Thursday, June 24, 2010

NDTV India Exclusive : Black Water of Satluj in Fazilka- River Pollution

NDTV India Exclusive : Thanks to Bhagwant Mann for taking up this issue of Satluj Water pollution. Villagers living along satluj river near Fazilka area are suffering with many diseases due to heavy metal content and the presence of uranium one-and-a-half times more than the desired range. It is actually turning out to be SAJA-E-KALA Pani after independence. Graduates Welfare Association Fazilka has takeup the issue and many others from the different parts of Punjab have joined the cause. Thanks to Dr Amar Singh Azad of Rajindra Medical College, Patiala, Dr Pritpal Singh, Baba Farid Centre for Special Children, Faridkot and Sh Umendra Ji for visiting Fazilka and completed extensive research work on the same issue. Its high time, act now and save rivers of Punjab. ( News by Anand Patel)

Tuesday, June 22, 2010

Devotees throng Baba Burji wala Samadh fair-Malwa Diary

Malwa Diary
Devotees throng Baba Burjiwala Samadh fair

Hundred of devotees from Indian and Pakistan side thronged Baba Burjiwala Samadh fair, which was organised at Zero Line at GG 1 BOP in the border village Gulabad Bhaini. The samadhi of the Baba Burjiwala is situated just on the International border.

Every year, a fair is organised and citizens from both the countries of the nearby areas pay obeisance there.51 battalion of the BSF organised the fair. The women constables were also deployed for frisking the women devotees across the barbed wire fencing.

First of all, the jawans of the BSF laid "chaddar" on the memorial of the Baba Burjiwala.Notably, only once in a year on June 19, the day of annual fair, the barbed wire fencing gate is thrown open for the public to pay respect at the memorial since the memorial is located across the fencing.

The history of memorial is stated to be of pre-partition days. A large number of villagers in singing and dancing mode were seen thronging in the long queues. On the Pakistan side, scores of devotees were also seen laying "chaddar" at the memorial. Pak rangers had also made elaborate security arrangements.The memorial is considered a joint place of obeisance for the Indian and Pakistanis.

After paying respect at the memorial, Kundan Singh, a resident of village Gulaba Bhaini said with the presence of citizens of both the countries at the memorial, a congenial atmosphere is established. On the occasion, the BSF officials, RK Kashayap and Kirhan Lal, who looked after the security arrangements, prayed for cordial relations between the two countries.

 Praful C Nagpal

http://www.tribuneindia.com/2010/20100621/bathinda.htm#4

Monday, June 21, 2010

Comedy king’ turns social activist-Indian Express

Anupam Bhagria

Posted: Jun 21, 2010 at 0423 hrs IST
Ludhiana : Bhagwant Mann, known as the 'comedy king' of Punjab, has now decided to don the avatar of a social activist.

Speaking to The Indian Express, Mann said: "Recently, I visited some villages in the Fazilka belt and found that every house has a handicapped child. One of the major reasons behind this is the polluted waters of Satluj. Industries in towns like Fazilka, Abohar and Muktsar, among others, are polluting the river. The villagers told me about their problems and I will soon sit on a dharna in front of these industrial units."

Asked if it will make an impact, Mann said: "I hope it will because when a celebrity and that too a satirical comedian like me joins a social cause, it helps in raising the people's voice. I am very confident that some solution will be reached."

"My job as a comedian is not only to entertain people but also to speak for their problems. I read 12 newspapers daily to keep myself updated with the current problems facing people, the country and the society in general. I begin reading a newspaper with the editorial, with columns written by Kuldeep Nayyar, Khushwant Singh, etc — very much required for a good social critic."

Mann was in the city to participate in a seminar on his newly-released album "Aawaj", organised by Baba Bulleshah Foundation under the chairmanship of Gurcharan Singh and coordinator Nirmal Jaura.

"Being a social activist, I want some kind of a social opposition, so that political parties and leaders are under pressure to perform better. It has become a practice that majority of the leaders do not do anything initially and at the last moment, they start taking up development and other works to make their votebank strong."

Mann, who started his career while in school, said: "I started to mimic my teachers, friends and people around me in my school days. In college, I won many awards in youth festivals and inter-college competitions. It was then that I decided to polish my inborn talent and won two gold medals from Punjab University Patiala for Sunam College."

Working for the people and with the people, this comedian-turned-social activist has no plans to join politics in the future

Sunday, June 20, 2010

प्लीज डोंट वेस्ट वाटर

Fazilka, 20th June 2010, Dainik Bhaskar
सामाजिक संस्था सोशल वेलफेयर सोसायटी की ओर से पानी बचाने के प्रति जागरूक करने के लिए शुरू किए गए अभियान 'जल नहीं तो कल नहीं के तहत झींवरा मोहल्ला में प्रभातफेरी निकाल मोहल्लावासियों को बिना कारण पानी न बहाने के लिए प्रेरित किया। प्रभात फेरी अध्यक्ष राज किशोर कालड़ा व प्रोजेक्ट प्रभारी एडवोकेट संजीव बांसल के नेतृत्व में निकाली गई। फेरी में विशेष रूप से शामिल हुए फाजिल्का के प्रथम विधायक कामरेड वधावा राम के बेटे कामरेड शक्ति ने कहा कि सभी को पानी बचाने के लिए एकजुटता से प्रयास करने चाहिए। इस अवसर पर बांसल ने कहा कि पानी की कमी लगातार देश में पैदा हो रही है जिसके लिए मानवीय जाति ही जिम्मेवार है। अगर हम अब भी न संभले तो फिर पछताने के अलावा कुछ नहीं रह जाएगा। अध्यक्ष कालड़ा ने सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया। इस दौरान मोहल्ले में खुले रूप से चल रही 13 टूटियों पर वाल्व लगाए गए। इस अवसर पर वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरैन लाल कटारिया, अमृत लाल करीर, संयुक्त महासचिव अजय ठकराल, गिरधारी लाल अग्रवाल, सुरेश गर्ग, भगवान दास सहगल, चंद्रकांत, राकेश गिल्होत्रा, संदीप अनेजा, राजेन्द्र ठक्कर, अशोक सुधा, के.एल आहूजा व सीता राम सहित अन्य सदस्य मौजूद रहे।

