Saturday, June 19, 2010

पुरानी धरोहर सहेजने का शौक

Laxman Dost, Dainik Bhaskar, 19th June 2010
अपना शौक पूरा करने के लिए लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं। सुभाष वर्मा ने भी शौक के कारण कई विदेशों की करंसी एकत्र की है। इसके लिए उन्हें बीस साल लग गए। वर्मा ने मुगल बादशाहों की असर्फीयों सहित कई राजाओं की ओर से चलाए गए सिक्के भी एकत्र किए हैं। इस शौक पर उसने तीन लाख रुपए से ज्यादा पैसे खर्च किए हैं। उनके पास हर छोटा पैसा और बड़ा रुपया तक की करंसी मौजूद है। यह करंसी फाजिल्का के श्री राम मंदिर रोड के निकट रहने वाले सुभाष वर्मा पुत्र बनवारी लाल के पास सुरक्षित है। 

देसी रियासत का क्या-क्या है पास में 

सुभाष वर्मा के पास मुगलकालीन रियासत की असर्फियां, 5 सेंट, आधा पैसे का सिक्का और ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से श्री राधा कृष्ण जी अंकित चिह्नों वाला पांच रुपए का नोट मौजूद है। राजा अलीजा बहादुर का आधा आन्ना, सवाई मान सिंह, जीवाजी राय छिन्दे आदि राजाओं के सिक्कों के अलावा हिन्दू देवी देवताओं शिव पार्वती, श्री राम, लक्ष्मण और सीता, श्री हनुमान जी, श्री गुरु नानक देव जी, बाला और मरदाना सहित कई धार्मिक गुरुओं के सिक्के हैं। 

खादी ग्रामोद्योग कमिशन की ओर से चरखा जयंति पर जारी किया गया दो रुपये का नोट भी है, जिससे हुडी के बदले प्रमाणित भंडारों से ही खादी खरीद की जा सकती थी। उसके पास राष्ट्रीय झंडा तिरंगा और भारत चिह्न अंकित सिक्का भी है, जो आजाद हिंद 15 अगस्त 1947 को जारी किया गया था। दुर्गा माता नेपाल, तकड़ी, संख्या एक से दस तक के सिक्कों के अलावा चांदी और मैटल के कई तरह के सिक्के सुभाष वर्मा के पास मौजूद है।

सुरक्षित हैं अन्य देशों के नोट

सुभाष वर्मा के पास वो हर तरह का सिक्का और नोट है, जो भारत में शुरू हुआ है। इसके अलावा तकरीबन हर देश का नोट और सिक्का है, जिसे उन्होंने विभिन्न स्थानों पर घूम कर एकत्र किया है। जीरो से नौ तक की सीरीज वाले कई नोट भी उनके पास सुरक्षित हैं। उन्होंने बताया कि वह करंसी को गे्रजूएट्स वेलफेयर एसोसिऐशन, सरकारी सीनियर सकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल गुरदीप कुमार, लैक्चरार पम्मी सिंह की ओर से शुरू किए गए विरासत भवन में रखेंगे, ताकि हर व्यक्ति इस अनमोल नोटों व सिक्कों को देख सके। इसके अलावा वह विभिन्न स्थानों पर इनकी प्रदर्शनी भी लगाएंगे।

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