फाजिल्का हो गया खाली
फाजिल्का शहर और आसपास के गांवों में सांय सात बजे खुशनुमा माहौल था। मजदूर घर लौट रहे थे। घरों में रात का खाना बनाने के काम में महिलाएं जुट चुकी थी। एकदम बलैक आऊट हुआ तो लोगों ने समझा कि रात को बत्ती गुल होना रोजाना का कार्य है, लेकिन रात होते ही पाकिस्तानी सेना की ओर से एक लड़ाकू जहाज फाजिल्का शहर में एकदस घुसा। चारों ओर सन्नाटा छा गया। किसी को समझ नहीं आ रहा था कि एकदम क्या हो गया। घोषणा हुई कि पाकिस्तान की ओर से युद्ध शुरू कर दिया गया है। गालियों की गडग़राहट सुनाई पड़ी तो लोग जैसे तैसे अपना जरूरी सामान बांधने लगे। किसी को पता नहीं था कि किधर जाना है, मगर सभी चल पड़े। मलोट रोड़ पर भारतीय सेना के आने के कारण लोगों ने अपना रूख अबोहर की ओर कर लिया। दो तीन घंटे में ही फाजिल्का सुनसान हो गया।
14 पंजाब ने रोका पाक को
फाजिल्का के सरहदी गांव मोहमदपीर, नूरन और चानन वाला की ओर से पाकिस्तानी सेना आगे बढ़ रही थी। भारतीय सेना भी जानती थी कि पाकिस्तान को रोकने के लिए सतलुज दरिया हिमालय का काम कर रहा है। इस कारण पाकिस्तान महातम नगर की ओर से हमला नहीं कर सकता। इस कारण भारतीय सेना भी फाजिल्का से उन गांवों में पहुंंच गई, जिस ओर से पाकिस्तानी सेना ने युद्ध की शुरूआत की थी। पाक सेना सुलेमानकी बॉर्डर से बंबबारी कर रही थी। उनका सामना करने के लिए भारतीय सेना की 14 पंजाब बटालियन भी पहुंच गई। उन्होंने पाकिस्तानी सेना का डटकर मुकाबला शुरू कर दिया और पाकिस्तानी सेना आगे बढऩे से रूक गई। पाक को पता चल चुका था कि अब इस ओर से आगे बढऩा असंभव है। इस कारण पाक सेना दूसरी ओर आगे बढऩे लगी और गांव चाननवाली तक पहुंच गई।
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