अमृत सचदेवा, फाजिल्का
तेजी से भागती जिंदगी के लिए कहावत है कि सुख, दुख, हंसी, गम जैसे रंग एक से ही रहते हैं, इंसान की जिंदगी बदल जाती है लेकिन फाजिल्का के घनश्याम शर्मा इसका अपवाद हैं। रंग तो कई आए गए लेकिन उनकी जिंदगी मानो आज भी 52 साल से एक ही जगह पर खड़ी है।
72 वर्षीय घनश्याम शर्मा ने 1960 में पटियाला से फिल्म प्रोजेक्टर इंचार्ज का सर्टिफिकेट हासिल कर गिद्दड़बाहा के एक सिनेमा में नौकरी शुरू की थी। विभिन्न नगरों के सिनेमाघरों में सेवाएं देने के बाद 23 दिसंबर 1977 में फाजिल्का में बने संजीव सिनेमा में नौकरी शुरू करने के बाद से वे लगातार फाजिल्का में ही सेवाएं दे रहे हैं। तब से लेकर आज तक सिनेमा ने कई उतार चढ़ाव देखे, लेकिन घनश्याम शर्मा की जिंदगी आज भी वैसी ही है जैसी 52 बरस पहले थी। जब उन्होंने 1960 में प्रोजेक्टर इंचार्ज का काम संभाला था, तब सिनेमा की टिकट महज 65 पैसे हुआ करती थी जो आज बढ़कर न्यूनतम 35 रुपये हो चुकी है। जमाना बदलकर ब्लैक एंड व्हाइट से रंगीन फिल्मों का आ गया। शर्मा के अनुसार तब भारत में फिल्माई गई फिल्में अमरीका व अन्य यूरोपीय देशों में जाकर रंगीन होकर आती थीं। उन्होंने आधे आधे घंटे बाद लोड होने वाली 35 एमएम रील वाली फिल्में भी चलाई हैं। नई फिल्म रिलीज होने पर दूर दराज वितरण सेंटर जाकर बोली लगा फिल्में लानी पड़ती थीं। आज वे इंटरनेट तकनीक पर आधारित यूएफओ प्रोजेक्टर से फिल्में चला रहे हैं। फिल्म यूएफओ सर्वर के जरिये सीधे मुंबई से स्थानीय डिजिटल प्रोजेक्टर पर चलने लगती है। उन्होंने सिनेमा का वह स्वर्ण युग भी देखा है जब सिनेमा हॉल, बालकनी व सभी बॉक्स हाउस फुल होने पर फिल्मों के दीवाने लोग प्रोजेक्टर रूम में आ उनके कंधों पर बैठ फिल्में देखते थे और आज का जमाना भी है कि डिजिटल तकनीक के बावजूद अधिकांश सीटें खाली होने पर भी फिल्म चलानी पड़ती है।
जमाने के रंगों से अलग शर्मा की जिंदगी का असल पहलू यह है कि 1960 में 80 रुपये प्रतिमाह की नौकरी जिंदगी बसर करने के लिए कम थी और आज 52 साल बाद मिल रही 35 सौ रुपये प्रतिमाह तनख्वाह भी 12 से 14 घंटे की ड्यूटी के लिए कम है।
बहरहाल, शर्मा की निरंतर सेवाओं के मद्देनजर ग्रेजुएट वेलफेयर एसोसिएशन ने वीरवार को उन्हें सम्मानित किया। एसोसिएशन के सचिव इंजीनियर नवदीप असीजा व लोक संपर्क अधिकारी (पीआरओ) लछमन दोस्त ने बताया कि शर्मा को फाजिल्का हेरिटेज फेस्टिवल में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया।
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