Saturday, May 8, 2010

नदी पर्यावरण सुधार मे किसी की रुचि नहीं

फिरोजपुर-नदी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए न तो सामाजिक संगठन सामने आ रहे हैं और न ही पर्यावरण विभाग के अधिकारी। इसके कारण सतलुज नदी जिसे पंजाब की जीवनदायिनी भी कहा जाता है लगातार प्रदूषित हो रही है। सतलुज की गंदगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हुसैनीवाला में आकर इसका पानी काफी गंदा हो गया है। इस पानी में लुधियाना की तमाम फैक्ट्रीयों का गंदा पानी जिसमें रसायन भी घुले हैं, खराब कर रहा है। किंतु इस दिशा में न तो फिरोजपुर के सामाजिक संगठन कुछ करने को राजी है और न ही पर्यावरण विभाग के लोग। वहीं फिरोजपुर में पर्यावरण का दफ्तर ही नहीं है। इसका कार्यालय फरीदकोट होने के कारण यहां के अधिकारी बहुत ही कम फिरोजपुर आते हैं। वहीं स्थानीय लोग भी इस दिशा में काम करने से कतराते। सामाजिक संगठन के लोग भी इस दिशा में काम नहीं करना चाहते हैं, क्योंकि इस काम में उतनी शोहरत नहीं मिलती जितनी की वे बूट और कापियां बांट कर आत्मसंतुष्ट होते हैं। इस बारे में शहर के प्रमुख समाजसेवी संगठन के अध्यक्ष डाक्टर निर्मल जोशी से बात करने पर उन्होंने बताया कि उन्होंने शहर को साफ करने की मुहिम छेड़ रखी है, लेकिन इस काम में तमाम कठिनाईयां हैं। वे मानते हैं कि मामला काफी गंभीर है और हुसैनीवाला में तो लोग बैसाखी पर भी गंदे पानी के कारण नहीं नहा पाये, लेकिन किसी ने इसकी सुधि तक नहीं ली। वे कहते हैं कि नदी पर्यावरण को लेकर वे गंभीर हैं, लेकिन कहीं से कोई गाइड लाइन तक नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि इस शहर में कोई आगे नहीं आना चाहता है और वे किसी काम को अधूरा नहीं छोड़ना चाहते। उन्होंने कहा कि इस मामले में वे अपने क्लब के सदस्यों से रविवार को बैठक कर आवश्यक कदम उठायेंगे। वहीं प्रोफेसर सतिंदर ने बताया कि पृथ्वी दिवस में उन्होंने सतलुज का मुद्दा गंभीरता से उठाया था ताकि लोगों में जागरूकता आये। वे कहते हैं कि चंद लोग ही इस दिशा में सोचने का काम करते हैं वर्ना दूसरे लोग तो इस दिशा में सोचते तक नहीं हैं। इस मामले में पर्यावरण विभाग के अधिकारी से संपर्क स्थापित नहीं हो सका है।

Dainik Jagran, 7th May 2010

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