Monday, December 19, 2011

शहादत देने वालों की हो पहचान

भारत-पाक के 1965 और 1971 के युद्धों में शहीद हुए 206 जवानों के फौलादी जज्बे को सलाम करने के लिए रविवार को एक विशाल समारोह का आयोजन किया जा 
रहा है। यह आयोजन आसफवाला स्थित शहीदों की सम-ाधि पर होगा, लेकिन हैरानी की बात है कि इन शहीदों की समाधियां गांव पैंचांवाली के निकट श्मशानभूमि में बनाई गई हैं। वहां न तो कभी प्रशासन के किसी अधिकारी ने श्रद्धांजलि दी और न ही किसी नेता ने उसकी सुध ली। हालात यह हुए अब वह भी जर्जर हालत में हैं। 
बाकी रही 5 समाधियां श्मशानघाट में अब 5 समाधियां ही बची हैं। इनमें 15 राजपूत बटालियन के जवान शामिल हैं। यह शहीद जवान राजस्थान, जम्मू कश्मीर और उत्तर प्रदेश के हैं। इन्होंने 8 दिसंबर से 14 दिसंबर तक शहादत का जाम पिया था। सिपाही सुमेर सिंह ने 8 दिसंबर, लास नायक मुहम्मद सदीक वासी गाजीपुर यूपी, 13 दिसंबर को सिपाही मिट्ठू खान वासी राजस्थान और 14 दिसंबर को सिपाही हिज्र मुहम्मद कश्मीरी वासी कश्मीर ने पाक रेंजरों से लोहा लेते हुए शहादत का जाम पिया था। 

कैप्टन बेदी दिलाएंगे पहचान 
समाजसेवक कैप्टन महिंदरजीत सिंह बेदी को जब शनिवार इन गुमनाम समाधियों को जानकारी मिली तो उन्होंने मौके पर जाकर शहीदों को नमन किया। कैप्टन बेदी ने कहा कि वह जर्जर हो चुकी इन समाधियों के बारे में एकूडेंट जनरल ब्रांच (एजी), रेजीमेंटल सेंटर, बटालियन के यूनिट और 15 राजपूत बटालियन को लिखेंगे। इसके अलावा रविवार को शहीदों की समाधि आसफवाला में होने वाले समारोह में सेना अधिकारियों को इसकी जानकारी देंगे।
 

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