किसान जागरूक किए

फाजिल्का. एसबीएस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के समर प्रोजेक्ट नेशनल एकेडमी एग्रीकल्चर रिर्सच के तहत किसान सेवा केन्द्र में यहां क्षेत्र के जागरूक एवं प्रगतिशील किसानों तथा बुद्धिजीवियों की बैठक आयोजित की गई। बैठक में इंडियन कौंसिल आफ एग्रीकल्चर रिर्सच के छात्र आशीष पवार तथा अमिताभ चेतन्य ने कृषि से संबधित विभिन्न प्रकार की जानकारियां दी। इस अवसर पर नासा इंडिस्ट्री एमडी इंजिनियर संजीव नागपाल प्रगतिशील किसान रवि धींगड़ा, कैप्टन एमएस बेदी, सिद्धार्थ पेड़ीवाल, अमित सावनसुखा, अशोक डोडा, दलीप कुमार, आरपी बतरा, सुरेश छाबड़ा, असीम कामरा, प्रदीप कुमार, सुरेश कालड़ा, सतीश धींगड़ा, महेन्द्र धींगड़ा तथा किन्नू किंग प्रेम बब्बर उपस्थित रहे।

Discover Punjab : Wonders of Border area : Peer Burji Wala

Peer Burji Wala Mela : Celebrating and Promoting Love n Peace between two countries. Near Village Gulaba Bheni of Fazilka Sub-division. Falling Exactly on Radcliffe Line. Half of the Shrine is in India and Half in Pakistan. Devotee from from both the countries visit the Majar of Peer Burji Wala without Visa. It will be great if Punjab Tourism department should take up such religious places as a point of Tourism Attraction. This will surely help to boost the economy of Border Villages.

Saturday, June 19, 2010

अकेला चला था और काफिला बन गया

Dainik Jagran 14th June 2010
फाजिल्का-एक तरफ जहा हर कोई एक दूसरे के खून का प्यासा हुआ बैठा है, वहीं
चंद लोग ऐसे भी है जो दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए अपना खून देने से
नहीं हिचकिचाते। वैसे तो रक्तदानियों की सूची बहुत लंबी है लेकिन
फाजिल्का का एक शख्स रिकू कंबोज उर्फ रंगलाल अब तक 50 से अधिक बार
रक्तदान कर अनेक अमूल्य जिंदगिया बचाने में सहयोग कर चुका है।

रिकू खुद ही नहीं, बल्कि अपने मोहल्ले धींगड़ा कालोनी के युवाओं को भी इस
पुण्य कार्य में लगा चुका है। रिकू के साथ मिलकर युवाओं ने कालोनी में
श्री बाला जी सेवा समिति का गठन कर लिया, जिसके 25 सदस्य हर वक्त जरूरत
पड़ने पर खूनदान के लिए तत्पर रहते है। समिति के अध्यक्ष रिकू खुद है।
केवल फाजिल्का इलाके में ही नहीं, बल्कि बठिडा, लुधियाना, अमृतसर व अन्य
दूर दराज के इलाकों में जाकर खून दान कर चुके है। कालोनी के महगा राम के
पुत्र रिकू वैसे तो मेहनत मजदूरी से अपने परिवार का गुजारा चलाते है
लेकिन खून दान के प्रति उनमें गजब की ललक है। रिकू ने दैनिक जागरण को
बताया कि उन्होंने अपनी जिंदगी का मकसद खून की कमी से मौत के मुंह में जा
रहे लोगों को खूनदान कर उनका जीवन बचाने को बना रखा है।

रिकू ने बताया कि वह आठवीं कक्षा में पढ़ता था, तब उसने पहली बार रक्तदान
किया था तो उसे इतनी मानसिक शाति मिली कि वह हर तीन माह बाद रक्तदान करने
लगा। रिकू की रक्तदान कर लोगों की अमूल्य जिंदगी बचाने की सेवा से
प्रभावित जिला रेडक्रास ने आठ मई 2010 को जिला उपायुक्त केके यादव ने
सम्मानित किया। इससे पहले राज्य की स्वास्थ्य मंत्री लक्ष्मी काता चावला
रिकू को पहली अक्टूबर 2008 को नवाशहर के गाव बंगा, 26 जनवरी 2009 को
गणतंत्र दिवस समारोह के कार्यक्रम में सासद शेर सिंह घुबाया, स्थानीय
विधायक सुरजीत ज्याणी और तत्कालीन एसडीएम चरणदेव सिंह मान उसे सम्मानित
कर चुके है, वहीं नेशनल वालंटरी ब्लड डोनेशन डे पर स्टेट ब्लड
ट्रासफ्यूजन काउसिल पंजाब की ओर से भी रिकू को सम्मानित किया गया है।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/punjab/4_2_6488653_1.html

लोगों की करतूत ने घंटाघर को बनाया कूड़ाघर


फाजिल्का-शहर की सबसे सुंदर इमारत घंटाघर इलाके के लोगों की करतूत के कारण आजकल कूड़ाघर बना हुआ है। इसके चारों ओर बने प्रवेश द्वारों पर कूड़ा कर्कट के ढेर लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि उक्त घंटाघर फाजिल्का ही नहीं बल्कि पूरे पंजाब का सबसे सुंदर घंटाघर है। ऐसा ही एक घंटाघर पाकिस्तान के पंजाब के लायलपुर में है। यहां के घंटाघर की सुंदरता कायम रखने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने मार्च माह में 25 लाख रुपये की ग्रांट नगर परिषद को उपलब्ध करवाई थी। हालांकि नगर परिषद ने वर्ष 2010 की शुरुआत में रंग-रोगन का काम तो तेजी से निपटा दिया, लेकिन नीचे फर्श लगाने और आसपास घास लगाने का काम काफी धीमी गति से चल रहा है। रही सही कसर आसपास के दुकानदारों ने निकाल दी है। उन्होंने अपनी दुकानों से निकलने वाला कूड़ा घंटाघर परिसर में फेंक इस महत्वपूर्ण इमारत को कूड़ाघर बनाकर रख दिया है। इस बारे में नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी तिलक राज वर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि गंदगी फैलना उनके ध्यान में नहीं था, लेकिन अब जल्द ही घंटाघर परिसर की सफाई करवा दी जाएगी।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/punjab/4_2_6501779.html

