Monday, May 30, 2011

जीवनदायिनी दरिया भी हुई विषैली - Fazilka Water and River Satluj

May 29, अमृत सचदेवा, फाजिल्का

नदियों, नहरों व दरिया को लाइफ लाइन यानी जीवन प्रदान करने वाला कहा जाता है लेकिन सतलुज दरिया के किनारे बसे फाजिल्का के करीब आधा दर्जन गांवों के लिए यह दरिया जीवन की बजाए बीमारियां देने वाली बन गई है। इसका मुख्य कारण दरिया में उद्योगों का हानिकारक केमिकल युक्त पानी बहाया जाना जाना है।

इलाके के गांव तेजा रूहेला, दोना नानका, गुलाबा भैणी, झंगड़, महातम नगर, रेतेवाली भैणी, हस्ता कलां, ढोला भैणी, चनन भैणी राम सिंह वाली भैणी व ढाणी सदा सिंह में कभी यही सतलुज दरिया लोगों की पानी की सभी जरूरतें पूरा करती थी। लेकिन वर्तमान में जहां इस दरिया का पानी उद्योगों के गंदे पानी के कारण विषैला हो गया है वहीं यह पानी जमीन में समाकर लोगों की प्यास बुझाने का आखिरी जरिया बचे भूमिगत पानी को भी जहरीला बना चुका है। नतीजतन गांव तेजा रूहेला व दोना नानका के हर चौथे घर में अपाहिज मिल जाते हैं। कुछ लोग हाथों पैरों से विकलांग हैं तो कुछ मानसिक रूप से। यहां का पानी चर्म, नेत्र और यौन रोग का कारण भी बन रहा है। उक्त दोनों गांवों में अनेक महिलाएं बाझपन की समस्या से ग्रस्त हैं। अकेले गांव दोना नानका गांव में तीन बच्चे आंखों की रोशनी गंवा चुके हैं। गांव तेजा रूहेला के राज सिंह, भजन सिंह, पूनम, सरोज बाई, रानो, लड्डू सिंह, छिंदो, कुलविंदर सिंह सहित करीब 20 से अधिक लोग जो अपाहिज है हो गए हैं।

दरिया ऐसे हुई विषैली

फाजिल्का: पाकिस्तान के जिला कसूर में जूती बनाने में प्रयुक्त होने वाले और चमड़े की साफ सफाई व रंगाई उपयोग होने वाले हानिकारक केमिकल को सतलुज दरिया में फेंका जाता है। यही नहीं भारतीय पंजाब के औद्योगिक नगरों लुधियाना, जालंधर व कपूरथला आदि फैक्ट्रियों का दूषित पानी भी इसी दरिया में बहाया जाता है। फाजिल्का के सरहदी गांवों का कसूर यह है कि यह गांव इस दरिया के आखिरी छोर पर बसे हुए हैं, जहां आकर विषैला पानी जमीन में समा जाता है और इन गांवों के लोग इस विषैले पानी को पीकर बीमार होने के लिए मजबूर हैं।

तकनीकि व करियर की नई उड़ान

शिक्षा सूत्र, फाजिल्का

ग्रेजुएट्स वेलफेयर फाजिल्का की ओर से फाजिल्का नालेज विटी कंपेन के तहत रविवार को एजुकेशन फेयर राम पैलेस में हुआ। इस फेयर में परिवहन एवं तकनीकी शिक्षामंत्री सुरजीत ज्याणी विशेष मेहमान थे।

इस फेयर में विभिन्न विषयों पर आयोजित सेमिनार में शिक्षा और करियर की जानकारी दी गई। इस मौके पर गवफ के सचिव नवदीप असीजा और फाजिल्का नालेज सिटी कंपेन के चेयरमैन डा. रजनीश कामरा ने बताया कि इंजीनियरिंग परीक्षा की प्रक्रिया से अवगत कराने के लिए पंजाब टेक्निकल विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों के लिए डम्मी आन लाइन काउंसलिंग सुविधा दी है। फेयर में चंडीगढ़ के जीओ ग्लोबल कंसल्टेंट द्वारा विदेश जाने के इच्छुक विद्यार्थियों के दाखिला व वीजा प्रकिया की जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि एजुकेशन फेयर में सिक्किम मनीपाल गीता साफ्टे कंप्यूटर्स, रयात बाहरा ग्रुप, आदेश ग्रुप, यूनिवर्सल ग्रुप, सुरेना शिक्षा ग्रुप श्री गंगानगर, रेडिएंट तकनीकी कोज कम बिग्रेड कालेज आदि ने विशेष रूप से भाग लिया। विद्यार्थियों की सुविधा के लिए जलालाबाद, मलोट व अबोहर के मुख्य बस अड्डों से नि:शुल्क बस सेवा चलाई गई। इसके अलावा श्रीगंगानगर के सुरेन्द्र डेंटल कालेज द्वारा विद्यार्थियों के दांतों का चेकअप किया गया।

