फाजिल्का-नगर परिषद की करीब 50 करोड़ रुपये की जमीन कौड़ियों के भाव निजी हाथों में चले जाने बारे छपी खबर के बाद भाजपा व नगर परिषद अध्यक्ष को आखिरकार सफाई देनी पड़ी। चुनावी मौसम के दौरान उठे बवंडर के चलते जहां भाजपा ने सफाई पेश की वहीं कांग्रेस ने भी इस मामले की गर्मी से राजनीतिक रोटियां सेंकने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी।
शुक्रवार को भाजपा की तरफ से खुद विधायक सुरजीत ज्याणी ने इस मसले में मोर्चा संभाला। विधायक ने नगर परिषद अध्यक्ष अनिल सेठी व भाजपा के कई अन्य नेताओं की मौजूदगी में स्पष्ट किया कि पूरे मामले में कहीं कोई घोटाला नहीं हुआ है। सिर्फ कुछ मजबूरियों के चलते यह स्थिति आ गई है। इस मामले में सवालों व शक के घेरे में आए नगर परिषद अध्यक्ष अनिल सेठी ने अपना पक्ष रखते कहा कि चुनाव आचार संहिता के चलते ही पूरे मामले में यह स्थिति आई। जब उनसे पूछा गया कि नगर परिषद ने डैब्ट रिक्वरी ट्रिब्यूनल (डीआरटी) के समक्ष एक आपत्ति तक दर्ज नहीं करवाई तो सेठी का कहना था कि एक बार आपत्ति दर्ज करवाने के बाद नगर परिषद के पास सिर्फ 15 दिन का समय शेष रह जाता। हमारी योजना थी कि चुनाव आचार संहिता खत्म होने से एक दो दिन पहले आपत्ति दर्ज करवाई जाए। 15 दिन का समय और मिल जाए, तब तक सरकार से इमरजेंसी फंड लेकर बैंक में पैसे जमा करवा जमीन बचा ली जाए। जब सेठी से ये पूछा गया कि आचार संहिता तो 16 मई तक रहेगी और उसके बाद भी पैसा न आया तो क्या होगा। इस पर विधायक ज्याणी ने दावा किया कि अगर सरकार से तय समय सीमा तक पैसा न ला सके तो मैं इस मामले की नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए इस्तीफा दे दूंगा। उधर, इस मामले में कांग्रेस ने भी राजनीतिक पैंतरा खेलते हुए कौड़ियों के भाव बिकी जमीन मामले में भाजपा पर निशाना साधा। कांग्रेस के पूर्व विधायक डा. महिंद्र रिणवा ने इसे घोटाले की संज्ञा दी व कहा कि कांग्रेस ने अपने शासनकाल में बैंक को करीब 50 लाख जमा करवाया था। भाजपा ने एक फूटी कौड़ी तक जमा नहीं करवाई उलटा जमीन कौड़ियों के भाव बिक जाने दी।: भले ही नगर परिषद अध्यक्ष अनिल सेठी ने करीब 50 करोड़ की जमीन कौड़ियों के भाव बिकने के पीछे मुख्य कारण परिषद के पास पैसा न होना बताया लेकिन दूसरी तरफ सच्चाई ये भी है कि परिषद के खाते में बोली होने तक करीब डेढ़ करोड़ रुपया जमा था। यह पैसा मुख्यमंत्री द्वारा दी गई तीन करोड़ रुपये की स्पेशल ग्रांट का था। निकाय विभाग के कुछ जानकारों का मत है कि अगर नगर परिषद सर्वसम्मति से इस फंड को डाइवर्ट करने संबंधी प्रस्ताव पारित कर पैसा बैंक को जमा करवा देती तो अंतत सरकार को इसकी मंजूरी देनी पड़ती। लेकिन वहीं नगर परिषद अध्यक्ष अनिल सेठी का कहना था कि विकास के लिए आया फंड किसी अन्य मद में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता। जमीन मामले में शहर के हितों के नाम पर डीआरटी में आपत्ति दर्ज करवाने वाले अकाली पार्षद व नगर परिषद के उपाध्यक्ष सवि काठपाल की नीयत व प्रयासों पर आज विधायक सुरजीत ज्याणी ने निशाना साधा। विधायक ने कहा कि अगर सवि को शहर के हित की इतनी चिंता थी, तो नगर परिषद के साथ मिलकर लड़ाई लड़ता। ऐसे चुपचाप व अकेले अपने स्तर पर सवि का ये प्रयास उसकी नीयत पर शक पैदा करता है। दूसरी तरफ ज्याणी के कटाक्ष पर सवि काठपाल ने सिर्फ इतना कहा कि विधायक ज्याणी उसके सम्मानीय नेता है, वह उनकी किसी बात पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता।
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