पुरानी धरोहर सहेजने का शौक

Laxman Dost, Dainik Bhaskar, 19th June 2010
अपना शौक पूरा करने के लिए लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं। सुभाष वर्मा ने भी शौक के कारण कई विदेशों की करंसी एकत्र की है। इसके लिए उन्हें बीस साल लग गए। वर्मा ने मुगल बादशाहों की असर्फीयों सहित कई राजाओं की ओर से चलाए गए सिक्के भी एकत्र किए हैं। इस शौक पर उसने तीन लाख रुपए से ज्यादा पैसे खर्च किए हैं। उनके पास हर छोटा पैसा और बड़ा रुपया तक की करंसी मौजूद है। यह करंसी फाजिल्का के श्री राम मंदिर रोड के निकट रहने वाले सुभाष वर्मा पुत्र बनवारी लाल के पास सुरक्षित है। 

देसी रियासत का क्या-क्या है पास में 

सुभाष वर्मा के पास मुगलकालीन रियासत की असर्फियां, 5 सेंट, आधा पैसे का सिक्का और ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से श्री राधा कृष्ण जी अंकित चिह्नों वाला पांच रुपए का नोट मौजूद है। राजा अलीजा बहादुर का आधा आन्ना, सवाई मान सिंह, जीवाजी राय छिन्दे आदि राजाओं के सिक्कों के अलावा हिन्दू देवी देवताओं शिव पार्वती, श्री राम, लक्ष्मण और सीता, श्री हनुमान जी, श्री गुरु नानक देव जी, बाला और मरदाना सहित कई धार्मिक गुरुओं के सिक्के हैं। 

खादी ग्रामोद्योग कमिशन की ओर से चरखा जयंति पर जारी किया गया दो रुपये का नोट भी है, जिससे हुडी के बदले प्रमाणित भंडारों से ही खादी खरीद की जा सकती थी। उसके पास राष्ट्रीय झंडा तिरंगा और भारत चिह्न अंकित सिक्का भी है, जो आजाद हिंद 15 अगस्त 1947 को जारी किया गया था। दुर्गा माता नेपाल, तकड़ी, संख्या एक से दस तक के सिक्कों के अलावा चांदी और मैटल के कई तरह के सिक्के सुभाष वर्मा के पास मौजूद है।

सुरक्षित हैं अन्य देशों के नोट

सुभाष वर्मा के पास वो हर तरह का सिक्का और नोट है, जो भारत में शुरू हुआ है। इसके अलावा तकरीबन हर देश का नोट और सिक्का है, जिसे उन्होंने विभिन्न स्थानों पर घूम कर एकत्र किया है। जीरो से नौ तक की सीरीज वाले कई नोट भी उनके पास सुरक्षित हैं। उन्होंने बताया कि वह करंसी को गे्रजूएट्स वेलफेयर एसोसिऐशन, सरकारी सीनियर सकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल गुरदीप कुमार, लैक्चरार पम्मी सिंह की ओर से शुरू किए गए विरासत भवन में रखेंगे, ताकि हर व्यक्ति इस अनमोल नोटों व सिक्कों को देख सके। इसके अलावा वह विभिन्न स्थानों पर इनकी प्रदर्शनी भी लगाएंगे।

Biking in India: What If Cycling Were Your Only Choice?

Cycling Culture in India
"

Friday, June 18, 2010

PM: Centre to consider proposal :: Hospital for Cancer Patients

Chander Parkash
Tribune News Service

Ferozepur, June 17
The Central Government has decided to consider the proposal of setting up a hospital in the Ferozepur area to cater to the needs of medical treatment of an ever-increasing number of cancer patients of the cotton belt of Punjab.

Parminder Singh, general secretary, PPCC, said the assurance was given to them by Prime Minister Manmohan Singh when a delegation of Congressmen, including former minister Avtar Singh Brar and secretary, PPCC, Bhupinder Pal Singh, met him recently.

Stating that the Centre had already sanctioned funds for an orphanage and a blind home here, he said the Prime Minister was made aware of the fact that due to the rising water and soil pollution in the farm operations, the incidence of cancer had gone up in the cotton-producing districts of southern Punjab.

Owing to the absence of hospitals and other institutions in the area, the poor cancer patients had been left with no other option than to go to a hospital in Bikaner in the neighbouring Rajasthan.

"We have suggested to the Prime Minister that an institute on the pattern of the PGI, Chandigarh, should be opened in the area where special diagnostic and treatment facilities for cancer patients should be provided," he said, adding that the Centre that had contemplated to set up eight medical institutions on the pattern of the PGI in the country, could set up one of these institutions in Ferozepur district.

The SAD-BJP government in the state that had been setting up cancer hospitals in joint venture with private players, had ignored the interests of poor patients, who would not be able to get treatment in these hospitals at affordable rates.

"What is the rationale of opening a cancer hospital in Mohali in joint venture by the Punjab government when cancer patients are found in profusion in the cotton belt comprising Bathinda, Muktsar, Faridkot, Mansa, Sangrur, Moga and Ferozepur districts?" asked Parminder Singh.

He said the Prime Minister was also urged to facilitate the raising of at least 10 battalions of paramilitary forces by recruiting unemployed youths of the border areas of Punjab as this would help in curbing the menace of smuggling.

Wednesday, June 16, 2010

Parts of Malwa, Raj drinking poison?


I P Singh, TNN, Jun 16, 2010, 04.07am IST

FARIDKOT: In the wake of discovery of high levels of uranium and other heavy metals in hair samples of 80% of 149 neurologically-disabled children, samples of five children from worst-affected village of Teja Rohela, near Fazilka — with maximum congenitally mentally and physically challenged children — have been sent to Microtarce Mineral Lab Germany by the Baba Farid Centre for Special Children, Faridkot. Experts say the results from the village could be more alarming.