फेयर में आईटीआई रूड़की के रिटायर्ड प्रो. व ऊर्जा पुरुष डा. भूपेन्द्र सिंह ने काउंसलिंग डेस्क लगाकर बच्चों व अभिभावकों को उच्च शिक्षा से जुड़े पहलुओं की जानकारी दी। इसके अलावा फेयर में सुरेंद्र ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशन की ओर से नि:शुल्क डेंटल चेकअप कैंप का आयोजन मोबाइल वैन लाकर किया गया, जिसमें डा. अर्पित शर्मा ने सेवाएं दीं। इस कार्यक्रम में डा. रजनीश कामरा, इंजीनियर नवदीप असीजा, लक्ष्मण दोस्त आदि ने पूर्ण सहयोग किया।

Saturday, May 28, 2011

होशियारपुर में चलेगा ईको रिक्शा

पंजाब सरकार के पर्यटन विभाग की तरफ से ईको रिक्शा मुहिम पंजाब के विभिन्न जिलों में चलाई जा रही है। इस मुहिम को होशियारपुर में चलाने संबंधी डीसी धर्मदत्त तरनाच ने बैठक की। डीसी ने कहा कि शहर में चल रहे ऑटो रिक्शा की तरफ से फैलाए जा रहे प्रदूषण को कम करने व शहर के तंग बाजारों में जाने के लिए आधुनिक किस्म के ईको रिक्शा चलाए जा रहे हैं। 

इन ऑटो रिक्शा से लोगों को काफी सुविधा मिलेगी। ईको रिक्शा पुराने चलाए जा रहे रिक्शों से 20 किलो कम वजनी होंगे। इन रिक्शों में एफएम रेडियो, फस्ट एड बाक्स, शहर का नक्शा, मोबाइल काल की सुविधा होगी। इससे रिक्शा में जाने वाले सवारी मोबाइल फोन पर ही रिक्शा चालक को अपने पास बुला सकेगी। रिक्शा चालक की तरफ से 50 रुपए वार्षिक देने पर उसका एक लाख रुपए का बीमा भी हो पाएगा। इस दौरान ट्रैफिक समस्या को हल करने के लिए भी बैठक की गई। उन्होंने कहा कि बाजारों में दुकानदारों की तरफ से सड़कों पर किए गए नाजायज कब्जों को हटाने की मुहिम चलाई जाए, ताकि शहर के ट्रैफिक को सुचारू ढंग से चलाया जा सके।

बैठक में एडीसी हरमिंदर सिंह, बीएस धालीवाल, एएस धामी, डा. शाम लाल महाजन, विजय कुमार शर्मा, आरपी सिन्हा, मनजीत सिंह, परमजीत सिंह व अन्य उपस्थित थे।

Soon, radio rickshaws on Chandigarh roads

Times of India, 28th May 2011

CHANDIGARH: Residents may soon witnessFazilka-pattern eco cabs (modified rickshaws) on the city roads. UT on Friday informed the Punjab and Haryana high court that it had contacted the NGO that had invented the rickshaws and would launch the concept as a pilot project. 

In Fazilka district of Punjab, the cycle rickshaws are available a phone call away. The information was provided by the UT senior standing counsel Sanjay Kaushal before a special bench comprising Justice Surya Kant and Justice Ajay Tewari during the resumed hearing of the matter. Advocate Kaushal said that they had contacted the Graduates Welfare Association Fazilka (GWAF) secretary Navdeep Asija for making arrangements to introduce the eco cabs in the city. 

UT administration was told to launch the eco cabs only after considering their feasibility on the roads. On March 25, Justice Surya Kant had asked UT and Punjab government to suggest ways for introducing the eco cabs in Chandigarh and Punjab.

Thursday, May 26, 2011

फाजिल्का में एजूकेशन फेयर 29 को

जागरण संवाद केंद्र, फाजिल्का

दसवीं या बारहवीं पास विद्यार्थियों को आगे की पढ़ाई के बारे में सही जानकारी हासिल करने के लिए दिल्ली, अमृतसर या अन्य बड़े शहरों की तरफ रुख करना पढ़ता है, जहा उनका हजारों रुपये खर्च हो जाता है।

विद्यार्थियों की इस समस्या को दूर करने के उद्देश्य से ग्रेजुएट्स वेलफेयर एसोसिएशन फाजिल्का की ओर से 'फाजिल्का नॉलेज सिटी कंपेन' के तहत एजूकेशन फेयर का आयोजन किया जा रहा है। मालवा क्षेत्र का सबसे बड़ा और फाजिल्का में दूसरा एजूकेशन फेयर 29 मई को राम पैलेस में लगेगा, जो सुबह 10 बजे से देर शाम तक चलेगा। इस निशुल्क फेयर में विभिन्न विषयों पर सेमिनार के माध्यम से शिक्षा और करियर के बारे में जानकारी दी जाएगी।

फेयर में उत्तर भारत के प्रमुख कालेज भाग लेंगे। इसमें चंडीगढ़ के रियात बारह ग्रुप, आदेश ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट, गुरु राम दास इंस्टीट्यूट ऑफ इजीनियरिग एंड टेक्नोलॉजी और सिक्किम मनीपाल यूनिवर्सिटी के अलावा देश भर के कई नामवर कालेज भाग लेंगे। फेयर में उत्तर भारत के प्रमुख कालेजों के अलावा न्यूजीलैंड और कनाडा के कालेज भी भाग लेंगे।

डा. रजनीश कामरा ने बताया कि फेयर में सर्दन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी न्यूजीलैंड, दुरहास कालेज कनाडा, जार्जीयन इंस्टीट्यूट कनाडा भाग लेंगे।

