आज़ादी के शुभ दिवस पर आईए मिलिए हमारे दो हिन्दुस्तानी भाइयो से, असलम और शिव, पिछले बीस सालो से चंडीगढ़ के सेक्टर 18 C में रिक्शा चला रहे है, इकठे रहते है, इकठे खाते है, बारी से हर रोज एक दूसरे के लिए खाना बनाते है । एक ही गाँव से है और यहाँ भी एक दूसरे के सुख दुःख के साथी । इनका मजहब सिर्फ प्यार और इंसानियत , मेहनत करते है अपने और अपने परिवार की रोजी रोटी के लिए । इन दोनों की महबूबा भी एक हे है, हमारा प्यारा "रिक्शा" । चलिए और कुछ नहीं तो इन्ही से एक अच्छे देशवासी बन के कैसे रहना है सीख ले, देश प्रेम के साथ धर्मी माँ से भी प्यार । शाम की खाने के महफ़िल में कभी जा के देखिये, सीवाए प्यार के कुछ और देखने को नहीं मिले । हमें गर्व ज्यादा कुछ तो नहीं लिए साहिर लुधियानवी जी की लिखी चंद लाइने आपके नाम;
तू हिन्दु बनेगा ना मुसलमान बनेगा
इन्सान की औलाद है इन्सान बनेगा ।
नफरत जो सिखाये वो धरम तेरा नहीं है
इन्सा को जो रौंदे वो कदम तेरा नहीं है
कुरआन न हो जिसमे वो मंदिर नहीं तेरा
गीता न हो जिसमे वो हरम तेरा नहीं है
तू अम्न का और सुलह का अरमान बनेगा ।
ये दीन के ताजिर ये वतन बेचने वाले
इंसानों की लाशों के कफ़न बेचने वाले
ये महलों में बैठे हुए ये कातिल ये लुटेरे
काँटों के एवज़ रूह ए चमन बेचने वाले
तू इनके लिये मौत का ऐलान बनेगा ।
Chandigarh Ecocabs
http://chandigarh.ecocabs.org/
तू हिन्दु बनेगा ना मुसलमान बनेगा
इन्सान की औलाद है इन्सान बनेगा ।
नफरत जो सिखाये वो धरम तेरा नहीं है
इन्सा को जो रौंदे वो कदम तेरा नहीं है
कुरआन न हो जिसमे वो मंदिर नहीं तेरा
गीता न हो जिसमे वो हरम तेरा नहीं है
तू अम्न का और सुलह का अरमान बनेगा ।
ये दीन के ताजिर ये वतन बेचने वाले
इंसानों की लाशों के कफ़न बेचने वाले
ये महलों में बैठे हुए ये कातिल ये लुटेरे
काँटों के एवज़ रूह ए चमन बेचने वाले
तू इनके लिये मौत का ऐलान बनेगा ।
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