While high concentration of uranium is attributed to use of depleted uranium in the Afghan war by US, the problem appears to be due to no stooping of release of effluents in water channels, something which the government machinery has failed to check. The report from Germany on water samples from Budha Nullah has revealed heavy metal content and the presence of uranium one-and-a-half times more than the reference range. "Toxicity of single element may not be that harmful, but when heavy metals are coupled with uranium, the toxic effect increases manifold," said Dr Amar Singh Azad, a paediatrician working on neurological disorders in children at Baba Farid Centre at Faridkot. Budha Nullah and Chitti Bein carry industrial waste into river Sutlej; its waters are used by the people in Malwa and parts of Rajasthan.

The report from German laboratory has revealed that if chromium was present over 50 times the reference range, aluminium and iron content was 20 and 60 times higher than the set parameters. The samples from Budha Nullah also have high concentration of silver, manganese, nickel and lead.

http://timesofindia.indiatimes.com/city/chandigarh/Parts-of-Malwa-Raj-drinking-poison/articleshow/6052484.cms

Tuesday, June 15, 2010

Fazilka Education Fair- A Knowledge Venture for Students

Fazilka Education Fair- A Knowledge Venture for Students
Partap Kesri, 15th June 2010

बच्चें को दी शिक्षा और करियर की जानकारी

भास्कर न्यूज
14th June 2010
फाजिल्का नॉलेज सिटी कैंपेन के तहत बच्चों को विभिन्न विषयों व करियर संबंधी जानकारी देने के लिए ग्रेजूएट्स वेलफेयर एसोसिएशन फाजिल्का की ओर से रविवार को एजूकेशन फेयर 2010 का समापन किया गया। इसमें देश विदेश के विभिन्न कालेजों की ओर से बच्चों को नि:शुल्क जानकारी दी गई।

शिक्षा के बारे में मालवा क्षेत्र का पहला महाकुंभ अरोड़वंश भवन में देर सांय तक चलता रहा। इसमें करीब आठ सौ विद्याथियों ने जानकारी हासिल की। फेयर में देश के विभिन्न कालेजों की ओर से स्टालें लगाई गई। फेयर में संस्था के सचिव इ्रजी. नवदीप असीजा, डा. रजनीश कामरा, विक्रम आहूजा, एडवोकेट मनोज त्रिपाठी, पंकज धमीजा आदि मौजूद थे। 

देश-विदेश के कालेजों ने लिया हिस्सा : संस्था के सचिव इंजीनियर नवदीप असीजा और फाजिल्का नॉलेज सिटी कंपेन के चेयरमैन डा. रजनीश कामरा ने बताया कि ज्वाला बाई नत्थू राम चैरीटेबल एंड ऐजूकेशन ट्रस्ट और गीता सॉफटैक कंप्यूटर्स के सहयोग से आयोजित इस फेयर में उत्तर भारत के प्रमुख कालेजों ने भाग लिया। इनमें चंडीगढ़ के रियात बारह ग्रुप, अदेश ग्रुप ऑफ इंच्टीटयूट, गुरुराम दास इंच्टीटयूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टैक्रालॉजी और सिक्किम-मनिपाल यूनिवर्सिटी के अलावा न्यूजीलैंड और कनाडा के कालेज प्रमुख थे। फेयर में सर्दन इंच्टीटयूट ऑफ टैक्रालॉजी न्यूजीलैंड, दुरहास कालेज कनेडा, जार्जीयन इन्च्टीटयूट कनेडा, सैनिका कालेज ऑफ इम्लाइड आर्टस एंड टैक्रालॉजी ने भी भाग लिया। इस मौके पर चण्ंडीगढ़ के ग्लोबल कंसरटेंट द्वारा विदेश जाकर पढऩे और वीजा प्राप्त करने के लिए नि:शुल्क जानकारी दी गई। यह पहला अवसर है जब पंजाब टैक्रीकल यूनिवर्सिटी के अफीसरस की ओर से यूनिवर्सिटी की पढ़ाई और दखिले के बारे में जानकारी दी गई। फेयर में विभिन्न कालेजों में मौके पर ही दाखिला दिया गया। छात्र छात्रों ने न्यूजीलैंड एमबसी के पूर्व वीजा अफसर से मिलकर न्यूजीलैंड जाने के बारे में सीधी जानकारी भी प्राप्त की।

Monday, June 14, 2010

Education fair in Fazilka-Over 700 students participate

Fazilka, June 13

The otherwise backward Fazilka, bordering Pakistan, was humming with different kind of activities as representatives of various technical colleges belonging to India and foreign countries descended here to participate in the Education Fair-2010, the first of its kind in this region, jointly organised by Graduates Welfare Association Fazilka (GWAF) and Fazilka Knowledge City campaign organisation.

The fair, which was organised at Aroravansh Bhawan, attracted more than 800 students hailing from nook and corner of Malwa belt 
of Punjab. Some of them managed to get on the spot admission in the institutions of their likings.

Navdeep Asija, secretary (administration), GWAF and Rajneesh Kamra, chairman, Fazilka Knowledge City Campaign, said education fair was organised with the active support of Jawala Bai Nathu Ram Charitable and Education Trust and Geeta Soft Tech.

He said the participants, who had registered themselves for getting admission in different colleges, would be given admission with capitation fee. He said all the institute, participated in Education Fair, had given written undertaking to GWAF that they would not charge capitation fee. — TNS

http://www.tribuneindia.com/2010/20100614/bathinda.htm#11

Friday, June 11, 2010

Fazilka Education Fair 2010-13th June 2010

Graduates Welfare Association Fazilka (Regd.) in Association with Jawala Bai Nathu Ram Ahuja Educational and Charitable Trust & Aryan Group of Colleges, Chandigarh presents

First Fazilka Education Fair 2010 at Fazilka

Wednesday, June 9, 2010

रिक्शा स्टैड पर कब्जे का प्रयास विफल

Dainik Jagran-7th June 2010
फाजिल्का-स्थानीय होटल व साइकिल बाजार में नगर परिषद द्वारा बनाए गए सार्वजनिक शौचालय व रिक्शा स्टैड पर हुए कब्जे को हटाए हुए अभी एक दिन भी नहीं बीता था कि वहा स्टाल लगाने वाले कब्जाधारक ने उसी रात फिर से शटर लगाकर कब्जे का प्रयास किया। उस प्रयास को विफल करने के दौरान हुए झगड़े में रिक्शा यूनियन का सचिव अशोक कुमार घायल हो गया। उसे सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

