तू हिन्दु बनेगा ना मुसलमान बनेगा
इन्सान की औलाद है इन्सान बनेगा ।
इन्सान की औलाद है इन्सान बनेगा ।
अच्छा है अभी तक तेरा कुछ नाम नहीं है
तुझको किसी मजहब से कोई काम नहीं है
जिस इल्म ने इंसान को तकसीम किया है
उस इल्म का तुझ पर कोई इलज़ाम नहीं है
तू बदले हुए वक्त की पहचान बनेगा ।
मालिक ने हर इंसान को इंसान बनाया
हमने उसे हिन्दू या मुसलमान बनाया
कुदरत ने तो बख्शी थी एक ही धरती
हमने कहीं भारत कहीं इरान बनाया
हमने उसे हिन्दू या मुसलमान बनाया
कुदरत ने तो बख्शी थी एक ही धरती
हमने कहीं भारत कहीं इरान बनाया
जो तोड़ दे हर बांध वो तूफ़ान बनेगा ।
नफरत जो सिखाये वो धरम तेरा नहीं है
इन्सां को जो रौंदे वो कदम तेरा नहीं है
कुरआन न हो जिसमे वो मंदिर नहीं तेरा
गीता न हो जिसमे वो हरम तेरा नहीं है
तू अम्न का और सुलह का अरमान बनेगा ।
ये दीन के ताजिर ये वतन बेचने वाले
इंसानों की लाशों के कफ़न बेचने वाले
ये महलों में बैठे हुए ये कातिल ये लुटेरे
काँटों के एवज़ रूह ए चमन बेचने वाले
तू इनके लिये मौत का ऐलान बनेगा ।
तू इनके लिये मौत का ऐलान बनेगा ।
(धूल का फूल-1959)
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