इस मौके पर चंडीगढ़ के ग्लोबल कंसरटेट द्वारा विदेश जाकर पढ़ने और वीजा प्राप्त करने के लिए निशुल्क जानकारी दी जाएगी। फेयर में विभिन्न सरकारी कालेजों में मौके पर ही दाखिला दिया जाएगा। यह पहला अवसर है जहा न्यूजीलैंड ऐंबसी के पूर्व वीजा अफसर से मिलकर न्यूजीलैंड जाने के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। फेयर में इजीनियरिग मेडिकल, होटल मैनेजमेंट, मास कम्यूनिकेशन, बीबीए, एमबीए, फार्मेसी और लॉ आदि की जानकारी दी जाएगी।

Tuesday, May 24, 2011

No easy ride for eco-cabs

Gurdeep Singh Mann
Tribune News Service
Fatehgarh Sahib, May 23

The Punjab Cycle Rickshaw (Regulation of License) Act- 1976 is giving bumpy rides to the eco-cabs that were launched with the help of the Punjab Heritage and Tourism Promotion Board from Fazilka and are slowly spreading to all the districts of the state.

An eco-cab is an improvised version of rickshaw with low floor, lightweight, maintenance free, FM Radio, water bottle, magazine holder, more space to store luggage, improved road safety features and dial a rickshaw facility in big cities.

Last month, the Punjab Government directed all the DCs of the state to consider introducing the eco-cabs and submit report within three months. However, lacunae in the Cycle Rickshaw Act have put the cab owners in a fix. The Graduates Welfare Association of Fazilka in a letter to the principal secretary, Punjab Tourism, suggested amendments in the Punjab Rickshaw Act. Secretary of the association, Navdeep Asija said, "While the Motor Vehicle Act has fixed only lower age limit to drive vehicles like cars or scooters and there is no upper limit, the Rickshaw Act says that a rickshaw owner cannot operate a rickshaw if he is above 45 years."

Punjab was the first state to introduce the Cycle Rickshaw Act, which says that anyone who owns a rickshaw has to drive it. According to the Rickshaw Act, giving rickshaw to someone else on rent is considered illegal, the owner must get license after medical examination and certificate, upper age limit to drive a rickshaw is 45 years and municipal authorities can confiscate and destruct the rickshaw, if anybody above 45 years of age is found driving it, without license or other valid documents. Navdeep stated that cycling was a healthy exercise that keeps one fit even after 60 years and hence, the upper age limit for getting the license should be linked with the medical fitness of rickshaw driver.

Act does not allow anyone to hold more than one rickshaw. Licenses to widows, disabled and institutions can be given licences based on their needs but maximum number allowed is five. This means that a rickshaw puller can never own more than one rickshaw in his entire life. Mahesh, a rickshaw puller, alleged that the municipal authorities or the police usually harass people who hire a rickshaw for living, as the act debars the poor to operate rickshaw on rent. Destruction of rickshaws after confiscation should be stopped, he said.

Meanwhile, eco-cabs have been launched at Fazilka, Amritsar and Patiala and process is on to launch it in Sangrur and Ludhiana. Sixty lakh people in the state travel on rickshaw and there are 300 newly launched eco-cabs. Officials of the Punjab Heritage and Tourism Promotion Board said they would write for the amendment of Punjab Rickshaw Act.

The Punjab Cycle Rickshaw Act says

Upper age to drive a rickshaw is 45 years and the municipal authorities can confiscate and destruct a rickshaw if anyone is found flouting the age norm.  The Lacunae: On the other hand, the Motor Vehicle Act has only fixed lower age limit to drive vehicles like cars or scooters and there is no upper age limit.

Monday, May 23, 2011

राजीव गांधी के आभारी हैं फाजिल्का वासी

जागरण संवाददाता, फाजिल्का
 May 20, 06:37 pm

सूचना क्रांति के दूत माने जाने वाले देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री रहे स्व. राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर सारा देश उन्हें याद कर रहा है। ऐसे में फाजिल्का वासी उनकोयहां के लिए दी गई देन के कारण याद कर रहे हैं।

गौर हो कि स्व. गांधी ने अपने कार्यकाल में पाकिस्तान टीवी के भारत के खिलाफ दुष्प्रचार को रोकने के लिए फाजिल्का में उच्च क्षमता वाला टीवी टावर स्थापित करवाया था। एशिया में दूसरे सबसे बड़े फाजिल्का के 300 मीटर ऊंचे टीवी ट्रासमीटर को भारतीय सीमा पर सुरक्षा की दृष्टि से पाकिस्तानी सीमा से पाक टीवी के भड़काऊ प्रोग्रामों को देखने से रोकने के लिए स्थापित करवाया गया था। स्व. गांधी ने ही फाजिल्का में उच्च शक्ति टीवी टावर लगवाकर यहा से प्रोग्राम पेश करने के आदेश दिए थे। आज श्री गांधी की मृत्यु के 20 साल बाद भी करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी यह टीवी टावर पूरी तरह शुरू नहीं हो पाया। इसकी अनेक कीमती मशीनें बेकार पड़ी है।