अस्पताल में भर्ती अशोक कुमार ने बताया कि रिक्शा स्टैड के लिए नगर परिषद ने उन्हे पक्का शैड बनाकर दिया था। लेकिन उस पर एक नमकीन का स्टाल लगाने वाले व्यक्ति ने रातों रात शटर लगाकर अवैध कब्जा कर लिया। उस कब्जे को हटाने को लेकर रिक्शा यूनियन व आसपास के दुकानदारों ने लंबा संघर्ष किया था। यहा तक कि यह मामला जनहित याचिका के रूप में हाईकोर्ट भी पहुचा।

आखिरकार डिप्टी कमिश्नर ने नगर परिषद को आदेश दे रिक्शा स्टैड की जगह पर लगाया गया शटर शनिवार सुबह 10 बजे उतरवा दिया था। अशोक कुमार ने आरोप लगाया कि परिषद ने शटर उतारने के बाद उसी नमकीन स्टाल संचालक को सौंप दिया था। इतनी शह मिलने पर उसने रात को फिर से शटर लगाने का प्रयास किया। लेकिन इस बार रिक्शा यूनियन के सदस्य चौकन्ने थे। उन्होंने मौके पर पहुचकर अवैध कब्जा होने से रोक दिया।

अशोक ने आरोप लगाया कि कब्जे का प्रयास कर रहे व्यक्ति ने उन पर चाकू से वार कर उसे घायल कर दिया। बाद में रिक्शा यूनियन के सदस्यों ने शटर उठाकर नगर थाना पुलिस के हवाले कर दिया है।

बीमारियों को लेकर सरकार सोई, संस्थाएं जागी

अमृत सचदेवा, फाजिल्का- 9th June 2010

रिमोट एरिया व औद्योगिक इकाइयों के आसपास बसे गावों के बाशिदों के घातक रोगों का शिकार होने से भले ही सरकार की चिंता बढ़ी हो या नहीं, लेकिन विभिन्न खेतीबाड़ी व मेडिकल कालेज से जुड़े जागरूक लोगों व संस्थाओं में इस समस्या को लेकर चिंतन शुरू हो गया है। सतलुज दरिया के किनारे बसे फाजिल्का के सरहदी गाव में भी घातक रोगों के शिकार लोगों की दिनोंदिन बढ़ रही संख्या को गंभीरता से लेते हुए प्रभावित गावों की विभिन्न संगठनों ने नए सिरे से जांच का काम शुरू कर दिया है।

रविवार व सोमवार को भारत-पाक सीमा पर बसे गाव तेजा रूहेला पहुची राजिंदरा मेडिकल कालेज पटियाला, खेती विरासत मिशन, बाबा फरीद सेंटर फार स्पेशल चिल्ड्रन फरीदकोट व यूथ क्लब आर्गेनाइजेशन बठिडा की टीम ने गाव में इसानों के साथ-साथ मिट्टी, पानी व पशुओं की जाच की। उन्होंने वहा के बाशिदों में अपंगता, हाथ पाव टेढ़े-मेढे़ होने, नपुंसकता जैसे रोगों व पशुओं के कमजोर होने का कारण दूषित पानी व रसायन के प्रयोग से जहरीली हो चुकी जमीन को बताया है।

टीम में शामिल राजिंदरा मेडिकल कालेज पटियाला के डा. अमर सिंह आजाद ने बताया कि स्वास्थ्य जाच का आधार केवल इसानी जाच नहीं है, बल्कि लोगों की स्वास्थ्य जाच के साथ वहा के पशुओं, जमीन, पानी के स्वास्थ्य की जाच बेहद जरूरी है। टीम ने बताया कि बरसों से रासायनिक खेती करने से जमीन का घातक स्तर पर जहरीला होना बीमारिया फैलने का कारण है। बाबा फरीद सेंटर फार स्पेशल चिल्ड्रन के अध्यक्ष डा. प्रितपाल ने बताया कि इसान खासकर बच्चे अपंगता, चर्म रोग, बाल सफेद होने व झड़ने, नपुंसकता, बच्चे शारीरिक विकास रुकने जैसे रोगों से जूझ रहे हैं। वेटरनरी विशेषज्ञ नीरज व गुरप्रीत सिंह ने बताया कि पशु भी दूषित पानी और जहरीली हो चुकी जमीन में पैदा चारा खाने से कमजोर व बीमार हो चुके है। उनके दूध का उत्पादन पंजाब के औसत स्तर से तीन गुणा कम हो चुका है। जो दूध निकलता है, वह भी इसानी शरीर के लिए बीमारियों का सबब बन रहा है।

टीम के प्रमुख सदस्य खेती विरासत मिशन के संयोजक उमेंद्र दत्त ने कहा कि यह समस्या केवल फाजिल्का के सरहदी गावों की नहीं, बल्कि पूरे पंजाब की है। दूषित पानी व जहरीली जमीन हर तरफ बीमारिया फैला रही है। टीम ने रोगों की गिरफ्त में आए तेजा रूहेला के अलावा मुहार जमशेर, दोना नानका आदि का दौरा भी किया। इस मौके पर टीम के साथ प्रसिद्ध कामेडियन भगवंत मान व ग्रेजुएट वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव नवदीप असीजा भी थे, जो फाजिल्का के सरहदी इलाके में पनपे घातक रोगों के प्रति जागरूकता फैलाने का काम कर रहे है।

10 साल में लगाए सिर्फ 764 पौधे- Environment Day Celebration at Fazilka

भास्कर न्यूज, 5th June 2010

स्वच्छ वातावरण के मामले में नगर परिषद कितनी गंभीर रहती है, इसका अंदाजा कौंसिल का पिछले दस साल का रिकार्ड खंगालने से आसानी से लगाया जा सकता है। इस एक दशक में कौंसिल के द्वारा मात्र 764 पौधे ही लगाए गए हैं और हैरानी वाला तथ्य यह सामने आया है कि इनमें से मात्र 24 पौधे ही कौंसिल के रिकार्ड के अनुसार सफल हो पाए हैं, यानि प्रति वर्ष ढाई पौधे भी नगर कौंसिल के हिस्से में नहीं आते हैं। यह तथ्य इंजीनियर नवदीप असीजा ने सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त मांगी गई जानकारी में उजागर हुआ है। 

