए नक्शे बिना फीस के ही देने का आदेश दिया है। उसने मामले की आगामी पेशी पर 25 हजार अदा करने या फिर सूचना में देरी का जायज कारण बताने का आदेश दिया है। दूसरी तरफ विभाग ने एक आदेश का पालन करते हुए नक्शे की प्रतियां इंजीनियर असीजा को भेज दी है।
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http://in.jagran.yahoo.com/news/local/punjab/4_2_4953680.html
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