उल्लेखनीय है कि फाजिल्का निवासी लीलाधर शर्मा, बोदीवाला के साहिब राम, पत्रकार धर्मलूना, अबोहर के पूर्व विधायक मास्टर तेग राम व पूर्व मंत्री प्रो. शेर सिंह तब प्रधान मंत्री राजीव गाधी से मिले थे। इस दौरान उनसे क्षेत्र में पाकिस्तान टीवी की रेंज ज्यादा आने की बात कही थी। इसलिए फाजिल्का में उच्च शक्ति टीवी टावर लगाकर पाकिस्तान को करारा जवाब देना चाहिए। राजीव गाधी ने भी फाजिल्का नगर में 300 मीटर ऊंचा टीवी रिले टावर लगवाना शुरू कर दिया था। आज इस टीवी टावर ने पाकिस्तान टीवी के भड़काऊ कार्यक्रम तो यहां बंद कर दिए हैं, लेकिन करोड़ों रुपये से तैयार यहां के दूरदर्शन केंद्र से कोई प्रोग्राम तैयार कर रिले नहीं किया जाता है। आज अगर राजीव गांधी होते तो दूरदर्शन केंद्र से प्रोग्राम रिले करने का सपना पूरा हो जाता।

Saturday, May 21, 2011

Top 2 bureaucrats summoned for not providing info-Fazilka Municipal Council

FEROZEPUR: The State Information Commissionhas served notices to two senior bureaucrats of thePunjab Government, including the principal secretary and director of local bodies department, for allegedly not providing the entire information sought by an RTI activist. 

The commission has asked them to appear before it on June 21 when the appeal will be taken up for hearing. RTI activist, Amar Nath Chetiwal, a resident of Fazilka town said he had submitted an application with the office of the Deputy Director, local bodies department and the Principal Secretary, Punjab, on March 11, 2011. 

He wanted information regarding allocation of various development projects by the Fazilka municipal council to its blue-eyed contractors even without inviting tenders. 

As both the officials failed in providing the information within the stipulated period, Chetiwal approached the State Information Commission. Ravi Singh, State Information Commissioner has served notices to both the senior officials and asked them to appear before it on June 21. The commission has also directed these senior officials to provide a copy of their replies to the complainant before appearing before the commission.

Friday, May 20, 2011

विद्यार्थियों ने बनाई अनोखी कंबाइन- Sant Kabir Polytechnic

जागरण संवाद केंद्र, फाजिल्क ा

संत कबीर पॉलीटैक्नीक कालेज के मैकेनिकल विषय के विद्यार्थियों ने एक अनोखी कंबाइन तैयार की है। कालेज के मैकेनिकल के विद्यार्थी नछत्तर सिंह ने बताया कि रिंकल कुमार, संदीप सिंह, सुरेश कुमार, विकास महता, संदीप कुमार, मनिंदरपाल और रमन कुमार ने मिलकर 45 दिनों में इसे तैयार किया है। इसमें मोपेड का इंजन लगाया गया है, जो कि कंबाइन की तरह चलती है और उसी तरह काम करती है। उन्होंने कहा कि जल्दी ही वे नया माडल तैयार करेंगे। कालेज के वाइस प्रिंसिपल रजनीश छोकरा ने बताया कि भले ही कंबाइन का आविष्कार पुराना है, लेकिन विद्यार्थियों ने एक बड़ी मशीनरी का छोटा माडल बनाकर अपनी कार्यकुशलता सिद्ध की है।

Wednesday, May 18, 2011

Ludhiana Ecocabs : शहर में चलेंगी इको कैब्स

Dainik Jagran, 18 May 2011, Page 5 Ludhiana City Edition

जासं, लुधियाना : ऑटो रिक्शा के प्रदूषण से जूझ रहे महानगर को बचाने के लिए जल्द सड़कों पर इको कैब्स नजर आएंगी। इससे प्रदूषण भी नहीं होगा और आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर आ-जा सकेंगे। इको कैब्स को बढ़ावा देने के लिए बैंक से चार फीसदी दर पर कर्ज भी मुहैया करवाया जाएगा। यह जानकारी एडीसी (डी) प्रदीप अग्रवाल ने मंगलवार को बचत भवन में बुलाई बैठक के दौरान दी। बैठक में रिक्शा चालकों को भी बुलाया गया था और उन्हें नई इको कैब्स के बारे में जानकारी दी गई। अग्रवाल ने बताया कि इको कैब्स नए डिजाइजन से तैयार की गई हैं और पुराने रिक्शों के मुकाबले इनका वजन 25 फीसदी कम है। इसलिए इन्हें खींचने में कम ताकत लगेगी। इन्हें बढ़ावा को लिए विभिन्न बैंकों से केवल चार फीसदी की दर पर कर्ज मिलेगा। एक रिक्शे की कीमत करीब पांच हजार रुपये की है। यह नही इको कैब्स खरीदने वाले का एक लाख रुपये का सड़क दुर्घटना इंश्योरेंस भी करवाया जाएगा। इसके लिए कैब चालकों को केवल 100 रुपये सालाना खर्च करना होगा। यह सेवा फाजिल्का, अमृतसर, पटियाला में सफल रही है व अब संगरूर व जालंधर में भी इसे लांच किया जाएगा। इसका डिजाइन करने वाले नवदीप असीजा ने बताया कि यह रिक्शे कम कीमत पर मिल रहे हैं वहीं रिक्शों पर पर लगे विज्ञापन से अतिरिक्त कमाई भी होती है। कैब चालकों के पहचान पत्र भी जारी जाएंगे जिससे उन्हें किसी प्रकार परेशानी न हो। महानगर में मौजूदा समय में हजारों की संख्या में रिक्शा चल रहे हैं। बैठक में लीड बैंक मैनेजर कुलदीप सिंह के अलावा अन्य अधिकारी मौजूद थे

Tuesday, May 17, 2011

Fazilka, a new district within two weeks

Alok Singh | Chandigarh

Demand of Fazlika as a separate district from Ferozepur would be fulfilled within two weeks said, Surjit Jyani while taking the charge as Punjab Transport Minister on Monday.