पिछले एक दशक में दो बार भाजपा तथा एक बार कांग्रेस ने परिषद में सत्ता संभाली है। इस समय के दौरान करोड़ों रुपए के विकास काय हुए। अनुमान के अनुसार हर सड़क को कम से कम दो बार तो पक्का कर ही दिया गया, जबकि नगर को पत्थरों का शहर बनाने वालों को एक बार भी इसकी ग्रीनरी का ख्याल नहीं आया। प्रति—दिन बढ़ रहे ग्लोबलवार्मिंग के खतरे, गिर रहे जलस्तर एवं प्रकृति के प्रतिदिन बदलते रंग को लेकर दुनियाभर के साइंसदान चिंतित हैं और चेतावनी दे रहे हैं कि अगर इसी तरह पेड़ों को काटा गया और पानी की बर्बादी की गई तो धरती की तबाही का समय दूर नहीं है, लेकिन इन चेतावनियों की किसे परवाह है।

पॉलीथीन पर लगाई रोक बेअसर

कौंसिल ने पालीथीन पर बैन लगाकर ऐतिहासिक फैसला लिया, लेकिन लोगों के सहयोग के अभाव में यह भी फेल हो गया। करीब पांच माह बीत जाने पर भी नगर में धड़ल्ले से आज भी पालीथीन बिक रहा है।

कई वर्षों से पौधरोपण ठप

यहां अगर बात वन विभाग की करें तो पिछले कई वर्षों से विभाग ने पौधरोपण ही नहीं किया। इसके पीछे विभाग का एक ही तर्क होता है कि उनके पास फंड ही नहीं है।  विभाग की उदासनीता ही परिणाम है कि फाजिल्का क्षेत्र में एक प्रतिशत से भी कम वन क्षेत्र है, जबकि वर्तमान विधायक अपने पूर्व के कार्यकाल में खुद वनमंत्री रह चुके हैं। विशेषज्ञों के अनुसार किसी भी भूमि पर वनसंपदा 33 प्रतिशत हेानी चाहिए, जबकि राज्य में यह 3 प्रतिशत से भी कम है। 

ऐसा नहीं है कि विभाग के पास पौधे नहीं है। विभाग की नर्सरियों में इस समय 1.75 लाख पौधे तैयार हैं, लेकिन विभाग के पास इन्हें रोपने के लिए कोई पैसा नहीं है। एकत्रित जानकारी के अनुसार वर्ष 2002 में जापान प्रोजैक्ट के बार डिपार्टमेंट को कोई बड़ा फंड मुहैया नहीं करवाया गया है। यह फंड 2005 के करीब समाप्त हो गया था। इसके बाद फंड के अभाव में जो पोधे लगाये थे वह भी जल गए।

रेंज अफसर को पता भी नहीं पर्यावरण दिवस है

सबसे दुखद पहलू तो यह है कि यहां वन अधिकारियों को पता भी नहीं कि शनिवार को पर्यावरण दिवस है। इस बारे में जब भास्कर ने इस बारे में रेंज आफिसर बलजीत सिंह से जब पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि आज क्या खास है। जब उन्हें पर्यावरण दिवस के बारे में बताया व पूछा कि इस पर आप क्या कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि फिलहाल कोई प्रोग्राम नहीं है, अगर आप कहते हैं तो कुछ बना लेते हैं। 

10 लाख होंगे खर्च

नगर कौंसिल अध्यक्ष अनिल सेठी ने कहा कि कौंसिल ने प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें नगर में पौधे लगाने तथा ट्री गार्ड खरीदने के लिए 10 लाख रुपए रखे गए हैं। इनती बड़ी राशि इससे पहले कभी भी पर्यावरण के लिए नहीं रखी गई।

इनसे जानें पानी की कीमत

अंकल! देखो टूटी खराब होने के कारण कितना पानी रोज नाली में बह रहा है, इसे अगर ठीक करवा दो तो कई हजार लीटर पानी बच सकता है, आप इसे ठीक क्यों नहीं करवा रहे? यह अपील दोस्त मॉडल स्कूल के बच्चों के एनवायरमेंट क्लब ने नगर के एक बड़े हिस्से में सर्वे कर व्यर्थ पानी बहाने वाली टूटियों का पता लगाकर लोगों से की है। उक्त अभियान में मात्र कक्षा चौथी और पांचवी के बच्चे हैं। बच्चे अब टूट चुकी वाटर सप्लाई की टूटियों को ठीक करवाने में भी मदद करेंगे। बच्चों ने नई आबादी, धींगड़ा कालोनी, पीर गौराया, टीचर कालोनी, बस्ती चंदोरां, जोरा सिंह मान नगर में सर्वे कर 63 ऐसे वाटर सप्लाई के कनेक्शनों की तलाश की है जो हर समय खुले रहते हैं व प्रति दिन इनमें से हजारों लीटर पानी व्यर्थ चल जाता है। खास बात है कि अब इन कनेक्शनों को यहां की समाजसेवी संस्था गेजूएट्स वेलफेयर एसोसिएशन अपनी जेब से ठीक करवाएंगी। एसोसिऐशन पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर अभियान की शुरूआत करेगी। अभियान 29 जून तक चलेगा। 

