20th May 2010
फाजिल्का-नगर परिषद द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर बनाए मकान ढहाने के बाद बेघर हुए गरीबों को सरकारी रेट पर प्लाट दिलाने को लेकर राजनीति का बाजार पूरी तरह गर्म हो चुका है। हर छोटा-बड़ा नेता खासकर विपक्षी दल के नेता बेघर हुए लोगों की सहानुभूति बटोरने के लिए न केवल उनसे मुलाकात कर रहे है, बल्कि उन्हे नगर परिषद द्वारा किए वादे के अनुसार डीसी रेट पर प्लाट दिलाने के सब्जबाग भी दिखा रहे है लेकिन सच्चाई यह है कि गरीब परिवारों को डीसी रेट पर प्लाट मिलने का वादा पूरा होना अभी दूर की कौड़ी है।उल्लेखनीय है कि नगर परिषद द्वारा 10 व 11 मई को चलाए गए एक जबरदस्त आपरेशन में सैकड़ों महिला व पुरुष पुलिसकर्मियों का सहयोग लेकर शहर के बाहरी इलाकों में स्थित अपनी मालिकी वाली भूमि पर हुए सैकड़ों कब्जे जिनमें कच्चे व पक्के मकान शामिल थे, उन्हें ढहा दिए थे। उसके बाद तो उनसे सहानुभूति दिखाने वालों की बाढ़ सी आ गई है। हर छोटा-बड़ा नेता बेघर हुए लोगों के मलबे पर सामान रखकर खुले आसमान के नीचे जीवन बसर कर रहे परिवारों से मिलने गाहे-बगाहे पहुच रहा है। इतना ही नहीं, हमदर्दी जताने की आड़ में कई लोग बेघर महिलाओं की मजबूरी का फायदा उठाने से भी बाज नहीं आ रहे। 15 मई को एक महाशय रात 11 बजे उजाड़ी गई बस्ती की महिलाओं को अपने साथ ले जाकर भोजन देने का प्रस्ताव लेकर पहुच गए थे, लेकिन अकेली महिलाओं को साथ लेकर जाने की फरमाइश पर गुस्साए बस्ती वालों ने उस महाशय को पुलिस के हवाले कर दिया था। सवाल यह है कि हर नेता उजाड़े गए लोगों के साथ हमदर्दी तो जताने के साथ उन्हे नगर परिषद से प्लाट दिलाने के दावे भी कर रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि गरीब परिवारों को डीसी रेट पर प्लाट देने का प्रस्ताव पहले ही नगर परिषद पारित कर चुकी है। यह अलग बात है कि सरकार से उसकी मंजूरी मिलना तो दूर, बल्कि स्थानीय निकाय विभाग के ही चीफ टाउन प्लानर ने उस प्रस्ताव को अभी पास नहीं किया है। ऐसे में देखना यह है कि गरीब परिवारों को उजाड़ने वाली नगर परिषद अपने पहले किए गए गरीबों को आबाद करने का वादा निभा पाती है या नहीं और गरीब परिवारों को प्लाट दिलाने के वादे करने वाले विपक्षी दलों के नेता एक जिम्मेवार विपक्ष का फर्ज निभाते हुए परिषद द्वारा पारित डीसी रेट पर प्लाट दिलाने का वादा सत्तापक्ष को निभाने पर मजबूर कर पाते है या नहीं।
No comments:
Post a Comment