Saturday, February 18, 2012

वाहनों की बढ़ती तादाद बिगाड़ रही है यातायात

सड़क पर लोगों और वाहनों की बढ़ती तादाद यातायात व्यवस्था पर भारी पड़ रही है। रोजाना व्यवस्था सुधारने की बातें होती हैं लेकिन सुधरती नहीं। अधिकारी व्यवस्था बनाने और लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं, मगर कोई समाधान नहीं निकल रहा। 

14 पुलिस कर्मियों के सहारे ट्रैफिक : करीब 15 बरस पहले लगाई गई ट्रैफिक पुलिस की तुलना में फाजिल्का शहर की आबादी व वाहन बेतहाशा बढ़े हैं। दूसरा फाजिल्का जिला बन गया तो आने जाने वाले वाहनों की संख्या में ओर इजाफा हो गया। अगर कुछ नहीं बढ़ा तो वह है ट्रैफिक पुलिस की संख्या। आज हालात यह है कि करीब सवा लाख की आबादी वाले इस शहर में यातायात सुधारने का जिम्मा मात्र 14 पुलिस कर्मियों पर है। 

आधी आबादी के पास हैं वाहन :क्षेत्र में 5 प्रतिशत लोगों के पास कारें हैं, लेकिन इनमें अधिकांश के पास कार खड़ी करने के लिए घर में जगह नहीं है। इस कारण कारें गलियों में खड़ी कर दी जाती हैं। इंजीनियर नवदीप असीजा की मानें तो कार वालों को तीन स्थानों पर पार्किंग के लिए जगह चाहिए। पहला घर, दूसरा कार्यालय और तीसरा खरीद-फरोख्त करते समय शहर में पार्किंग। इनमें घर और ऑफिस में तो जगह मिल सकती है लेकिन शहर में कार खड़ी करने के लिए कहीं पार्किंग नहीं है।

इसके अलावा करीब आधी आबादी के पास दुपहिया वाहन हैं। नजदीकी होने के बावजूद लोग वाहनों पर ही खरीददारी के लिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि इन समस्याओं से निजात के लिए ही फाजिल्का में कार फ्री जोन बनाया गया है। वहां लोग साइकिल पर या पैदल जाते हैं। इस दौरान वह आपसी बातचीत के जरिए प्यार बढ़ाते हैं। 

चेतावनी लिखना ही समाधान नहीं : जगह-जगह सड़कों किनारे लिखा मिल जाता है कि शराब पीकर वाहन न चलाएं, जगह मिलने पर वाहन करें ओवरटेक, धीरे चलो आगे स्कूल है। इसके बावजूद ढर्रा वहीं पर है। सड़कों किनारे चेतावनी लिखने से समाधान नहीं हो जाता। जो ट्रैफिक प्लान बने, उस पर अमल भी उसी तत्परता से हो। इसमें लोगों का सहयोग जरूरी है। शहर का अंधाधुंध और बिना समझे विस्तार, पब्लिक ट्रांसपोर्ट का अभाव, खुली सड़कें और पुलों का अभाव, यातायात नियमों का पालन न करना आदि ट्रैफिक समस्या का कारण हैं। 

जरूरत है अंडरब्रिज की : फाजिल्का में दिन भर 6 रेलगाडिय़ों का आवागमन होता है। यानि दिन में 12 बार रेलवे फाटक बंद होता है। जिस कारण यहां ट्रैफिक जाम हो जाता है। खासकर सुबह 9 बजे जब स्कूल खुलते हैं और दोपहर के 3 बजे जब स्कूलों में छुट्टी हो जाती है। बच्चे जब रेलवे फाटक पर पहुंचते हैं तो फाटक बंद और वाहनों की लंबी कतारें नजर आती हैं। इसके अलावा शाम को जब बच्चे ट्यूशन के लिए जाते हैं तो भी यही हाल होता है। अगर यहां अंडरब्रिज बनाया जाए तो समस्या का कुछ हद तक समाधान हो सकता है।

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