सिंचाई विभाग की अनदेखी के कारण लाखों रुपये का नुकसान झेलने वाले भारत-पाक सीमा के निकट बसे किसानों ने खुद ही अपनी किस्मत संवारने की पहल की है। नहर की सफाई न होने से हजारों एकड़ जमीन पर फसल बीजने से वंचित रहे किसानों ने चेतन किसान क्लब का गठन कर पैसे इकट्ठे किए और उससे नहर की सफाई शुरू करवा दी है। इस कार्य में जहां मजदूरों की सहायता ली जा रही है वहीं किसान जेसीबी किराए पर लेकर और अपनी ट्रैक्टर ट्रालियां लगाकर नहर की सफाई में जुटे हैं।
उल्लेखनीय है कि टेल पर बसे गांव साबूआना, केरियां, आडियां, छोटी ओडियां, जंडवाला खरता आदि में नरमे व धान की बिजाई के लिए पर्याप्त नहरी पानी न मिल पाने के कारण करीब 50 प्रतिशत रकबे में किसान फसल बीज ही नहीं पाए थे। इसके चलते किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। जब बिजाई के डेढ़-दो महीने बाद फसलों को पानी चाहिए था, तब पूरे पंजाब के दरिया किनारे बसे इलाकों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई थी। लेकिन उनके गांवों में फसलों की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी भी नहीं दिया गया। इलाके का जमीनी पानी खराब होने की वजह से वह भी सिंचाई के लिए प्रयोग नहीं हो सका। नतीजतन उक्त गांवों के करीब सात हजार एकड़ रकबे में से आधी से ज्यादा जमीन पर बिजाई ही नहीं हो पाई। यहां तक कि गांव साबूआना के सरपंच शंकर लाल, जंडवाला खरता के सरपंच बलवंत सिंह, ओडियां के संतोख सिंह व बड़ी ओडियां के बूटा सिंह राज्य के सिंचाई मंत्री जनमेजा सिंह सेखों से मिले थे, उसके बाद भी विभाग ने नहर की सफाई का प्रबंध नहीं किया।
अब गेहूं की बिजाई सिर पर है और नहरों की सफाई नहीं की गई। इसलिए गांव साबूआना के किसानों ने आसपास के गांवों के किसानों के साथ मिलकर चेतन किसान क्लब का गठन करके अपने पास से पैसे खर्च कर नहर की सफाई शुरू करवाई है। क्लब के प्रधान दया राम मायल, सचिव रतन लाल, सदस्य प्रेम भदरेचा, रामेश्वर धामू, राम गोपाल आदि ने बताया कि वह गेहूं की बिजाई के बाद सिंचाई के लिए सिंचाई विभाग के भरोसे नहीं रहना चाहते, लेकिन सरकार व विभाग से इतनी मांग जरूर करते हैं कि अगर नहर की सफाई के लिए पैसा मिले तो वह क्लब को दिया जाए ताकि उससे किसानों के लिए और कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा सके।
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