"All the works has been completed in order to form the new district though the official announcement is left which will do the Chief Minister Parkash Singh Badal very soon," said Jaiyani. Jaiyani is among those BJP legislators who are demanding of separate district of his constituency rigorously. The other one is former transport minister Master Mohan Lal, MLA from Pathankot. 

In January this year, Jaiyani with Akali Dal circle president Charan Singh with their supporters had gone into an indefinite fast in support of the demand for carving Fazilka as a separate district. In the wake of demands from various quarters, including members of the ruling SAD-BJP alliance for formation of new districts, the Punjab government had constituted a two-member Cabinet sub-committee to find an appropriate solution to the issue.

Chief Minister Parkash Singh Badal set up the committee comprising his deputy Chief Minister Sukhbir Singh Badal and former industries and local government minister Manoranjan Kalia.When asked about the proprieties for his department he said the work will be done in full positive aspects. Grievances and issues related to public transport system will be sorted out in the priority basis. Time to time we will conduct the surprise checking to maintain transparency in the system. If any one found indulged in any unlawful activities strict action will be taken against him. "You will see the change within the three months," said Jaiyani while talking with The Pioneer. 

The other cabinet minister Arunesh Shakar said that despite less than a year left in the assembly election, people of the Punjab will the see the change in tourism and wildlife sector. "Let me give a day or two go through the section," added Shakar. Satpal Gossain, health and family welfare minister and Tikshan Sud, local bodies and industry minister are the other BJP ministers who took the charge of their departments while social welfare minister Laxmi Kanta Chawala did not turned up at her office. When contacted Chawla said that she will join on Tuesday, since busy in some other work. 

Sunday, May 15, 2011

Jiyani’s elevation raises fazilka’s hopes

With the inclusion of local BJP MLA Surjit Jiyani in the Punjab Cabinet almost certain, the question that is being hotly discussed among a large section of residents of this town for the past two days is: Will Jiyani be able to get district status for this town after becoming a minister.

Sushil Gumber, convener, Sanjha Morcha, said that the Punjab government had promised that a decision in connection with the elevation of Fazilka town as a district would be taken by May 25. If no such decision is taken, the morcha would hold a meeting to decided the future course of action.

"Our hopes have gained strength as Jiyani is likely to be made minister tomorrow," he said, adding that Sanjha Morcha would not settle down till Fazilka gets district status, which had been denied to it by successive state governments. This cotton-rich town has witnessed a 150-day-long agitation launched under the banner of Sanjha Morcha, an umbrella body of all the organisations of the city, for getting district status.

Even Tikshan Sud, former Forest Minister, Punjab, had announced that the town would get district status by the end of April. Jiyani, Charan Singh, president, SAD, Fazilka circle, and Mohinder Partap Dhingra, chairman, Improvement Trust, had also observed a fast at the Clock Tower for a few days in January. Meanwhile, Jiyani, who was a minister from 1997 to 2002 in the previous SAD-BJP government, said that district status for Fazilka was on the cards. He said that a meeting of Sukhbir-Kalia Committee could not take place due to some reason and hence, district status for Fazilka could not be announced.

Read more: http://www.unp.me/f46/jiyani-s-elevation-raises-fazilka-s-hopes-151228/#ixzz1MP9S3NXm

Latest Petrol Price Rise

Good move by the government, as giving subsidised Petrol to make luxury affordable to the handful motor vehicle owner is not a very democratic step. Subsidy amount which is coming from taxpayer's money should not be exclusively given to facilitate motor transport, especially petrol driven. about 1% of the country's population own petrol driven vehicles and last year subsidy paid to oil companies was Rs 40120 crores- which is almost 8% of the total indirect tax collected Rs. 315000 crores-. With this subsidy amount almost 1 lakh schools per year in the country can be made world class and many other projects. Further the loss of our foreign exchange, making dollar more powerful. Thanks to the heterogeneous character of road transport in India, which enable most of our activities and its dependency on non-motorized transport, which further helping our country to remain "War-FREE". In US the car density per 1000 population is 880 compared with India as just 12, their highly dependability on motor transport force them to fight with one oil rich country every year almost :-). Those who like luxury should be ready to pay for it also. With this price rise, a good Public transport system in place can be considered as good move by the government instead of roll backing the price rise. Good step for environment protection, good for road safety and deterrent for individual transport.
Yeah, for a diesel price rise we need to have good holistic policy.

