Tuesday, October 4, 2011

चली थी अकेले, बन गया कारवां

मैं अकेला ही चला था, जानिबे मंजिल मगर, लोग आते गए कारवां बनता गया। कुछ ऐसी कहानी है फाजिल्का की सामाजिक कार्यकर्ता मोना कटारिया की है, उन्होंने समाजसेवा की शुरुआत तो अकेले की थी, पर आज उनके साथ जहां उनका परिवार है, वहीं वे महिलाएं भी उनका साथ दे रही हैं, जिनकी मोना ने कभी मदद की थी।

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जागरण संवाददाता, फाजिल्का

एक महिला ही महिला का दुख समझ सकती है। उससे भी बढ़कर अगर महिला चाहे तो दुखी महिला का दुख मिटा भी सकती है। इसी बात को आत्मसात कर गरीब, जरूरतमंद व बेबस बच्चियों व महिलाओं की सहायता के लिए निकलीं स्थानीय जुनेजा गली निवासी मंजीत कटारिया की पत्नी मोना आज पूरे मोहल्ले की स्टार सलाहकार बन चुकी हैं।

महिला उत्थान कार्य करते-करते खुद ही एक संस्था बन चुकी मोना हालांकि एक राजनीतिक दल के महिला विंग की पदाधिकारी हैं, लेकिन उन्होंने अपने पास आने वाली हर महिला की समस्या पार्टीबाजी को एक तरफ रखकर दूर की है। वह समस्या भले ही लड़कियों की शिक्षा से संबंधित हो या फिर आर्थिक कमजोरी के कारण। मोना एक बार घर से निकलती हैं तो वह समस्या दूर करवाकर ही चैन से बैठती हैं। महिलाओं की किसी भी समस्या को अपनी समस्या मान दूर करने वाली मोना आज उस मुकाम पर पहुंच गई हैं कि आदर्श नगर व राठौड़ा मोहल्ले की कोई महिला नया काम या अपनी समस्या बिना उसकी सलाह के दूर करने पांव आगे नहीं बढ़ाती। अब तक मोना मोहल्ले की कई लड़कियों को सिलाई व कढ़ाई की ट्रेनिंग दिला स्वरोजगार के काबिल बना चुकी हैं। वहीं, आंगनबाड़ी भर्ती के लिए जरूरतमंद महिलाओं को नौकरी दिलाने में अहम भूमिका अदा कर चुकी हैं। मोहल्ले में समय-समय पर अभियान चला संपन्न परिवारों के बच्चों द्वारा पहनना छोड़े गए सुंदर व आकर्षक कपड़ों को मोना कई बार गरीब परिवारों के बच्चों में वितरित कर चुकी हैं। गरीब विद्यार्थियों खासकर लड़कियों को पढ़ने के लिए पुस्तकें उपलब्ध करवाने की मुहिम भी मोना अपने मोहल्ले की महिलाओं के साथ मिलकर चलाती रहती हैं। अपने खुद के परिवार की अनेकों जिम्मेवारियों के बावजूद समाजसेवा के लिए कैसे समय निकालती हैं। पूछने पर मोना कहती हैं कि काम न करने के तो व्यस्तता जैसे अनेक बहाने होते हैं, लेकिन काम करना हो तो बस शुरूआत की जरूरत होती है और वह शुरुआत करने में विश्वास रखती हैं। अच्छे काम के लिए बढ़ाए कदमों को कभी असफलता नहीं मिलती। रही बात परिवार की, तो उनके पति मंजीत भी उनके सोशल वर्क में पूरा साथ देते हैं। उनकी मुहिम में वे महिलाएं भी उनका सहयोग करती हैं, जिनकी कभी उन्होंने सहायता की थी।

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