Dainik Jagran, 27th October 2010, Page 1, Patiala Edition
उपमुख्य संवाददाता, पटियाला : शाही शहर में कभी शाही लोगों की सवारी बग्घी होती थी तो महिलाओं के लिए डोली और आम आदमी के लिए तांगा आम हुआ करता था। परकोटे वाले शहर में यातायात और प्रदूषण नियंत्रण की बात कोई नहीं करता था। आज शहर में ईंधन से चलने वाले छोटे-बड़े वाहनों की संख्या पांच लाख के पार है। हालांकि यहां 14 हजार रिक्शा लाइसेंस पर 21 हजार से ज्यादा रिक्शा शहरी ट्रैफिक को किसी तरह खींच रहे हैं। फिर भी रिक्शा लेने के लिए कभी इंतजार तो कभी दूरी तय करनी पड़ती है। मगर अब आपको परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि अब प्रदूषणमुक्त इको फ्रेंडली ग्रीन कैब्स रिक्शा (0175-2057333) डायल करने के साथ ही उपलब्ध हो जाएगा। गैर सरकारी संस्था पटियाला फाउंडेशन ने बुधवार को राजिन्द्रा जिमखाना महिन्द्रा क्लब में एक समारोह का आयोजन कर पटियाला ग्रीन कैब्स नाम से इको फ्रेंडली रिक्शा लांच की है। फाउंडेशन के महासचिव रवि ¨सह आहलुवालिया व कोआर्डीनेटर हरप्रीत संधू की देखरेख में हुए समागम में जिला योजना बोर्ड के चेयरमैन सुरजीत ¨सह रखड़ा व डिवीजनल कमिश्नर गुरिन्द्र ¨सह ग्रेवाल ने बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। नगर निगम के कमिश्नर मनजीत ¨सह नारंग विशेष मेहमान के तौर पर शिरकत की। रखड़ा व ग्रेवाल ने झंडी देकर हाथ रिक्शाओं को रवाना किया। उन्होंने खुद भी रिक्शा में बैठ कर सवारी भी की। डिवीजनल कमिश्नर गुरिन्द्र ¨सह ग्रेवाल ने पटियाला ग्रीन कैब्स प्रोजेक्ट के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार देने के बाद विश्वास दिलाया कि जिला प्रशासन द्वारा वह हर तरह की मदद करेंगे ताकि इस प्रोजेक्ट सफल बनाने से बाद दूसरे जिलों में भी पटियाला फाउंडेशन की सहायता के साथ चलाया जा सके। फाउंडेशन के महासचिव रवि आहलुवालिया ने बताया कि पटियाला ग्रीन कैब्स अपनी तरह की एक निराला प्रोजेक्ट है, जिसका उदेश्य जहां रिक्शा चालकों को शारीरिक आíथक व मानसिक शोषण से बचाने के अतिरिक्त उनकी विशेष पहचान बनाना भी है। इसके लिए डायल-ए-रिक्शा की सुविधा रखी गई है कि आप घर बैठ कर फोन कर रिक्शा मंगवा सकते हो। इसके लिए पूरे शहर को 12 जोनों में बांटा गया है व पायलट जोन के तौर पर फिलहाल यह सुविधा लीला भवन जोन में शुरू की जा रही है। उन्होंने बताया कि यह एक नए तरह की रिक्शा है, जिसमें एफएम रेडियो, फर्स्ट ऐड बाक्स, सीट बेल्ट व सामान रखने के लिए अलग जगह के अतिरिक्त गर्मी और सर्दी आदि से बचने के लिए सिर पर छत भी है। सीटें पूरी तरह आरामदायक हैं। बच्चों के लिए पीछे विशेष जगह बनी हुई है, जिसके साथ सेफ्टी के लिए बेल्ट भी लगाई गई है। इस मौके पर विशेष तौर पर पहुंचे इको कैब्स, फाजिल्का के सचिव नवदीप असीजा ने इसकी तकनीकी बारीकियों के बारे में बताया।
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