अमृतसर राह के राजकुमार का ठाठ-बाठ बदल गया है। देश की सबसे पुरानी सवारी अब शाही रौब में नजर आने लगी है। रिक्शा पर सवारी से आपके शान में गुस्ताखी नहीं होगी। आईआईटी के विशेषज्ञों की सलाह के बाद पंजाब के अमृतसर शहर की सड़कों पर अब रेडियो रिक्शा उतर आई है। आप रिक्शा पर बैठे कामनवेल्थ गेम में भारत की झोली में गिरे पदकों की गिनती से लेकर क्रिकेट मैच तक की खबर रख सकते हैं। यही नहीं आपकी सहूलियत के लिए फर्स्ट एड बाक्स के अलावा इसमें आग से निपटने के लिए बकायदा अग्निरोधक यंत्र भी लगाए गए हैं। सच पूछिए तो यह रिक्शा पीआरटीसी की बस को भी मात दे रही है। डीसी काहन सिंह पन्नू इसे रिक्शा के बजाए इको कैब कहते हैं। वह कहते हैं कि सौ साल से रिक्शा का एक ही रंग रुप है। हर तकनीक में विकास हुआ, तो फिर रिक्शा का क्यों नहीं? यही वजह है कि आईआईटी के विशेषज्ञ से सलाह के बाद प्रशासन ने रिक्शा के नए रंग-रुप को इजाद किया है। चूंकि देश-विदेश के लाखों सैलानी यहां आते हैं, इसलिए कुछ अनूठा प्रयास वाजिब भी है। खास बात यह है कि रिक्शा चलाने वाले अब इसके लिए मालिक के शरण में नहीं जाएंगे। वह जितना कमाएंगे सीधे बैंक को देंगे। 10 हजार के रिक्शा का किश्त अदा करने के बाद इसे चलाने वाले की यह मलकियत होगी। डीसी ने बकायदा बैंक से महज 4 फीसदी ब्याज दर पर रिक्शा देने की विशेष व्यवस्था भी करवाई है। आधुनिक रिक्शा उतरने से इसे चलाने वाले और सवारी दोनों मस्त होंगे। रिक्शा का भार आम रिक्शा से 35 किलो कम है। रिक्शा में लो फ्लोर है। बच्चे व बुजुर्ग इस पर आसानी से सवार हो सकते हैं। कार की तरह रिक्शा में सीट बेल्ट है। मनोरंजन के लिए रेडियो का आनंद उठा सकते हैं। रिक्शा में शहर का पर्यटन का नक्शा भी होगा ताकि पर्यटकों को सुविधा मिले। अमृतसर के विरासती व एतिहासिक शहर की छवि को चरितार्थ करते हुए रिक्शा में बकायदा गुंबद व आर्क भी हैं। इसके पीछे प्रशासन ने खालसा कालेज की एतिहासिक इमारत की तस्वीर लगाने की भी सोची है। आधुनिक रिक्शा को हरी झंडी पर्यटन विभाग की ओर से जिला प्रशासन ने 5 आधुनिक रिक्शा को मंगलवार को हरी झंडी दी गई। डीसी काहन सिंह पन्नू, एडीसी प्रवीण कुमार, पर्यटन अधिकारी बलराज सिंह, एक्सईएन पीके गोयल मौके पर तैनात थे। गीत सुन गद्गद् थे रिक्शा चालक रिक्शा अब उसके लिए कार सरीखे है। जिस रिक्शा को खींचकर वह पसीने से लथपथ थे आज उसी रिक्शा में बज रहे गीत सुन वह गदगद थे। जितेन्द्र सिंह, मोहन सिंह, गुरदयाल सिंह, जसबीर सिंह, भोला सिंह रिक्शा पाकर आज धन्य हो गया। गरीबों का हक नहीं मारा जाएगा गुरु नगरी में सड़कों पर करीब 25 हजार रिक्शा है। ज्यादातर रिक्शा मालिक किराए पर चलते हैं। रिक्शा चलाने वाले दिन भर मेहनत कर अपने मालिक को 25 से 30 रुपये देने को विवश हैं। पर, प्रशासन के पहल से अब यह जुल्म नहीं होगा। गरीबों की हक नहीं मारी जाएगी, वह किराये पर रिक्शा चलाने के बजाए बैंक से सस्ते दर पर कर्ज लेकर अब वह रिक्शा के सीधे मालिक बनेंगे।
Wednesday, October 6, 2010
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