Friday, May 13, 2011

किसानों के लिए डेयरी विभाग का तोहफा

हमारे सूत्र,फिरोजपुर

डेयरी विकास विभाग व फाजिल्का की जमीदारां फार्म द्वारा साझे तौर पर किसानों को विशेष सुविधा देने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए साझे विभाग ने हरे चारे काटने के लिए एक मशीन तैयार कर किसानों को राहत देने की कोशिश की है। उक्त मशीन एक दिन में 3 से 4 एकड़ तक हरे चारे की कटाई कर सकती है। यह जानकारी डेयरी विभाग के कार्यकारी अधिकारी बीरप्रताप सिंह ने वीरवार को एक समारोह के दौरान दी।

उन्होंने इस योजना से डेयरी से संबंधित किसानों को किराये पर मशीन देना शुरू किया है। अधिकारी के मुताबिक ऐसे कदम से छोटे व मध्य वर्ग के किसानों को विशेष सुविधा मिलेगी। बीरप्रताप सिंह ने बताया कि डेयरी फार्मिग से संबंधित किसानों का 70 फीसदी खर्च पशुओं का हरा चारा तैयार करने में आता है। इसे तैयार करने में काफी मेहनत करनी पड़ती है। ईओ ने बताया कि पंजाब सरकार द्वारा कर्ज से दबे किसानों के उबारने के लिए सरकार उनको सांझी खेती करने के लिए जागरूक कर रही है। इसमें नान गवर्नमेंट आर्गेनाजेशन भी सहयोग कर रही है। साथ ही सरकार द्वारा डेयरी विभाग व जमीदारां फार्म सोल्यूशन फाजिल्का के सहयोग से हरा चारा तैयार करने के लिए सांझे तौर पर एक मशीन तैयार की जा रही है। इससे पशुपालकों का खर्च भी कम होगा और चारे की कमी भी महसूस नहीं होगी।

Monday, May 9, 2011

Sukhbir Badal seeks special package for development of border area

FEROZEPUR: Blaming the Congress-led UPA government for being insensitive towards demands of border area citizens, Punjab deputy chief ministerSukhbir Badal sought a special package for the development of border areas so that this region could be compensated for lack of industrial development. He was addressing the media after dedicating various development projects in Fazilka and Jalalabad assemblies, here on Monday. 

Sukhbir Badal regretted that the UPA government was deliberately keeping Punjab backward and not honouring the state for its contribution in making the country self reliant on food security front. He said that despite record wheat procurement, Punjab was not being allowed to export wheat to Pakistanand other Middle East countries that could provide remunerative price to the farming community for their produce. 

Lashing out at Union Government for proposed hike in the price of diesel, petrol and LPG, he said that it was the only government in the globe that raises the price of fuel products when crude prices are falling in international market. He said the proposal of hiking the fuel price was went to crush ordinary citizens already reeling under the impact of unprecedented inflation. 

Reply to a query on district status to Fazilka, Sukhbir Badal, who along with Manoranjan Kalia head the Sukhbir-Kalia committee on the restructuring of the districts in the state, said the committee was already going into this issue and would submit its report to the state government shortly.

Arms dealers mushrooming closer to Indo-Pak border

Times of India, 9th May 2011
FEROZEPUR: The border district of Ferozepur, rubbing its shoulder with Pakistan has emerged as a hub for issuing and procuring small and fake arms licenses.

The recent recovery of arms and a basketful of fake arms licenses from the houses of two arms dealersin Abohar town is just a tip of the iceberg- the nexus between the arms dealers and some government officials. 

The district gained notoriety in May 2000 whenDelhi and Haryana police arrested some criminals who had secured arms licenses from Ferozepur arms licensing authority under false addresses. The scam allegedly involving some political and other influential people rocked the then SAD-BJP state government. Later, a CBI inquiry into the scam had unearthed nearly 26000 dubious arm licenses which were issued by the licensing Authority without verifying the antecedents of the applicants. 

The district was once again in the thick of a similar controversy in July 2010 when some people were arrested for making fake arms licenses by forging the signature of the Additional District Magistrate. The district authorities have also been liberal in issuance of permits to arms dealers. 

As per the rules, a population of 50,000 is entitled to only one firearms dealership license. According to the recent census, the population of the district is around 20 lakh. As such the district should have only around 40 arms dealers. However, there are 55 arms dealers in the district- 39 dealers under license categories 11,12, and 14, and 16 under 13 and 14 categories. Most of these arms dealers are located at Ferozepur, Abohar, Fazilka, Jalalabad, Guruhar Sahai, Zira and Talwandi Bhai town. 

Last year, the district authorities issued nearly 836 new arm licenses. This is despite the new guidelines issued by the Ministry of Home Affairs to all district magistrates through the states regarding issuance of firearms licenses. The new guidelines recommend strict verification of the applicant and the licensing authority to maintain a database of all the licenses issued and to share the same with the Central government which shall maintain a national database. 

Kamal Kishor Yadav, Deputy Commissioner-cum-District Magistrate, Ferozepur claimed that strict measures were observed while issuing new arms license. Some licensee, who procure arms licenses from other states, are being verified individually, he said. 

