मंडी लाधुका में करीब 200 लोग हेपेटाइटिस सी की भयानक बीमारी से जूझ रहे हैं। अगर फाजिल्का के प्रमुख चिकित्सकों की मानें तो यहां पिछले 3 वर्षों में करीब 40 लोगों की मौत हो चुकी है। मंडी लाधुका में हालात यह हैं कि अगर कोई बीमार होता है तो उसके परिजन सबसे पहले हेपेटाइटिस सी होने की शंका जाहिर करते हैं।
मौजूदा समय में भी करीब आधा दर्जन लोग राजस्थान के श्रीगंगानगर में अपना उपचार करवा रहे हैं। फाजिल्का के एक प्रमुख डॉक्टर ने इसके खिलाफ अभियान भी चलाया लेकिन स्वास्थ्य विभाग और लोगों के सहयोग की कमी के चलते उनका अभियान नाकाम रहा। अगर स्वास्थ्य विभाग डॉक्टर रमेश गुप्ता की मानकर मंडी लाधुका व आसपास के गांवों में इस बीमारी का सर्वे करवाए तो 1000 के आसपास मरीज होने की संभावना है। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग खामोश है।
10 फीसदी केस पॉजिटिव
लुधियाना के डॉक्टर राजीव ग्रोवर फाजिल्का में हर माह के पहले रविवार को मरीजों को देखते हैं। वह बताते हैं कि अगर 50 मरीजों का चैकअप किया जाए तो उनमें 5-7 मरीज इस बीमारी से पीडि़त होते हैं। जब उनसे पूछा गया तो कि इस बीमारी से पीडि़त अधिकांश मरीज कहां हैं तो उन्होंने तुरंत मंडी लाधुका का नाम बताया। फाजिल्का के डॉक्टर रमेश गुप्ता बताते हैं कि मंडी के अब तक 200 से 250 ऐसे मरीजों की वह जांच कर चुके हैं जो इस बीमारी से पीडि़त हैं। मगर इलाज महंगा होने के कारण उनका इलाज अधूरा रह जाता है। जबकि संपन्न परिवार महानगर के अस्पतालों से इलाज करवा लेते हैं।
पीली पड़ जाती है त्वचा
डॉक्टर विजय सचदेवा बताते हैं कि इस बीमारी से पीडि़त व्यक्ति अस्वस्थ महसूस करता है। उसकी त्वचा का रंग पीला पड़ जाता है। मरीज को भूख कम लगती है, कमजोरी आ जाती है और वह थकान महसूस करता है। इसके अलावा मिचली और पेट दर्द की शिकायत रहती है।यह हैं बीमारी का शिकार
नवदीप असीजा ने बताया कि उनकी रिश्तेदार सुमन इस बीमारी से लड़कर ठीक हुई तो राज रानी को हेपेटाइटिस सी ने घेर लिया। उसका श्रीगंगानगर के अस्पताल में इलाज चल रहा है। इससे पहले उनके दो अन्य रिश्तेदार भी इस बीमारी से पीडि़त रहे हैं। उन्होंने बताया कि मंडी के तीन ओर सेमनाला है। इसके दूषित पानी ने बरसों से मंडी का भूमिगत पानी दूषित किया हुआ है। यहां आजतक सीवरेज भी नहीं पहुंचा। दूषित पानी से लोग बीमार होते हैं तो वह झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज करवाते हैं। वहां एक संक्रमित सूई का कई मरीजों पर प्रयोग किया जाता है।कोई भी संक्रमण पड़ सकता है भारी
हेपेटाइटिस सी एक वायरल संक्रमण है जो जिगर में सूजन पैदा करता है और इसे क्षति पहुंचाता है। इसका वायरल आमतौर पर खून के संपर्क के माध्यम से फैलता है जोकि सर्वाधिक नसों के माध्यम से नशीली दवाएं लेने से फैलता है। कोकीन सूंघने के लिए उपयोग किये जाने वाले साझे तिनके या उपकरण से यह बीमारी फैलती है। इसके अलावा असुरक्षित योग संबंधों से, लेकिन यह असामान्य है। डॉक्टर रमेश गुप्ता बताते हैं कि एक संक्रमित सूई के साथ एक स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारी का दुर्घटनावश संपर्क से यह बीमारी फैलती है। उन्होंने बताया कि करीब दो दशक पहले जो लोग रक्तदान प्राप्त करते थे उनमें हेपेटाइटिस सी होने से स्पष्ट जोखिम होता था, लेकिन अब तकनीक में सुधार हुआ है। इसके अलावा गुर्दे के डायलिसिस माध्यम से, प्रसव के दौरान मां से बच्चे में और संक्रमित टैटू या शरीर के छेदन उपकरण द्वारा यह बीमारी फैलती है।
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