बचेगा 226800 लीटर पानी

एसोसिऐशन के प्रयास से मोहल्लों में बेकार जा रहा 226800 लीटर पानी बचेगा। सचिव नवदीप असीजा ने बताया कि प्रति व्यक्ति 50 लीटर पानी चाहिए। कौंसिल इससे अधिक पानी दे रही है। इसके बावजूद कई लोग पानी को तरस जाते हैं। इसका कारण खुली टूटियां हैं। यहां रोजाना 226800 लीटर पानी बेकार नालियों में बह जाता है। जबकि लोगों को पीने के लिए 25 हजार लीटर प्रति दिन पानी चाहिए। लेकिन बेकार हो रहे पानी के कारण मोहल्ले के अंत तक बसे लोगों तक पानी नहीं पहुंचता। संरक्षक डा. भूपिन्द्र सिंह ने बताया कि कई स्थानों तक लोगों के घरों में पीने का पानी नहीं पहुंच रहा। शहर में करीब 300 टूटीयां ऐसी हैं, जो लगातार आठ घंटे ही चलती रहती हैं। उन टूटीयों पर पानी बंद करने के लिए प्लग ही नहीं लगाया गया। इसके अलावा कई टूटीयों में लीकेज है, उनका पानी सीवरेज के दूषित पानी से मिल जाता है। जिससे पानी तो बेकार जाता ही है, साथ ही लीकेज से अन्य लोगों तक दूषित पानी पहुंचता है।

पानी बचाने को अब शुरू होगा 'जल नहीं तो हम नहीं प्रोजेक्ट

फाजिल्का& सोशल वेलफेयर सोसायटी अब लोगों को पानी बचाने के लिए शीघ्र ही 'जल नहीं तो हम नहींÓ नामक प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही है। इस बारे में सोसायटी की आयोजित बैठक में सर्वसम्मति से पारित किया गया। अध्यक्ष राज किशोर कालड़ा ने कहा कि शहर में प्रतिदिन जाने-अनजाने में हजारों लीटर पानी बेकार हो जाता है। कालड़ा ने बताया कि लिये गए फैसले के अनुसार सोसायटी सदस्य प्रत्येक रविवार को प्रात: एक मोहल्ले की विभिन्न गलियों में लाउड स्पीकर रिक्शा के जरिए लोगों को पानी का महत्व बताते हुए जल का सही उपयोग करने के लिए प्रेरित करेगी। उन्होंने कहा कि लोगों को पानी व्यर्थ न करने की अपील की जायेगी। सोसायटी द्वारा सरकारी स्थलों पर लगाई गई टूटियां जो खराब हो चुकी अथवा लीकेज करती है, को सोसायटी अपने स्तर पर ठीक करवाएगी। बैठक में महासचिव कंवल किशोर ग्रोवर, सुरैन लाल कटारिया, अमृत लाल करीर, कंवल चराया, शशिकांत, संजीव बांसल मार्शल, रतन लाल ग्रोवर, गिरधारी लाल मोंगा, डा. मनोहर लाल सुखीजा, प्रमोद जुनेजा, अशोक मनचंदा, बिहारी लाल डोडा, राकेश गिल्होत्रा, सुरेन्द्र सचदेवा एलआईसी, भगवान दास सहगल, राजेन्द्र अरोड़ा, चंद्रकांत, टोनी सेठी, गिरधारी लाल अग्रवाल व रविन्द्र लूना सहित अन्य सदस्य मौजूद रहे।

Tuesday, June 8, 2010

National bird loses habitat to humans

Chander Parkash
Tribune News Service

Fazilka, May 9
Peacocks, which used to be a major attraction for residents and outsiders a few years ago, have said "goodbye" to this town bordering Pakistan. The reason: large-scale cutting of trees to make the way for residential colonies. Moreover, the local Badha lake, where they used to breed and grow, has turned dry due to the apathetic attitude of the authorities concerned.

Fazilka, once headquarters of one of the biggest subdivisions of undivided India and Punjab, was famous for having a respectable population of peacocks. But nearly seven peahens and peacocks died in one go in 2000 here after consuming eatables sprayed with pesticides and the death toll kept on increasing.

A section of residents while talking to the Tribune alleged that though peacocks started disappearing from this town for various reasons, the wildlife authorities did nothing to protect them against environmental degradation.

SP (CID), Bathinda, Ajay Maluja, who remained the DSP of this subdivision for four years - from 1997 to 2001-said dozens of peacocks were permanent residents of official residences of the DSP, SDM and others during that period and people used to roam in the civil lines area to have their glimpse.

On the other hand, Karamjit Singh, present DSP of the town who has been living in one of the same houses, said since he joined here on June 19, 2009, he had not seen any peacock so far.

Ferozepur district wildlife officer Harbans Singh Dhillon said the wildlife department was not aware of the fact that Fazilka town was having a good population of peacocks and hence no census was ever carried out. Dhillon added that even he was surprised that why peacocks had disappeared from the town. He said that peacocks were present in the neighbouring Abohar subdivision also.

Navdeep Asija, secretary (administration), Graduate Welfare Association Fazilka (GWAF), said the organisation was trying to bring back peacocks in this town by reviving the lake and creating a huge green cover by planting shady, fruit bearing and other trees in the area.

http://www.tribuneindia.com/2010/20100510/punjab.htm#8

Experts visit villages near Fazilka, find signs of water toxicity

Fazilka A team of Kheti Virasat Mission (KVM) has found signs of water toxicity in villages like Teja Ruhela and Dona Naanka.

We decided to visit these areas after receiving reports of water contamination," said Umendra Dutt, Executive Director of KVM. "These areas come under the Badal family and it is surprising to see that healthand basic civic conditions of the region is so bad."

Others in Dutt's team included Dr Amar Singh Azad, working president of KVM; Neeraj Atri co-ordinator; Gurpreet Singh, natural farming trainer; Dr Pritpal Singh of Baba Farid Center for Special Children and Jasbir Singh, president of youth clubs organisation.

Dr Azad said the villages were slowly turning into villages of disease. "We found a large number of children suffering from stunted growth. The number of such kids is much larger than the normal population distribution. Most of them show a extreme lack of development in height, weight, physical structure as well as over all well-being. A large number of children, especially young girls, have premature graying and thinning of hair. What is more alarming is a large number of children show signs of environmental toxicity resulting in cerebral palsy/mental retardation/autism/attention deficit and hyperactivity disorder/learning disability."

Skin problems among both adults and children is another major problem. "Almost all the residents suffer from digestive problems. A large number of adult male population suffer from erectile dysfunction. Also, a huge section suffers from malnutrition of varying degrees, including anemia and pica. Most girls have shown signs of premature menarche and a large number of women suffer from menstrual disorders. The prevalence of infertility among couples is also appreciably high. A very large number of women complain of miscarriages. Some of the women have had more than five miscarriages," Dr Azad said.