Conceding that issuance of arms dealer licenses in such high numbers was a gross violation of the rules, he, however claimed that many arms dealers were not operative at the moment.
http://timesofindia.indiatimes.com/india/Arms-dealers-mushrooming-closer-to-Indo-Pak-border/articleshow/8207739.cms

Sunday, May 8, 2011

Wagah on a hillock-Sadqi Border Retreat Ceremony at Fazilka

8th May 2011
Sukhdeep Kaur

Just before 5 every evening, after the tractors have left the fields, Sadqi comes to life—almost with a start. The loudspeakers blare patriotic songs and a stream of visitors in VIP cars, SUVs, bikes and scooters starts trickling in. This village on the India-Pakistan border in Punjab's Ferozepur district is the third joint checkpost after Wagah in Amritsar and Hussainiwala in Ferozepur district where a retreat ceremony is performed by the Border Security Force and the Pakistan Rangers. The ceremony in Sadqi—the foot-stomping, theatrical kind that has made Wagah popular with tourists—began two years ago.

Sadqi found itself on the border after Pakistan exchanged enclaves as part of a treaty signed on January 17, 1961. Under the pact, certain areas in the vicinity of Sulemanki Headworks, a barrage on the Sutlej river in Fazilka tehsil, were transferred to Pakistan. Sadqi was a former trade and transit route to Pakistan's Multan district and a joint Indo-Pak checkpost came up here. But trade stopped after the 1965 war and this route hasn't been used since.

For years, people in Sadqi lived the border life—in their little mud houses, working on their wheat and mustard fields and fretting about how they they needed permission from the BSF to work on their fields that lie across the barbed fencing. Then the retreat ceremony began, adding a bit of drama to their evenings.

But even with the retreat ceremony, Sadqi is no Wagah. Here the ceremony happens just where the fields end, a quaint show just before sundown. There are no ceremonial gates that are slammed shut—Pakistan has no gate while the Indian one lies closed with a barbed fence. The BSF jawans, perform their drill near the barbed fence, while the Pakistan Rangers are positioned on a hillock that's painted in the camouflage colours of green and grey.

The BSF says it is the terrain that makes Sadqi unique. "Between the Indian and Pakistani positions, there is a low-lying area along the international border where water fills up during the rains. There is also a small pond nearby that is along the border," says Vimal Satyarthi, DIG of BSF's Abohar range, under which the Sadqi border post falls.

It's close to 5 p.m. and the Pakistani gallery is packed with men, women and children, some waving green flags. But Sadqi is still waiting for its open air theatre to fill up. There is no bus service to this village from Fazilka, the nearest town, and BSF men say the stands here are always difficult to fill up, especially on weekdays.

By the time the jawans start the ceremonial drill, Sadqi manages a decent crowd. The loud cheers and slogans from Pakistan die down as soon as BSF jawans take charge.

Fifty-two-year-old Mahendra Pratap Dhingra, a Fazilka advocate, is here every Friday. During Partition, his grandfather and father migrated from Darbariwal village, in what is now Sahiwal district in Pakistan, but his paternal uncle, who became Mohammad Iqbal, now comes to the Sadqi border every Friday. "Every Friday, we wave at each other. On August 15, when the two sides are allowed to come close to the fence, we even talk to my uncle and his sons," says Dhingra.

It was only in the last two years, after the checkpost got its gates, an open air theatre and a music system (put up last year) that Sadqi began getting visitors—mostly locals and people from nearby towns out to have some fun and a few tourists who have done the Hussainiwala and Wagah rounds and want to see the third retreat ceremony.

BSF officials say that on weekdays, only about 50-60 visitors come to Sadqi while on weekends, the number touches 500-700. "But on special days like Independence Day, the open-air stands are packed with people. Last year, the figure crossed the 15,000 mark with visitors not just from neighbouring towns but also from other states such as Rajasthan, Uttar Pradesh, Haryana and Delhi. We also hold cultural programmes on special occasions. Last year, we held a bhangra competition," says Satyarthi.

The Sadqi border post is 99 km from Ferozepur city and 14 km from the border town of Fazilka. For a village this sleepy, the evening ceremony is a high-point and the government now plans to cash in on that.

The tourists who come to watch the retreat ceremony also visit the nearby Asafwala War Memorial built in memory of the soldiers of the 1971 Indo-Pak war, who held fort against the enemy for three days at this border after the war officially ended.
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"Earlier, Sadqi was out of bounds for civilians. We have now mooted a proposal to promote rural tourism by promoting Sadqi and Asafwala as a joint tourism circuit. The Punjab tourism department has forwarded our demand for Rs 75 lakh to the Centre. Some of that money will be used to promote the checkpost as an attraction," says Ferozepur DC Kamal Kishore Yadav.

There could be more in store for Sadqi, the village. Fazilka, the town nearest to the village, is from where the Turkmenistan-Afghanistan-Pakistan-India (TAPI) gas pipeline will enter India. That is expected to turn Fazilka, a town that was once famous for its wool trade with Britain, into an energy hub and in turn, change the face of Sadqi. Talk of the pipeline has already pushed up land prices in the village—a farmland at the border is now worth Rs 15 lakh an acre from Rs 7 lakh an acre till last year.

But till the pipeline becomes a reality, Sadqi is happy with its border status—the open-air theatre that can house about 3,000 tourists and the jingoism that comes with being a border post with a gate that opens into an 'enemy country'.

