Monday, May 17, 2010

बादल से मांगेंगे हक-District Status Issue of Fazilka

फाजिल्का को जिला बनाने का मुद्दा काफी पुराना है। कई बार धरना प्रदर्शन हुए, हर बार भाजपा का मुख्य चुनावी मुद्दा रहा। पंजाब में अकाली-भाजपा सरकार के दौरान भाजपा आलाकमान ने इसका समर्थन भी किया। इस पर लगातार चर्चा के अलावा अब तक कोई प्रगति नहीं हो पाई है। जिला बनने से फाजिल्का, अबोहर, बलूआणा और जलालाबाद के लोगों को लंबी दूरी तह करने से राहत मिलेगी, लेकिन सरकार ने हमेशा फाजिल्का क्षेत्र की अनदेखी की है, मगर इस बार ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। सांझा मोर्चा अब नई रणनीती से संघर्ष करेगा। यह बात रविवार मोर्चा के अध्यक्ष एडवोकेट सुशील गुंबर ने कही। उन्होंने मोर्चा के अन्य पदाधिकारियों के साथ फिरोजपुर जिला के सांसद शेर सिंह घुबाया से भेंटकर सरकार की ओर से हर बार क्षेत्र से अनदेखी से भी अवगत कराया और जिला बनवाने में उनका सहयोग की अपील की। इसके अलावा उन्होंने राज्य मंत्री आबकारी व कर विभाग डीपी चंदन से भी सहयोग मांगा। 

बादल से होगी भेंट: यहां परशुराम जयंती में बतौर मुख्यातिथि शामिल होने आए सांसद शेर सिंह घुबाया से सांझा मोर्चा के अध्यक्ष सुशील गुंबर के नेतृत्व में भेंट की गई। इस पर सांसद ने कहा कि वह हमेशा फाजिल्का को जिला बनाने के पक्ष में रहे हैं। इस बारे में वह 19 मई को गांव थेहकलंदर में होने वाले संगत दर्शन कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री सुखबीर से सांझा मोर्चा के साथ मिलकर मांग रखेंगे। इसके अलावा मुख्यमंत्री से भी अपील की जाएगी।

मुख्यमंत्री बादल ने घोषणा की थी कि फाजिल्का में एडीसी और एसपी तैनात किए जाएंगे। यहां उनकी तैनाती भी की गई, लेकिन करीब दो माह बाद ही उनके कार्यालय बंद कर दिए गए। इस कारण क्षेत्र के लोगों का अकाली भाजपा से विश्वास उठता जा रहा है। गुंबर ने कहा कि सरकार ने अबोहर में एसपी तैनात करके फाजिल्का क्षेत्र से मजाक किया है। सबसे पहला हक फाजिल्का का था।

बरसों पुरानी मांग: फाजिल्का को जिला बनाने के मांग बरसों से चल रही है। पंजाब सरकार ने जब भी राज्य में नया जिला बनाने के घोषणा की, तब फाजिल्का को जिला बनाने की मांग उठी। सबसे पहले आंदोलन की शुरुआत 1992 में की गई। यह आंदोलन 45 दिन तक चला। इसके बाद 01 जुलाई 2004 को तहसील परिसर में जिला बनाओ संघर्ष समिति के बैनर तले शहर की समाजसेवी संस्थाओं ने धरना दिया, जो 31 दिसंबर 2004 तक चला। फिर एक जुलाई 2006 को शहीदों की समाधि आसफवाला से आंदोलन की शुरुआत की गई। इसके तहत 35 हजार लोगों के हस्ताक्षर करवाकर तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को भेजे गए। इसके बावजूद क्षेत्र के इस मांग को अनदेखा किया गया। इस मौके पर नगर सुधार ट्रस्ट के चेयरमैन महिन्द्र पंताप धींगड़ा, व्यापार मंडल के अध्यक्ष अशोक गुलबद्धर, परमजीत सिंह पम्मा वैरड़ भी थे।

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