The visiting team also claims to have observed that the suspected toxicity is leading to considerable drop in yield from fields and milch animals, putting the very existence of the residents in danger.

Although an average buffalo undergoes about 15 cycles of reproduction, here the number has dropped to about seven to eight. Similar to humans, the number of miscarriages among cattle have increased dramatically in the last few years, said Dr Azad.

The residents allege although they fall in a high profile constituency, the machinery of state is virtually non-existent.

"Kheti Virasat Mission intends to undertake a large scale study in villages of these areas to ascertain the spectrum of causes leading to such severe problems, in collaboration with the Center for Science and Environment. It has been recently pin-pointed by various observers that water sources (surface and ground) of Punjab have been grossly polluted by industrial and agricultural toxins," said Dutt. As a first step, the expert panel suggests installation of RO water purifiers for drinking water.

The impact
* Stunted growth among kids
* Premature graying and thinning of hair among children
* Miscarriages, even among cattle
* Skin and digestive problems

http://www.expressindia.com/latest-news/experts-visit-villages-near-fazilka-find-signs-of-water-toxicity/630713/

Friday, June 4, 2010

Tap It -Save Water Save Fazilka - World Environment Day

On the occasion of World Environment Day this year, we Graduates Welfare Association Fazilka (GWAF) are going to fix up all the open water-supply connections with PVC Taps. Household survey conducted by the students of Environment Club, Dost Model School in the three suburban localities namely Fazilka mainly Nai Abadi, Teacher Coloney and Dhingra Coloney, detected 63 such open connections. Such open connections are not just reducing discharge pressure but also wasting almost 70% of the fresh water. Low household income in these sub urban localities is the another reason as why after damage such connection remain damaged or open.

Reduction in discharge pressure made difficult to store this water and encourage few individual to install Tullu Pumps in the main pipeline. Further loss of energy and reduce the water supply to the few household falling on same main pipeline. Overall loss of Energy and Water

 Tomorrow team GWAF is going to install PVC taps (low cost, durable and theft proof) on these open connections. On an average Municipality supply monthly about 7000 litre of fresh water per connection, out of which 70% goes wasted as surface runoff. With our small initiative we are estimating to save about 3 lakh litre of fresh water monthly. Talking about this project Mr Rishab Khanna, Funding Director of Indian Youth Climate Network (IYCN) said, "each individual can takeup such small initiatives in their neighborhood and we need to save this precious water for our next generations may be in the form of small contribution". He also proposed to promote this initiative on pan India basis through IYCN network
Scenario is the same in other sub urban localities of Fazilka, line Anni Dilli, Nand Lal Coloney, jattian & jhivar Mohalla. GWAF also urge the individual and other social organisations of Fazilka to takeup this call. "Repair of each open connection would not cost more than the cost 1 mineral water cane, but there is a huge saving of water associated with it", said Mrs Meenu Kamra, brainchild behind this initiative. "Due to our negligence and greedy deeds of few, we have already lost our main water sources like Badha lake wetland and ground water table is already depleting. This is a need of hour and if we will not act now, time is not far away when again Fazilka would be the part of Thar Desert", said Dr Bhupinder Singh, Patron GWAF and retired professor, IIT Roorkee. Act Now and Save Water.

Thursday, June 3, 2010

Afforestation drive needs more thrust in Fazilka

Praful Chander Nagpal

Fazilka, June 2
Senior officials of the state forest department, including forest minister Tikshan Soon, in repeated statements have expressed inability of the department to plant more saplings and to bring more area under afforestation in Punjab on the plea that there is no sufficient space available for planting the saplings.

This is despite the fact that lakhs of trees are axed every year for widening the roads and raising buildings at different places.

The department, however, has been unable to make up the loss by planting more trees on other vacant areas.

Surprisingly, there are reports that funds worth crores of rupees earmarked for the purpose of afforestation are stated to be lying in surplus. This fact had already been highlighted in The Tribune on April 12.

Despite the situation and ever decreasing green belt, there is some ray of hope for enhancing the area under afforestation. As per information, vast vacant space is available in border areas of Fazilka where lakhs of saplings could be planted and thus the forest department could bring more area under forest cover.

An 18.5 kilometer vast stretch which is about 100 feet wide, situated on eastern bank of Aspal seepage drain (popularly known as Ditch drain) is lying vacant for last about 10 years. This area came into existence when the Aspal drain was dug out in 2000.

The 18.5 kilometer long and 100 feet wide track starts from village Sabuana and ends at creek of Sutlej river near village Dilawar Bhaini. The agriculture experts consider this area to be fertile and suitable for afforestation.

It seems that the forest department has turned a blind eyes despite the fact that the area is quite in knowledge of the forest department, no efforts has been made to convert it into a green belt or for the purposes of bringing the area under afforestation.

Forest department officials on condition of anonymity revealed that more than 2 lakh saplings could be planted on this 18.5 kilometer long stretch.

"The department is aware of the area and it would start plantation from July onwards. In first phase, 10,000 sapling would be planted," confirmed district forest officer Mahavir Singh.

He said the department has asked the canal department to put pillars on the boundary along this stretch so that the farmers who are cultivating their land adjacent to stretch, may not encroach upon.

"We are ready to extend co-operation to the forest department for leveling the proposed land from our own resources," said one farmer Jagtar Singh, whose land is situated adjacent the vacant track in village Karnikhera.

On the other hand, progressive farmer Surinder Kumar Ahuja through the Right to Information Act has sought information from finance commissioner-cum-secretary Forest and Wild Life, Punjab and principal chief conservator forest, Punjab on April 16, 2010 that a vast track on the bank of Aspal drain is available with the department and what were the constraints that prevented their department from planting trees.

However, even after the lapse of the mandatory one month, Ahuja has not received any reply from both the authorities. "I am thinking of filing complaint before the Chief Information Commissioner, Punjab as the authorities are dilly delaying and matter," asserted Ahuja. 

http://www.tribuneindia.com/2010/20100603/bathinda.htm#13