Thursday, May 5, 2011

Wednesday, May 4, 2011

सूरज को साधने की धुन

अमृत सचदेवा, फाजिल्का

सूरज की तपिश से सूरज ही बचाएगा। खाना भी बनाएगा, ठंडी हवा भी दिलाएगा। बस उसकी ऊर्जा के सही इस्तेमाल का तरीका आना चाहिए। ऐसे ही तरीके डा. भूपेंद्र सिंह ने ईजाद किए हैं। उन्होंने सोलर कूलर बनाया है। ऊर्जा संरक्षण की दिशा में उनके योगदान व आविष्कारों की वजह से उन्हें ऊर्जा पुरुष के खिताब से नवाजा जा चुका है।

आईआईटी रूड़की से बतौर प्रोफेसर सेवानिवृत्त डा. भूपेंद्र सिंह अपने पैतृक शहर फाजिल्का में ऊर्जा संरक्षण की दिशा में नई खोज करने के साथ खुद भी ऊर्जा संरक्षण के प्रयासों की मिसाल बने हुए हैं। हर काम की शुरुआत अपने घर से होती है। 72 वर्षीय डा. सिंह ने अपने घर को ऊर्जा भवन का ही रूप दे दिया है। उन्होंने आम प्रचलित महंगे सोलर कूकर की जगह बेहद किफायती उपकरण खुद तैयार किए हैं। पिछले दिनों डा. भूपेंद्र ने सोलर ऊर्जा से चलने वाला पंखा बेहद कम खर्च में तैयार कर उसका प्रदर्शन किया था और अब वह अपनी टीम के साथ सौर ऊर्जा से चलने वाले कूलर के निर्माण में लगे हैं।

डा. भूपेंद्र ने बताया कि इस वेपोरेटेड कूलर में छोटा सबमर्सिबल पंप व एक छोटा एग्जास्ट फैन लगाया गया है। दोनों में अधिकतम 80 वाट ऊर्जा की खपत होती है। इन दिनों पड़ने वाली भीषण गर्मी में यह कूलर दिन भर 12 गुणा 10 फुट के कमरे को आधे टन वाले एसी जितनी ठंडक दे सकता है। यह खोज पूरी हो चुकी है। इसका प्रदर्शन वह एक सप्ताह में कर देंगे।

वेपोरेटेड कूलर के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, उस कूलर के सिद्धांत की प्रथम थ्यूरी भी डा. सिंह ने ही 1967 में अपने साथी डा. राजेंद्र सूरी के साथ क्लाइमेट कंट्रोल दिल्ली के लिए लिखी थी। अब उस आविष्कार को आगे बढ़ा रहे हैं। सोलर एनर्जी चालित वेपोरेटेड कूलर के प्रोजेक्ट में उनके साथ बलविंदर सिंह, विक्की काठपाल, साहिल गगनेजा व गगन सिंह काम कर रहे हैं।

डा. भूपेंद्र सिंह खुद भी ऊर्जा संरक्षण के प्रयासों की मिसाल हैं। वह 72 वर्ष की उम्र में भी साइकिल पर ही कहीं आते जाते हैं। वह अपने साथ फोल्ड होने वाली साइकिल रखते हैं। बैग से फोल्डिंग साइकिल निकालते हैं और चल पड़ते हैं मंजिल की ओर।

डा. सिंह उत्तराखंड में ग्रेविटी रोप-वे का प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक स्थापित करवा चुके हैं। इसके लिए उत्तराखंड सरकार ने उन्हें 11 अप्रैल 2007 में ऊर्जा पुरुष के खिताब से नवाजा था। डा. सिंह फाजिल्का में रिक्शा चालक का भार कम करने में सहायक ईको कैब रिक्शा, फाजिल्का फिमटो रिक्शा का आविष्कार भी कर चुके हैं।

Monday, May 2, 2011

दादा-दादी को नहीं जाने देंगे वृद्धाश्रम

जागरण संवाद केंद्र, फाजिल्का

स्थानीय कालेज रोड पर स्थित केडी माडल स्कूल के पांचवीं से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को प्रिंसिपल मृदु सचदेवा व अध्यापिका शीतल के नेतृत्व में शैक्षणिक भ्रमण के तहत फिरोजपुर रोड पर स्थित मानव कल्याण वृद्धाश्रम ले जाया गया, जहां विद्यार्थियों ने बुजुर्गो का आशीर्वाद लिया और अपने दादा-दादी को वृद्धाश्रम न भेजने का प्रण लिया।

बुजुर्ग अपने बीच बच्चों को पाकर बेहद खुश हुए, क्योंकि अपने दोहते, पोतों से दूर आश्रम में रह रहे बुजुर्गो को बच्चों की शरारतों की कमी हमेशा खलती रहती है। कुछ बुजुर्गो ने बच्चों को कहानियां भी सुनाई। बाद में प्रिंसिपल के नेतृत्व में विद्यार्थियों ने आश्रम की सफाई की और बुजुर्गो के रहने वाले कमरे भी साफ किए। आश्रम के अध्यक्ष एडवोकेट सुरेंद्र सचदेवा ने स्कूल प्रिंसिपल व स्टाफ का स्वागत किया। उन्होंने बच्चों को प्रण दिलाया कि वे बड़े होकर अपने दादा-दादी को कभी भी वृद्धाश्रम नहीं भेजेंगे। बच्चों ने बुजुर्गो से समय समय पर मिलने आने का वायदा भी किया।