फाजिल्का, अबोहर, गिदड़बाहा, मलोट आदि के हजारों गांवों में सेम प्रभावित जमीनों को आबाद करने के लिए पंजाब सरकार की ओर से केंद्र सरकार के सहयोग से शुरू की गई योजना रंग ला रही है। अब सेम प्रभावित जमीनों से भी किसानों को आर्थिक लाभ मिलेगा। पंजाब सरकार की ओर से इजरायल भेजे गए प्रतिनिधिमंडल के प्रयास सेम समस्या को हल करने में अहम भूमिका निभा सकते है। सरहदी क्षेत्र फाजिल्का के गांव सजराना में करीब 250 एकड़ सेमग्रस्त जमीन पर देश का पहला मेगा प्रोजेक्ट लगाया जा रहा है। इस पर करीब 22 सौ करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इस प्रोजेक्ट का फाइनल निरीक्षण शुक्रवार को राज्य के चीफ सेक्रेटरी एससी अग्रवाल ने किया। उल्लेखनीय है कि इजरायल में सेम समस्या से निपटने के लिए विशाल गड्ढों में भरे पानी को पेयजल व सिंचाई योग्य बनाकर जमीन को उपयोग में लाया जा रहा है।
इजरायल गए प्रतिनिधिमंडल में शामिल कन्फीड्रेशन आफ इंडियन इडस्ट्री के एग्रीकल्चर सेल के चेयरमैन इजीनियर संजीव नागपाल ने बताया कि जमींदारा फार्मसाल्यूशस के डायरेक्टर विक्रम आहूजा प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे। उन्होंने सेम के पानी को साफ कर पेयजल, सिंचाई व इंडस्ट्रीयल कार्यो में प्रयोग होते देखा। ऐसे ही प्रोजेक्ट पंजाब में लगाने की सलाह दी। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने सेमग्रस्त इलाकों में इडस्ट्री के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया करवाने के लिए प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी। नागपाल ने बताया कि सरकार ने सजराना को सेम समस्या दूर करने की प्रयोगशाला के तौर पर चुना है। उल्लेखनीय है कि भूमिगत पानी जमीन पर आने के कारण अबोहर, फाजिल्का व गिदड़बाहा की हजारों एकड़ जमीन बेकार हो चुकी है। अब इंजीनियर नागपाल ने समस्या का ऐसा हल ढूढ निकाला। इससे सेम की समस्या तो हल हो जाएगी। साथ ही सेम के चलते आर्थिक रूप से कमजोर हो चुके किसानों को रोजगार के कई साधन भी मिलेंगे।
नागपाल ने बताया कि प्रोजेक्ट की सफलता का श्रेय पीएयू के वाइस चांसलर व वर्तमान में फार्मर्स कमीशन के चेयरमैन डीएस कलकट को जाता है, जिन्होंने सेमग्रस्त इलाके में मछली पालन की शुरुआत की। गुरु अंगद देव वेटरनरी यूनिवर्सिटी के सहयोग से सेमग्रस्त जमीन के पानी में मछली पालन का प्रयोग किया गया है। अब वहा सेम समस्या से निजात व संबंधित इंडस्ट्री लगाने के लिए केंद्र सरकार के एग्रीकल्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत औद्योगिक ढांचा मुहैया करवाने के प्रयास शुरू किए गए है। इस मौके पर शुक्रवार को पहुचे राज्य के चीफ सेक्रेटरी अग्रवाल भी काफी प्रभावित हुए। उन्होंने माना कि इंडस्ट्रीयल ढांचा उपलब्ध करवा दिया जाए तो मछली पालन, मुर्गी पालन, डेयरी उद्योग व कृषि आधारित कई उद्योग सफलतापूर्वक चल सकते है।
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