फाजिल्का-सरकारी प्रापर्टी खरीदने के लिए जितने दाम अदा करने पड़ते है, उस पर उतना ही खर्चा डेवलपमेंट चार्जेस के रूप में भी देना पड़ता है। डेवलपमेंट चार्जेस के रूप में नगर परिषद से जगह खरीद उस पर मकान बना और साथ में पक्की गलिया, नालिया, सीवरेज, पेयजल आपूर्ति, स्ट्रीट लाइट जैसी मूलभूत सुविधाएं पाने का सपना देखने वाले इलाके के सैकड़ों लोगों का सपना स्थानीय नगर परिषद ने तोड़कर रख दिया है। लोगों ने लाखों रुपये लगाकर मकान व कोठिया तो खड़ी कर ली है लेकिन आसपास गलियों की हालत किसी उजाड़, ऊबड़ खाबड़ बियाबान रास्तों जैसी है जिसके चलते परिषद से संपत्ति खरीदने वाले सैकड़ों लोग परिषद की नालायकी और अपनी बेबसी पर आसू बहाने को मजबूर है।
उल्लेखनीय है कि स्थानीय नगर परिषद ने अपनी आय बढ़ाने के लिए शहर के विभिन्न स्थानों पर रिहायशी व कमर्शियल प्लाट काटकर बेचे है और सैकड़ों प्लाट ही बेचने की तैयारी में है। खुली बोली में महगे भाव पर प्लाट खरीदने वाले सैकड़ों लोगों में सेक्रेड हार्ट स्कूल, धोबीघाट, सिद्ध श्री हनुमान मंदिर के सामने एमआर कालेज के गर्ल्स विंग वाली जगह पर प्लाटों के खरीददार शामिल है जिनसे नगर परिषद ने रजिस्ट्री करवाकर देने से पहले डेवलपमेंट चार्जेस के रूप में लाखों रुपये वसूल किए है। लेकिन रजिस्ट्री करवाने के पाच से सात साल बाद भी उक्त इलाकों में डेलवपमेंट होने जैसी कोई बात नजर नहीं आती। वहीं दूसरी तरफ नगर के बाजारों व पहले से बने मोहल्लों में सड़कों को उखाड़ उखाड़कर उनका पुननिर्माण करवाया जा रहा है जबकि पहले बसे मोहल्लों के लोगों ने तो परिषद को कोई डेवलपमेंट चार्जेस भी नहीं दिए है। इससे लगता है कि परिषद से करोड़ों रुपये की संपत्ति खरीद, उस पर लाखों रुपये डेवलपमेंट चार्जेस अदा करने वाले खरीददारों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। कई जगह तो डेवलपमेंट करवाना तो दूर बल्कि परिषद विवादित जगह बेचकर उसके कब्जे भी खरीददारों को नहीं दिला पाई है और जगह की कीमत के साथ डेलवपमेंट चार्जेस भी वसूल कर चुकी है। हनुमान मंदिर के सामने एमआर कालेज गर्ल विंग वाली जगह के खरीददारों सुखजिंदर सिंह, डीएल बाघला ने बताया कि उनसे डेलवपमेंट चार्जेस तक वसूल लिए गए है और कब्जा अभी तक नहीं दिलाया गया। उक्त जगहों पर प्लाट खरीदने वाले लोगों ने बताया कि उनके प्लाट खरीदने से पहले करीब छह साल पहले सीवरेज डलवा दिया था। उसके बाद वर्तमान अकाली-भाजपा सरकार ने तो प्लाट बेचकर उस पर डेवलपमेंट चार्जेस वसूल करने के सिवाय कुछ नहीं किया।
इस बारे में नगर परिषद अध्यक्ष अनिल सेठी का कहना है कि जितने प्लाट काटे गए है, उतने बिके नहीं। फिर भी जितने प्लाट बिके है, उनमें से 75 फीसदी प्लाटों की रजिस्ट्रिया होने पर गलियों, नालियों व स्ट्रीट लाइट का काम करवा दिया जाएगा।
Monday, May 31, 2010
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